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India-US Deal: ट्रंप के टैरिफ के बीच अमेरिका और भारत के बीच बड़ी डिफेंस डील, टेंशन में PAK, चीन के उड़ जाएंगे होश!

भारत और अमेरिका ने आने वाले 10 साल के लिए डिफेंस फ्रेमवर्क तैयार किया है. यह समझौता कुआलालंपुर में हुई आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के बीच हुआ. यह समझौता वर्ष 2015 में हुए पुराने रक्षा करार का विस्तार है. इसका मुख्य उद्देश्य है दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग बढ़ाना, सैन्य समन्वय को मजबूत बनाना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना.

डिफेंस फ्रेमवर्क के जरिए भारत और अमेरिका ने यह तय किया है कि वे आने वाले दशक में रक्षा, अंतरिक्ष, समुद्री सुरक्षा, साइबर और औद्योगिक क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे. इसका मकसद दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल बनाना और तकनीकी विकास में सहयोग बढ़ाना है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को एक नया दिशा देगा. इसके जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने की कोशिश होगी, ताकि किसी एक देश का प्रभुत्व स्थापित न हो सके.

Raksha Mantri Shri @rajnathsingh met with US @SecWar Mr. @PeteHegseth on the sidelines of the 12th ADMM-Plus in Kuala Lumpur today. Both leaders held cordial & constructive discussions on strengthening the India-US defence partnership, reviewed ongoing cooperation in defence… pic.twitter.com/a1ZDqd8CEg

नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेगी साझेदारी-राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस समझौते को भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए युग की शुरुआत बताया. उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा करेगा और आने वाले दस साल रक्षा क्षेत्र में नई संभावनाएं खोलेगा. राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि रक्षा सहयोग भारत-अमेरिका संबंधों का सबसे मजबूत स्तंभ रहेगा और यह दोनों देशों की सुरक्षा और स्थिरता की गारंटी बनेगा.

भारत हमारा भरोसेमंद साथी-अमेरिका

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा कि भारत और अमेरिका की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद अहम साबित होगी. उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर तकनीक, सूचना और रक्षा उत्पादन में नए मानक स्थापित करेंगे. हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका एक ऐसा हिंद-प्रशांत देखना चाहता है जो स्वतंत्र, खुला और सभी के लिए समान अवसर वाला हो. इस दिशा में भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है.

हिंद-प्रशांत पर साझा नजरिया

भारत और अमेरिका दोनों ने यह स्पष्ट किया कि वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र को किसी भी तरह के दबाव या सैन्य वर्चस्व से मुक्त रखना आवश्यक है. अमेरिका ने भी कहा कि वह भारत के साथ मिलकर इस क्षेत्र को सुरक्षित और स्थिर बनाए रखने के लिए हर संभव सहयोग करेगा.

चीन पर सख्त संदेश

कुआलालंपुर में अमेरिकी रक्षा मंत्री हेगसेथ ने चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की और स्पष्ट कहा कि अमेरिका किसी संघर्ष की इच्छा नहीं रखता, लेकिन अपने हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा. यह बयान यह संकेत देता है कि अमेरिका अब भी हिंद-प्रशांत में अपनी सामरिक भूमिका को सक्रिय रखना चाहता है और भारत उसके लिए एक अहम साझेदार है.

बढ़ता रक्षा व्यापार और तकनीकी सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार अब 25 अरब डॉलर से अधिक पहुंच चुका है. दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण सौदे हुए हैं, जिनमें MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन और GE-F404 इंजन की खरीद प्रमुख हैं. इन परियोजनाओं से न केवल भारत की सैन्य क्षमता बढ़ेगी, बल्कि मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा उत्पादन को भी बल मिलेगा. अमेरिका की कई बड़ी कंपनियां अब भारत में संयुक्त उत्पादन के लिए तैयार हैं, जिससे रोजगार और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा.

मतभेदों के बावजूद मजबूत साझेदारी

व्यापारिक नीतियों को लेकर हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच कुछ मतभेद सामने आए हैं, फिर भी दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग लगातार मजबूत बना हुआ है. राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों की साझेदारी इतनी गहरी है कि कोई भी व्यापारिक तनाव या भू-राजनीतिक चुनौती इसे कमजोर नहीं कर सकती.

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