दिवाली का त्यौहार मिठास और खुशियों से भर होता है. लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं. लेकिन इस खुशियों वाले त्योहार में कुछ लोग अपनी हरकतों से जहर घोल देते हैं और ये जहर असर दिखाता है लोगो की हेल्थ पर.
दरअसल, दिवाली के समय बाजार में बिकने वाली मिठाईयों में से आधी मिठाईयां तो नकली और मिलावटी होती हैं. कहीं इनमें चूना मिलाया जाता है तो कहीं कैमिकल मिलाकर इन्हें तैयार किया जाता है और लोगों की हेल्थ से खिलवाड़ किया जाता है. फेस्टिव सीजन के टाइम पर आए दिन अखबारों और न्यूज पर मिलावट की खबरें दिखाई जाती हैं. ऐसे में मिठाई लेते वक्त आपको अलर्ट रहना चाहिए. मिठाई लेने जाने से पहले आपको असली और नकली मिठाईयों में फर्क भी जान लेना चाहिए ताकि आप भी मार्केट में जाकर धोखा न खाएं और नकली और मिलावटी मिठाई घर न ले आएं.
बाजार में बिकने वाली सारी मिठाईयां ही बाहर से देखने में असली और टेस्टी नजर आती हैं. इन्हें एक नजर देखकर पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है. ऐसे में आप ये तरीका इस्तेमाल कर सकते हैं. दिवाली पर ज्यादातर मिठाइयां खोए की बनती हैं. असली-नकली की पहचान करने के लिए आपको एक बरतन में गर्म पानी लेना है और उसमें मिठाई को डालना है. अगर इसका रंग नीला हो जाता है तो समझ जाएं कि खोया नकली है. साथ ही अगर हाथ लगाने पर ये मुलायम होगा तो असली होगा नहीं तो इसका रबर जैसा होना बताता है कि ये सिंथेटिक है. इसके अलावा आप असली-नकली की पहचान करने के लिए इसे टेस्ट भी कर सकते हैं. अगर ये टेस्ट करने पर मुंह में घुल जाता है और इसकी स्मेल दूध जैसी है तो ये असली है वरना बिना स्मेल के खोया नकली है.
देखकर किसी मिठाई के बारे में असली या नकली कहना मुश्किल है. लेकिन इसके कुछ तरीके जरूर हैं, जिनसे इन्हें पहचान सकते हैं. अगर कोई मिठाई ज्यादा रंगी हुई नजर आ रही है तो कोशिश करें कि उसे न ही खरीदें क्योंकि उसमें मिला हुआ सिंथेटिक कलर सेहत को नुकसान कर सकता है. नकली मिठाईयों को सूंघकर भी पहचाना जा सकता है. अगर मिठाई पाम ऑयल या डालडा की बनी है तो इसमें से अलग महक आएगी. साथ ही मिठाई लेते वक्त हमेशा थोड़े से टुकड़े को हाथ में लेकर मसल कर देखें. अगर इसमें ऑयल बहुत ज्यादा है तो समझ जाए कि ये घी से नहीं बनी है. इसके अलावा मिठाई खरीदते वक्त हमेशा उसे टेस्ट करके लेना चाहिए कि कही इसमें कोई खटास या फिर कड़वा टेस्ट तो नहीं आ रहा.
आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं.
दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की.
साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं.
घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.
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