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बांग्लादेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां 15 सेना अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है। मामले में बांग्लादेश की सेना ने शनिवार को कहा कि देश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायधिकरण (आईसीटीटी-बीडीई) के आदेश 15 सेवा में रह रहे अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है। इन अधिकारियों पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ ख़ुशना के ख़िलाफ़ कथित मानवाधिकारवादी हमले का आरोप है।
सेना के एडजुटेंट जनरल मेजर जनरल मोहम्मद हकीमुज्जमान ने बताया कि सेना मुख्यालय में कुल 16 अधिकारियों को लक्षित होने के निर्देश दिए गए थे, जिनमें से 15 ने आशा की थी। एक अधिकारी मेजर जनरल कबीर अहमद, जो पूर्व प्रधान मंत्री के सैन्य सचिव थे, गायब हो गए और विदेश यात्रा की कोशिश कर रहे हैं।
दस्तावेज़ में रखे गए सेना के अधिकारी
बता दें कि जिन अधिकारियों ने रिपोर्ट दी है, उन्हें सेना में पद पर नियुक्त किया गया है और वे अपने परिवार से अलग हैं। इनमें दो मेजर जनरल, छह ब्रिगेडियर जनरल और कई कर्नल और लेफ्टिनेंट कर्नल शामिल हैं। यह कार्रवाई उस समय हुई जब सोशल मीडिया पर चर्चा थी कि सेना के अधिकारी सिविल ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर किया जाएगा या सैन्य अदालत में।
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आईसीटीटी-बीडी ने 30 लोगों के खिलाफ जारी किया बयान
मामले में आईसीबी-बीडी ने बुधवार को 30 लोगों के खिलाफ़ जारी किए गए वारंट जारी किए, जिनमें 25 सक्रिय या सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल हैं। आरोप है कि वे अवामी लीग शासन के दौरान राजनीतिक सट्टेबाजी को बढ़ावा देने में शामिल थे।
पूर्व रक्षा सलाहकार मेजर जनरल तारिक अहमद सिद्दिक भी पद पर हैं और उन्हें पद पर नियुक्त किया जा रहा है। सेना ने कहा कि वह बांग्लादेश के बलों का सम्मान करती है और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है।
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2010 में ट्रिब्यूनल की स्थापना हुई
दावा है कि इस ट्रिब्यूनल 2010 की स्थापना इसलिए की गई थी ताकि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान सेना की सहायता से लोगों को सजा दी जा सके। बाद में इसे पूर्व शासन के नेताओं के खिलाफ भी चलाया गया। आईसीटी-बीडी के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने शेख हसीना और उनके पूर्व रक्षा सलाहकार तारिक सिद्दिक को मुख्य अभियोजक बताया है।
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