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  • 30 की उम्र में इस एक्ट्रेस ने कराया था अबॉर्शन, अब बोलीं- 'भयंकर ब्लीडिंग होती थी, चिड़चिड़ापन भी….'

    30 की उम्र में इस एक्ट्रेस ने कराया था अबॉर्शन, अब बोलीं- 'भयंकर ब्लीडिंग होती थी, चिड़चिड़ापन भी….'

    ‘सेक्रेड गेम्स’ जैसे प्रोजेक्ट्स से पहचान बनाने वाली अभिनेत्री कुब्रा सैत ने आखिरी बार ‘सन ऑफ सरदार 2’ में देखा गया था. हाल ही में वे ‘राइज एंड फॉल’ में शामिल हुई थी लेकिन पिछले हफ्ते वे घर से एविक्ट हो गई थीं. अभिनेत्री ने अब अपनी लाइफ के सबसे मुश्किल फैसलों में से एक, अबॉर्शन कराने के बारे में खुलकर बात की है.

    कुब्रा सैत ने अपने अबॉर्शन को लेकर क्या कहा?
    दरअसल कुब्रा ने वायरल भयानी के यूट्यूब चैनल पर कहा, “उस बात को कई साल हो गए हैं, और मेरे पास इसके बारे में सोचने और इससे उबरने के लिए काफ़ी समय था. लेकिन जब आपकी लाइफ में ऐसा कोई पल आता है, तो आप बौखला जाते हो क्योंकि आपके साथ आपका ईमान है, आपका फर्ज है और आपको ये भी पता है कि आप कैसी सोसाइटी में हो, तो दुनिया भी है दीन है, सब है. आप उस वक्त बहुत परेशान हो जाते हो कि आप ये कैसे कर पाओगे या नहीं.

    उन्होंने आगे कहा, “उस समय, आपको वाकई पता नहीं होता कि आप जो फ़ैसला ले रहे हैं, वह सही है या नहीं. लेकिन आज, मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि मैंने उस समय जो फ़ैसला लिया था, वह मेरे लिए सही था. क्योंकि मुझे पता है कि अगर मैंने कोई गलती भी की होती, तो भगवान देख रहा होता और मुझे परलोक में उसके परिणाम भुगतने पड़ते.”

    चिड़चिड़ेपन से जूझना पड़ा
    इससे पहले, कुब्रा ने एक्सेप्ट किया है कि इस एक्सपीरियंस को इमोशनली समझने में उन्हें सालों लग गए. अपने करियर के बाद के दिनों में एक प्रोजेक्ट पर काम करते हुए, वह अक्सर बीमारी, हैवी ब्लीडिंग और चिड़चिड़ेपन से जूझती रहीं, फिर भी उन्होंने इसे चुपचाप सहना चुना, अपना दर्द खुद तक ही रखाय जब उन्होंने अपना 2022 का मेमॉयर ‘ओपन बुक: नॉट क्वाइट ए मेमॉयर’ लिखना शुरू किया, तभी वह सही मायने में इस बात को रिफ्लेक्ट कर पाईं कि वह किस दौर से गुजरी थीं. उन्होंने कहा, “इसे लिखने से मुझे यह समझने में मदद मिली कि मुझे खुद के लिए और अपने द्वारा लिए गए ऑप्शन के लिए काइंड होने की जरूरत है.”

    सेक्रेड गेम्स (2018) में अपनी ब्रेकआउट भूमिका के बाद से, कुब्रा ने इंडस्ट्री में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. उनके अन्य प्रोजेक्ट में ‘फर्जी’, ‘द ट्रायल’, ‘वकालत फ्रॉम होम’ और ‘शहर लखोट’ शामिल हैं. वह जल्द ही ‘है जवानी तो इश्क होना है’ में नजर आएंगी.

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  • Diwali 2025: दिवाली पर घर-घर घूमने वाली सोन पापड़ी देश में कैसे आई, किसने की थी इसकी खोज?

    Diwali 2025: दिवाली पर घर-घर घूमने वाली सोन पापड़ी देश में कैसे आई, किसने की थी इसकी खोज?

    Diwali 2025: जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आती है, बाजारों में मिठाइयों की रौनक भी बढ़ने लगती है. इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को बधाई देने के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए मिठाइयां बांटते हैं. इन मिठाइयों में सबसे ज्यादा चर्चा में रहती है सोन पापड़ी की. दीवाली या किसी खास मौके पर गिफ्ट के तौर पर इसे देना हर किसी की पहली पसंद बन जाता है. 

    इसकी खासियत यह है कि यह स्वाद में बेहद हल्की, सॉफ्ट और मुंह में रखते ही घुलने वाली मिठाई है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर फेस्टिव सीजन आते ही सोन पापड़ी को लेकर मीम्स भी खूब वायरल होते हैं।, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मिठाई आखिर कहां से आई और इसका इतिहास क्या है?

    सोन पापड़ी की उत्पत्ति

    सोन पापड़ी के इतिहास को लेकर कई दावे हैं. कुछ लोग मानते हैं कि यह मिठाई राजस्थान की देन है, तो वहीं कई का कहना है कि इसका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था. हालांकि इसके पुख्ता ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं. यह मिठाई तुर्किए की पिस्मानिये से काफी हद तक मिलती-जुलती है, जो अपने हल्के, फाइबरयुक्त और सॉफ्ट बनावट के लिए जानी जाती है. तुर्किए में इस मिठाई को बनाने के लिए बेसन की बजाय आटे का इस्तेमाल होता है.

    भारत में सोन पापड़ी की शुरुआत

    भारत में सोन पापड़ी बनाने की शुरुआत महाराष्ट्र के पश्चिमी शहरों से हुई मानी जाती है. महाराष्ट्र के लोग सबसे पहले इस मिठाई को तैयार करने लगे और धीरे-धीरे इसका स्वाद पूरे राज्य में लोकप्रिय हो गया था. इसके बाद यह मिठाई अन्य राज्यों जैसे गुजरात, पंजाब और राजस्थान में भी फैल गई. लोगों के बीच इसका स्वाद इतना पसंद किया गया कि देखते ही देखते यह पूरे भारत में त्योहारों की एक पहचान बन गई.

    दिवाली में सोन पापड़ी का महत्व

    दिवाली पर सोन पापड़ी सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि त्योहार का प्रतीक बन चुकी है. यह न केवल परिवार और मित्रों के बीच स्नेह और बधाई का माध्यम है, बल्कि घर-घर में खुशियों की मिठास भी भरती है. लोग इसे अपने घरों में गिफ्ट के तौर पर रखते हैं और त्योहार के दौरान इसे बांटना अपने सामाजिक और पारंपरिक कर्तव्यों का हिस्सा मानते हैं.

    सोन पापड़ी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जैसे ही दिवाली का मौसम आता है, मिठाई की दुकानों पर इसकी बिक्री तेजी से बढ़ जाती है और सोशल मीडिया पर इसके कई मीम्स भी वायरल होने लगते हैं.

    यह भी पढ़ें: Diwali Bonus History: भारत में सबसे पहले किसने दिया था दिवाली का बोनस, कैसे इस परंपरा को मिला कानूनी रूप?

    निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.

    अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.

    खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.

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  • अब AMT गियरबॉक्स के साथ लॉन्च हुई Nissan Magnite CNG, जानें फीचर्स और कीमत

    अब AMT गियरबॉक्स के साथ लॉन्च हुई Nissan Magnite CNG, जानें फीचर्स और कीमत

    Nissan इंडिया ने अपनी पॉपुलर कॉम्पैक्ट SUV Magnite को अब और भी कंफर्टेबल बना दिया है. कंपनी ने इसका CNG वर्जन अब ऑटोमैटिक मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT) के साथ लॉन्च किया है. पहले ये मॉडल केवल मैनुअल गियरबॉक्स में ही आता था, लेकिन अब यह बदलाव उन ग्राहकों के लिए राहत लेकर आया है जो शहर के ट्रैफिक में आसान ड्राइविंग चाहते हैं. नई Nissan Magnite CNG AMT अब कुल 11 वेरिएंट्स में उपलब्ध होगी. इनकी कीमत 6.34 लाख से 9.70 लाख (एक्स-शोरूम) तक रखी गई है.

    ये भी पढ़ें: गांव में चलाने के लिए किफायती हैं ये बाइक्स, 55,100 से होती हैं शुरू, देखें लिस्ट

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  • UP Weather: यूपी में बदल रहा मौसम का मूड, दिन में धूप और रात में लग रही है ठंड, जानें IMD का अपडेट

    UP Weather: यूपी में बदल रहा मौसम का मूड, दिन में धूप और रात में लग रही है ठंड, जानें IMD का अपडेट

    उत्तर प्रदेश में मौसम सुहावना बना हुआ हैं. दिन के समय एकदम साफ मौसम हैं धूप निकलने के बाद बहुत ज्यादा गर्मी नहीं लग रही हैं वहीं सुबह और शाम को ठंडी हवाओं की वजह से हल्की सर्दी महसूस हो रही हैं. लोगों ने अब अपने एसी और कूलर भी बंद कर दिए हैं. प्रदेश में आज भी शुष्क मौसम रहने का अनुमान हैं. आने वाले पांच दिनों में कोई बड़ा बदलाव होने का अनुमान नहीं है. 

    मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी दोनों ही संभागों में आज 17 अक्टूबर को मौसम शुष्क रहेगा. राजधानी लखनऊ, नोएडा, वाराणसी, आगरा समेत सभी 75 जिले आज ग्रीन जोन में बने हुए हैं. सुबह से ही आसमान साफ रहेगा और खिली धूप निकलेगी. कहीं बारिश का कोई अनुमान नहीं है और न ही कोई चेतावनी दी गई है. 

    मौसम विभाग के मुताबिक दीपावली तक ऐसा ही मौसम रहने का पूर्वनुमान हैं.  18 और 19 अक्टूबर को भी प्रदेश के सभी जिलों में मौसम शुष्क रहेगा. कहीं कोई चेतावनी नहीं दी गई हैं. 22 अक्टूबर तक यूपी के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. अगले पांच दिनों तक दिन में धूप, साफ मौसम और शाम को हल्की सर्दी का सिलसिला जारी रहेगा. 

    राज्य में हवाओं की दबाव की वजह से सुबह के समय कहीं-कहीं हल्की धुंध देखने को मिल सकती हैं लेकिन, दिन चढ़ने के साथ ये गायब हो जाएगी. बीते 24 घंटों में कानपुर सबसे सर्द जिला दर्ज किया गया है. यहां रात के समय न्यूनतम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया. कानपुर के अलावा इटावा, बरेली, अयोध्या और शाहजहांपुर में सबसे कम न्यूनतम तापमान रहा. 

    राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां सबसे अधिक तापमान 31.9 और न्यूनतम पारा 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा. वहीं वाराणसी में दिन के समय में 32.3 और रात में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.3 डिग्री कम दर्ज किया गया. यहां न्यूनतम तापमान 19.0 डिग्री सेल्सियस रहा. 

    इनके अलावा आगरा में 18.8, बहराइच में 18.4, गोरखपुर में 19.4, प्रयागराज में 19.1, हरदोई में 18.5 और बाराबंकी में 18.0 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया है. 

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  • WiFi राउटर पर मौजूद इस बटन का खुल गया राज! एक बार दबाया तो इंटरनेट स्पीड में दिखेगा जादू

    WiFi राउटर पर मौजूद इस बटन का खुल गया राज! एक बार दबाया तो इंटरनेट स्पीड में दिखेगा जादू

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  • दिल्ली में प्रदूषण रोकने की नई कोशिश, आसमान से बरसेगी कृत्रिम बारिश, एयरक्राफ्ट हैं तैयार

    दिल्ली में प्रदूषण रोकने की नई कोशिश, आसमान से बरसेगी कृत्रिम बारिश, एयरक्राफ्ट हैं तैयार

    दिल्ली में अब आसमान से कृत्रिम बारिश बरसने की तैयारी पूरी हो गई है. राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश की योजना को अंतिम रूप दे दिया है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि पहला ट्रायल उत्तर दिल्ली में किया जाएगा.  बीते चार दिनों से पायलट मेरठ से एयरक्राफ्ट लाकर लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं और उस ऊंचाई तक उड़ान भर चुके हैं, जहां से बारिश कराने की प्रक्रिया की जाएगी.

    सिरसा ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए सिविल एविएशन विभाग और अन्य एजेंसियों से सभी जरूरी मंजूरियां मिल चुकी हैं. अब बस मौसम विभाग की अनुमति मिलनी बाकी है. उन्होंने कहा कि जैसे ही मौसम विभाग से मंजूरी मिलेगी, तीन घंटे के भीतर कृत्रिम बारिश का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल होने वाला विशेष एयरक्राफ्ट फिलहाल मेरठ में पार्क है और उड़ान के लिए तैयार है.

    पर्यावरण मंत्री ने बताया कि दिल्ली में कुल पांच ट्रायल किए जाएंगे. पहले यह ट्रायल सितंबर में होना था, लेकिन तकनीकी कारणों से टल गया. इसके बाद 5 से 7 अक्टूबर के बीच ट्रायल की नई तारीख तय की गई थी, लेकिन उस दौरान हुई प्राकृतिक बारिश के कारण इसे फिर से आगे बढ़ाना पड़ा. अब सरकार का प्रयास है कि दिवाली के आसपास या उसके बाद यह ट्रायल सफलतापूर्वक किया जा सके.

    मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में 23 विभागों की टीमें शामिल हैं जो समन्वय से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए यह एक बड़ा प्रयोग है. यदि ट्रायल सफल रहा तो इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा.

    क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें हवाई जहाज से बादलों में विशेष रसायन (जैसे सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड) छोड़े जाते है. ये रसायन बादलों में नमी को संघनित करते हैं, जिससे कृत्रिम रूप से बारिश होती है. इस तकनीक का प्रयोग चीन, अमेरिका और दुबई जैसे देशों में पहले से हो चुका है.

    सरकार को उम्मीद है कि कृत्रिम बारिश से दिल्ली की हवा में फैला धूल और प्रदूषण काफी हद तक कम होगा और लोगों को कुछ राहत मिलेगी. यह दिल्ली में पहली बार होगा जब सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए आसमान से बारिश बरसाने की कोशिश करेगी.

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  • विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले तोड़ी चुप्पी, सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए रिटायरमेंट की चर्चाओं पर दे दिया बड़ा बयान

    विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले तोड़ी चुप्पी, सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए रिटायरमेंट की चर्चाओं पर दे दिया बड़ा बयान

    भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार विराट कोहली एक बार फिर सुर्खियों में हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज शुरू होने से पहले उनके सोशल मीडिया पोस्ट ने फैंस के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है. पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा जोरों पर थी कि विराट और रोहित शर्मा दोनों का यह ऑस्ट्रेलिया दौरा उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की आखिरी सीरीज हो सकता है. अब विराट ने खुद इन अफवाहों पर बड़ा जवाब दिया है.

     विराट के पोस्ट ने मचाई हलचल

    हाल ही में विराट कोहली ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा,  “आप असलियत में तब ही असफल हो जाते हैं, जब आप खुद हार मानने का फैसला करते हैं.”

    विराट के इस पोस्ट को उनके वनडे करियर के भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है. उन्होंने पहले ही टेस्ट और टी20 क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है, और अब वे सिर्फ वनडे फॉर्मेट में खेल रहे हैं. फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच यह सवाल उठ रहा था कि क्या 2027 वनडे वर्ल्ड कप तक विराट टीम इंडिया का हिस्सा रहेंगे.

    The only time you truly fail, is when you decide to give up.

    सेलेक्टर्स और कोच ने भी दी सफाई

    इन चर्चाओं के बीच बीसीसीआई चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर ने भी स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों को 2027 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखकर टीम में चुना गया है. अगरकर ने कहा, “जहां तक मुझे पता है, दोनों खिलाड़ियों ने अपने फिटनेस टेस्ट पास कर लिए हैं और वे पूरी तरह फिट हैं. ऐसे में रिटायरमेंट की बात करना अभी जल्दबाजी होगी.”

    अगरकर ने यह भी कहा कि विराट और रोहित दोनों टीम इंडिया के लिए अहम हैं और उनके अनुभव की जरूरत भविष्य की बड़ी सीरीज में भी पड़ेगी.

    वहीं टीम इंडिया को टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली जीत के बाद मुख्य कोच गौतम गंभीर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के भविष्य की जगह वर्तमान पर ध्यान देना जरूरी है. गंभीर ने कहा, “50 ओवर का वर्ल्ड कप अभी ढाई साल दूर है. हमें इस वक्त के प्रदर्शन पर फोकस करना चाहिए. विराट और रोहित दोनों अनुभवी खिलाड़ी हैं और ऑस्ट्रेलिया में उनका अनुभव टीम के बहुत काम आएगा.”

    विराट का यह दौरा टीम इंडिया के लिए भी अहम है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमेशा से भारत की भिड़ंत रोमांचक रही है, और इस बार टीम का लक्ष्य सीरीज जीतकर 2027 वर्ल्ड कप की तैयारी को मजबूती देना है. 

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  • शशि थरूर की इंग्लिश का फैन हुआ इस देश का राजदूत, कहा – 'हमारे यहां बच्चों को ऐसी…'

    शशि थरूर की इंग्लिश का फैन हुआ इस देश का राजदूत, कहा – 'हमारे यहां बच्चों को ऐसी…'

    अंग्रेजी ऐसी भाषा है जो कि कई देशों में बोली जाती है. भारतीय लोगों को भी इंग्लिश बहुत अच्छी तरह बोलनी आती है और कुछ भारतीय तो ऐसे हैं जो कि अंग्रेजों से भी अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हैं. उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अंग्रेजी भाषा के चर्चे दुनिया भर में हैं. भारत में मंगोलिया के राजदूत गानबोल्ड डैम्बाजाव ने भी इस बात को माना है. उन्होंने थरूर की जमकर तारीफ की और कहा कि वे अपने देश के बच्चों को थरूर जैसी इंग्लिश सिखाना चाहते हैं.

    मंगोलिया के राजदूत गानबोल्ड ने मुंसिफ टीवी से बात करते हुए कहा, ”कुछ भारतीय ब्रिटिश और अमेरिकियों से भी अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हैं. इसका एक उदाहरण शशि थरूर हैं. मैं चाहता हूं कि मंगोलिया का हर बच्चा उनकी तरह ही इंग्लिश सीखे. हमें कम्युनिस्ट हैरिटेज से आजादी हासिल करने में तीस साल लग गए. मंगोलिया की संसद ने जुलाई 2023 में कानून बनाया कि इंग्लिश हमारी दूसरी आधिकारिक भाषा होगी.”

    भारत दौरे पर हैं मंगोलिया के राष्ट्रपति

    मंगोलियाई राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना भारत की चार दिन की राजकीय यात्रा पर हैं. उन्होंने (मंगलवार, 14 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति खुरेलसुख का दिल्ली में स्वागत करके और उनके साथ विस्तृत वार्ता करके मुझे खुशी हुई. उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और मंगोलिया अपने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे कर रहे हैं और हमारी रणनीतिक साझेदारी का एक दशक पूरा हो रहा है.

    साथ मिलकर काम करेंगे भारत-मंगोलिया

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम वैश्विक दक्षिण की आवाज को और मजबूत करने और वैश्विक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करते रहने पर सहमत हुए. हमारी वार्ता में जिन क्षेत्रों पर प्रमुखता से चर्चा हुई, उनमें ऊर्जा, कौशल विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण खनिज, कृषि आदि शामिल हैं.

    इनपुट – पीटीआई

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  • Delhi Sultanate: पैगंबर का सपने आने पर इस सुल्तान ने खुदवा दी थी पूरी झील, जानें हौजखास झील का‌ इतिहास

    Delhi Sultanate: पैगंबर का सपने आने पर इस सुल्तान ने खुदवा दी थी पूरी झील, जानें हौजखास झील का‌ इतिहास

    Delhi Sultanate: दिल्ली की हर गली और हर चौराहा एक अनोखी कहानी को बयां करता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं दिल्ली के सबसे पुराने और खूबसूरत स्थल हौज-ए-शम्सी के बारे में जिसे आज हौज खास झील के नाम से पहचाना जाता है. यह जलाशय 800 साल पुराना है. आइए जानते हैं क्या है इसका इतिहास और उसके पीछे की कहानी.

    हौज खास झील का निर्माण 

    ऐसा कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद सुल्तान इल्तुतमिश को एक बार सपने में दिखाई दिए. उन्होंने महरौली के जंगल में एक जगह दिखाई जहां उनके घोड़े बुराक ने अपना टाप रखा था. जब सुल्तान की नींद खुली तो वह अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शन ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के साथ उस जगह की खोज में निकल पड़े. वहां चमत्कारी रूप से मीठे पानी का एक झड़ना फूट पड़ा और सुल्तान ने भक्ति से एक विशाल जलाशय की खुदाई के आदेश दे दिए.

    हौज-ए-शम्सी नाम कैसे पड़ा?

    इस जलाशय का नाम हौज-ए-शम्सी रखा गया जिसका मतलब है सूर्य की झील. यह नाम इल्तुतमिश की अपनी उपाधि शम्सुद्दीन के नाम पर रखा गया जिसका मतलब है आस्था का सूर्य. इसका निर्माण लगभग 1230 ईस्वी में शुरू हुआ था. झील के बीचों-बीच इल्तुतमिश ने गुंबददार छत वाला एक लाल बलुवा पत्थर का मंडप बनवाया था. इसके अंदर एक पत्थर भी रखा गया था जिस पर पैगंबर के दिव्य घोड़े बुराक के खुर के निशान हैं.

    इब्न बतूता द्वारा की गई तारीफ 

    चौधरी शताब्दी के प्रसिद्ध मोरक्को के यात्री इब्न बतूता ने मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के दौरान दिल्ली का दौरा किया था और इस झील के बारे में भी लिखा था. इब्न बतूता ने इसे मीठे पानी की नदी बताया था. वक्त गुजरने के साथ-साथ अलग-अलग राजवंशों ने इस झील पर अपनी छाप छोड़ी है. 

    लोदी काल के दौरान इसके तट पर भव्य जहाज महल बनवाया गया था. यह महल पानीपत तैरता हुआ प्रतीत होता था, जो तीर्थ यात्री और यात्रियों के विश्राम स्थल के रूप में काम करता था. बाद में जहांगीर, शाहजहां और बहादुर शाह द्वितीय के शासनकाल के समय मुगलों ने इसमें फव्वारा, मंडप और उद्यान जोड़कर इसे एक नया रूप दिया. आज यह जगह दिल्ली के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्यों का एक अनमोल हिस्सा बन चुकी है. 2023 में स्थानीय निवासियों ने प्राइड ऑफ शम्सी नाम का एक समूह बनाया था. इस समूह ने एएसआई एनजीओ सीड्स के साथ मिलकर यहां पर सफाई अभियान चलाया.

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    स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

    अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

    लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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