राजस्थान में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले में मौत का शिकार हुए एक बच्चे के परिवार वालों ने स्वास्थ्य मंत्री और राज्य सरकार को चुनौती दी है. मौत का शिकार हुए सीकर के रहने वाले पांच साल के नित्यांश के परिवार ने अभी तक उसका दाह संस्कार नहीं किया है और शव को कब्र में दफना कर रखा है.
परिवार ने सरकारी अमले को चुनौती देते हुए कहा है कि उनके बच्चे का शव कब्र से निकालकर उसका पोस्टमार्टम कराया जाए. पोस्टमार्टम से पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी. परिवार ने यह भी अल्टीमेटम दिया है कि अगर सरकार ने 10 दिनों के अंदर नित्यांश के शव को कब्र से निकाल कर उसका पोस्टमार्टम नहीं कराया तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे.
राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले 5 साल के नित्यांश की मौत 29 सितंबर को कफ सिरप पीने के बाद हुई थी. परिवार चीख- चीख कर यह दावा कर रहा था कि नित्यांश की मौत सिरप पीने से ही हुई है. परिवार उसी वक्त पोस्टमार्टम कराना चाहता था, लेकिन उन्हें समझा बुझाकर शांत करा दिया गया. इसके चलते परिवार ने नित्यांश के शव का दाह संस्कार करने के बजाय उसे दफना दिया था. परिवार अब पोस्टमार्टम कराना चाहता है.
पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग को लेकर नित्यांश के पिता मुकेश शर्मा आज जयपुर पहुंचे. यहां कई संगठनों से मुलाकात कर मदद की गुहार लगाई. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि स्वास्थ्य मंत्री और सरकार के दावे झूठे हैं. नित्यांश समेत सभी बच्चों की मौत सरकारी अस्पतालों से मिली कफ सिरप पीने के बाद ही हुई है. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री और सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि जब वह अपने बेटे का पोस्टमार्टम कराने को तैयार हैं तो उनकी बात को माना क्यों नहीं जा रहा है.
उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई और नित्यांश के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया तो वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे. नित्यांश के पिता ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकारी अमला उन पर दबाव बना रहा है. उनसे नित्यांश को पिलाई गई कफ सिरप वापस करने को कहा जा रहा है.
गौरतलब है कि कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले को लेकर राजस्थान में तमाम संस्थाओं ने मिलकर एक संघर्ष समिति बनाई है. संघर्ष समिति में शामिल संगठनों ने भी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. संघर्ष समिति से जुड़े हुए आशुतोष शर्मा और रेखा शर्मा समेत अन्य लोगों ने कहा है कि अगर खांसी की यह दवा बच्चों के लिए नहीं थी तो उसे सरकारी अस्पताल पहुंचे बच्चों को क्यों दिया गया. दवा पर कहीं भी यह क्यों नहीं लिखा गया कि यह कफ सिरप छोटे बच्चों के लिए नहीं है.
इसके साथ ही किसी भी बच्चे का पोस्टमार्टम किए बिना स्वास्थ्य मंत्री कैसे दावा कर रहे हैं कि एक भी मौत दवा पीने से नहीं हुई है. अगर दवा में कोई गड़बड़ी नहीं है तो इस सिरप को बनाने वाली कंपनी की तमाम दवाओं को बैन क्यों कर दिया गया. खांसी की यह दवा ओपन मार्केट में क्यों नहीं मिलती है.
संघर्ष समिति का भी कहना है कि हम सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम दे रहे हैं. सरकार अगर 10 दिनों में नित्यांश के शव का पोस्टमार्टम कराने के साथ ही दूसरे जरूरी कदम नहीं उठाती है तो वह लोग कफ सिरप से मौत का शिकार हुए बच्चों के लिए जयपुर में श्रद्धांजलि सभा करेंगे और अगले दिन से आंदोलन की शुरुआत करेंगे.
आशुतोष शर्मा और रेखा शर्मा समेत संघर्ष समिति में शामिल सदस्यों का कहना है कि अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो नित्यांश के पिता को आगे कर इस मामले को अदालत तक ले जाया जाएगा. बच्चों की मौत की घटना पर कतई लीपा पोती नहीं होने दी जाएगी. अब देखना यह होगा कि सरकार नित्यांश के शव को कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम कराती है या नहीं.
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