एन. रघुरामन का कॉलम:‘इलेक्ट्रिक मीटिंग्स’ नीरस, गंभीर और कम मजेदार होती हैं
- Hindi News
- Opinion
- N. Raghuraman’s Column ‘Electric Meetings’ Are Dull, Serious And Less Fun
-
कॉपी लिंक
‘रघु सर के साथ कर्मचारियों की थॉट प्रोसेस, लागू होने वाली रणनीतियों, प्लानिंग और ट्रेनिंग जैसे विषयों पर मेरी बातचीत हमेशा गंभीर होती थी, लेकिन हाल की ट्रिप में मैंने उनके साथ सबसे मजेदार पल बिताए।’ अपने चेयरमैन को भेजे एक वॉइस नोट में आशीष दत्ता ने यह बात कही, जो भोपाल की एक कंपनी के उन 22 शीर्ष पेशेवरों में से एक हैं- जिनके साथ मैं इस हफ्ते श्रीलंका घूमने गया था।
उन्होंने कहा कि ‘मैं उनके साथ टूरिस्ट बस की बैक सीट पर बिताए पलों को कभी नहीं भूल पाऊंगा।’तकरीबन पांच वर्षों से मैं आशीष से बात कर रहा हूं। इन पांच सालों में मैं तो वैसा ही था, लेकिन आशीष को सिर्फ आखिरी मीटिंग मजेदार लगी- वो भी विदेश में। मैंने सोचा ऐसा क्यों? लेकिन फिर समझ आया कि बीते पांच वर्षों में उन्होंने मेरे साथ अपने केबिन में ‘इलेक्ट्रिक मीटिंग्स’ की थीं। सोच रहे हैं कि ये इलेक्ट्रिक मीटिंग्स क्या होती हैं?
बिल्डिंग प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर ‘क्यूएक्सओ’ के अरबपति सीईओ ब्रैड जैकब्स ने अपनी किताब का पूरा एक चैप्टर ‘इलेक्ट्रिक मीटिंग्स’ के नाम किया है। वे कहते हैं कि ज्यादातर मीटिंग्स बेहद नीरस होती हैं और निष्क्रिय श्रोताओं से भरी होती हैं, जैसे कुर्सियों पर इंसानी आकार के कार्डबोर्ड से बने कट-आउट्स रख दिए हों। उन्होंने आगे लिखा कि ‘इससे उलट, डिस्ट्रैक्शन-फ्री मीटिंग्स दिलचस्प होती हैं।’
गोल्डमैन सैक की एक मीटिंग में जैकब्स ने कहा कि ‘संतोषजनक लगता है, जब दो दर्जन सहकर्मी वाकई में आपकी बातें सुन रहे हों।’जैकब्स ही नहीं, कई सीईओ समय-समय पर चेता चुके हैं कि सिर्फ मीटिंग एजेंडा पर ध्यान देना और ईमेल-वॉट्सएप का जवाब देना मीटिंग्स में बातचीत को आनंददायक नहीं बनाता।
उदाहरण के लिए, एयरबीएनबी के सीईओ ब्रायन चेस्की ने पिछले हफ्ते अपने कर्मचारियों के साथ बैठकों को लेकर कहा कि ‘बैठक में ज्यादातर कर्मचारियों का ध्यान नहीं था और वे फोन पर टेक्स्टिंग में व्यस्त रहे।’ उन्होंने माना कि ‘मैं टेक्स्ट करता हूं, लेकिन लोग मुझे देखकर ही टेक्स्ट करने लगते हैं। ये एक बड़ी सामाजिक समस्या है।’ जेपी मॉर्गन चेस के सीईओ जेमी डिमन ने इस अप्रैल में अपने निवेशकों को भेजे सालाना लेटर में लिखा कि ‘मीटिंग में फोन देखना समय बर्बाद करता है और डिस्ट्रैक्ट करता है।’
इस हफ्ते उन्होंने ‘फॉर्च्यून्स मोस्ट पॉवरफुल वीमन समिट’ में भी दोहराया कि ‘अगर उनके सामने आईपैड रखा है और लगता है कि वो ईमेल पढ़ रहे हैं या नोटिफिकेशंस देख रहे हैं तो मैं कहता हूं कि उसे बंद कर दो।’यूसी हेल्थ के वाइस प्रेसिडेंट ब्रैड फिक्स्लर ‘स्वेर जार’ से मिलते-जुलते एक हल्के-फुल्के कॉर्पोरेट वर्जन पर विचार कर रहे हैं। स्वेर जार एक कंटेनर होता है, जिसमें लोग यदि कसम लेने के बाद भी गाली देते हैं तो उन्हें जुर्माना राशि डालनी होती है।
वह इसे ‘फोन जार’ कहना चाहते हैं और मीटिंग में फोन दिखने पर पेनल्टी लेंगे।फिक्स्लर कहते हैं ‘ऐसे नियम मीटिंग्स को खेल जैसा बनाएंगे और आखिरकार वे मजेदार बन जाएंगी।’ कुछ मीटिंग्स में बॉस सहकर्मियों से फोन उल्टा रखने को कह रहे हैं। कुछ एचआर सॉफ्टवेयर कंपनियां सेल्फ पुलिसिंग में सफल रही हैं, जहां वे एक-दूसरे को कहते हैं कि ‘सुनो, लगता है तुम मीटिंग में नहीं, बल्कि कहीं और हो।’सरल शब्दों में कहें तो ऑफिस रूल्स धीरे-धीरे बदल रहे हैं।
पहले बॉस लोग चाहते थे कि सभी कर्मचारी उनके मैसेज का जवाब देने के लिए हर वक्त कनेक्टेड रहें। आज वे इस तथ्य से अनजान नहीं हैं कि कर्मचारी भी क्लाइंट के साथ बातचीत में व्यस्त हो सकते हैं। मीटिंग का प्रमुख तौर-तरीका अब यही बन गया है, खासकर जब खुद बॉस ये बैठक ले रहे हों। और मैं आशीष से भी कहना चाहता था कि मैं नहीं बदला, लेकिन उस ट्रिप में वे बिना फोन के थे- जिससे हमारी बातचीत मजेदार बन गई।
फंडा यह है कि समस्या फोन नहीं है, बल्कि यह है कि कोई व्यक्ति बस फोन को घूरते हुए ही बहुत-सा समय बिता देता है। इसी से मीटिंग नीरस बन जाती है।