बिहार चुनाव: कौन हैं RJD उम्मीदवार मुकेश रोशन, जो तेज प्रताप यादव के खिलाफ महुआ से ठोकेंगे ताल

बिहार चुनाव में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे महुआ विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने मौजूदा विधायक मुकेश रोशन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. फिलहाल दोनों के आमने-सामने आने के बाद यह चुनाव काफी रोमांचक हो गया है. 

ऐसे में एक तरफ राजद के वर्तमान विधायक हैं, तो दूसरी तरफ राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं. इस बीच जानतें हैं तेज प्रताप के प्रतिद्वंदी मुकेश रोशन के बारे. मुकेश रोशन महुआ से राजद के मौजूदा विधाायक हैं.

महुआ से राजद उम्मीदवार मुकेश कुमार रोशन आरजेडी के सक्रिय नेता हैं. खुद को आरजेडी का सच्चा सिपाही बताते हैं. मुकेश रोशन का जन्म 12 मई 1985 को हाजीपुर (बिहार) में हुआ है. वे पेशे से दांत के डॉक्टर हैं. उन्होंने पटना के बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज एंड हॉस्पिटल से बीडीएस की डिग्री ली है. बता दें, राजनीति में आने से पहले वे एक पेशेवर डॉक्टर थे.

मुकेश कुमार रोशन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार महुआ सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. 2020 के चुनाव में मुकेश रोशन को 62,580 वोट मिले थे. उन्होंने जेडीयू की प्रत्याशी आशमां परवीन को हराया था. जेडीयू की आशमां परवीन को 48,893 वोट मिले थे.

मुकेश रोशन को 2025 के विधानसभा चुनाव में महुआ सीट से फिर से आरजेडी ने उम्मीदवार बनाया है. यानी दूसरी बार आरजेडी के टिकट पर फिर से वे मैदान में हैं. इस सीट से लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ने 2015 में पहली बार चुनाव लड़ा था और विधायक बने थे. 2020 में मुकेश रोशन को टिकट दे दिया गया था. 2020 में तेज प्रताप हसनपुर से चुनाव लड़े थे और जीते थे.

मुकेश राशन के चाचा विष्णुदेव राय आरजेडी से 2001 से 2006 तक एमएलसी रह चुके हैं.  उनके चाचा राघोपुर से विधायकी का चुनाव लड़ते रहे हैं. 2020 में वे उपचुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन वोट कटने की आशंका के कारण लालू यादव ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया. लालू को लगा था कि 2000 के उपचुनाव में राबड़ी हार जाएंगी. यानी आरजेडी में आए तो राबड़ी के लिए सीट छोड़ी. राबड़ी उपचुनाव 2000 में राघोपुर से जीतीं. 

साल 2001 में मुकेश रोशन के चाचा को लालू ने एमएलसी बना दिया. मुकेश रोशन के पिता- स्व रामदेवन राय की हत्या साल 1993 में हुई है. यह हत्या राजनीतिक रंजिश में हुई थी, ऐसा कहा गया था. कई राज नेताओं का नाम इस हत्या में आया था. इस मामले में कई लोगों को उम्र कैद की सजा भी हुई है. पिता की जब हत्या हुई तो मुकेश रोशन करीब आठ साल के थे.

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