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  • क्‍या होते हैं स्किन डिहाइड्रेशन के शुरुआती संकेत, सही हाइड्रेशन से स्किन को कैसे रख सकते हैं हेल्दी? 

    क्‍या होते हैं स्किन डिहाइड्रेशन के शुरुआती संकेत, सही हाइड्रेशन से स्किन को कैसे रख सकते हैं हेल्दी? 

    हमारी स्किन हमारे शरीर का सबसे बड़ा ह‍िस्‍सा होती है और शरीर के बाकी हिस्सों की तरह इसे भी ठीक से काम करने के लिए पानी की जरूरत होती है. हालांकि स्किन के डिहाइड्रेशन की चेतावनी संकेत अक्सर प्यास लगने की तरह स्पष्ट नहीं होते हैं. स्किन एक्सपर्ट्स के अनुसार स्किन में शुरुआती डिहाइड्रेशन के संकेत में स्किन का रुख होना या अचानक संवेदनशील होना शामिल होता है. इन संकेतों को नजरअंदाज करने से स्किन जल्दी बूढ़ी दिख सकती है और उसके बैर‍ियर को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में चलिए आज आपको बताते हैं कि स्किन डिहाइड्रेशन के शुरुआती संकेत क्या होते हैं और सही हाइड्रेशन इसे स्किन को कैसे हल्दी रख सकते हैं. 

     स्किन में कसाव महसूस होना  

    अगर आपको स्किन धोने के बाद बिल्कुल साफ या कसी हुई लगती है, तो यह खतरे की घंटी हो सकती है. ऐसा महसूस होना अक्सर इस बात का संकेत होता है कि स्‍क‍िन के नेचुरल ऑयल और लिपिड हट गए हैं. वहीं एक्सपर्ट्स के अनुसार लोग इसे अक्सर स्किन की सफाई समझ लेते हैं, लेकिन असल में इससे स्किन ज्यादा संवेदनशील हो जाती है.

    ऐसे में एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि हार्स क्‍लींजर की जगह सॉफ्ट और पीएच संतुलित क्लींजर लगाएं. साथ ही स्कि‍न पर तुरंत हाइड्रेटिंग सीरम भी लगाएं. वहीं हाइड्रेटेड स्किन में नेचुरल प्लंपनेस और चमक बनी रहती है. जबकि डिहाइड्रेट स्किन फ्लैट और थकी हुई दिखाई देती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब स्कि‍न में नमी की कमी होती है तो उसकी लोच और चमक चली जाती है. इसे ठीक करने के लिए हल्के सीरम के साथ मॉइश्चराइजर लगाएं. लगातार रूखापन होने पर विटामिन ए और शिया बटर युक्त इंसेंटिव बॉडी सीरम का इस्तेमाल भी आप सही पोषण के लिए कर सकते हैं. 

    सभी स्किन टाइप पर असर 

    डिहाइड्रेशन किसी भी स्किन टाइप में हो सकता है, यहां तक की ऑयल या एक्ने प्रो स्किन में भी. जब स्किन में नमी कम होती है तो यह ज्यादा ऑयल निकलता है. जिससे पोर्स बंद हो जाते हैं और ब्रेकआउट्स होते हैं. ग्लिसरीन जैसे ह्यूमेक्टेंट्स और मिनरल ऑयल जैसे इमोलिएंट्स वाले प्रोडक्ट्स हल्के होने के बावजूद त्वचा को हाइड्रेट करते हैं और रूखे या फटे हुए हिस्सों को नरम बनाते हैं.

    अगर स्किन पर पहले काम करने वाले प्रोडक्ट अब जलन या खुजली पैदा करने लगे तो यह स्किन का बैरियर कमजोर होने का संकेत होता है; खासकर इंडियन स्किन डिहाइड्रेशन के समय बैरियर कमजोर होने के लिए संवेदनशील होती है.  ऐसे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आप उस सीरम का उपयोग करें जिसमें विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट हो ताकि जलन कम हो और बैरियर फिर से मजबूत हो सके. 

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    कविता गाडरी बीते कुछ साल से डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी हुई है. राजस्थान के जयपुर से ताल्लुक रखने वाली कविता ने अपनी पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल से न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी में मास्टर्स और अपेक्स यूनिवर्सिटी जयपुर से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में की है. 
    पत्रकारिता में अपना सफर उन्होंने राजस्थान पत्रिका से शुरू किया जहां उन्होंने नेशनल एडिशन और सप्लीमेंट्स जैसे करियर की उड़ान और शी न्यूज के लिए बाय लाइन स्टोरी लिखी. इसी दौरान उन्हें हेलो डॉक्टर शो पर काम करने का मौका मिला. जिसने उन्हें न्यूज़ प्रोडक्शन के लिए नए अनुभव दिए. 

    इसके बाद उन्होंने एबीपी नेटवर्क नोएडा का रुख किया. यहां बतौर कंटेंट राइटर उन्होंने लाइफस्टाइल, करंट अफेयर्स और ट्रेडिंग विषयों पर स्टोरीज लिखी. साथ ही वह कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लगातार सक्रिय रही. कविता गाडरी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष हैं. न्यूज़ राइटिंग रिसर्च बेस्ड स्टोरीटेलिंग और मल्टीमीडिया कंटेंट क्रिएशन उनकी खासियत है. वर्तमान में वह एबीपी लाइव से जुड़ी है जहां विभिन्न विषयों पर ऐसी स्‍टोरीज लिखती है जो पाठकों को नई जानकारी देती है और उनके रोजमर्रा के जीवन से सीधे जुड़ती है.

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  • आपके शहर में कहां हैं Aadhar Center? चुटकियों में ऐसे चल जाएगा पता

    आपके शहर में कहां हैं Aadhar Center? चुटकियों में ऐसे चल जाएगा पता

    भारत में अब हर डॉक्यूमेंट को एक आईडी से लिंक करना बेहद जरूरी है और ये आईडी है आधार आईडी. अब बैंक खाते से लेकर डिजिलॉकर तक हर जगह आधार कार्ड लिंक करना जरूरी है. लेकिन कई बार इस आधार कार्ड में डिटेल गलत भी हो जाती है. इसके अलावा आदार को बैंक और बाकी चीजों से लिंक करने के लिए बायोमैट्रिक कराने की जरूरत होती है.

    ऐसे में UDAI आपको इन डिटेल्स को ठीक करने और अपडेट कराने का मौका भी देता है. इसमें आपको आधार कार्ड बनवाने और अपडेट करवाने के लिए आधार सेंटर पर जाना पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके शहर का आधार सेंटर कहां हैं? आइए हम आपको बताते हैं कि आप अपने शहर के आधार सेंटर के बारे में कैसे चुटकियों में पता कर सकते हैं?

    अगर आप अपने एरिया के सबसे नजदीकी आधार सेंटर का पता करना चाहते हैं तो आप अपने एरिया के पिनकोड की मदद से चुटकियों में ये पता कर सकते हैं. आपको इसके लिए ये स्टेप्स फॉलो करने हैं- 
    1. सबसे पहले आधार कार्ड की आधिकारिक वेबसाइट uidai.gov.in पर जाना है. 
    2. फिर आपको ‘Get Aadhaar’ के सेक्शन में जाकर ‘Locate an Enrolment Center’ के ऑप्शन पर क्लिक करना हैं. 
    3. इसके बाद आपकी स्क्रीन पर एक नया पेज ओपन होगा जहां आपको तीन ऑप्शन दिखाई देंगे. 
    4. इन ऑप्शन में आपको स्टेट ,पोस्टल पिन कोड और सर्च बॉक्स का ऑप्शन दिखेगा. 
    5. यहां आपको पोस्टल पिन कोड पर क्लिक करना है.
    6. इसके बाद आपकी स्क्रीन पर एक नया पेज खुलेगा, जहां आपको अपने क्षेत्र का 6 नंबर का पिन कोड डाल देना है. 
    7. फिर कैप्चा कोड भर देना है और ‘Locate a Centre’ पर क्लिक करना है. 
    8. क्लिक करते ही आपकी स्क्रीन के सामने आपके एरिया में मौजूद तमाम आधार सेंटर्स की लिस्ट सामने आ जाएगी. 

    इसके अलावा अब तो मॉडर्न टेक्नोलॉजी से आप घर बैठे ही अपना आधार कार्ड अपडेट कर सकते हैं और आपको इसके लिए आधार सेंटर जाने की भी कोई जरूरत नहीं है. आप ऑनलाइन ही आधार कार्ड में अपना एड्रेस बदल सकते हैं. इसके लिए आपको अपने वैलिड डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी. इसके बाद आप आधार कार्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना एड्रेस अपडेट कर सकते हैं.

    इसे भी पढ़ें: दिल्ली-एनसीआर में ये पटाखे जलाए तो हो सकती है जेल, जान लीजिए नियम

    आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं. 

    दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की. 

    साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं. 

    घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.

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  • सलमान खान ने रजत बेदी को दिखा दिया था 'राधे' से बाहर का रास्ता? एक्टर ने किया खुलासा

    सलमान खान ने रजत बेदी को दिखा दिया था 'राधे' से बाहर का रास्ता? एक्टर ने किया खुलासा

    बॉलीवुड एक्टर रजत बेदी लंबे समय के बाद किसी प्रोजेक्ट में नजर आए हैं. रजत बेदी ने आर्यन खान की वेब सीरीज द बैड्स ऑफ बॉलीवुड से वापसी की है. इस सीरीज में उन्होंने जराज सक्सेना का किरदार निभाया है और उन्हें काफी पसंद भी किया गया है. पहले रजत सलमान खान की राधे के साथ कमबैक करना चाहते थे.रजत बेदी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि सलमान खान ने उन्हें राधे न करने के लिए कहा था क्योंकि वो रजत के कैलीबर का नहीं था. इस बात को लोगों ने गलत तरीके से ले लिया था. जिसके बाद अब  रजत बेदी ने इसे लेकर सफाई दी है.

    रजत बेदी ने दी सफाई
    स्क्रीन को दिए इंटरव्यू में रजत बेदी ने सलमान खान संग अनबन की अफवाहों पर विराम लगाया है. उन्होंने कहा-ग़लत जानकारी, बिलकुल गलत जानकारी! सलमान भाई मुझे बहुत प्यार करते हैं. सलमान भाई मेरा और मेरे परिवार का बहुत सम्मान करते हैं. मैं तीसरी पीढ़ी के फिल्मी परिवार से हूं. वो मेरे बेटे से भी बहुत प्यार करते हैं. मैं भाई से प्यार करता हूं. प्लीज गलत जानकारी फैलाना बंद करो.

    रजत ने आगे कहा- भाई की प्रोडक्शन कंपनी ने मुझे राधे के लिए फोन किया था. भाई भी मुझे ढूंढ रहे थे. जब उन्हें पता चला कि कौन से रोल के लिए उनकी टीम ने मुझे बुलाया है तो, उन्होंने मुझे कहा- तू ये रोल नहीं करेगा बेटा. मैं तुझे कुछ बढ़िया काम दूंगा. कोई नेगेटिविटी नहीं है. भाई मेरे इंटरेस्ट का देख रहे थे. वो मुझे बचाना चाहते थे. तो प्लीज गलत जानकारी देना बंद करो.

    वर्कफ्रंट की बात करें तो सलमान खान इन दिनों गलवान घाटी पर बन रही अपनी फिल्म की तैयारियों में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ रजत बेदी द बैड्स ऑफ बॉलीवुड की सक्सेस एंजॉय कर रहे हैं.

    ये भी पढ़ें: Bhagwat chapter 1 Review: एक अच्छी सस्पेंस थ्रिलर, पंचायत के सचिव जी देंगे तगड़ा झटका, अरशद की कमाल एक्टिंग

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  • एन. रघुरामन का कॉलम:इस दीपावली बच्चों के लिए ‘टाइम यूज सर्वे' तैयार करें

    एन. रघुरामन का कॉलम:इस दीपावली बच्चों के लिए ‘टाइम यूज सर्वे' तैयार करें

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    • N. Raghuraman’s Column: This Diwali, Prepare A ‘time Use Survey’ For Children

    59 मिनट पहले
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    एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

    ‘तुम्हारे पास कौन-कौन-से पटाखे हैं?’ कक्षा में एक लड़के ने दूसरे के कान में फुसफुसाते हुए पूछा। दूसरा जवाब दे पाता, इससे पहले ही शिक्षक ने इन छात्रों को देख लिया और एक-दूसरे से अलग कर दिया। यह देखते हुए कि पढ़ाए जा रहे विषय पर किसी का ध्यान नहीं है, शिक्षक ने पढ़ाना बंद कर होमवर्क की सूची समझानी शुरू की- जो दीपावली की छुट्टियों में सभी को करना होता है। और यह वही दिन है, जो साल-दर-साल दीपावली की छुट्टियाें से पहले स्कूल के आखिरी दिन होता है। और स्कूली बच्चों के अनुसार वह शुभ दिन आज शाम 5 बजे से शुरू होता है।

    हम सभी ने इस त्योहार की सुबह और शाम में हवा की ठंडक महसूस की है। दोपहर का अधिकांश समय हम पटाखों को धूप में, छत या टेरेस पर रखने में बिताते थे। हर कुछ मिनटों में वहां जाकर पटाखों को उलटते-पुलटते, जैसे हमारी मां रसोई में रोटी पलटती थीं।

    यह एक गतिविधि थी। दीपावली से पहले की बहुत सारी ऐसी गतिविधियां होती थीं। सफाई में मां की मदद से लेकर त्योहार के लिए भूली हुई चीजें लाने के लिए नजदीकी दुकान तक दौड़ना- हमारा अधिकांश समय मां की सहायता में बीतता। नए कपड़े देखना, टेलर के यहां जाना और समय से सिलाई पूरी करने के लिए उसके पीछे पड़े रहना एक और काम था।

    पिताजी के काम से लौटने पर उनके साथ जाना और साइकिल पर सामान लादकर लाना, एक अलग काम था। बाजार में दूसरों की बातचीत देखना, उनके मोलभाव के तरीके सीखना, किसी दुकानदार के बारे में उनकी टिप्पणी सुनना जैसे ‘उससे सामान नहीं लेना चाहिए, वह बड़ा धोखेबाज है।’ इससे हमें दुनियादारी की समझ मिलती थी।

    आज की तरह यदि उस वक्त ‘टाइम यूज सर्वे’ हाेता तो यकीन मानिए कि अधिकांश समय ‘त्योहारी दिनों में माता-पिता की विभिन्न गतिविधियों में मदद’ की श्रेणी में आता।लेकिन आज दुनिया बदल गई है। बीते एक दशक या शायद उससे भी अधिक समय में, हमारे बच्चों, खासकर लड़कों ने गेमिंग पर बिताए जाने वाले औसत समय को दोगुने से भी अधिक कर लिया है।

    युवा लड़कों के लिए वीडियो गेमिंग एक सोशल एक्टिविटी बन गई है। हाल में हुए अमेरिका टाइम यूज सर्वे के चौंकाने वाले परिणाम रहे हैं। इस सबसे बड़े फेडरल सर्वे में हर साल हजारों बच्चों से पूछा जाता है कि उन्होंने दिन के हर मिनट में क्या किया? शोधकर्ताओं का कहना है कि लड़कों और गेमिंग को लेकर हुए इस सर्वे में गेमिंग के एक सामाजिक पहलू को छोड़ दिया गया है।

    अधिकतर टीनएजर्स दूसरों के साथ गेम खेलते हैं, भले ही वे शारीरिक रूप से उनके साथ मौजूद हों। गेम खेलते समय वे दोस्तों से बात करते हैं, जैसे कि फेसटाइम पर। यह लड़कों के लिए अपनी कम्युनिटी बनाने और दूसरों से जुड़ाव मससूस करने का मौका होता है। कम से कम 97% लड़के ऑनलाइन गेम खेलते हैं, जबकि 73% लड़कियां ऐसा करती हैं।

    लड़के ऑनलाइन गेम खेलने में कहीं अधिक समय बिताते हैं। हो सकता है कि वीडियो गेम खेलने से उनकी विकासात्मक जरूरतें पूरी होती हों। मसलन, क्षमता निर्माण, महारत हासिल करना, अवतार बनाना और दुनिया को एक्सप्लोर कर सहपाठियों से जुड़ना। ये वो चीजें हैं, जिनकी सभी किशोर लालसा करते हैं। लेकिन उन्हें दुनिया से जोड़ने वाली इस नई तकनीक के जोखिम भी हैं। बच्चे इसमें पूरी तरह डूब जाते हैं और यह लत लगाने वाला भी है।

    हमारे त्योहार उपरोक्त सभी गुणों को सिखाने की क्षमता रखते हैं। बच्चों से कहें कि बाहर जाएं, मोलभाव करें, रिश्तेदारों से मिलें। उन्हें खरीदारी के निर्णय करने दें। उनसे गलतियां हो सकती है, लेकिन ये उनके लिए सबक होगा। इससे उन्हें फेस-टु-फेस एक्टिविटी करने और मानवीय भावनाओं को समझने में मदद मिलेगी- कुछ ऐसा जो आज एआई बड़े पैमाने पर नहीं कर सकता।

    फंडा यह है कि बच्चों को गेमिंग कॉन्सोल पर बैठने की अनुमति देने के बजाय दीपावली की छुटि्टयों के दौरान एक ‘टाइम यूज सर्वे’ तैयार करें और इस समय के दौरान स्वयं देखें कि उन्होंने कौन-से मानवीय गुण विकसित किए या सीखे हैं।

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  • कौशिक बसु का कॉलम:देशों में आपसी सहयोग के बिना दुनिया चल नहीं सकेगी

    कौशिक बसु का कॉलम:देशों में आपसी सहयोग के बिना दुनिया चल नहीं सकेगी

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    • Kaushik Basu’s Column: The World Cannot Function Without Mutual Cooperation Among Countries

    59 मिनट पहले
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    कौशिक बसु विश्व बैंक के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट

    ये कठिन समय है। एक तरफ असमानता बढ़ रही है, वहीं कई देशों के राजनेता गरीबों को लाभ पहुंचाने वाले कार्यक्रमों और सेवाओं में कटौती कर रहे हैं। साथ ही वे प्रवासियों और शरणार्थियों के खिलाफ भय और क्रोध को भी भड़का रहे हैं।

    व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा, समृद्धि को बढ़ाना और नागरिकों की सुरक्षा के उनके कथित नेक इरादे खुद को और अपने धनी साथियों को समृद्ध बनाने के एजेंडे के लिए एक छद्म आवरण मात्र होते हैं। राजनीति के व्यवहार में आई इस गिरावट के कई कारण हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक अर्थशास्त्र के व्यवहार में आई गिरावट है।

    अर्थशास्त्र को अकसर एक वैज्ञानिक प्रणाली बताया जाता है। लेकिन वैज्ञानिक निष्कर्ष भी हमारे मूल्यों और निर्णयों को प्रभावित करते हैं और वैज्ञानिक निष्पक्षता के दावों का इस्तेमाल हमारी नैतिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कार्यों को जायज ठहराने के लिए किया जा सकता है।

    वास्तव में, मुख्यधारा के अर्थशास्त्र- विशेष रूप से लंबे समय से प्रचलित नव-उदारवादी विचारधारा, जो विकास, दक्षता, मुक्त बाजार पर जोर देती है- ने लालच, शोषण और विषमता को न केवल उचित ठहराया है, बल्कि प्रोत्साहित भी किया है।

    नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के ‘कैपेबिलिटी एप्रोच’ पर आधारित 2012 के एक अध्ययन में पाया गया था कि शिक्षा लोगों को अधिक केयरिंग और मददगार बनाने में मदद करती है, लेकिन जिस तरह से अर्थशास्त्र पढ़ाया जाता है, यह स्वार्थ को एक सामान्य या वांछनीय नैतिक सिद्धांत के रूप में बढ़ावा दे सकता है।

    एक अन्य नोबेल विजेता अर्थशास्त्री केनेथ एरो ने कहा था, बाजार तब तक काम नहीं कर सकते, जब तक प्रतिस्पर्धी फर्म और व्यक्ति भी अपने पारस्परिक दायित्वों का सम्मान न करें। दूसरे शब्दों में, वे विश्वास और सहयोग पर निर्भर हैं। एरो ने मुख्यधारा के अर्थशास्त्र की उस प्रवृत्ति को भी चुनौती दी, जिसमें स्वतंत्रता और समानता को विरोधाभासी माना जाता है।

    नव-उदारवादी तर्क यह है कि किसी भी मात्रा में असमानता स्वाभाविक है और इसे कम करने का कोई भी हस्तक्षेप स्वतंत्रता को नष्ट करता है। लेकिन कई संदर्भों में स्वतंत्रता और समानता लगभग एक जैसी है। समानता को कमजोर करने वाले कार्य- जैसे हड़ताल या आर्थिक दबाव के अधिक सूक्ष्म रूप- श्रमिकों की स्वतंत्रता को भी काफी सीमित करते हैं।

    वहीं एक छोटे-से कुलीन वर्ग द्वारा अर्थव्यवस्था का दोहन यह दर्शाता है कि औपचारिक लोकतंत्र और स्वतंत्रता एक छद्म है। अंततः, एरो ने लिखा, जो संस्थाएं घोर असमानताओं को जन्म देती हैं, वे मनुष्यों की समानतापूर्ण गरिमा का अपमान हैं।

    दार्शनिक इसाया बर्लिन ने इसका सार प्रस्तुत करते हुए कहा था- भेड़ियों की स्वतंत्रता का अर्थ अकसर भेड़ों की मृत्यु रहा है। यह चेतावनी आज विशेष रूप से दूरदर्शी है, जब न्यस्त स्वार्थों के पास अपने चुने हुए राजनेताओं और उद्देश्यों की ओर आकर्षित करने के लिए अपार संसाधन हैं, साथ ही जनमत को प्रभावित करने के लिए अभूतपूर्व डिजिटल उपकरण भी हैं। जैसा कि एक अन्य नोबेल विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज ने कहा है, एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत की जगह एक डॉलर, एक वोट ने ले ली है।

    लेकिन आर्थिक स्वार्थ तो समस्या का केवल एक पहलू है। उग्र राष्ट्रवाद भी बढ़ती असमानता में योगदान दे रहा है। एक समय था जब राष्ट्र-राज्य आर्थिक जीवन को व्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था थी। प्रगति को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय गौरव की भूमिका होती थी। लेकिन अब सामूहिक लक्ष्यों पर वैश्विक सहयोग का समय है- एक-दूसरे के लिए लाभकारी व्यापार-व्यवस्थाओं से न्यायसंगत और समावेशी जलवायु-कार्रवाई तक। बाजारों की तरह बहुपक्षीय कार्रवाइयां भी परस्पर विश्वास और सहयोग पर निर्भर करती हैं।

    आपसी सहयोग में विश्वास को मजबूत करके, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जैसे बहुपक्षीय संगठन दुनिया के देशों को अपने बलबूते हासिल की जा सकने वाली उपलब्धियों से कहीं ज्यादा हासिल करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन इन जैसी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए हमें अपनी नैतिक दिशा को फिर से जांचना होगा। केवल स्वार्थ पर ध्यान केंद्रित करने को तर्कसंगत मानने या अपनी करुणा को केवल उन लोगों तक सीमित रखने के बजाय- जो हमारे जैसे दिखते, बोलते या प्रार्थना करते हैं- हमें मानवता को अधिक महत्व देना चाहिए।

    एक समय था जब राष्ट्र-राज्य आर्थिक जीवन को व्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था थी। प्रगति को बढ़ावा देने में भी राष्ट्रीय गौरव की अहम भूमिका होती थी। लेकिन अब सामूहिक लक्ष्यों पर वैश्विक सहयोग का समय है। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)

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  • मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम:पाकिस्तान के तमाम मंसूबे एक-एक कर नाकाम हो रहे

    मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम:पाकिस्तान के तमाम मंसूबे एक-एक कर नाकाम हो रहे

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    • Minhaj Merchant’s Column: Pakistan’s Plans Are Failing One By One.

    59 मिनट पहले
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    मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक

    अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत-यात्रा से पाकिस्तान में अफरातफरी मची हुई है। तालिबानी नेता की आठ दिवसीय भारत-यात्रा का एक-एक दिन पाकिस्तान ने बामुश्किल काटा, क्योंकि इसी दौरान अफगानिस्तान से उसकी जंग भी चलती रही।

    उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) प्रमुख नूर वली मेहसूद को मारने के लिए काबुल पर हवाई हमला भी किया, लेकिन इसमें मेहसूद के बजाय उसका बेटा मारा गया। पहले से ही तनावपूर्ण चले आ रहे अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों में आंशिक युद्धविराम के बावजूद अनेक चुनौतियां कायम हैं।

    पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर भारत और अफगानिस्तान के बढ़ते हुए रिश्ते थे और मुत्ताकी की भारत यात्रा ने इसे सही साबित कर दिया। जम्मू-कश्मीर पर भारत की सम्प्रभुता को स्वीकार करके मुत्ताकी ने पाकिस्तान को और आक्रोशित कर दिया है।

    अगस्त 2021 में जब अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेनाएं अफगानिस्तान को तालिबान के हवाले कर वापस लौटी थीं तो पाकिस्तानी नेताओं ने यह सोचकर जश्न मनाया था कि अब अफगानिस्तान पश्चिमी मोर्चे पर उसका रणनीतिक-बेस होगा। लेकिन चार साल बाद तालिबान शासित अफगानिस्तान सामरिक तौर पर उसका शत्रु बन बैठा है।

    अफगानी जमीन से आतंकवादी पाकिस्तान को निशाना बना रहे हैं। वास्तव में, पाकिस्तान अब कई मोर्चों पर हमले झेल रहा है। टीटीपी पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर आत्मघाती हमले कर ही रहा है। इधर, बलूचिस्तान में द बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) ने चीन द्वारा बनाए बुनियादी ढांचों पर हमले तेज कर दिए हैं। खैबर-पख्तूनख्वा के पहाड़ी इलाकों में भी स्वायत्तता की मांग को लेकर स्थानीय उग्रवादी समूहों का विद्रोह बढ़ रहा है।

    साद हुसैन रिजवी के नेतृत्व वाला तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए एक राजनीतिक खतरा है। इस कट्टरपंथी समूह को पाकिस्तानी सेना अपने प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल करती है। इसकी चरमपंथी विचारधारा असीम मुनीर के कट्टर इस्लामवाद से मेल खाती है।

    लेकिन पाकिस्तानी सेना द्वारा पाले जा रहे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूहों के उलट, टीएलपी अकसर पाकिस्तान के हाइब्रिड सिविल-मिलिट्री नेतृत्व के खिलाफ काम करता है। जब मुनीर और शाहबाज शरीफ क्रिप्टो, तेल और रेयर अर्थ सौदों से ट्रम्प को लुभा रहे थे तो टीएलपी ने ट्रम्प की मध्यस्थता वाले इजराइल-हमास शांति समझौते के विरोध में लाहौर से इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास तक मार्च शुरू कर दिया था।

    यह पाकिस्तान की जांची-परखी रणनीति है कि एक तरफ तो उसका नेतृत्व अमेरिका को खुश करता है, जबकि इससे अनजान होने का दिखावा करते हुए टीएलपी जैसे भाड़े के प्रॉक्सी पाकिस्तान में अमेरिका को धमकाते हैं। उद्देश्य यही है कि अमेरिका भी प्रसन्न रहे और पाकिस्तानी अवाम की हमास समर्थक और इोजराइल विरोधी भावनाओं को भी संतुष्ट रखा जाए।

    ऑपरेशन सिंदूर में भारत से मिली शर्मनाक हार के बाद पाकिस्तान फिर से अवसर तलाश रहा है। उसने ट्रम्प की खुशामद की। सऊदी अरब से रक्षा संधि की और ट्रम्प के गाजा शांति समझौते का समर्थन किया। पाकिस्तान-सऊदी सैन्य संबंध दशकों पुराने हैं।

    2015 में जब सऊदी-यूएई संयुक्त सेना ने यमन में हूती विद्रोहियों पर हमला किया तो सऊदी ने ऑपरेशन का नेतृत्व करने के लिए पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख रहील शरीफ को नियुक्त किया था। दस साल बाद भी यह ऑपरेशन हूती विद्रोहियों को हराने में विफल रहा है।

    पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण के मंसूबे विफल हो गए हैं। उलटे, पीओके में बढ़ी हिंसा ने बता दिया है कि वहां के लोगों के मन में गुस्सा भरा है। मुनीर की रणनीति भारत को विरोधी ताकतों से घेरने की थी- पश्चिम में अफगानिस्तान, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में श्रीलंका और उत्तर में नेपाल। लेकिन बांग्लादेश को छोड़कर सभी तिकड़में विफल हो गईं।

    सम्भवत: बांग्लादेश भी अगले साल वहां होने वाले चुनाव के बाद भारत से रिश्तों के आर्थिक लाभ को समझ जाए। अफगानिस्तान ताजा उदाहरण है। यह बताता है कि पाकिस्तान के क्षेत्रीय दांव भी नहीं चल रहे हैं। इमरान को कैद में रखना मुनीर के लिए राजनीतिक संकट भी बन सकता है, क्योंकि मुनीर ने ही इमरान का जेल जाना सुनिश्चित किया था। मुनीर को डर है कि इमरान की लोकप्रियता पाकिस्तान पर फौज के दबदबे को कमजोर कर सकती है।

    मुनीर की रणनीति भारत को घेरने की थी- पश्चिम में अफगानिस्तान, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में श्रीलंका और उत्तर में नेपाल। लेकिन बांग्लादेश को छोड़कर सभी तिकड़में विफल हो गईं। उलटे अफगानों से हमारे ताल्लुक बेहतर हुए हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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  • पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए

    पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए

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    • Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Give Your Children A Protective Shield That Protects Them From Bad Habits

    59 मिनट पहले
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    पं. विजयशंकर मेहता

    वातावरण का अपना प्रभाव होता है। माहौल की अपनी भाषा होती है। कहा जाता है कि स्थितियों को पॉजिटिव रखिए। एक सीधा प्रयोग है। गाय से जुड़ी जितनी वस्तुएं हमारे आसपास होंगी, पॉजिटिविटी आएगी। गाय का दूध, घी, गोबर से बने कंडे और जितनी सामग्री है, इनमें नैसर्गिक पॉजिटिविटी है।

    हमारी संस्कृति में एक तिथि मनाई जाती है- गोवत्स द्वादशी। कहते हैं इसका व्रत राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति ने किया था तो उनको संतान के रूप में ध्रुव प्राप्त हुए थे। उत्तानपाद की एक और रानी थीं सुरुचि, जिनके बेटे का नाम था उत्तम। लेकिन ध्रुव अपने सदाचरण से सारी दुनिया में छा गए और उत्तम लगभग बर्बाद हो गए।

    गोवत्स द्वादशी का यह व्रत संतानों के हित के लिए किया जाता है। संतानें यदि नीति से पाली जाएं तो ध्रुव बन जाएंगी और रुचि से पाली जाएं तो उत्तम की तरह भटक सकती हैं। इसलिए हमारे पारिवारिक जीवन में संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए और उस कवच का नाम है– गो की वस्तुएं।

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  • 5 करोड़ कैश, 1.5 किलो सोना और विदेशी शराब… रिश्वत के आरोप में फंसे DIG के ठिकानों से क्या-क्या हुआ बरामद

    5 करोड़ कैश, 1.5 किलो सोना और विदेशी शराब… रिश्वत के आरोप में फंसे DIG के ठिकानों से क्या-क्या हुआ बरामद

    CBI ने पंजाब पुलिस के रोपड़ रेंज के DIG हरचरण सिंह भुल्लर और एक प्राइवेट शख्स को 8 लाख रुपए की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार अधिकारी 2009 बैच का IPS है और फिलहाल रोपड़ रेंज के DIG के पद पर तैनात था. CBI ने DIG के घर और ठिकानों पर छापेमारी के दौरान कई लग्जरी चीजें बरामद कीं.

    CBI के मुताबिक, DIG पर आरोप है कि उन्होंने एक कारोबारी से उसके खिलाफ दर्ज FIR को सेटल करने और आगे कोई पुलिस कार्रवाई ना करने के बदले 8 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी. इसके अलावा, वो हर महीने अवैध रूप से पैसे लेने की भी मांग कर रहा था.

    DIG को रंगे हाथ पकड़ने के लिए CBI ने रचा खेल

    CBI ने शिकायत मिलने के बाद 16 अक्टूबर को केस दर्ज किया और चंडीगढ़ के सेक्टर-21 में जाल बिछाकर आरोपी के मिडिलमैन को 8 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा. CBI ने बताया कि ट्रैप के दौरान शिकायतकर्ता ने DIG को कंट्रोल्ड कॉल की, जिसमें अधिकारी ने पैसे मिलने की बात स्वीकार की और मिडिलमैन व शिकायतकर्ता को अपने दफ्तर बुलाया. इसके बाद CBI टीम ने DIG को उनके ऑफिस से गिरफ्तार कर लिया. 

    छापेमारी के दौरान CBI को DIG के घरों और ठिकानों से भारी मात्रा में कैश और कीमती सामान मिला, जिनमें करीब 5 करोड़ नकद (अब तक की गिनती जारी है), 1.5 किलो सोना और ज्वेलरी, पंजाब में प्रॉपर्टी से जुड़े कई दस्तावेज, Mercedes और Audi कारों की चाबियां और 22 महंगी घड़ियां शामिल हैं. 

    विदेशी शराब की बोतलें और गन भी बरामद

    इसके अलावा घर और ठिकानों से लॉकर की चाबियां, 40 लीटर विदेशी शराब की बोतलें, एक डबल बैरल गन, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर, एक एयरगन बरामद हुए हैं. वहीं मिडिलमैन के पास से CBI ने 21 लाख नकद भी बरामद किए हैं. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें 17 अक्टूबर को कोर्ट में पेश किया जाएगा. CBI ने कहा है कि मामले में आगे की तलाशी और जांच जारी है.

    ये भी पढ़ें:- इजरायली हमले में हूती विद्रोहियों के सेना प्रमुख मुहम्मद अल-गमारी की मौत, संगठन ने दी चेतावनी

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  • बिहार में किसकी बननी चाहिए सरकार? भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने दिया ऐसा जवाब

    बिहार में किसकी बननी चाहिए सरकार? भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने दिया ऐसा जवाब

    बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस बीच भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने कहा कि मैं यही अपेक्षा करती हूं कि जो बिहार के विकास के लिए काम करे, हमारे बिहार से लोगों का पलायन रोके, ऐसी ही सरकार बननी चाहिए. इसके साथ ही खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी के चुनाव लड़ने के सवाल पर एक्ट्रेस ने उन्हें जीत के लिए शुभकामनाएं. आम्रपाली दुबे ने भोजपुरी एक्टर पवन सिंह और उनकी पत्नी ज्योति के बीच विवाद पर भी अपनी बात रखी.

    भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने कहा, ”इस बार बिहार का चुनावी मुद्दा विकास और पलायन है. जब ऐसे विकास मेरे बिहार में हो रहा है, वही एयरपोर्ट पहले कम कर्मचारियों में चलता था, आज इतने बड़े एयरपोर्ट को रन करने के लिए स्टाफ ज्यादा है, जब स्टाफ की संख्या ज्यादा है इसका मतलब वैकेंसी ज्यादा है. मैं चाहती हूं कि ऐसे ही हमारे बिहार में विकास होता रहे ताकि यहां के बच्चे यहीं रहें. यहीं कमाएं और यहीं अपने घर पर छठ मनाएं. यही हमारी अपेक्षा है.” 

    जब उनसे पूछ गया कि बहुत सारे भोजपुरी सिंगर और लोक गायक पॉलिटिक्स में आ रहे हैं, ऐसा क्यों हो रहा है? इस पर आम्रपाली दुबे ने कहा, ”मुझे लगता है कि हर जिम्मेदार नागरिक को लगता है कि ये उनका दायित्व है कि वो अपना योगदान राजनीति में भी दे. इसी हिसाब से शायद लोग राजनीति में जा रहे हैं.” 

    न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, ”मुझे बहुत गर्व होता है जब मैं देखती हूं कि आदमी एक्टर होता है, सिंगर होता है तो हर दिन शोज कर रहा होता है, हर वक्त व्यस्त है. एक बार जब वो राजनीति में आ जाता है तो उसको ज्यादा समय देकर इस कर्तव्य का निर्वहन करना पड़ता है. राजनीति सबसे कठिन जॉब है, जब अपने स्टारडम को छोड़कर एक्टर जब ये काम करते हैं तो मुझे गर्व होता है.” 

    क्या आप भी पॉलिटिक्स ज्वाइन करेंगी, इस सवाल पर आम्रपाली दुबे ने कहा, ”फिलहाल तो ऐसा नहीं लग रहा है लेकिन हां अगर कभी भी मेरी जरूरत राजनीति में आने की पड़ी तो हम वहां भी जाएंगे.” 

    ज्योति सिंह और पवन सिंह के बीच विवाद को लेकर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ”मैं बस इतना कहूंगी कि पवन सिंह और ज्योति जी के बीच जो भी हो रहा है, वो सब कोर्ट का मामला है. जज के सामने अभी ये केस चल रहा है. मुझे नहीं लगता है कि हमलोगों को इसके बारे में कुछ भी बात करनी चाहिए. दोनों समझदार हैं और व्यस्क है. वो अपने बीच के मनमुटाव को खुद ही सुलझा लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.”

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  • दिवाली से पहले योगी सरकार का बड़ा तोहफा, महंगाई भत्ते में किया इजाफा

    दिवाली से पहले योगी सरकार का बड़ा तोहफा, महंगाई भत्ते में किया इजाफा

    दीपावली पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा उपहार दिया है. प्रदेश के 28 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते में 3 फीसदी का इजाफा किया गया है. मुख्यमंत्री की ओर से ये बड़ा निर्णय व्यापक हित में लिया गया है. सरकार मार्च 2026 तक 1960 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार वहन करेगी सरकार. अब महंगाई भत्ता 55 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो गया है.

    योगी आदित्यनाथ सरकार का ये निर्णय 01 जुलाई 2025 से लागू होगा. मुख्यमंत्री ने कहा, ”कर्मचारियों और पेंशनरों के हितों के प्रति सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. महंगाई से राहत और जीवन स्तर सुधार के लिए योगी सरकार का संवेदनशील कदम माना जा रहा है.

    मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश हैं कि बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता और राहत अक्टूबर 2025 से नकद भुगतान के रूप में मिले. नवंबर 2025 में 795 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नकद व्ययभार आएगा. ओपीएस कार्मिकों के जीपीएफ में 185 करोड़ रुपये जमा होंगे. जुलाई से सितंबर 2025 के एरियर भुगतान पर सरकार 550 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त भार उठाएगी. राज्य सरकार दिसंबर 2025 से हर माह 245 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार वहन करेगी.

    इससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के मौके पर सरकारी कर्मचारियों को बोनस देने का निर्देश दिया है. दीपावली से पहले राज्य के 14.82 लाख अराजपत्रित राज्यकर्मियों को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बोनस दिए जाने का ऐलान किया. कर्मचारियों को यह बोनस मासिक परिलब्धियों की अधिकतम सीमा 7000 रुपये के आधार पर 30 दिनों की परिलब्धियों के बराबर मिलेगा. हर कर्मचारी को बोनस के रूप में 6,908 रुपये दिए जाएंगे.

    सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान कहा था, ”यह बोनस कर्मचारियों की मेहनत, निष्ठा और योगदान के प्रति राज्य सरकार की ओर से सम्मान का प्रतीक है.” बहरहाल राज्य सरकार की ओर से महंगाई भत्ता बढ़ाने के साथ-साथ बोनस दिए जाने के फैसले से सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर है. 

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