पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए

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59 मिनट पहले
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पं. विजयशंकर मेहता

वातावरण का अपना प्रभाव होता है। माहौल की अपनी भाषा होती है। कहा जाता है कि स्थितियों को पॉजिटिव रखिए। एक सीधा प्रयोग है। गाय से जुड़ी जितनी वस्तुएं हमारे आसपास होंगी, पॉजिटिविटी आएगी। गाय का दूध, घी, गोबर से बने कंडे और जितनी सामग्री है, इनमें नैसर्गिक पॉजिटिविटी है।

हमारी संस्कृति में एक तिथि मनाई जाती है- गोवत्स द्वादशी। कहते हैं इसका व्रत राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति ने किया था तो उनको संतान के रूप में ध्रुव प्राप्त हुए थे। उत्तानपाद की एक और रानी थीं सुरुचि, जिनके बेटे का नाम था उत्तम। लेकिन ध्रुव अपने सदाचरण से सारी दुनिया में छा गए और उत्तम लगभग बर्बाद हो गए।

गोवत्स द्वादशी का यह व्रत संतानों के हित के लिए किया जाता है। संतानें यदि नीति से पाली जाएं तो ध्रुव बन जाएंगी और रुचि से पाली जाएं तो उत्तम की तरह भटक सकती हैं। इसलिए हमारे पारिवारिक जीवन में संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए और उस कवच का नाम है– गो की वस्तुएं।

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