पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:धार्मिक पर्यटन में अब और अधिक व्यवस्थाएं जुटाएं

जब भीड़ तमाशा बन जाती है तो मौत को प्रवेश करने का मौका मिल जाता है। चाहे राजनीतिक सभाएं हों या धार्मिक आयोजन, भीड़ एक मापदंड हो गया है। इस समय धार्मिक पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है, पर जो तीर्थस्थान हैं, वहां का प्रबंधन अभी भी पिछड़ा हुआ है। इसीलिए बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु भीड़ में बदल जाते हैं। इन धार्मिक शहरों में रहने वाले स्थायी लोग अपने शहर की दुर्दशा देखकर दु:खी हो गए हैं। उनका वश चले तो वो पर्यटकों को रोकने में ताकत लगा देंगे। स्पेन के बार्सीलोना में ऐसी घटना घट चुकी है। वहां के नागरिक पर्यटकों को रोक रहे हैं। सिटी ऑफ मैथ्स- यानी जो अपनी गणितीय आकृतियों के लिए मशहूर है- उस बार्सीलोना के लोगों का कहना है हमारे शहर की शांति भंग हो गई, व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है- भीड़ के कारण। इसलिए भीड़-प्रबंधन के जिम्मेदार लोगों को चाहिए और खासतौर पर धार्मिक पर्यटन में- कि अब अधिक व्यवस्थाएं जुटाएं। वरना मौत और दुर्घटना को अपना तांडव करने के लिए इससे अच्छा मंच और कहां मिलेगा?

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