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    कौशिक बसु का कॉलम:देशों में आपसी सहयोग के बिना दुनिया चल नहीं सकेगी

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    • Kaushik Basu’s Column: The World Cannot Function Without Mutual Cooperation Among Countries

    59 मिनट पहले
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    कौशिक बसु विश्व बैंक के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट

    ये कठिन समय है। एक तरफ असमानता बढ़ रही है, वहीं कई देशों के राजनेता गरीबों को लाभ पहुंचाने वाले कार्यक्रमों और सेवाओं में कटौती कर रहे हैं। साथ ही वे प्रवासियों और शरणार्थियों के खिलाफ भय और क्रोध को भी भड़का रहे हैं।

    व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा, समृद्धि को बढ़ाना और नागरिकों की सुरक्षा के उनके कथित नेक इरादे खुद को और अपने धनी साथियों को समृद्ध बनाने के एजेंडे के लिए एक छद्म आवरण मात्र होते हैं। राजनीति के व्यवहार में आई इस गिरावट के कई कारण हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक अर्थशास्त्र के व्यवहार में आई गिरावट है।

    अर्थशास्त्र को अकसर एक वैज्ञानिक प्रणाली बताया जाता है। लेकिन वैज्ञानिक निष्कर्ष भी हमारे मूल्यों और निर्णयों को प्रभावित करते हैं और वैज्ञानिक निष्पक्षता के दावों का इस्तेमाल हमारी नैतिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कार्यों को जायज ठहराने के लिए किया जा सकता है।

    वास्तव में, मुख्यधारा के अर्थशास्त्र- विशेष रूप से लंबे समय से प्रचलित नव-उदारवादी विचारधारा, जो विकास, दक्षता, मुक्त बाजार पर जोर देती है- ने लालच, शोषण और विषमता को न केवल उचित ठहराया है, बल्कि प्रोत्साहित भी किया है।

    नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के ‘कैपेबिलिटी एप्रोच’ पर आधारित 2012 के एक अध्ययन में पाया गया था कि शिक्षा लोगों को अधिक केयरिंग और मददगार बनाने में मदद करती है, लेकिन जिस तरह से अर्थशास्त्र पढ़ाया जाता है, यह स्वार्थ को एक सामान्य या वांछनीय नैतिक सिद्धांत के रूप में बढ़ावा दे सकता है।

    एक अन्य नोबेल विजेता अर्थशास्त्री केनेथ एरो ने कहा था, बाजार तब तक काम नहीं कर सकते, जब तक प्रतिस्पर्धी फर्म और व्यक्ति भी अपने पारस्परिक दायित्वों का सम्मान न करें। दूसरे शब्दों में, वे विश्वास और सहयोग पर निर्भर हैं। एरो ने मुख्यधारा के अर्थशास्त्र की उस प्रवृत्ति को भी चुनौती दी, जिसमें स्वतंत्रता और समानता को विरोधाभासी माना जाता है।

    नव-उदारवादी तर्क यह है कि किसी भी मात्रा में असमानता स्वाभाविक है और इसे कम करने का कोई भी हस्तक्षेप स्वतंत्रता को नष्ट करता है। लेकिन कई संदर्भों में स्वतंत्रता और समानता लगभग एक जैसी है। समानता को कमजोर करने वाले कार्य- जैसे हड़ताल या आर्थिक दबाव के अधिक सूक्ष्म रूप- श्रमिकों की स्वतंत्रता को भी काफी सीमित करते हैं।

    वहीं एक छोटे-से कुलीन वर्ग द्वारा अर्थव्यवस्था का दोहन यह दर्शाता है कि औपचारिक लोकतंत्र और स्वतंत्रता एक छद्म है। अंततः, एरो ने लिखा, जो संस्थाएं घोर असमानताओं को जन्म देती हैं, वे मनुष्यों की समानतापूर्ण गरिमा का अपमान हैं।

    दार्शनिक इसाया बर्लिन ने इसका सार प्रस्तुत करते हुए कहा था- भेड़ियों की स्वतंत्रता का अर्थ अकसर भेड़ों की मृत्यु रहा है। यह चेतावनी आज विशेष रूप से दूरदर्शी है, जब न्यस्त स्वार्थों के पास अपने चुने हुए राजनेताओं और उद्देश्यों की ओर आकर्षित करने के लिए अपार संसाधन हैं, साथ ही जनमत को प्रभावित करने के लिए अभूतपूर्व डिजिटल उपकरण भी हैं। जैसा कि एक अन्य नोबेल विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज ने कहा है, एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत की जगह एक डॉलर, एक वोट ने ले ली है।

    लेकिन आर्थिक स्वार्थ तो समस्या का केवल एक पहलू है। उग्र राष्ट्रवाद भी बढ़ती असमानता में योगदान दे रहा है। एक समय था जब राष्ट्र-राज्य आर्थिक जीवन को व्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था थी। प्रगति को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय गौरव की भूमिका होती थी। लेकिन अब सामूहिक लक्ष्यों पर वैश्विक सहयोग का समय है- एक-दूसरे के लिए लाभकारी व्यापार-व्यवस्थाओं से न्यायसंगत और समावेशी जलवायु-कार्रवाई तक। बाजारों की तरह बहुपक्षीय कार्रवाइयां भी परस्पर विश्वास और सहयोग पर निर्भर करती हैं।

    आपसी सहयोग में विश्वास को मजबूत करके, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जैसे बहुपक्षीय संगठन दुनिया के देशों को अपने बलबूते हासिल की जा सकने वाली उपलब्धियों से कहीं ज्यादा हासिल करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन इन जैसी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए हमें अपनी नैतिक दिशा को फिर से जांचना होगा। केवल स्वार्थ पर ध्यान केंद्रित करने को तर्कसंगत मानने या अपनी करुणा को केवल उन लोगों तक सीमित रखने के बजाय- जो हमारे जैसे दिखते, बोलते या प्रार्थना करते हैं- हमें मानवता को अधिक महत्व देना चाहिए।

    एक समय था जब राष्ट्र-राज्य आर्थिक जीवन को व्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था थी। प्रगति को बढ़ावा देने में भी राष्ट्रीय गौरव की अहम भूमिका होती थी। लेकिन अब सामूहिक लक्ष्यों पर वैश्विक सहयोग का समय है। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)

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  • मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम:पाकिस्तान के तमाम मंसूबे एक-एक कर नाकाम हो रहे

    मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम:पाकिस्तान के तमाम मंसूबे एक-एक कर नाकाम हो रहे

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    • Minhaj Merchant’s Column: Pakistan’s Plans Are Failing One By One.

    59 मिनट पहले
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    मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक

    अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत-यात्रा से पाकिस्तान में अफरातफरी मची हुई है। तालिबानी नेता की आठ दिवसीय भारत-यात्रा का एक-एक दिन पाकिस्तान ने बामुश्किल काटा, क्योंकि इसी दौरान अफगानिस्तान से उसकी जंग भी चलती रही।

    उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) प्रमुख नूर वली मेहसूद को मारने के लिए काबुल पर हवाई हमला भी किया, लेकिन इसमें मेहसूद के बजाय उसका बेटा मारा गया। पहले से ही तनावपूर्ण चले आ रहे अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों में आंशिक युद्धविराम के बावजूद अनेक चुनौतियां कायम हैं।

    पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर भारत और अफगानिस्तान के बढ़ते हुए रिश्ते थे और मुत्ताकी की भारत यात्रा ने इसे सही साबित कर दिया। जम्मू-कश्मीर पर भारत की सम्प्रभुता को स्वीकार करके मुत्ताकी ने पाकिस्तान को और आक्रोशित कर दिया है।

    अगस्त 2021 में जब अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेनाएं अफगानिस्तान को तालिबान के हवाले कर वापस लौटी थीं तो पाकिस्तानी नेताओं ने यह सोचकर जश्न मनाया था कि अब अफगानिस्तान पश्चिमी मोर्चे पर उसका रणनीतिक-बेस होगा। लेकिन चार साल बाद तालिबान शासित अफगानिस्तान सामरिक तौर पर उसका शत्रु बन बैठा है।

    अफगानी जमीन से आतंकवादी पाकिस्तान को निशाना बना रहे हैं। वास्तव में, पाकिस्तान अब कई मोर्चों पर हमले झेल रहा है। टीटीपी पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर आत्मघाती हमले कर ही रहा है। इधर, बलूचिस्तान में द बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) ने चीन द्वारा बनाए बुनियादी ढांचों पर हमले तेज कर दिए हैं। खैबर-पख्तूनख्वा के पहाड़ी इलाकों में भी स्वायत्तता की मांग को लेकर स्थानीय उग्रवादी समूहों का विद्रोह बढ़ रहा है।

    साद हुसैन रिजवी के नेतृत्व वाला तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए एक राजनीतिक खतरा है। इस कट्टरपंथी समूह को पाकिस्तानी सेना अपने प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल करती है। इसकी चरमपंथी विचारधारा असीम मुनीर के कट्टर इस्लामवाद से मेल खाती है।

    लेकिन पाकिस्तानी सेना द्वारा पाले जा रहे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूहों के उलट, टीएलपी अकसर पाकिस्तान के हाइब्रिड सिविल-मिलिट्री नेतृत्व के खिलाफ काम करता है। जब मुनीर और शाहबाज शरीफ क्रिप्टो, तेल और रेयर अर्थ सौदों से ट्रम्प को लुभा रहे थे तो टीएलपी ने ट्रम्प की मध्यस्थता वाले इजराइल-हमास शांति समझौते के विरोध में लाहौर से इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास तक मार्च शुरू कर दिया था।

    यह पाकिस्तान की जांची-परखी रणनीति है कि एक तरफ तो उसका नेतृत्व अमेरिका को खुश करता है, जबकि इससे अनजान होने का दिखावा करते हुए टीएलपी जैसे भाड़े के प्रॉक्सी पाकिस्तान में अमेरिका को धमकाते हैं। उद्देश्य यही है कि अमेरिका भी प्रसन्न रहे और पाकिस्तानी अवाम की हमास समर्थक और इोजराइल विरोधी भावनाओं को भी संतुष्ट रखा जाए।

    ऑपरेशन सिंदूर में भारत से मिली शर्मनाक हार के बाद पाकिस्तान फिर से अवसर तलाश रहा है। उसने ट्रम्प की खुशामद की। सऊदी अरब से रक्षा संधि की और ट्रम्प के गाजा शांति समझौते का समर्थन किया। पाकिस्तान-सऊदी सैन्य संबंध दशकों पुराने हैं।

    2015 में जब सऊदी-यूएई संयुक्त सेना ने यमन में हूती विद्रोहियों पर हमला किया तो सऊदी ने ऑपरेशन का नेतृत्व करने के लिए पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख रहील शरीफ को नियुक्त किया था। दस साल बाद भी यह ऑपरेशन हूती विद्रोहियों को हराने में विफल रहा है।

    पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण के मंसूबे विफल हो गए हैं। उलटे, पीओके में बढ़ी हिंसा ने बता दिया है कि वहां के लोगों के मन में गुस्सा भरा है। मुनीर की रणनीति भारत को विरोधी ताकतों से घेरने की थी- पश्चिम में अफगानिस्तान, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में श्रीलंका और उत्तर में नेपाल। लेकिन बांग्लादेश को छोड़कर सभी तिकड़में विफल हो गईं।

    सम्भवत: बांग्लादेश भी अगले साल वहां होने वाले चुनाव के बाद भारत से रिश्तों के आर्थिक लाभ को समझ जाए। अफगानिस्तान ताजा उदाहरण है। यह बताता है कि पाकिस्तान के क्षेत्रीय दांव भी नहीं चल रहे हैं। इमरान को कैद में रखना मुनीर के लिए राजनीतिक संकट भी बन सकता है, क्योंकि मुनीर ने ही इमरान का जेल जाना सुनिश्चित किया था। मुनीर को डर है कि इमरान की लोकप्रियता पाकिस्तान पर फौज के दबदबे को कमजोर कर सकती है।

    मुनीर की रणनीति भारत को घेरने की थी- पश्चिम में अफगानिस्तान, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में श्रीलंका और उत्तर में नेपाल। लेकिन बांग्लादेश को छोड़कर सभी तिकड़में विफल हो गईं। उलटे अफगानों से हमारे ताल्लुक बेहतर हुए हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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  • पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए

    पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए

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    • Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Give Your Children A Protective Shield That Protects Them From Bad Habits

    59 मिनट पहले
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    पं. विजयशंकर मेहता

    वातावरण का अपना प्रभाव होता है। माहौल की अपनी भाषा होती है। कहा जाता है कि स्थितियों को पॉजिटिव रखिए। एक सीधा प्रयोग है। गाय से जुड़ी जितनी वस्तुएं हमारे आसपास होंगी, पॉजिटिविटी आएगी। गाय का दूध, घी, गोबर से बने कंडे और जितनी सामग्री है, इनमें नैसर्गिक पॉजिटिविटी है।

    हमारी संस्कृति में एक तिथि मनाई जाती है- गोवत्स द्वादशी। कहते हैं इसका व्रत राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति ने किया था तो उनको संतान के रूप में ध्रुव प्राप्त हुए थे। उत्तानपाद की एक और रानी थीं सुरुचि, जिनके बेटे का नाम था उत्तम। लेकिन ध्रुव अपने सदाचरण से सारी दुनिया में छा गए और उत्तम लगभग बर्बाद हो गए।

    गोवत्स द्वादशी का यह व्रत संतानों के हित के लिए किया जाता है। संतानें यदि नीति से पाली जाएं तो ध्रुव बन जाएंगी और रुचि से पाली जाएं तो उत्तम की तरह भटक सकती हैं। इसलिए हमारे पारिवारिक जीवन में संतानों को ऐसा रक्षा कवच दें, जो दुर्गुणों से उन्हें बचाए और उस कवच का नाम है– गो की वस्तुएं।

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  • 5 करोड़ कैश, 1.5 किलो सोना और विदेशी शराब… रिश्वत के आरोप में फंसे DIG के ठिकानों से क्या-क्या हुआ बरामद

    5 करोड़ कैश, 1.5 किलो सोना और विदेशी शराब… रिश्वत के आरोप में फंसे DIG के ठिकानों से क्या-क्या हुआ बरामद

    CBI ने पंजाब पुलिस के रोपड़ रेंज के DIG हरचरण सिंह भुल्लर और एक प्राइवेट शख्स को 8 लाख रुपए की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार अधिकारी 2009 बैच का IPS है और फिलहाल रोपड़ रेंज के DIG के पद पर तैनात था. CBI ने DIG के घर और ठिकानों पर छापेमारी के दौरान कई लग्जरी चीजें बरामद कीं.

    CBI के मुताबिक, DIG पर आरोप है कि उन्होंने एक कारोबारी से उसके खिलाफ दर्ज FIR को सेटल करने और आगे कोई पुलिस कार्रवाई ना करने के बदले 8 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी. इसके अलावा, वो हर महीने अवैध रूप से पैसे लेने की भी मांग कर रहा था.

    DIG को रंगे हाथ पकड़ने के लिए CBI ने रचा खेल

    CBI ने शिकायत मिलने के बाद 16 अक्टूबर को केस दर्ज किया और चंडीगढ़ के सेक्टर-21 में जाल बिछाकर आरोपी के मिडिलमैन को 8 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा. CBI ने बताया कि ट्रैप के दौरान शिकायतकर्ता ने DIG को कंट्रोल्ड कॉल की, जिसमें अधिकारी ने पैसे मिलने की बात स्वीकार की और मिडिलमैन व शिकायतकर्ता को अपने दफ्तर बुलाया. इसके बाद CBI टीम ने DIG को उनके ऑफिस से गिरफ्तार कर लिया. 

    छापेमारी के दौरान CBI को DIG के घरों और ठिकानों से भारी मात्रा में कैश और कीमती सामान मिला, जिनमें करीब 5 करोड़ नकद (अब तक की गिनती जारी है), 1.5 किलो सोना और ज्वेलरी, पंजाब में प्रॉपर्टी से जुड़े कई दस्तावेज, Mercedes और Audi कारों की चाबियां और 22 महंगी घड़ियां शामिल हैं. 

    विदेशी शराब की बोतलें और गन भी बरामद

    इसके अलावा घर और ठिकानों से लॉकर की चाबियां, 40 लीटर विदेशी शराब की बोतलें, एक डबल बैरल गन, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर, एक एयरगन बरामद हुए हैं. वहीं मिडिलमैन के पास से CBI ने 21 लाख नकद भी बरामद किए हैं. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें 17 अक्टूबर को कोर्ट में पेश किया जाएगा. CBI ने कहा है कि मामले में आगे की तलाशी और जांच जारी है.

    ये भी पढ़ें:- इजरायली हमले में हूती विद्रोहियों के सेना प्रमुख मुहम्मद अल-गमारी की मौत, संगठन ने दी चेतावनी

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  • बिहार में किसकी बननी चाहिए सरकार? भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने दिया ऐसा जवाब

    बिहार में किसकी बननी चाहिए सरकार? भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने दिया ऐसा जवाब

    बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस बीच भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने कहा कि मैं यही अपेक्षा करती हूं कि जो बिहार के विकास के लिए काम करे, हमारे बिहार से लोगों का पलायन रोके, ऐसी ही सरकार बननी चाहिए. इसके साथ ही खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी के चुनाव लड़ने के सवाल पर एक्ट्रेस ने उन्हें जीत के लिए शुभकामनाएं. आम्रपाली दुबे ने भोजपुरी एक्टर पवन सिंह और उनकी पत्नी ज्योति के बीच विवाद पर भी अपनी बात रखी.

    भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने कहा, ”इस बार बिहार का चुनावी मुद्दा विकास और पलायन है. जब ऐसे विकास मेरे बिहार में हो रहा है, वही एयरपोर्ट पहले कम कर्मचारियों में चलता था, आज इतने बड़े एयरपोर्ट को रन करने के लिए स्टाफ ज्यादा है, जब स्टाफ की संख्या ज्यादा है इसका मतलब वैकेंसी ज्यादा है. मैं चाहती हूं कि ऐसे ही हमारे बिहार में विकास होता रहे ताकि यहां के बच्चे यहीं रहें. यहीं कमाएं और यहीं अपने घर पर छठ मनाएं. यही हमारी अपेक्षा है.” 

    जब उनसे पूछ गया कि बहुत सारे भोजपुरी सिंगर और लोक गायक पॉलिटिक्स में आ रहे हैं, ऐसा क्यों हो रहा है? इस पर आम्रपाली दुबे ने कहा, ”मुझे लगता है कि हर जिम्मेदार नागरिक को लगता है कि ये उनका दायित्व है कि वो अपना योगदान राजनीति में भी दे. इसी हिसाब से शायद लोग राजनीति में जा रहे हैं.” 

    न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, ”मुझे बहुत गर्व होता है जब मैं देखती हूं कि आदमी एक्टर होता है, सिंगर होता है तो हर दिन शोज कर रहा होता है, हर वक्त व्यस्त है. एक बार जब वो राजनीति में आ जाता है तो उसको ज्यादा समय देकर इस कर्तव्य का निर्वहन करना पड़ता है. राजनीति सबसे कठिन जॉब है, जब अपने स्टारडम को छोड़कर एक्टर जब ये काम करते हैं तो मुझे गर्व होता है.” 

    क्या आप भी पॉलिटिक्स ज्वाइन करेंगी, इस सवाल पर आम्रपाली दुबे ने कहा, ”फिलहाल तो ऐसा नहीं लग रहा है लेकिन हां अगर कभी भी मेरी जरूरत राजनीति में आने की पड़ी तो हम वहां भी जाएंगे.” 

    ज्योति सिंह और पवन सिंह के बीच विवाद को लेकर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ”मैं बस इतना कहूंगी कि पवन सिंह और ज्योति जी के बीच जो भी हो रहा है, वो सब कोर्ट का मामला है. जज के सामने अभी ये केस चल रहा है. मुझे नहीं लगता है कि हमलोगों को इसके बारे में कुछ भी बात करनी चाहिए. दोनों समझदार हैं और व्यस्क है. वो अपने बीच के मनमुटाव को खुद ही सुलझा लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.”

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  • दिवाली से पहले योगी सरकार का बड़ा तोहफा, महंगाई भत्ते में किया इजाफा

    दिवाली से पहले योगी सरकार का बड़ा तोहफा, महंगाई भत्ते में किया इजाफा

    दीपावली पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा उपहार दिया है. प्रदेश के 28 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते में 3 फीसदी का इजाफा किया गया है. मुख्यमंत्री की ओर से ये बड़ा निर्णय व्यापक हित में लिया गया है. सरकार मार्च 2026 तक 1960 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार वहन करेगी सरकार. अब महंगाई भत्ता 55 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो गया है.

    योगी आदित्यनाथ सरकार का ये निर्णय 01 जुलाई 2025 से लागू होगा. मुख्यमंत्री ने कहा, ”कर्मचारियों और पेंशनरों के हितों के प्रति सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. महंगाई से राहत और जीवन स्तर सुधार के लिए योगी सरकार का संवेदनशील कदम माना जा रहा है.

    मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश हैं कि बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता और राहत अक्टूबर 2025 से नकद भुगतान के रूप में मिले. नवंबर 2025 में 795 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नकद व्ययभार आएगा. ओपीएस कार्मिकों के जीपीएफ में 185 करोड़ रुपये जमा होंगे. जुलाई से सितंबर 2025 के एरियर भुगतान पर सरकार 550 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त भार उठाएगी. राज्य सरकार दिसंबर 2025 से हर माह 245 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार वहन करेगी.

    इससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के मौके पर सरकारी कर्मचारियों को बोनस देने का निर्देश दिया है. दीपावली से पहले राज्य के 14.82 लाख अराजपत्रित राज्यकर्मियों को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बोनस दिए जाने का ऐलान किया. कर्मचारियों को यह बोनस मासिक परिलब्धियों की अधिकतम सीमा 7000 रुपये के आधार पर 30 दिनों की परिलब्धियों के बराबर मिलेगा. हर कर्मचारी को बोनस के रूप में 6,908 रुपये दिए जाएंगे.

    सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान कहा था, ”यह बोनस कर्मचारियों की मेहनत, निष्ठा और योगदान के प्रति राज्य सरकार की ओर से सम्मान का प्रतीक है.” बहरहाल राज्य सरकार की ओर से महंगाई भत्ता बढ़ाने के साथ-साथ बोनस दिए जाने के फैसले से सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर है. 

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  • बुमराह के बिना उतरेगी टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में खेलेंगे भारत के ये 11 धुरंधर! ऐसी होगी प्लेइंग इलेवन

    बुमराह के बिना उतरेगी टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में खेलेंगे भारत के ये 11 धुरंधर! ऐसी होगी प्लेइंग इलेवन

    भारत और ऑस्ट्रेलिया का पहला वनडे मैच 19 अक्टूबर को पर्थ में खेला जाएगा. चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की विजेता बनने के बाद टीम इंडिया अपनी पहली वनडे सीरीज खेल रही होगी. ये शुभमन गिल की बतौर कप्तान पहली एकदिवसीय शृंखला भी होगी, वहीं विराट कोहली और रोहित शर्मा भी चर्चा का केंद्र बने होंगे. ऑस्ट्रेलियाई टूर पर गई टीम इंडिया में युवा और अनुभव का बेजोड़ मिश्रण है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पहले वनडे में टीम इंडिया किस प्लेइंग 11 के साथ उतर सकती है.

    टॉप ऑर्डर- लंबे अरसे से रोहित शर्मा और शुभमन गिल की जोड़ी वनडे में ओपनिंग करती आ रही है. गिल अभी बतौर कप्तान इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में छप्पर फाड़ प्रदर्शन करके आ रहे हैं, जहां उन्होंने 754 रन ठोक डाले थे. अब उनसे बतौर कप्तान अपनी पहली वनडे सीरीज में भी ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद होगी. रोहित शर्मा पिछले कुछ समय में विस्फोटक बैटिंग करते दिखे हैं, वहीं विराट कोहली एक बार फिर नंबर-3 पर खेलते दिखेंगे. उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी में 54 से अधिक औसत से 218 रन बनाए थे.

    मिडिल/लोवर ऑर्डर बैटिंग- चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया के टॉप स्कोरर (243 रन) रहे श्रेयस अय्यर नंबर-4 का जिम्मा संभाल सकते हैं, वो वनडे टीम के उपकप्तान भी हैं. पांचवें क्रम पर 56.48 का औसत रखने वाले केएल राहुल इस बार भी नंबर-5 की जिम्मेदारी ले सकते हैं और विकेटकीपर का रोल भी अदा करेंगे. अक्षर पटेल स्पिन गेंदबाजी ऑलराउंडर के साथ-साथ व्हाइट बॉल मैचों में बढ़िया बल्लेबाजी भी करते आए हैं. इसी साल उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में 53 के औसत से रन बनाए थे. वहीं नितीश कुमार रेड्डी को बतौर तेज गेंदबाजी विकल्प ODI डेब्यू का मौका मिल सकता है. वो टीम में चौथे तेज गेंदबाज का रोल अदा कर सकते हैं.

    गेंदबाज- गेंदबाजी अटैक को मोहम्मद सिराज लीड कर रहे होंगे. दूसरे तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह हो सकते हैं, जिनका लेफ्ट-आर्म एंगल ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर प्रभावी रह सकता है, साथ ही उनके पास स्विंग भी है. तीसरे तेज गेंदबाजी स्लॉट के लिए प्रसिद्ध कृष्ण और हर्षित राणा के बीच टक्कर होगी. टीम के मुख्य स्पिन गेंदबाज कुलदीप यादव हो सकते हैं. बताते चलें कि इस सीरीज में बुमराह नहीं खेलेंगे, क्योंकि उन्हें आराम दिया गया है.

    भारत की संभावित प्लेइंग इलेवन: शुभमन गिल (कप्तान), रोहित शर्मा, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल (विकेटकीपर), अक्षर पटेल, नितीश कुमार रेड्डी, मोहम्मद सिराज, कुलदीप यादव, अर्शदीप सिंह, हर्षित राणा/प्रसिद्ध कृष्णा

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  • सचिन तेंदुलकर के घर में कैसा है सारा और सानिया चंडोक का रिश्ता? नए फोटोज ने नंद-भाभी के रिश्ते का किया खुलासा

    सचिन तेंदुलकर के घर में कैसा है सारा और सानिया चंडोक का रिश्ता? नए फोटोज ने नंद-भाभी के रिश्ते का किया खुलासा

    Sachin Tendulkar Daughter Sara Birthday: सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर ने बेहद ही खास अंदाज में अपना 28वां बर्थडे सेलिब्रेट किया है. सारा ने अपने बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं. सारा तेंदुलकर के शेयर किए फोटो में उनकी फैमिली से केवल उनकी भाभी और अर्जुन तेंदुलकर की मंगेतर सानिया चंडोक नजर आ रही हैं. सारा और सानिया के बीच हमेशा ही एक बेहतर बॉन्डिंग नजर आती है. अपने बर्थडे पर सारा, सानिया के साथ खूब मस्ती करती नजर आ रही हैं.

    भारत के दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर और होने वाली बहू सानिया चंडोक के बीच बेहद ही खास रिश्ता है. सारा, सानिया के साथ कई बार फोटो और वीडियो शेयर करती हैं. सारा तेंदुलकर ने हाल ही में अपने बर्थडे सेलिब्रेशन की तस्वीरें साझा की हैं, जिसमें वे अपनी फ्रेंड्स के साथ एंजॉय करती नजर आ रही हैं. वहीं इन दोस्तों में सारा की भाभी सानिया चंडोक भी शामिल हैं. सानिया और सारा हमेशा ही खास दोस्त की तरह नजर आती हैं.

    A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

    सचिन तेंदुलकर की होने वाली सानिया चंडोक कई मौकों पर परिवार के साथ नजर आती हैं. सानिया फैमिली ट्रिप पर भी तेंदुलकर फैमिली के साथ जा चुकी हैं. वहीं सारा तेंदुलकर की पिलेट्स एकेडमी के उद्घाटन पर भी सानिया पहुंची थी और उन्होंने सचिन और अंजली तेंदुलकर के साथ मिलकर सारा के साथ रिबन काटा था. वहीं सारा ने हाल ही में अपने पेट डॉग के साथ मस्ती करते हुए वीडियो शेयर की थी. सारा और सानिया दोनों को ही जानवरों से ही खूब प्यार है.

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  • PAK ने किया जिसे मारने का दावा, वो निकला जिंदा, वीडियो में TTP चीफ बोला- पाकिस्तान में ही हूं

    PAK ने किया जिसे मारने का दावा, वो निकला जिंदा, वीडियो में TTP चीफ बोला- पाकिस्तान में ही हूं

    पाकिस्तान की सेना ने पिछले गुरुवार (9 अक्टूबर, 2025) को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के जिस प्रमुख नूर वली महसूद को मारने के लिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हवाई हमला किया था और अफगानिस्तान के साथ न सिर्फ अपने रिश्ते बिगाड़े बल्कि दो बार दोनों सेनाओं के भीषण टकराव भी हुआ, वो तहरीक-ए-तालिबान का प्रमुख नूर वली महसूद जिंदा निकला.

    इतना ही नहीं, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का प्रमुख नूर वली महसूद, जिसके अफगानिस्तान में छुपे होने का दावा पाकिस्तान कर रहा है और अफगानिस्तान पर अंधाधुंध हमले कर रहा है वो पाकिस्तान की धरती पर घूम रहा है और वीडियो बना रहा है.

    टीटीपी ने नूर वली महसूद का जारी किया वीडियो

    आज गुरुवार (16 अक्टूबर, 2025) को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आधिकारिक चैनल उमर मीडिया की तरफ से उसके प्रमुख नूर वली महसूद उर्फ अबू मंसूर असीम की 7 मिनट 55 सेकंड की वीडियो जारी की गई, जिसके मुताबिक नूर वली महसूद पाकिस्तान के ही खैबर पख्तूनख़्वाह प्रांत के खैबर जिले की पहाड़ी क्षेत्र में रह रहा है, न कि अफगानिस्तान में. इसके साथ ही तहरीक-ए-तालिबान की ओर से जारी की गई वीडियो में नूर वाली महसूद ने दावा किया कि ख़ैबर पख्तूनख़्वाह की कुकी खेल और कंबर खेल क़बीले उसके साथ हैं.

    महसूद के वीडियो से ध्वस्त हो गया पाकिस्तान का झूठ

    पाकिस्तान बीते कई सालों से झूठा प्रोपेगंडा फैला रहा है कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) का प्रमुख अफगानिस्तान में है और भारत उसकी मदद कर रहा है. लेकिन आज नूर वली महसूद की वीडियो आने के बाद ना सिर्फ़ पाकिस्तान का ये झूठ ध्वस्त हो गया कि नूर वली महसूद अफगानिस्तान में है, बल्कि नूर वली महसूद की वीडियो ने पाकिस्तान की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल उठा दिए हैं जो ना सिर्फ पाकिस्तान में होने के बावजूद नूर वली महसूद को पकड़ने में नाकाम हैं बल्कि नूर वली महसूद को मारने के लिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल तक में उन्होंने झूठे और बेबुनियाद इनपुट के आधार पर हमला किया. लेकिन वीडियो आने के बाद अब साफ हो गया कि नूर वली महसूद काबुल में पाकिस्तान की ओर से 9 अक्टूबर को किए गए हमले में था ही नहीं, न ही वो मारा गया और न ही उसके शरीर पर खरोच आई. क्योंकि पाकिस्तानी मीडिया से लेकर उसके प्रोपेगंडा एकाउंट्स तक ने दावा किया था कि काबुल पर 9 अक्टूबर के हमले में जिस लैंड क्रूजर कार को निशाना बनाया गया, उसमें नूर वली महसूद था.

    काबुल पर हमला पाकिस्तान की घात लगाकर की गई साजिश

    ऐसे में अब साफ हो गया कि काबुल और अफगानिस्तान के अन्य इलाकों पर पाकिस्तानी हमला पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी की ना सिर्फ नाकामी थी, बल्कि जानबूझकर आम लोगों को मारने की साजिश थी. अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर हमला करने की आड़ में पाकिस्तानी सेना पिछले 7 दिनों में 23 से ज़्यादा मासूम अफगानियों की जान ले चुकी है और 400 से ज़्यादा लोगों की जान ले चुकी है.

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