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  • Jaisalmer Bus Fire Live: बस हादसे में घायल 10 वर्षीय यूनुस की हुई मौत, मृतकों का आंकड़ा पहुंचा 21

    Jaisalmer Bus Fire Live: बस हादसे में घायल 10 वर्षीय यूनुस की हुई मौत, मृतकों का आंकड़ा पहुंचा 21

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    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
    Published by: प्रिया वर्मा

    Updated Wed, 15 Oct 2025 12:44 PM IST

    खास बातें

    Jaisalmer Bus Fire Live DNA Tests to Identify Victims as Families Gather at Hospitals Know updates in Hindi

    जैसलमेर बस हादसा
    – फोटो : अमर उजाला

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    लाइव अपडेट

    12:42 PM, 15-Oct-2025

     10 वर्षीय यूनुस की हुई मौत 

    जोधपुर के गांधी अस्पताल में  भर्ती यूनुस की इलाज के दौरान मौत हो गई है।  मृतकों का आंकड़ा 21 तक पहुंच गया है। 

    12:19 PM, 15-Oct-2025
    दो-तीन मैरिज 75 और 80 प्रतिशत से ज्यादा झुलसे

    मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल बीएस जोधा ने बताया कि 10:00 बजे तक सभी मरीज यहां आ गए थे, जिसकी जैसी जरूरत थी वैसी व्यवस्थाएं करके तीन मरीजों को तुरंत वेंटीलेटर पर लिया गया दो को ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ रखा गया है। दो-तीन मैरिज 75 और 80 प्रतिशत से ज्यादा है 5-6 मरीज 50 प्रतिशत से अधिक बर्न हैं। दूसरे बचे मरीजों में बर्न की संख्या थोड़ी कम है, जो व्यवस्था है सरकार के स्तर से मरीजों के लिए की जा रही है वह सभी कर ली गई है। आवश्यकता अनुसार और परिजनों के लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही है कंट्रोल रूप स्थापित कर दिया गया है डीएनएस सैंपलिंग के लिए जयपुर और जोधपुर की टीम में लगी है। हमारा प्रयास है कि मरीज और परिजनों जो साथ आए हैं उन्हें कम से कम परेशानी हो।

    12:05 PM, 15-Oct-2025

    जोधपुर में मृतकों की सैंपलिंग शुरू

    जैसलमेर में हुई दुखांतिका के बाद जोधपुर में मृतकों की सैंपलिंग शुरू हो चुकी है। महात्मा गांधी अस्पताल के अधीक्षक फतेह सिंह ने बताया कि डीएनए सैंपलिंग शुरू हो चुकी है। हमें शवों के आने के समाचार मिल गया था। इसलिए हमने रात में ही सारी व्यवस्थाएं कर ली थीं। यहां 12 शव रखने की क्षमता है। दो शव पहले से थे, इसलिए एम्स से संपर्क किया गया। जीत मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया गया। व्यास मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया गया और हमने प्लान बना लिया था कि शवों को कहां-कहां भेजेंगे और कहां-कहां रखेंगे। यह सारा काम हो चुका है। एफएसएल की टीम भी आ चुकी है। पुलिस से भी सारी लिस्ट मिल चुकी है कि किन-किन का सैंपल लेने की आवश्यकता है। कुछ डॉक्यूमेंट की भी आवश्यकता होती है, जैसे परिजनों के नाम पते फोटो मृतकों के भी सारे रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है, ताकि किसी तरह की बाद में कोई गलती की संभावना नहीं रहे। इसलिए सारे दस्तावेज पूरा करके हमने सैंपलिंग शुरू कर दी है। गांधी अस्पताल में है एम्स में भी 10 शव हैं। डेड बॉडी का डीएनए जैसलमेर में लिया जा चुका है। परिजनों की सैंपलिंग यहां ली जा रही है। उसके बाद मिलान किया जाएगा। संभवत: 24 घंटे में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। 

     

    11:21 AM, 15-Oct-2025

    पांच मरीजों की हालत बिगड़ी

    जोधपुर रैफर होकर आए मरीजों में से पांच की हालत बिगड़ गई है। उन्हें वेंटिलेटर पर डाला गया है। इसी बीच जैसलमेर के CMHO डॉ. राजेन्द्र पालीवाल ने बताया कि मंंगलवार देर रात से बुधवार सुबह तक करीब 10 परिजनों के DNA सैंपल लेकर जोधपुर भेजे गए हैं। आज जवाहिर हॉस्पिटल में सैंपल लिए जा रहे हैं। जिले के प्रभारी मंत्री मदन दिलावर भी जोधपुर पहुंच रहे हैं।

    11:07 AM, 15-Oct-2025

    पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
    – फोटो : अमर उजाला

    गहलोत बोले- हादसे का कारण टेक्निकल फॉल्ट तो नहीं

    पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैसलमेर बस हादसे में 20 लोगों के जिंदा जलने पर मीडिया के प्रश्न को लेकर एक्स पर अपना रिएक्शन पोस्ट किया है। उन्होंने कहा- बहुत बुरा हादसा हुआ है। अभी और हुए थे दूदू के पास में भी और एक तो, हादसे का क्या करें। 20 लोग मारे गए। वेंटीलेटर पर हैं लोग, 70% बर्न हैं। ये बहुत ही दुखद घटना है और मेरे ख्याल से तो ये तो जांच का विषय भी है बस में आग लगी क्यों, ये जांच का विषय भी हो सकता है। मैंने सुना कोई दस दिन पहले ही बस खरीदी थी तो पता नहीं कोई टेक्निकल गलती तो नहीं है। ऐसे वक्त में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए, बाकायदा कंपनी में कंप्लेंट करनी चाहिए। रवाना हुई थी बस, एक्सीडेंट भी नहीं हुआ और ये हादसा हुआ क्यों, कोई टेक्निकली फाल्ट हो गई, आग लग गई। आग लगते ही जो दरवाजे थे वो लॉक हो गए। सरकार को चाहिए कि इसकी बाकायदा कंपनी से बात करके इसकी जांच भी करवाए। 

    हादसे को लेकर हम ईश्वर से प्रार्थना ही कर सकते हैं कि मृत आत्माओं को शांति प्रदान करें, जो अभी तकलीफ में हैं अस्पताल में वो जल्दी स्वस्थ हों यही हमारी कामना है, परिवारजनों के लिए भी यही कह सकते हैं कि बहुत बड़ा हादसा हुआ है बहुत दुखद है, भगवान आपको शक्ति दे।

     

     

    10:48 AM, 15-Oct-2025

    डीएनए जांच के लिए अस्पताल पहुंचे परिजन
    – फोटो : अमर उजाला

    परिजनों को गुस्सा फूटा

    जैसलमेर हादसे में मृतकों की पहचान के लिए डीएनए टेस्टिंग शुरू हो चुकी है। इस भयानक दुखांतिका से परिजन सदमे में हैं। ऐसे में जब 11 बजे डीएनए जांच शुरू होने की बात सामने आई तो दर्द में डूबे परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। अपने बड़े भाई को हादसे में खो चुके एक परिजन का कहना है कि मुख्यमंत्री हमारी बात क्यों नहीं सुन रहे? डॉक्टर अभी तक अस्पताल नहीं पहुंचे हैं… हमने अपनों को खो दिया है, कुछ दिन सब इस मुद्दे पर बात करेंगे और फिर सब भूल जाएंगे… डॉक्टर सुबह 11 बजे ही क्यों आएंगे?… परिजन दर्द में हैं, लेकिन कोई नहीं समझ रहा कि हम किस हाल में हैं। आप मुझसे तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं, जरा अंदर जाकर यह भी पूछिए कि डॉक्टर अभी तक क्यों नहीं आए? DNA टेस्ट सुबह 11 बजे ही क्यों होगा? पूरी सिस्टम रात के 12 बजे तक अपराधियों के लिए जाग जाती है, लेकिन आम आदमी के लिए अस्पताल में कोई नहीं है। मैंने अपने भाई को खो दिया है, और आप यह नहीं देख पा रहे कि हम सब क्या झेल रहे हैं।

    10:40 AM, 15-Oct-2025

    Jaisalmer Bus Fire Live: बस हादसे में घायल 10 वर्षीय यूनुस की हुई मौत, मृतकों का आंकड़ा पहुंचा 21

    कल जैसलमेर में थईयात गांव के पास हुई भयानक बस दुर्घटना में अब तक 20 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है और कई गंभीर घायल जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में इलाजरत है। 

    हादसे की भयावहता ऐसी कि कई शव बस के भीतर एक-दूसरे से चिपके मिले। ऐसे में शवों की पहचान को लेकर प्रशासन ने डीएनए जांच की व्यवस्था की है। मृतकों की पहचान के लिए उनके दो निकटतम परिजनों से डीएनए सैंपल लिए जाएंगे। इसके लिए महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर के कॉटेज संख्या 4 एवं 5 और जवाहर अस्पताल, जैसलमेर के ट्रॉमा सेंटर में विशेष व्यवस्था की गई है।

    साथ ही प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि जिनके परिजन इस हादसे के बाद लापता हैं, वे नीचे दिए गए हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करके जानकारी ले सकते हैं।

    जोधपुर हेल्पलाइन नंबर:

    जिला नियंत्रण कक्ष: 0291-2650349, 2650350

    महात्मा गांधी अस्पताल: 9414159222

    राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला (FSL), जोधपुर: 9414919021

    जैसलमेर हेल्पलाइन नंबर:

    ट्रॉमा सेंटर, जवाहर अस्पताल: 9460106451, 9636908033

    जिला हेल्पलाइन: 9414801400, 8003101400, 02992-252201, 02992-255055

  • डिग्री नहीं, अब स्किल्स हैं सफलता की चाबी! हार्वर्ड की रिपोर्ट ने खोला बड़ा राज

    डिग्री नहीं, अब स्किल्स हैं सफलता की चाबी! हार्वर्ड की रिपोर्ट ने खोला बड़ा राज

    बीते कुछ वर्षों में टेक्नोलॉजी में हुए इनोवेशन और अपग्रेडेशन के बाद से, मार्केट में कंपटीशन काफी बढ़ गया है. अब अच्छी जॉब और बढ़िया इंकम के लिए लोगों को स्किल्स पर काम करना पड़ रहा है, जिसके चलते डिग्री की वैल्यू काफी कम हो गई है. ऐसे में कई स्टूडेंट्स इस बात को लेकर चिंता में रहते हैं कि क्या उनकी डिग्री उन्हें बेहतर जॉब ऑपर्च्युनिटी दिलाने में मदद करेगी?

    दरअसल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिस्ट ने अपनी एक रिसर्च में ये बताया है कि कैसे आजकल सर्टिफिकेट और डिग्री केवल एक कागज का टुकड़ा बनकर रह गई है और बाजार में डिग्री थकान का दौर चल रहा है. जिसमें अच्छी जॉब के लिए केवल डिग्री होना काफी नहीं है.

    हार्वर्ड के लेबर इकोनॉमिस्ट डेविड जे डेमिंग और रिसर्चर कदीम नोरे ने अपनी 2020 की रिसर्च में बताया कि एप्लाइड साइंसेज, कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग और मार्केटिंग जैसी डिग्री का आज कोई मोल नहीं रह गया है. इससे ये पता चलता है कि उस समय सक्सेस की चाबी माने जाने वाली ये डिग्रियां अब आउटडेटेड हो चुकी है. इतना ही नहीं आज बिजनेस डिग्रीज भी आपको इम्यूनिटी नहीं दे सकती. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने बताया कि टॉप MBA ग्रेजुएट्स भी आज मार्केट में हाई पे जॉब्स के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं. ऐसे में डिग्री की चमक किस्मत चमकने में नाकामयाब होती नजर आ रही है.

    जहां एक और एप्लाइड साइंसेस का हाल इस कदर बुरा तो वहीं दूसरी ओर ह्यूमैनिटीज के लिए स्टूडेंट्स का घटता इंटरेस्ट भी चिंता का विषय है. हार्वर्ड क्रिमसन के डाटा के अनुसार, ह्यूमैनिटीज को करियर ऑप्शन के तौर पर चुनने वालों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में स्टूडेंट्स ने STEM और करियर फोकस्ड प्रोग्राम्स में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है. साथ ही हार्वर्ड की 2022 की रिपोर्ट में देखने को मिला है कि मार्केट में अब कंपनिया जेनेरिक डिग्रीज की बजाय स्पेसिफिक स्किल्स और डिजिटल लिटरेसी वाली डिग्रीज को प्रेफरेंस देती हैं.

    हार्वर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक ये 10 डिग्रीज खो रही हैं अपनी इंपॉर्टेंस और मार्केट वैल्यू –
    1. जनरल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA इंक्लूडेड) 
    2. कंप्यूटर साइंस 
    3. मैकेनिकल इंजीनियरिंग 
    4. अकाउंटिंग 
    5. बायोकेमिस्ट्री 
    6. साइकोलॉजी (अंडरग्रैजुएट)
    7. इंग्लिश एंड ह्यूमैनिटीज 
    8. सोशियोलॉजी एंड सोशल साइंस 
    9. हिस्ट्री 
    10. फिलासफी 

    2025 की एक स्टूडेंट चॉइस रिपोर्ट के अनुसार, रैंकिंग इंजीनियरिंग , कंप्यूटर साइंस एंड नर्सिंग की मार्केट डिमांड काफी है. ऐसे में इस कॉम्पटीटिव मार्केट में वो स्टूडेंट्स सरवाइव कर पाएंगे जिनके पास डिग्री के अलावा स्किल्स, इंटेलिजेंस, क्रिएटिविटी और क्रिटिकल थिंकिंग होगी.

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    आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं. 

    दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की. 

    साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं. 

    घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.

    Source: IOCL

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  • कितने रुपये में खोल सकते हैं क्रिकेट की बॉल बनाने वाली फैक्ट्री, हर महीने कितनी होगी कमाई?

    कितने रुपये में खोल सकते हैं क्रिकेट की बॉल बनाने वाली फैक्ट्री, हर महीने कितनी होगी कमाई?

    भारत में क्रिकेट को सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि जुनून माना जाता है. बच्चे हो, बुजुर्गों हो या हर कोई इसे खेलना और देखना पसंद करता है. यही वजह है कि क्रिकेट से जुड़ा सामान खासकर क्रिकेट बॉल की मांग हमेशा बनी रहती है. क्योंकि क्रिकेट बॉल जल्दी खराब हो जाती है या खो जाती है, इसलिए इसकी बिक्री कभी कम नहीं होती है. ऐसे में क्रिकेट बॉल बनाने का बिजनेस काफी फायदे का सौदा साबित हो सकता है. चलिए तो आज हम आपको बताते हैं कि क्रिकेट बॉल बनाने वाली फैक्ट्री आप कितने रुपये में खोल सकते हैं और हर महीने इससे कितनी कमाई हो सकती है. 

    कम पैसों में शुरू हो सकता है क्रिकेट बॉल का बिजनेस

    क्रिकेट बॉल बनाने की फैक्ट्री बहुत ज्यादा निवेश के बिना शुरू की जा सकती है. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार इस बिजनेस को आप 4 से 5 लाख रुपये में शुरू कर सकते हैं. अगर आप लगभग 4.50 लाख रुपये तक का इन्वेस्टमेंट करते हैं, तो आप एक छोटी यूनिट लगाकर इसका प्रोडक्शन शुरू कर सकते हैं. वहीं एक यूनिट से आप करीब 90 हजार बॉल बना सकते हैं. इस पर आपका कुल खर्च लगभग 18 लाख रुपये तक आएगा, जबकि बिक्री से 20 लाख रुपये तक की इनकम हो सकती है. यानी हर प्रोजेक्ट में लगभग 2 लाख का मुनाफा आप कमा सकते हैं. इस तरह से इस बिजनेस में जैसे-जैसे प्रोडक्शन और मांग बढ़ती है आपकी कमाई भी बढ़ती जाएगी. 

    कहां से आती है बॉल की सबसे ज्यादा मांग?

    भारत में मेरठ और जालंधर जैसे शहर क्रिकेट इक्विपमेंट बनाने के बड़े केंद्र हैं. यहां साल भर लाखों क्रिकेट बॉल तैयार की जाती है. खासतौर पर वर्ल्ड कप या आईपीएल जैसे टूर्नामेंट के दौरान मांग 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इस फील्ड में बड़ी कंपनियों जैसे सीजी और कूकाबुरा तो पहले से ही जाने-माने ब्रांड है, लेकिन छोटे स्तर पर भी कई फैक्ट्रियां लोकल मार्केट और क्रिकेट एकेडमी की जरूरतों को पूरा करती है. 

    क्या होती है क्रिकेट बॉल बनाने की प्रक्रिया?  

    क्रिकेट बॉल आम तौर पर अलम-टेंड लेदर, कॉर्क और ऊन की परतों से बनाई जाती है.  इसे हाथ से सिलाई करके पॉलिश किया जाता है, ताकि ज्यादा समय तक टिक सके. इस काम में कुशल कारीगरों की जरूरत होती है, जो बॉल की शेप और साइज को सही बनाए रखें. वहीं अगर आप क्रिकेट बॉल बनाने की नई यूनिट शुरू कर रहे हैं तो शुरुआत में लोकल डीलर क्रिकेट एकेडमी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बॉल को बेच सकते हैं. आजकल कई कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स को ई-कॉमर्स साइट पर भी भेज रही है. अच्छी क्वालिटी और सही पैकेजिंग से आप अपने ब्रांड की भी आसानी से पहचान बना सकते हैं. 

    ये भी पढ़ें: किन कामों में यूज होता है रेयर अर्थ एलिमेंट, चीन के बाद कौन हैं इसके बड़े खिलाड़ी?

    कविता गाडरी बीते कुछ साल से डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी हुई है. राजस्थान के जयपुर से ताल्लुक रखने वाली कविता ने अपनी पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल से न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी में मास्टर्स और अपेक्स यूनिवर्सिटी जयपुर से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में की है. 
    पत्रकारिता में अपना सफर उन्होंने राजस्थान पत्रिका से शुरू किया जहां उन्होंने नेशनल एडिशन और सप्लीमेंट्स जैसे करियर की उड़ान और शी न्यूज के लिए बाय लाइन स्टोरी लिखी. इसी दौरान उन्हें हेलो डॉक्टर शो पर काम करने का मौका मिला. जिसने उन्हें न्यूज़ प्रोडक्शन के लिए नए अनुभव दिए. 

    इसके बाद उन्होंने एबीपी नेटवर्क नोएडा का रुख किया. यहां बतौर कंटेंट राइटर उन्होंने लाइफस्टाइल, करंट अफेयर्स और ट्रेडिंग विषयों पर स्टोरीज लिखी. साथ ही वह कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लगातार सक्रिय रही. कविता गाडरी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष हैं. न्यूज़ राइटिंग रिसर्च बेस्ड स्टोरीटेलिंग और मल्टीमीडिया कंटेंट क्रिएशन उनकी खासियत है. वर्तमान में वह एबीपी लाइव से जुड़ी है जहां विभिन्न विषयों पर ऐसी स्‍टोरीज लिखती है जो पाठकों को नई जानकारी देती है और उनके रोजमर्रा के जीवन से सीधे जुड़ती है.

    Source: IOCL

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  • Cervical Pain: कहीं बड़ा ब्रेस्ट साइज तो नहीं बन रहा सर्वाइकल पेन का कारण, जान लें कैसे होता है नुकसान?

    Cervical Pain: कहीं बड़ा ब्रेस्ट साइज तो नहीं बन रहा सर्वाइकल पेन का कारण, जान लें कैसे होता है नुकसान?

    Breast Cervical Pain: आजकल कंधों का दर्द यानी सर्वाइकल पेन एक आम समस्या बन गई है. इसके पीछे तमाम कारण बताए जाते हैं, जैसे कि लंबे समय तक लैपटॉप, मोबाइल का इस्तेमाल, गलत पोजिशन में बैठना और तनाव आदि. लेकिन क्या आपको मालूम है कि महिलाओं में ब्रेस्ट साइज से भी इस पर असर पड़ता है. ज्यादातर महिलाओं को इसके बारे में पता नहीं होता है, लेकिन बड़ा ब्रेस्ट साइज भी सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है. यह बात कई रिसर्च और हेल्थ रिपोर्ट में निकल कर सामने आ चुकी है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे यह सर्वाइकल पेन का कारण बनती है और कैसे इससे बचा जा सकता है.

    कैसे पड़ता है असर?

    PubMed Central में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, एक स्टडी “The Association Between Female Breast Size, Backache, and Spinal Pain” में यह मिला कि बड़े ब्रेस्ट साइज का थोरैसिक और सर्वाइकल इलाके में दर्द का संबंध है. उदाहरण के लिए, B कप वालों में केवल 4.9 प्रतिशत ने पीठ दर्द की शिकायत की, जबकि DD/E कप वालों में 85 प्रतिशत में दर्द पाया गया. अगर इसको ज्यादा सरल शब्दों में समझें, तो इसका मतलब यह होता है कि उस रिसर्च में जिन महिलाओं का ब्रेस्ट साइज B कप था, उनमें केवल करीब 4.9 प्रतिशत महिलाओं ने ही पीठ दर्द की शिकायत की.

    वहीं, DD या E कप साइज वाली महिलाओं पर देखा गया, तो वहाँ लगभग 85 प्रतिशत महिलाओं को पीठ या सर्वाइकल क्षेत्र का दर्द था. यानी कि जितना बड़ा ब्रेस्ट साइज, उतना ज़्यादा गर्दन और पीठ दर्द का खतरा. इसी में एक दूसरी पब्लिश स्टडी “The relationship between breast size and aspects of health” (2020) में यह निकल कर आया कि हर ब्रेस्ट साइज में बढ़ोत्तरी के चलते महिलाओं के ऊपरी पीठ दर्द की रिपोर्ट करने की संभावना 13 प्रतिशत बढ़ जाती है.

    बेंगलुरु स्थित एस्थेटिक्स एंड प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर एन. जितेन्द्रन ने बताया कि जिन महिलाओं का ब्रेस्ट साइज बड़ा होता है, जैसे कि D कप या उससे बड़ा, उनमें सर्वाइकल पेन की दिक्कत ज्यादा होती है. ये शरीर को आगे की तरफ खींचते हैं और इससे गर्दन और कंधे की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है, जिसके चलते इस तरह की दिक्कत होने लगती है.

    कैसे करें बचाव?

    अगर इससे बचाव की बात करें तो हमेशा सपोर्टिव और सही फिटिंग वाली ब्रा पहनें. इससे यह होता है कि ब्रा या वाइड स्ट्रैप ब्रा गर्दन और कंधे पर दबाव को कम करती है. एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि पतली स्ट्रैप वाली ब्रा से बचें, क्योंकि ये कंधों में गहराई तक दबाव डाल सकती हैं. इसके अलावा सीधे बैठने और खड़े होने की आदत डालें, कंधे झुकाकर बैठने से बचें और हल्के दर्द में गर्म सिकाई या ठंडी सिकाई करें.

    इसे भी पढ़ें: Premanand Maharaj Kidney Disease: किडनी की किस बीमारी से जूझ रहे प्रेमानंद महाराज, इसमें मौत का खतरा कितना ज्यादा?

    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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    जर्नलिज्म की दुनिया में करीब 15 साल बिता चुकीं सोनम की अपनी अलग पहचान है. वह खुद ट्रैवल की शौकीन हैं और यही वजह है कि अपने पाठकों को नई-नई जगहों से रूबरू कराने का माद्दा रखती हैं. लाइफस्टाइल और हेल्थ जैसी बीट्स में उन्होंने अपनी लेखनी से न केवल रीडर्स का ध्यान खींचा है, बल्कि अपनी विश्वसनीय जगह भी कायम की है. उनकी लेखन शैली में गहराई, संवेदनशीलता और प्रामाणिकता का अनूठा कॉम्बिनेशन नजर आता है, जिससे रीडर्स को नई-नई जानकारी मिलती हैं. 

    लखनऊ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन रहने वाली सोनम ने अपने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत भी नवाबों के इसी शहर से की. अमर उजाला में उन्होंने बतौर इंटर्न अपना करियर शुरू किया. इसके बाद दैनिक जागरण के आईनेक्स्ट में भी उन्होंने काफी वक्त तक काम किया. फिलहाल, वह एबीपी लाइव वेबसाइट में लाइफस्टाइल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर काम कर रही हैं.

    ट्रैवल उनका इंटरेस्ट  एरिया है, जिसके चलते वह न केवल लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज के अनछुए पहलुओं से रीडर्स को रूबरू कराती हैं, बल्कि ऑफबीट डेस्टिनेशन्स के बारे में भी जानकारी देती हैं. हेल्थ बीट पर उनके लेख वैज्ञानिक तथ्यों और सामान्य पाठकों की समझ के बीच बैलेंस बनाते हैं. सोशल मीडिया पर भी सोनम काफी एक्टिव रहती हैं और अपने आर्टिकल और ट्रैवल एक्सपीरियंस शेयर करती रहती हैं.

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