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एनहाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम पर असंतोष की लहरें कहीं इतनी बुरी तरह नहीं फैलीं जितनी पश्चिम बंगाल में फैलीं। मुर्शिदाबाद और मालदा के मुस्लिम-बहुल जिलों के साथ-साथ दक्षिण 24 परगना के भंगोर में अशांति विशेष रूप से तीव्र थी। जो साधारण विरोध प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ वह जल्द ही 11-12 अप्रैल को एक हिंसक झड़प में बदल गया, जिसने एक बार फिर राज्य में व्याप्त गहरी सांप्रदायिक दोष रेखाओं को उजागर कर दिया। तीन लोग मारे गए, 200 से अधिक गिरफ्तारियाँ की गईं और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया। यह संकट बंगाल के बदलते राजनीतिक परिदृश्य की गंभीर याद दिलाता है, जहां दो प्रमुख पार्टियां-सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-2026 के विधानसभा चुनाव से एक साल पहले, हिंदू वोटों को हासिल करने के लिए एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रही हैं, जिससे राज्य की बड़ी मुस्लिम आबादी में असंतोष पैदा हो रहा है।
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