दिल्ली में प्रदूषण रोकने की नई कोशिश, आसमान से बरसेगी कृत्रिम बारिश, एयरक्राफ्ट हैं तैयार

दिल्ली में अब आसमान से कृत्रिम बारिश बरसने की तैयारी पूरी हो गई है. राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश की योजना को अंतिम रूप दे दिया है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि पहला ट्रायल उत्तर दिल्ली में किया जाएगा.  बीते चार दिनों से पायलट मेरठ से एयरक्राफ्ट लाकर लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं और उस ऊंचाई तक उड़ान भर चुके हैं, जहां से बारिश कराने की प्रक्रिया की जाएगी.

सिरसा ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए सिविल एविएशन विभाग और अन्य एजेंसियों से सभी जरूरी मंजूरियां मिल चुकी हैं. अब बस मौसम विभाग की अनुमति मिलनी बाकी है. उन्होंने कहा कि जैसे ही मौसम विभाग से मंजूरी मिलेगी, तीन घंटे के भीतर कृत्रिम बारिश का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल होने वाला विशेष एयरक्राफ्ट फिलहाल मेरठ में पार्क है और उड़ान के लिए तैयार है.

पर्यावरण मंत्री ने बताया कि दिल्ली में कुल पांच ट्रायल किए जाएंगे. पहले यह ट्रायल सितंबर में होना था, लेकिन तकनीकी कारणों से टल गया. इसके बाद 5 से 7 अक्टूबर के बीच ट्रायल की नई तारीख तय की गई थी, लेकिन उस दौरान हुई प्राकृतिक बारिश के कारण इसे फिर से आगे बढ़ाना पड़ा. अब सरकार का प्रयास है कि दिवाली के आसपास या उसके बाद यह ट्रायल सफलतापूर्वक किया जा सके.

मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में 23 विभागों की टीमें शामिल हैं जो समन्वय से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए यह एक बड़ा प्रयोग है. यदि ट्रायल सफल रहा तो इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा.

क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें हवाई जहाज से बादलों में विशेष रसायन (जैसे सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड) छोड़े जाते है. ये रसायन बादलों में नमी को संघनित करते हैं, जिससे कृत्रिम रूप से बारिश होती है. इस तकनीक का प्रयोग चीन, अमेरिका और दुबई जैसे देशों में पहले से हो चुका है.

सरकार को उम्मीद है कि कृत्रिम बारिश से दिल्ली की हवा में फैला धूल और प्रदूषण काफी हद तक कम होगा और लोगों को कुछ राहत मिलेगी. यह दिल्ली में पहली बार होगा जब सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए आसमान से बारिश बरसाने की कोशिश करेगी.

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