मिठाई बनाने के लिए खरीद रहे बादाम-काजू, ऐसे करें असली और नकली की पहचान

फेस्टिव सीजन के टाइम मार्केट में मिठाइयों और ड्राई फ्रूट्स की डिमांड काफी बढ़ जाती है. ऐसे में कुछ लोग घर पर ही ड्राई फ्रूट्स से मिठाई बनाने का ट्राई भी करते हैं, ताकि बाहर की मिलावटी और अनहेल्दी मिठाई न खानी पड़े. क्या आप जानते हैं कि फेस्टिवल के दौरान बाजार में मिलने वाले ड्राई फ्रूट्स भी मिलावटी और नकली होते हैं. इनमें केमिकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि ये फ्रेश और सुनहरे लगे, जिससे लोग उन्हें ज्यादा खरीदें. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि बाजार में ड्राई फ्रूट्स खरीदते समय कैसे करें असली और नकली की पहचान?

ड्राई फ्रूट्स को देखकर कोई भी सोचेगा कि इसमें मिलावट कैसे की जा सकती है. लेकिन फेस्टिवल के दौरान ड्राई फ्रूट्स की बढ़ती डिमांड को देखकर ज्यादातर दुकानदार नकली ड्राई फ्रूट्स बेचने लगते हैं. इन पुराने और सड़े हुए ड्राई फ्रूट्स को एसिड से वॉश किया जाता है और उनपर केमिकल की कोटिंग चढ़ाते हैं ताकि वो बिल्कुल फ्रेश दिखने लगें. मार्केट में मिलने वाले काजू को HCL यानि हाइड्रोक्लोरिक एसिड से धोते हैं ताकि वो ज्यादा शाइनी और सफेद लगें. साथ ही, कभी भी टूटे हुए ड्राई फ्रूट्स नहीं खरीदने चाहिए क्योंकि ये मिलवटी होते हैं और इनकी दोबारा पैकेजिंग करके इन्हें मार्केट में बेचा जाता है. 

नकली और मिलावटी ड्राई खरीदने से बचने के लिए आपको असली और नकली ड्राई फ्रूट्स की पहचान होना जरूरी है. ऐसे में आप कुछ ट्रिक्स अपनाकर आसानी से असली और नकली ड्राई फ्रूट्स को पहचान सकते हैं.

1. मार्केट में जाकर टूटे हुए ड्राई फ्रूट्स लेने से बचें क्योंकि अक्सर इन्हें केमिकल्स से वॉश किया जाता है. साथ ही, इन्हें मार्केट में बेचने के लिए शाइनी बनाया जाता है इसलिए इनमें मिलावट की संभावना सबसे ज्यादा होती है.

2. आप चाहें तो साइंटिफिक तरीकों से भी इसकी पहचान कर सकते हैं. इसके लिए आपको एक नॉर्मल लिटमस पेपर लेना है. काजू को हल्का गीला करना है और लिटमस पेपर पर रखना है. अगर लिटमस पेपर रेड या ऑरेंज हो जाए तो समझ जाएं कि ये एसिडिक है यानी इसमें एसिड का इस्तेमाल किया गया है. लेकिन अगर रंग नहीं बदलता तो ये प्योरिटी का सिंबल है.

3. ड्राई फ्रूट्स को जांचने के लिए आप उसकी स्मेल और टेक्सचर की भी मदद ले सकते हैं. आप आसानी से नकली ड्राई फ्रूट्स पहचान सकते हैं क्योंकि केमिकल में वॉश करने की वजह से इनमें तेज और अजीब सी केमिकल की महक आती है जबकि असली ड्राई फ्रूट्स में हल्की और मीठी सी स्मेल आती है.

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आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं. 

दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की. 

साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं. 

घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.

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