‘SC ने जिंदगी जीने से ज्यादा पटाखे फोड़ने को दिया महत्व’, अभिताभ कांत ने दिल्ली का AQI बिगड़ने पर की बड़ी टिप्पणी

नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी20 सम्मेलन में भारत के शेरपा रहे अमिताभ कांत ने मंगलवार (21 अक्टूबर, 2025) को दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर कड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा बुरी तरह से बदहाल स्थिति में पहुंच चुकी है और सिर्फ कठोर और निरंतर कोशिश से ही शहर को स्वस्थ और पर्यावरण से जुड़ी आपदा से बचाया जा सकता है.

वहीं, अभिताभ कांत ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिवाली पर पटाखे फोड़ने के आदेश पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जीने और सांस लेने के अधिकार से ज्यादा पटाखे जलाने के अधिकार को प्राथमिकता दी है.

उनकी यह तीखी टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब राष्ट्रीय राजधानी ने लगातार पटाखे फोड़ने के बाद जहरीली धूंध की मोटी परत के साथ अगली सुबह देखी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, मंगलवार (21 अक्टूबर, 2025) को दोपहर 1 बजे देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 दर्ज किया गया, जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखे फोड़ने की दी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में पटाखों पर लगे प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाते हुए दिल्लीवासियों को ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने कहा था कि वह एक संतुलित नजरिया अपना रही है ताकि पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं से समझौता किए बिना लोगों की धार्मिक और सामाजिक भावनाओं का भी ध्यान रखा जा सके.

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली की दो रातों के लिए सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक पटाखे जलाने की अनुमति दी थी, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में आधी रात के बाद तक पटाखे जलते रहे.

Delhi’s air quality lies in shambles: 36/38 monitoring stations have hit the ‘red zone,’ AQI is above 400 in key areas. The Hon. Supreme Court in its wisdom has prioritised the right to burn crackers over the right to live and breathe. Delhi remains among the world’s most…

दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में दिल्ली शामिल- अमिताभ कांत

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने मंगलवार (21 अक्टूबर, 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने कहा, ‘दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पूरी तरह चरमरा चुकी है. 38 में से 36 मॉनिटरिंग स्टेशन रेड जोन में पहुंच चुके हैं और राजधानी के कई प्रमुख इलाकों में AQI 400 के पार है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवेक में पटाखे जलाने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ऊपर रखा है. दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में बनी हुई है. अगर लॉस एंजेलिस, बीजिंग और लंदन ऐसा कर सकते हैं, तो दिल्ली क्यों नहीं? केवल सख्त और निरंतर कोशिश से ही दिल्ली को इस स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा से बचा सकता है.’

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