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तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा और महत्व


Dev Uthani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है. साल में 24 एकादशियां होती हैं. लेकिन इनमें से दो एकादशियों का विशेष महत्व है – देवशयनी एकादशी और देवउठनी एकादशी. देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

यह वह शुभ दिन है जब भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं. इस दिन से ही हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. आइए जानते हैं कि साल 2025 में देवउठनी एकादशी कब है. इसका क्या महत्व है. और इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

Dev Uthani Ekadashi 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा और महत्व | जानें कब मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी
Dev Uthani Ekadashi 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा और महत्व | जानें कब मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी

साल 2025 में देवउठनी एकादशी का पर्व 2 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा.

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर 2025 को सुबह 08:26 बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2025 को सुबह 10:44 बजे तक

चूंकि एकादशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 10:44 बजे तक है. इसलिए व्रत और पूजन 2 नवंबर को ही किया जाएगा. पारण (व्रत तोड़ना) 3 नवंबर को सुबह 06:39 बजे से 08:55 बजे के बीच किया जाएगा.

देवउठनी एकादशी का क्या है महत्व?

मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए सोते हैं. और चार महीने बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इसलिए इस दिन को ‘देवोत्थान’ यानी ‘देवताओं के जागने’ का दिन कहा जाता है.

भगवान के जागने के साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगा हुआ विराम हट जाता है. और विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण, मुंडन जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट होते हैं. और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

देवउठनी एकादशी व्रत विधि (Puja Vidhi)

देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को दशमी की रात से ही कुछ नियमों का पालन करना शुरू कर देना चाहिए.

  1. दशमी की रात को ब्रह्मचर्य का पालन करें और भोग-विलास से दूर रहें.
  2. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  3. साफ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
  4. घर के मंदिर में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
  5. भगवान विष्णु को पीले फल, पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें. तुलसी दल का विशेष महत्व है.
  6. पूरे दिन व्रत रखकर भगवान के मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
  7. रात में भजन-कीर्तन करें और भगवान की कथा सुनें.
  8. रात्रि जागरण करना बहुत शुभ माना जाता है. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
  9. अगले दिन यानी द्वादशी को सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत तोड़ें.

देवउठनी एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha)

एक बार एक बूढ़ी महिला थी जो बहुत गरीब थी. वह भगवान विष्णु की भक्त थी. एकादशी का व्रत रखते समय उसने पूरे दिन और रात अन्न और जल ग्रहण नहीं किया. अगले दिन व्रत तोड़ने का समय आया. लेकिन उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था. भूख-प्यास से व्याकुल वह बेहोश हो गई. भगवान विष्णु उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे दर्शन देकर अपने धाम ले गए. मान्यता है कि इसी दिन से देवउठनी एकादशी के व्रत की शुरुआत हुई. और जो भी भक्त सच्चे मन से इस व्रत को रखता है. उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

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देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें (Do’s)

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें.
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करें.
  • तुलसी के पौधे की पूजा करें. उसमें जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं.
  • रात में तुलसी के पास दीपक जलाकर रखें.
  • जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा अवश्य दें.
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.
  • अगर संभव हो तो रात में जागरण करें.
  • सात्विक और फलाहारी भोजन ग्रहण करें.

देवउठनी एकादशी के दिन क्या न करें (Don’ts)

  • व्रत के दिन क्रोध, झूठ, चोरी और बुरे विचारों से दूर रहें.
  • किसी का दिल न दुखाएं और बुरा व्यवहार न करें.
  • तुलसी के पत्ते को एकादशी के दिन न तोड़ें.
  • व्रत में अन्न का सेवन बिल्कुल न करें.
  • मांसाहार, मदिरा, धूम्रपान आदि नशीले पदार्थों से दूर रहें.
  • दिन में सोने से बचें.
  • किसी भी प्रकार का झगड़ा न करें.

निष्कर्ष

देवउठनी एकादशी का पर्व भक्ति और श्रद्धा का पर्व है. यह हमें अच्छे कर्म करने और बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा देता है. साल 2025 में यह पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन व्रत रखकर और भगवान विष्णु की पूजा करके आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं. भगवान का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे.

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