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  • Meta का बड़ा फैसला! 15 दिसंबर से बंद हो जाएगा ये ऐप, Windows और Mac यूजर्स में मचा हड़कंप

    Meta का बड़ा फैसला! 15 दिसंबर से बंद हो जाएगा ये ऐप, Windows और Mac यूजर्स में मचा हड़कंप

    Meta Messenger: फेसबुक की पेरेंट कंपनी Meta ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि वह 15 दिसंबर 2025 से Mac और Windows के लिए Messenger के डेस्कटॉप ऐप्स को पूरी तरह बंद करने जा रही है. इस तारीख के बाद यूजर्स को मैसेजिंग के लिए सीधे Facebook वेबसाइट पर रीडायरेक्ट कर दिया जाएगा. इसका मतलब है कि अब Meta अपने यूजर्स को एक समर्पित डेस्कटॉप ऐप एक्सपीरियंस नहीं देगा जो कई सालों से सक्रिय था.

    AppleInsider की रिपोर्ट के अनुसार, Meta ने ऐप के बंद होने से पहले यूजर्स को इन-ऐप नोटिफिकेशन भेजना शुरू कर दिया है. कंपनी यूजर्स को लगभग 60 दिनों का समय दे रही है ताकि वे नई प्रणाली में शिफ्ट हो सकें. इसके बाद Messenger डेस्कटॉप ऐप्स पर लॉगइन पूरी तरह ब्लॉक कर दिया जाएगा. Meta ने यह भी सलाह दी है कि जब ऐप काम करना बंद कर दे तो यूजर्स उसे अनइंस्टॉल (डिलीट) कर दें.

    Meta के सपोर्ट पेज पर लिखा है “Mac के लिए Messenger ऐप को बंद किया जा रहा है. इसके बाद आप इस ऐप में लॉगिन नहीं कर पाएंगे और स्वचालित रूप से Facebook वेबसाइट पर चैट के लिए रीडायरेक्ट कर दिए जाएंगे.”

    Meta का यह कदम दरअसल उसके पिछले साल Progressive Web App (PWA) में ट्रांज़िशन का अगला चरण है जो ब्राउज़र-आधारित अनुभव की दिशा में कंपनी की बड़ी रणनीति को दर्शाता है. सितंबर 2024 में किए गए इस बदलाव के बाद Meta अब अपनी मैसेजिंग सर्विस को पूरी तरह वेब पर केंद्रित कर रही है.

    हालांकि Windows यूजर्स अब भी Facebook का डेस्कटॉप ऐप इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन Mac और Windows दोनों यूजर्स को Messenger एक्सेस करने के लिए Facebook.com का सहारा लेना होगा.

    ट्रांज़िशन को आसान बनाने के लिए Meta ने यूजर्स को सुझाव दिया है कि वे अपने चैट हिस्ट्री का सिक्योर स्टोरेज एक्टिव करें, PIN सेट करें ताकि एन्क्रिप्टेड मैसेज सुरक्षित रहें और Privacy & Safety > End-to-End Encrypted Chats > Message Storage में जाकर अपनी सेटिंग्स की पुष्टि करें. इससे यूजर्स अपनी चैट हिस्ट्री को सभी डिवाइस पर सुरक्षित रख सकेंगे.

    कई यूजर्स के लिए यह फैसला निराशाजनक हो सकता है खासकर उनके लिए जो काम के दौरान डेस्कटॉप ऐप से मल्टीटास्किंग और प्रोफेशनल चैटिंग करना पसंद करते थे. हालांकि, Meta का कहना है कि Facebook वेब वर्जन पर अब भी मुख्य सुविधाएं जैसे एन्क्रिप्टेड चैट, मीडिया शेयरिंग और सिक्योर मैसेजिंग उपलब्ध रहेंगी.

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  • 'अफगान अपने घर वापस जाएं, हमारी जमीन 25 करोड़ पाकिस्तानियों के लिए', PAK के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की धमकी!

    'अफगान अपने घर वापस जाएं, हमारी जमीन 25 करोड़ पाकिस्तानियों के लिए', PAK के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की धमकी!

    पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने काबुल के प्रति तीखे तेवर दिखाते हुए कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे सभी अफगान नागरिकों को अपने वतन लौटना होगा और अफगानिस्तान के साथ पहले जैसे पुराने सम्बन्ध अब कायम नहीं रहेंगे. इस बयान के बाद सीमापार तनाव और बढ़ गया है.

    आसिफ ने सोशल मीडिया पोस्ट और सार्वजनिक बयानों में कहा कि अब काबुल की अपनी सरकार और व्यवस्था है, इसलिए पाकिस्तान की जमीन और संसाधन 25 करोड़ पाकिस्तानियों के हैं और विदेशी शरणार्थियों के कारण स्थानीय सुरक्षा और संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान काफी समय तक धैर्य रखता रहा पर अफगान पक्ष से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.

    दोनों पक्षों के बीच तनाव के बीच पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने कुछ समय पहले 48 घंटे के लिये युद्धविराम पर सहमति जताई थी, जिसे बाद में बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के लिये बढ़ाने पर चर्चा हुई. हालांकि, आरोप हैं कि युद्धविराम के तुरंत बाद पाकिस्तान ने पक्तिका और आसपास के कुछ क्षेत्रों में हवाई हमले किए, जिनके बाद तालिबान ने कहा कि युद्धविराम टूट गया है. इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच शांति प्रयासों को झटका दिया है.

    ख्वाजा आसिफ ने किया बड़ा दावा

    ख्वाजा आसिफ ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को सीमा पार से होने वाली आतंकवादी घटनाओं के संबंध में कई नोटिस दिए हैं. उन्होंने 836 विरोध पत्र और 13 डेमार्श (démarches) भेजने का हवाला दिया और अब केवल कूटनीतिक अपीलों या पत्रों पर निर्भर नहीं रहा जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि जहां से भी आतंकवाद की हरकतें आ रही हैं, उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

    ख्वाजा आसिफ ने तालिबान सरकार पर लगाए ये आरोप

    आसिफ ने काबुल में शासन करने वाली तालिबान सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह भारत के हितों के अनुरूप काम कर रही है और भारत व प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच मिलीभगत से पाकिस्तान के खिलाफ साजिश हो रही है. इस आरोप को भारत ने सिरे से खारिज किया है और क्षेत्रीय खिलाड़ियों द्वारा लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप ने स्थिति को और जटिल बना दिया है.

    रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान को मानवीय और सुरक्षा क्षेत्रों में बड़े नुकसान उठाने पड़े हैं; उन्होंने 10,347 आतंकी घटनाओं और 3,844 हताहतों का जिक्र कर इस अवधि में हुई हिंसा की गिनती पेश की. आसिफ ने कहा कि यदि अफगान हिस्सों से हमला होता है तो पाकिस्तान उसका सख्त और निर्णायक जवाब देने के लिए तैयार है.

    स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक कूटनीति जारी रखने का प्रयास चल रहा है: कतर में संभावित बातचीत और मध्यस्थता की बात उठ रही है ताकि सीमावर्ती हिंसा को नियंत्रित किया जा सके और आगे की कूटनीतिक राह खोजी जा सके. फिर भी, हवाई हमलों और एक-दूसरे पर लगे आरोपों ने क्षेत्रीय तनाव को तेज कर दिया है और पुनः हिंसा की आशंका बनी हुई है.

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  • दिवाली पर बाजार में आ रहे नकली डेयरी प्रोडक्ट, घर पर ऐसे बनाएं क्रीमी पनीर

    दिवाली पर बाजार में आ रहे नकली डेयरी प्रोडक्ट, घर पर ऐसे बनाएं क्रीमी पनीर

    दिवाली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आता है, वैसे-वैसे बाजार में मिठाइयां और त्योहार के खाने की भरमार देखने को मिलती है. लेकिन इस रौनक के बीच मिलावट खोरी का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. देश की राजधानी समेत कई शहरों में नकली डेयरी प्रोडक्ट्स खासकर पनीर और घी के मामले सामने आ रहे हैं.

    दुकानो और बाजार में मिलने वाले नकली डेयरी प्रोडक्ट को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग ने भी लोगों से अपील की है कि मिठाइयां और डेयरी प्रोडक्ट्स भरोसेमंद दुकानों से ही खरीदें. अगर किसी दुकान या डेयरी प्रोडक्ट बेचने वाले पर ऊपर शक हो तो तुरंत विभाग को शिकायत करें. खाद्य सुरक्षा विभाग का यह अभियान आने वाले दिनों तक जारी रहेगा, ताकि त्योहार पर लोगों की सेहत सुरक्षित रहे. वहीं प्रशासन की हिदायत के बाद अब लोग दिवाली के मौके पर बाहर से डेयरी प्रोडक्ट खरीदने को लेकर सतर्क हो गए हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि दिवाली पर आप घर पर ही कैसे क्रीमी पनीर बना सकते हैं.

    घर पर कैसे बनाएं क्रीमी पनीर

    स्टेप 1-  दूध उबालें- पनीर बनाने के लिए सबसे पहले फुल क्रीम दूध लें और उसको मीडियम आंच पर उबाल लें. वहीं इस दूध को बीच-बीच में चलाते रहे ताकि वह नीचे चिपके नहीं.

    स्टेप 2- दूध फाड़े-दूध अच्छे से उबालने के बाद उबलते हुए दूध में धीरे-धीरे नींबू का रस या सिरका डालें और हल्के हाथ से चलाएं. इसके बाद कुछ ही देर में दूध फट जाएगा और पानी अलग हो जाएगा.

    स्टेप 3- छानें और धोएं- अब फटे दूध को मलमल के कपड़े से छान लें और ठंडे पानी से धो लें. ताकि नींबू या सिरके की खटास उसमें से पूरी तरह निकल जाए.

    स्टेप 4- पनीर को सेट करें- कपड़े में लपेटे पनीर को हल्का दबाएं और 30 से 40 मिनट तक किसी वजनदार चीज के नीचे रखें, ताकि यह सख्त हो जाए.

    स्टेप 5- ठंडा करें- ठंडा होने के बाद पनीर को निकाल लें और उसे टुकड़ों में काट लें. अब आपका घर पर ही ताजा क्रीमी और हेल्दी पनीर तैयार है.

    घर पर बना बना पनीर क्यों बेहतर?

    घर पर बना पनीर खासकर त्योहारों के समय इसलिए बेहतर होता है, क्योंकि 100 प्रतिशत शुद्ध और ताज होता है. इसमें किसी भी तरह के केमिकल या प्रिजर्वेटिव नहीं होते हैं. वहीं इसका टेक्सचर बाजार के पनीर से ज्यादा सॉफ्ट और स्वादिष्ट होता है. घर पर बने पनीर से आप त्योहारों के समय में कई तरह की मिठाइयां बना सकते हैं.

    त्योहारों पर नकली पनीर की कैसे करें पहचान?

    त्योहारों पर नकली पनीर की पहचान करने के लिए पहले पनीर को ध्यान से देखें. आमतौर पर नकली पनीर बहुत ज्यादा सफेद और चमकदार दिखता है. इसका स्वाद हल्का और बेस्वाद होता है. असली पनीर पानी में डालने पर टूटता नहीं है, जबकि नकली जल्दी खराब हो जाता है. अगर पैकेट वाले पनीर में  मैन्युफैक्चरिंग या एक्सपायरी डेट सही से न लिखी हो तो उसे भी न खरीदें.

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    कविता गाडरी बीते कुछ साल से डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी हुई है. राजस्थान के जयपुर से ताल्लुक रखने वाली कविता ने अपनी पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल से न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी में मास्टर्स और अपेक्स यूनिवर्सिटी जयपुर से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में की है. 
    पत्रकारिता में अपना सफर उन्होंने राजस्थान पत्रिका से शुरू किया जहां उन्होंने नेशनल एडिशन और सप्लीमेंट्स जैसे करियर की उड़ान और शी न्यूज के लिए बाय लाइन स्टोरी लिखी. इसी दौरान उन्हें हेलो डॉक्टर शो पर काम करने का मौका मिला. जिसने उन्हें न्यूज़ प्रोडक्शन के लिए नए अनुभव दिए. 

    इसके बाद उन्होंने एबीपी नेटवर्क नोएडा का रुख किया. यहां बतौर कंटेंट राइटर उन्होंने लाइफस्टाइल, करंट अफेयर्स और ट्रेडिंग विषयों पर स्टोरीज लिखी. साथ ही वह कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लगातार सक्रिय रही. कविता गाडरी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष हैं. न्यूज़ राइटिंग रिसर्च बेस्ड स्टोरीटेलिंग और मल्टीमीडिया कंटेंट क्रिएशन उनकी खासियत है. वर्तमान में वह एबीपी लाइव से जुड़ी है जहां विभिन्न विषयों पर ऐसी स्‍टोरीज लिखती है जो पाठकों को नई जानकारी देती है और उनके रोजमर्रा के जीवन से सीधे जुड़ती है.

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  • UPSC Success Story: मां का सपना बना जिंदगी का मकसद, अंकिता ने दुख को ताकत बनाकर पाई UPSC में सफलता

    UPSC Success Story: मां का सपना बना जिंदगी का मकसद, अंकिता ने दुख को ताकत बनाकर पाई UPSC में सफलता

    हरियाणा के रोहतक जिले के छोटे से कस्बे मेहम की रहने वाली अंकिता चौधरी की कहानी केवल एक UPSC टॉपर की नहीं है, बल्कि एक ऐसी बेटी की है जिसने जिंदगी के सबसे कठिन मोड़ पर भी हार मानने से इनकार कर दिया. यह कहानी है उस लड़की की, जिसने अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए आंसू के साथ-साथ हौसले से भी लड़ाई लड़ी.

    अंकिता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया था. पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली अंकिता का सपना था कि वह IAS अधिकारी बनकर देश की सेवा करें. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पूरे मन से UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू की. लेकिन साल 2017 में जब वह अपना पहला प्रयास दे रही थीं, तभी उनकी जिंदगी ने ऐसा दर्दनाक मोड़ लिया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.

    UPSC परीक्षा में असफल होने का दुख तो था ही, उसी साल उनकी मां का निधन हो गया. अंकिता के शब्दों में मां मेरे जीवन की सबसे बड़ी ताकत थीं, उनके जाने के बाद सब कुछ खाली सा लगने लगा. लेकिन जब दुखों के पहाड़ टूटे, तब उनके पिता ने उन्हें टूटने नहीं दिया. उन्होंने कहा बेटा, मां का सपना तुम्हारे हाथों पूरा होगा और शायद यही एक वाक्य अंकिता के जीवन का मोड़ बन गया.

    दूसरे प्रयास में रची सफलता की कहानी

    मां की याद और पिता के भरोसे को दिल में बसाए अंकिता ने 2018 में दोबारा परीक्षा दी. इस बार न केवल उन्होंने UPSC क्लियर किया, बल्कि ऑल इंडिया 14वीं रैंक हासिल की. उनका ऑप्शनल विषय पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था. अंकिता की यह सफलता केवल व्यक्तिगत जीत नहीं थी, बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए उम्मीद की किरण थी जो असफलता से टूट जाते हैं. उन्होंने कहा था असफलता डर नहीं, सबक देती है. और जब आप सबक सीख लेते हैं, तो सफलता खुद चलकर आपके पास आती है.

    आईएएस अधिकारी के रूप में नई पहचान

    आज अंकिता चौधरी एक सम्मानित IAS अधिकारी हैं. सरकारी घर, गाड़ी, ड्राइवर और अन्य सुविधाओं के साथ अब उन्हें वह जीवन मिला है जिसके लिए उन्होंने संघर्ष किया था. लेकिन अंकिता के लिए असली संतोष इस बात का है कि अब वह लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकती हैं. वह कहती हैं मां ने हमेशा कहा था कि बेटी, ऐसा काम करना जिससे लोग तुम्हें दुआएं दें. बस वही करने की कोशिश करती हूं.

    सोशल मीडिया पर भी हैं एक्टिव

    अंकिता सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं. वह एक्स और इंस्टाग्राम के जरिए छात्रों से संवाद करती हैं, अपनी तैयारी की कहानियां साझा करती हैं और उन युवाओं को प्रेरित करती हैं जो UPSC की कठिन राह पर चल रहे हैं. वह अक्सर लिखती हैं कभी हार मत मानो, क्योंकि सफलता तुम्हारे धैर्य की परीक्षा ले रही होती है.

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  • आधार कार्ड में एक गलती दोबारा नहीं सुधरती, अपडेट से पहले जान लें ये जरूरी नियम

    आधार कार्ड में एक गलती दोबारा नहीं सुधरती, अपडेट से पहले जान लें ये जरूरी नियम

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  • Chronic Heart Failure Symptoms: रात में सोते-सोते क्यों रुक जाती है दिल की धड़कन? इन साइलेंट लक्षणों को कभी न करें इग्नोर

    Chronic Heart Failure Symptoms: रात में सोते-सोते क्यों रुक जाती है दिल की धड़कन? इन साइलेंट लक्षणों को कभी न करें इग्नोर

    Nighttime heart failure: पिछले कुछ सालों में हार्ट फेल्योर की घटना काफी बढ़ गई है. बदलती लाइफस्टाइल, तनाव और खानपान इसको खूब ट्रिगर कर रहे हैं. इसमें सबसे बड़ी समस्या जो है, वह क्रॉनिक हार्ट फेल्योर को लेकर है. यह अचानक आने वाले हार्ट अटैक की तुलना में धीरे-धीरे शरीर में विकसित होता है और बढ़ता है. यह तब तक नजरअंदाज हो जाता है जब तक कि यह गंभीर न हो जाए. इसकी सबसे खतरनाक बात यह है कि इसमें हार्ट को रात में ज्यादा दिक्कत होती है, जब शरीर आराम की स्थिति में होता है और दिल दिन की तुलना में अलग तरह से काम करता है. कभी-कभी यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है. चलिए आपको बताते हैं कि इसके शुरुआती लक्षण को कैसे पहचाना जा सकता है और इसको रोकने के लिए क्या-क्या उपाय हो सकते हैं.

    नींद के दौरान हार्ट फेल्योर

    रात में जब इंसान सोने के लिए लेटता है, तो शरीर में तरल पैरों से छाती की तरफ आ जाता है. इससे होता यह है कि फेफड़ों और दिल पर दबाव बढ़ जाता है. हार्ट फेल्योर वाले मरीजों के लिए यह और खतरनाक होता है, क्योंकि उनका दिल पहले से कमजोर होता है, इस वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. इसे पैरॉक्सिस्मल नॉक्टर्नल डाइस्पनिया कहते हैं, यानी अचानक नींद में उठकर हांफना. कई लोगों की स्थिति इससे भी खराब होती है, उनको ऑर्थोप्निया होता है, यानी सीधा लेटने पर सांस लेने में परेशानी होने लगती है.

    नींद में ही क्यों असर

    अब सवाल आता है कि आखिर नींद में ही यह इतना असर क्यों डालता है. इसके पीछे कई कारण होते हैं. जैसे कि धीमी धड़कन, नींद में दिल की धड़कन धीमी हो जाती है. कमजोर दिल वालों के लिए यह खतरनाक है क्योंकि दिल ठीक से खून पंप नहीं कर पाता. इसके साथ ही CHF मरीजों को रात में बार-बार पेशाब आता है, जिससे नींद टूटती रहती है. कई बार ऑक्सीजन की कमी भी इसका कारण बनती है.

    रात में दिखने वाले शुरुआती लक्षण

    अगर बात करें कि रात में इसके शुरुआती लक्षण कौन से होते हैं, तो इनमें सीधा लेटने पर सांस फूलना, इससे बचने के लिए आराम से सांस लेने के लिए कई तकियों की जरूरत पड़ना. दूसरा, रात में कई बार उठकर बाथरूम जाना. तीसरा, नींद के बीच सांस के लिए परेशान होना. चौथा, धड़कन का कंट्रोल में न होना और सीने पर भारीपन लगना. पांचवा लक्षण है कि पूरी नींद लेने के बाद भी थका हुआ महसूस करना. अगर आपको इस तरह की कोई दिक्कत दिख रही है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. रिसर्च बताती है कि 45 साल की उम्र से पहले पुरुषों को हार्ट फेल्योर का खतरा ज्यादा होता है. लेकिन 50 साल के बाद पुरुष और महिलाएं दोनों ही समान जोखिम में रहते हैं. महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हार्मोन बदलने से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

    हार्ट फेल्योर के स्टेज और रात का असर

    रात में हार्ट फेल्योर के 4 स्टेज नजर आते हैं. पहले स्टेज में हल्के लक्षण, जैसे रात में हल्की सांस फूलना या ज्यादा पेशाब आने की दिक्कत होती है. दूसरे स्टेज में सीधा लेटने पर सांस फूलना, कई तकियों का सहारा लेना या खांसते हुए उठने के लक्षण दिखाई देते हैं. तीसरे स्टेज में भी यह लक्षण होते हैं और चौथे स्टेज में मरीज बिल्कुल लेटकर सो नहीं पाते, बार-बार रात में दिल की दिक्कत होती है. इस स्थिति में अस्पताल में इलाज या हार्ट ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ सकती है. इससे बचने के लिए आप कुछ नियम अपना सकते हैं, जैसे कि ज्यादा तकिए या एडजस्टेबल बेड का इस्तेमाल करें, सोने से पहले ज्यादा पानी न पिएं ताकि बार-बार पेशाब न लगे और नमक कम खाएं, इससे शरीर में पानी कम रुकेगा और दिल पर दबाव घटेगा.

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    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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    जर्नलिज्म की दुनिया में करीब 15 साल बिता चुकीं सोनम की अपनी अलग पहचान है. वह खुद ट्रैवल की शौकीन हैं और यही वजह है कि अपने पाठकों को नई-नई जगहों से रूबरू कराने का माद्दा रखती हैं. लाइफस्टाइल और हेल्थ जैसी बीट्स में उन्होंने अपनी लेखनी से न केवल रीडर्स का ध्यान खींचा है, बल्कि अपनी विश्वसनीय जगह भी कायम की है. उनकी लेखन शैली में गहराई, संवेदनशीलता और प्रामाणिकता का अनूठा कॉम्बिनेशन नजर आता है, जिससे रीडर्स को नई-नई जानकारी मिलती हैं. 

    लखनऊ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन रहने वाली सोनम ने अपने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत भी नवाबों के इसी शहर से की. अमर उजाला में उन्होंने बतौर इंटर्न अपना करियर शुरू किया. इसके बाद दैनिक जागरण के आईनेक्स्ट में भी उन्होंने काफी वक्त तक काम किया. फिलहाल, वह एबीपी लाइव वेबसाइट में लाइफस्टाइल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर काम कर रही हैं.

    ट्रैवल उनका इंटरेस्ट  एरिया है, जिसके चलते वह न केवल लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज के अनछुए पहलुओं से रीडर्स को रूबरू कराती हैं, बल्कि ऑफबीट डेस्टिनेशन्स के बारे में भी जानकारी देती हैं. हेल्थ बीट पर उनके लेख वैज्ञानिक तथ्यों और सामान्य पाठकों की समझ के बीच बैलेंस बनाते हैं. सोशल मीडिया पर भी सोनम काफी एक्टिव रहती हैं और अपने आर्टिकल और ट्रैवल एक्सपीरियंस शेयर करती रहती हैं.

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  • 10वीं पास कैंडिडेट्स के लिए निकली BDL में भर्ती, जानें किस तरह कर सकते हैं आवेदन

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  • अगर आप मछली पालना शुरू कर रहे हैं तो ये पांच एक्वेरियम मछलियां रहेंगी आपके लिए सबसे बेहतरीन

    अगर आप मछली पालना शुरू कर रहे हैं तो ये पांच एक्वेरियम मछलियां रहेंगी आपके लिए सबसे बेहतरीन

    घर में मछली पालन केवल एक शौक नहीं बल्कि, यह तनाव कम करने और घर की सजावट का जरिया भी बन गया है. लेकिन जो लोग नए-नए मछली पालन शुरू करते हैं, उनके लिए सही मछलियों का चुनाव करना बहुत मुश्किल होता है. पहली बार में लोग ऐसी मछलियां खरीदना चाहते हैं, जो सुंदर होने के साथ पालने में भी आसान हो. ऐसे में अगर आप भी पहली बार मछली पालने की सोच रहे हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पहली बार मछली पालने वालों के लिए कौन सी मछलियां बेहतर रहेगी जिन्हें पालन भी आसान होगा और जो रंग बिरंगी और सुंदर भी दिखेगी. 

    गप्पी मछली 

    अगर आप पहली बार मछली पालने की सोच रहे हैं तो गप्पी मछलियां आपके लिए सबसे बेहतरीन हो सकती है. यह छोटी और रंगीन मछलियां होती है. वहीं इनकी देखभाल करना भी बहुत आसान होता है. यह छोटे टैंकों में भी अच्छी तरह पनपती है. इसके अलावा गप्पी शांत होती है और इन्हें ग्रुप में रहना ज्यादा पसंद होता है. इसके अलावा यह मछलियां 22 से 28 डिग्री सेल्सियस के तापमान में खुश रहती है और उनके लिए आमतौर पर फ्लेक्स फूड या फ्रोजन फूड ज्यादा सही रहता है. 

    बेट्टा फिश 

    बेट्टा मछली को  सियामी फाइटिंग फिश भी कहा जाता है यह अपने लंबे और फ्लोइंग फिन्स के लिए जानी जाती है ‌. यह मछलियां 25 से 28 डिग्री सेल्सियस के साथ पानी में अच्छी तरह रहती है. हालांकि माना जाता है कि नर बेट्टा अक्सर क्षेत्रीय व्यवहार दिखाते हैं, इसलिए इन्हें अकेले या शांत स्वभाव वाली मछलियों के साथ रखना चाहिए. वहीं बेट्टा मछली की देखभाल आसान होती है और यह शुरुआती मछली पालकों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. 

    नियॉन टेट्रा

    नियॉन टेट्रा मछलियां अपनी नीली और लाल पत्तियों के कारण टैंक में बहुत सुंदर दिखाई देती है. यह छोटी शांत और ग्रुप में रहने वाली मछलियां होती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार इन्हें 22 से 26 डिग्री सेल्सियस के हल्के अम्लीय पानी में रखना बेहतर होता है. नियॉन टेट्रा आसानी से अन्य छोटी मछलियों के साथ रह सकती है.

    जेबरा डैनियो

    जेबरा डैनियो अपनी जेब्रा जैसी धारियों के लिए जानी जाती है. यह मछलियां बहुत सक्रिय होती है जो टैंक में ऊर्जा बनाए रखती है. इनके लिए 18 से 26 डिग्री सेल्सियस का तापमान और सामान्य पानी पर्याप्त होता है. यह मछलियां शुरुआती मछली पालकों के लिए बहुत हेल्पफुल है क्योंकि यह मुश्किल कंडीशन में भी जिंदा रह सकती है. 

    मोलीज मछलि‍यां दोस्ताना किस्म की होती है. यह ताजे पानी के अलावा हल्के खारे पानी में भी रह सकती है. जिससे इन्हें रखना आसान होता है. मोलीज मछलियां 24 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान में खुश रहती है. यह लाइव बियरर होती है, यानी ये सीधे छोटी मछलियों को जन्म देती है. साथ ही यह मछलियां कई रंगों और फिन के आकार में भी उपलब्ध होती है जो टैंक को और भी सुंदर बनाती है.

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    कविता गाडरी बीते कुछ साल से डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी हुई है. राजस्थान के जयपुर से ताल्लुक रखने वाली कविता ने अपनी पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल से न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी में मास्टर्स और अपेक्स यूनिवर्सिटी जयपुर से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में की है. 
    पत्रकारिता में अपना सफर उन्होंने राजस्थान पत्रिका से शुरू किया जहां उन्होंने नेशनल एडिशन और सप्लीमेंट्स जैसे करियर की उड़ान और शी न्यूज के लिए बाय लाइन स्टोरी लिखी. इसी दौरान उन्हें हेलो डॉक्टर शो पर काम करने का मौका मिला. जिसने उन्हें न्यूज़ प्रोडक्शन के लिए नए अनुभव दिए. 

    इसके बाद उन्होंने एबीपी नेटवर्क नोएडा का रुख किया. यहां बतौर कंटेंट राइटर उन्होंने लाइफस्टाइल, करंट अफेयर्स और ट्रेडिंग विषयों पर स्टोरीज लिखी. साथ ही वह कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लगातार सक्रिय रही. कविता गाडरी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष हैं. न्यूज़ राइटिंग रिसर्च बेस्ड स्टोरीटेलिंग और मल्टीमीडिया कंटेंट क्रिएशन उनकी खासियत है. वर्तमान में वह एबीपी लाइव से जुड़ी है जहां विभिन्न विषयों पर ऐसी स्‍टोरीज लिखती है जो पाठकों को नई जानकारी देती है और उनके रोजमर्रा के जीवन से सीधे जुड़ती है.

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  • तेजस खरीदना चाहते हैं कई देश… जानें कितना खतरनाक है भारत का फाइटर जेट?

    तेजस खरीदना चाहते हैं कई देश… जानें कितना खतरनाक है भारत का फाइटर जेट?

    सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1A (Tejas Mk-1A) ने शुक्रवार को नासिक स्थित HAL प्लांट से अपनी पहली उड़ान (maiden flight) सफलतापूर्वक पूरी की. यह उड़ान भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम मानी जा रही है.

    HAL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डी.के. सुनील ने बताया कि तेजस मार्क-1A पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित अत्याधुनिक (state-of-the-art) लड़ाकू विमान है. उन्होंने कहा कि इस विमान की तकनीकी क्षमता और प्रदर्शन को देखते हुए कई विदेशी देशों ने इसे खरीदने में गहरी रुचि दिखाई है.

    HAL के चेयरमैन ने क्या कहा?

    डी.के. सुनील के अनुसार, “आज हमारे पास एक ऐसा विमान है जो हर दृष्टिकोण से सक्षम है. इसमें अत्याधुनिक रडार सिस्टम, मजबूत हथियार क्षमता और आधुनिक एवियोनिक्स (avionics) लगे हैं. यह न सिर्फ एक अत्याधुनिक फाइटर जेट है बल्कि इसका रखरखाव और उन्नयन (maintenance & upgrade) भी भारत में ही किया जा सकता है क्योंकि इसके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों पर HAL का पूर्ण नियंत्रण है.”

    तेजस मार्क-1A की तुलना पुराने मिग-21 बाइसन से करते हुए HAL प्रमुख ने कहा कि यह विमान भारत की रक्षा तकनीक में एक पीढ़ी की छलांग है.

    #WATCH | Nashik, Maharashtra | On the difference between Tejas LCA Mark 1A and MiG 21 Bison, HAL Chairman & Managing Director Dr DK Sunil says, “… It’s quite a jump in technology. In terms of the kind of electronics, avionics that the Tejas has, it is a four and a half… pic.twitter.com/BGpBenfMSL

    उन्होंने बताया, “तेजस मार्क-1A लगभग साढ़े चार पीढ़ी (4.5 generation) का विमान है. इसमें अत्याधुनिक AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सूट और उन्नत मिसाइल सिस्टम शामिल हैं. मिग-21 अपने समय में बेहद सक्षम था, लेकिन तेजस आधुनिक युग की ज़रूरतों के हिसाब से कहीं ज्यादा उन्नत और बहुआयामी है.”

    कई देशों ने तेजस में दिखाई रुचि

    डी.के. सुनील ने आगे कहा कि कई देशों ने तेजस में प्रारंभिक स्तर पर रुचि (initial interest) दिखाई है. उन्होंने बताया, “हम वर्तमान में विभिन्न देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं. शुरुआती चरण में ही जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली है, वह बहुत उत्साहजनक है. विदेशी खरीदार इसे एक अत्यधिक सक्षम और भरोसेमंद विमान के रूप में देख रहे हैं. हम उन्हें यह भी दिखा रहे हैं कि भारत इस विमान में कौन-कौन सी नई क्षमताएं जोड़ सकता है.”

    HAL प्रमुख के अनुसार, कंपनी को कुल 180 तेजस मार्क-1A विमानों के उत्पादन का कार्य सौंपा गया है. यह उत्पादन कार्य 2032-33 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके बाद, HAL LCA मार्क-2 (Tejas Mk-2) का उत्पादन शुरू करने की योजना बना रही है.

    उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि 2032-33 तक तेजस मार्क-1A का उत्पादन पूरा हो जाएगा और उसी समय LCA मार्क-2 का निर्माण शुरू होगा, जो और भी उन्नत और शक्तिशाली संस्करण होगा.”

    तेजस मार्क-1ए की खासियतें

    तेजस मार्क-1ए एक स्वदेशी और उन्नत डिजाइन वाला हल्का कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. यह भारत में विकसित LCA का एडवांस वर्जन है और चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर माना जाता है. तेज, manoeuvrable और अत्यधिक सटीक यह विमान दिन-रात और सभी मौसमों में ऑपरेशन करने में सक्षम है.

    यह लगभग साढ़े 5 टन से अधिक हथियारबंद पेलोड ले जा सकता है और एक ही समय में कई लक्ष्यों पर सटीक प्रहार कर सकता है. तेजस मार्क-1ए में नए एईएसए रडार, बियॉन्ड-विज़ुअल-रेंज (BVR) मिसाइलें, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) सूट और हवा में ईंधन भरने (air-to-air refueling) जैसी अत्याधुनिक क्षमताएं मौजूद हैं. इसे देश में ही मैन्‍युफैक्‍चर किया जा रहा है. ऐसे में इसमें जरूरत के अनुसार बदलाव देश में रहकर ही किया जा सकता है.

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  • एन. रघुरामन का कॉलम:क्या इस दीपावली में बड़े लोग भी कैंडी पसंद कर रहे हैं?

    एन. रघुरामन का कॉलम:क्या इस दीपावली में बड़े लोग भी कैंडी पसंद कर रहे हैं?

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    • N. Raghuraman’s Column Are Adults Also Liking Candy This Diwali?

    1 घंटे पहले
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    एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

    दशकों पहले जो पीढ़ी दीपावली पर चीनी का अतिरिक्त कोटा पाने के लिए राशन की दुकान के बाहर इंतजार करती थी, या वो पीढ़ी जिसने देखा था कि दीपावली की मिठाइयों को लंबा चलाने के लिए माता-पिता उन्हें थोड़ा-थोड़ा करके देते हैं- आज वही पीढ़ी अचानक से चारों तरफ कैंडी खाती हुई देखी या सुनी जा रही है।

    मेरा मतलब चॉकलेट से नहीं है। हमारे मॉल और हवाई अड्डों के आसपास देखें। कैंडी की दुकानें महज देखी ही नहीं, सुनी भी जा रही हैं। हां, आपने सही पढ़ा। वे सुनाई दे रही हैं। क्योंकि हमारे बुजुर्ग ना केवल तल्लीनता से इन प्रीमियम मिठाइयों में दांत गड़ा रहे हैं, बल्कि इसमें चप-चप करके खाते हुए सुनाई देने वाली आवाज भी है।

    ऐसा नहीं कि उन्होंने अपने दांत खो दिए हैं, बल्कि वे कैंडी चबाने की उस आजादी का आनंद ले रहे हैं- जो उनके बचपन में प्रतिबंधित थी। सोशल मीडिया पर भी ऐसे फीड्स की बाढ़ है, जिनमें हमारे बुजुर्ग रत्नों-सी रंगीन और खिलौनों के आकार की चीनी भरी कैंडीज जोर-जोर से चप-चप करके खाते दिख रहे हैं। दुनिया भर में यूट्यूबर्स ऐसी मिठाइयों को खाते हुए तस्वीरें खींच रहे हैं, जो पहले नहीं देखी गईं।

    मसलन, थाईलैंड की ‘लुक-चुप’ मिठाई, जो मूंग के पेस्ट से बनती हैं। कोरिया की ‘मुकबैंग’, जो क्रिस्टल कोटेड ‘अगर-अगर जेली’ या कुरकुरे सोर-फ्रीज-ड्राय फ्रूट रोल अप्स से बनी होती हैं। चीन का कैंडिड फ्रूट, जिसे ‘तांगहुलु’ कहा जाता है या जापान की स्नोबॉल ‘मोकी’। दिलचस्प यह है कि इन फीड्स में पहले फिल्मों जैसी चेतावनी होती है कि ‘ये कॉन्टेंट केवल 16 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है।’

    इस चेतावनी को ‘मिसोफोनिया अलर्ट’ कहा जाता है। यानी, सोशल मीडिया रील्स में कुछ ऐसी आवाजें हैं, जिनके प्रति कई लोग संवेदनशील होते हैं। ये आवाजें गुस्सा, घृणा, एंग्जायटी या अनैच्छिक भय की भावना पैदा कर सकती हैं।खर्चीले लोगों के घूमने-फिरने की जगहों पर ये कन्फेक्शनरी शॉप्स एक निश्चित आयु वर्ग के लोगों के लिए नए मनोरंजन के तौर पर उभर रही हैं।

    इसीलिए 2025 में यह खपत सहजता से दिखाई और सुनाई दे रही है। हाल ही में, मैं पिछले रविवार शुरू हुए एक दीपावली मिलन में गया। अगले दिन फिर मैं उसी घर पर गया और देखा कि वहां बीते दिन मिले उपहारों के साथ बहुत-से कैंडी गिफ्ट भी थे। मिठाइयों के भीतर भरी आइसक्रीम और इसे थर्मल बॉक्स में पैक करना, उपहार देने का नया चलन है।

    भारत ही नहीं, दुनियाभर में कैंडी खाना नई बात है। याद करें कुछ दशक पहले हम अकसर स्कूल के बाहर बैठी महिला से 2 या 3 पैसे में इमली खरीदते थे? अच्छे से रैपर में लपेटी इमली की तरह दिखने वाली ‘मैक्सिकन वेरो रेलेरिंदोस’ कैंडी बाहर से खट्टी है और चबाते ही इसमें मिर्च-युक्त कारमेल का स्वाद आता है। इसी तरह, 2024 में स्वीडन का बीयूबीएस ब्रांड सोशल मीडिया पर दुनिया में प्रसिद्ध हो गया था।

    इन मिठाइयों का मतलब है टेक्सचर और यादें।मुझे याद है मैं अपने नानाजी के लिए पारले की ‘किस्मी टॉफी’ लाता था। 80 और 90 के दशक में उनके पास एक भी दांत नहीं था। जब वे खुश होते, बरामदे में बैठकर इसे चबाते और गुजरने वालों को अपनी बिना दांतों की मुस्कान दिखाते थे।

    आज हम लोग- जो हवाई अड्डे पर बोर्डिंग का इंतजार कर रहे होते हैं या पत्नी के लिए तमाम शॉपिंग बैग लेकर मॉल में इंतजार कर रहे होते हैं- तनाव के समय में इन कैंडीज की तलाश में रहते हैं, और शुगर को फिर से स्ट्रेस कम करने वाले एक ऐसे आनंद के रूप में स्वीकार करते हैं, जो कि आखिरकार वयस्कों के बीच अपराध-बोध से मुक्त है।

    जबकि इन दोनों ही जगहों पर हमारे साथ इंतजार कर रहे अधेड़ उम्र के एग्जीक्यूटिव्ज़ हमारी रेगुलर कैडबरी से परे की एक बड़ी दुनिया की खोज करते हुए (कैंडी खाते हुए) अपनी चिपचिपी अंगुलियों को चाट रहे होते हैं। दोनों के लिए ही कैंडी उस पल की साथी है।फंडा यह है कि हमें गंभीरता से सोचना पड़ेगा कि ये बड़े लोग अचानक से कैंडी क्यों खाने लगे हैं। इस दीपावली अपने चीनी के उपभोग पर नजर रखें। यह आपके, आपके परिवार के और देश के लिए बेहतर होगा।

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