पं. विजयशंकर मेहता:स्त्री और पुरुष को न्यू नार्मल  के प्रति सहज होना पड़ेगा

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पं. विजयशंकर मेहता:स्त्री और पुरुष को न्यू नार्मल  के प्रति सहज होना पड़ेगा

5 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar
पं. विजयशंकर मेहता

पति-पत्नी के सम्बंधों की न तो कोई स्थायी व्याख्या हो सकती है, और न ही तयशुदा परिभाषा। दाम्पत्य निजी अनुभव है। जितने जोड़े, उतने सिद्धांत। जितने पति-पत्नी, उतने ही अलग-अलग ​किस्से। प्रबंधन की दुनिया में एक शब्द चलता है- न्यू नॉर्मल। इसका सीधा मतलब किसी आपात और अप्रिय स्थिति के बाद की सामान्य दशा है।

अब इस रिश्ते में भी स्त्री और पुरुष को भी न्यू नार्मल के प्रति सहज और स्वीकृत होना पड़ेगा। रात को हुआ फसाद सुबह प्रेम-वार्तालाप में बदल सकता है। और सुबह का प्रेम शाम होते-होते उपद्रव में तब्दील हो जाएगा। इस​लिए न्यू नॉर्मल की उम्मीद बनाए रखें। प्रबंधन के लोग कहते हैं कि जब ओपन डिस्कशन हो तो हाई ईक्यू यानी इमोशनल कोशेंट बनाए रखना चाहिए।

यह बात पति-पत्नी को भी समझनी होगी। पहले के जोड़ों में निर्णय किसी एक के हाथ होता था, और खासतौर पर पुरुष के।​ पर अब दोनों डिसीजन-मेकिंग की स्थिति में हैं, क्योंकि अब इस रिश्ते की डोर बहुत महीन हो गई है और जरा से दबाव में भी टूट सकती है।

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