बीते कुछ वर्षों में टेक्नोलॉजी में हुए इनोवेशन और अपग्रेडेशन के बाद से, मार्केट में कंपटीशन काफी बढ़ गया है. अब अच्छी जॉब और बढ़िया इंकम के लिए लोगों को स्किल्स पर काम करना पड़ रहा है, जिसके चलते डिग्री की वैल्यू काफी कम हो गई है. ऐसे में कई स्टूडेंट्स इस बात को लेकर चिंता में रहते हैं कि क्या उनकी डिग्री उन्हें बेहतर जॉब ऑपर्च्युनिटी दिलाने में मदद करेगी?
दरअसल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिस्ट ने अपनी एक रिसर्च में ये बताया है कि कैसे आजकल सर्टिफिकेट और डिग्री केवल एक कागज का टुकड़ा बनकर रह गई है और बाजार में डिग्री थकान का दौर चल रहा है. जिसमें अच्छी जॉब के लिए केवल डिग्री होना काफी नहीं है.
हार्वर्ड के लेबर इकोनॉमिस्ट डेविड जे डेमिंग और रिसर्चर कदीम नोरे ने अपनी 2020 की रिसर्च में बताया कि एप्लाइड साइंसेज, कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग और मार्केटिंग जैसी डिग्री का आज कोई मोल नहीं रह गया है. इससे ये पता चलता है कि उस समय सक्सेस की चाबी माने जाने वाली ये डिग्रियां अब आउटडेटेड हो चुकी है. इतना ही नहीं आज बिजनेस डिग्रीज भी आपको इम्यूनिटी नहीं दे सकती. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने बताया कि टॉप MBA ग्रेजुएट्स भी आज मार्केट में हाई पे जॉब्स के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं. ऐसे में डिग्री की चमक किस्मत चमकने में नाकामयाब होती नजर आ रही है.
जहां एक और एप्लाइड साइंसेस का हाल इस कदर बुरा तो वहीं दूसरी ओर ह्यूमैनिटीज के लिए स्टूडेंट्स का घटता इंटरेस्ट भी चिंता का विषय है. हार्वर्ड क्रिमसन के डाटा के अनुसार, ह्यूमैनिटीज को करियर ऑप्शन के तौर पर चुनने वालों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में स्टूडेंट्स ने STEM और करियर फोकस्ड प्रोग्राम्स में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है. साथ ही हार्वर्ड की 2022 की रिपोर्ट में देखने को मिला है कि मार्केट में अब कंपनिया जेनेरिक डिग्रीज की बजाय स्पेसिफिक स्किल्स और डिजिटल लिटरेसी वाली डिग्रीज को प्रेफरेंस देती हैं.
हार्वर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक ये 10 डिग्रीज खो रही हैं अपनी इंपॉर्टेंस और मार्केट वैल्यू –
1. जनरल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA इंक्लूडेड)
2. कंप्यूटर साइंस
3. मैकेनिकल इंजीनियरिंग
4. अकाउंटिंग
5. बायोकेमिस्ट्री
6. साइकोलॉजी (अंडरग्रैजुएट)
7. इंग्लिश एंड ह्यूमैनिटीज
8. सोशियोलॉजी एंड सोशल साइंस
9. हिस्ट्री
10. फिलासफी
2025 की एक स्टूडेंट चॉइस रिपोर्ट के अनुसार, रैंकिंग इंजीनियरिंग , कंप्यूटर साइंस एंड नर्सिंग की मार्केट डिमांड काफी है. ऐसे में इस कॉम्पटीटिव मार्केट में वो स्टूडेंट्स सरवाइव कर पाएंगे जिनके पास डिग्री के अलावा स्किल्स, इंटेलिजेंस, क्रिएटिविटी और क्रिटिकल थिंकिंग होगी.
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आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं.
दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की.
साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं.
घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.
Source: IOCL
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