Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | – Amar Ujala – फ्रांस: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने सेबस्टियन लेकोर्नू को दोबारा प्रधान मंत्री नियुक्त किया – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल इलेक्ट्रान ने सेबस्टियन लेकोर्नू को फिर से प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया। लेकोर्नू ने हाल ही में पद छोड़ दिया था, लेकिन राष्ट्रपति ने उन्हें फिर से सरकार बनाने और बजट तैयार करने की चुनौती दी है। यह कदम देश में बढ़ते राजनीतिक और आर्थिक संकट को खत्म करने की कोशिश माना जा रहा है।

लेकोर्नू की पुनः स्थापना कई दिनों की अगली कड़ी बातचीत के बाद हुई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि वह कर्तव्य की भावना से यह जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। उनका मिशन है कि वर्ष के अंत तक फ्रांस को बजटीय उपलब्धता और आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना।

बता दें कि सेबेस्टियन लेकोर्नू ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से छुट्टी दे दी थी, जिसके बाद ग्रैग्रम के राष्ट्रपति पद से हटने और संसद भंग करने की मांग फिर से शुरू हो गई, लेकिन ग्रैग्रम ने पद से छुट्टी दे दी थी अस्वीकार्य कर दिया गया और नए प्रधान मंत्री की नियुक्ति की घोषणा कर दी गई।

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सरकार में बदलाव और शर्ते

लेकोर्नू ने यह भी कहा कि उनके नए मठ में सभी सदस्यों को 2027 में राष्ट्रपति पद के लिए शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई सरकार के माप और कौशल की विविधता को दर्शन दीजिए।

स्ट्रेंथ का दूसरा संस्करण

समर्थकों का दूसरा कार्यकाल 2027 तक है, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय विधानसभा में बहुमत नहीं मिलने के कारण कई निर्वाचन क्षेत्रों में बहुमत का सामना करना पड़ रहा है। इस पुनर्नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति के पास अपने गणतंत्र को नामांकन देने का आखिरी मौका माना जा रहा है।

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फ़्रांस का कर्ज़ कुल हिस्सेदारी का 114 प्रतिशत

एक साल से फ्रांस में राजनीतिक गतिरोध जारी है और ऐसा समय हो रहा है, जब यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है। फ्रांस में ऋण संकट बढ़ रहा है। वर्ष 2025 की पहली तिमाही में फ्रांस का कुल कर्ज़ 3.9 खरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो सकल घरेलू उत्पाद का 114 प्रतिशत रहा। नेशनल इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार, फ्रांस की गरीबी दर भी 2023 में 15.4 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो 1996 के बाद सबसे ज्यादा है।

माना जा रहा है कि इमैनुएल ग्रेजुएट्स को अब पेंशन सुधार के लिए एक कदम से पीछे हटना पड़ सकता है। फैक्ट्री के इस कदम की भारी आलोचना और विरोध हो रहा है। फोर्सेन ने कठोर संघर्ष के लिए यह बेहद अलोकप्रिय उपाय किया, जिसके बावजूद 2023 में व्यापक विरोध कानून बनाया गया।

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