छठ पूजा के लिए इस साल भारतीय रेलवे ने हजारों विशेष ट्रेनें चलाई हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर देखने पर सब व्यवस्थित लगता है कि यात्रियों के लिए टेंट लगाए गए हैं, रिजर्वेशन और जनरल बोगी वालों को अलग-अलग लाइनों में प्रवेश कराया जा रहा है ताकि स्टेशन पर भीड़ ना हो, यात्रियों के वेटिंग एरिया को व्यवस्थित किया गया है, हर तरफ आरपीएफ के जवान भी मौजूद हैं. पहली नजर में सबकुछ नियंत्रण में दिखता है, लेकिन असल खराब हालत और खस्ता व्यवस्था ट्रेन के भीतर और खासतौर से जनरल बोगी में दिख रही है. जहां दरवाजा खुलवाने के लिए धक्का-मुक्की, भीतर जाने के लिए लड़ाई और एक जगह से दूसरी जगह जाने तक की जगह नहीं है.
छठ पूजा के लिए पूरे भारत से लोग बिहार की तरफ जा रहे हैं, भारतीय रेलवे का दावा है कि सब बढ़िया है, हजारों ट्रेन चलाई जा चुकी हैं लेकिन ट्रेन की जनरल बोगी भारतीय रेलवे के सब बढ़िया है वाले दावे की पोल खोल रही है. आज एबीपी न्यूज की टीम बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेनों की असल हालत जानने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गाजियाबाद स्टेशन तक श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (1292) की जनरल बोगी का टिकट लेकर सफर किया और नतीजा सामने आया कि जनरल बोगी में लोग ऐसे ठूंसकर भरे हुए हैं जैसे ट्रक में भेड़ और बकरियों को भरा जाता है. ये भेड़-बकरी वाली लाइन हमारी नहीं है बल्कि ट्रेन में दिल्ली से पटना तक यात्रा करने वाले यात्री असलाउद्दीन ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि मजबूरी है घर जाना है. लेकिन व्यवस्था के नाम पर जनरल बोगी में एक के ऊपर एक व्यक्ति को ऐसे ठूंसकर भरा गया है जैसे कोई भेड़-बकरी हो.
श्रमजीवी एक्सप्रेस में खचाखच भरे यात्री, पैर रखने तक की जगह नहीं
श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस नई दिल्ली से यूपी के बरेली, लखनऊ, बनारस होते हुए बिहार के पटना, नालंदा होते हुए राजगीर तक जाती है और पूरा सफर 21 घंटे से ज्यादा का कम से कम होता है. लेकिन जनरल बोगी में लोग एक के ऊपर लदे हुए हैं. जिस सीट पर तीन लोग मुश्किल से बैठते हैं ऊपर और नीचे वाली सीट पर वहां हर सीट पर 5 से 6 लोग बैठे हैं. नीचे खाली जगह पर लोग चिपक-चिपककर बैठे हैं और दोनों लोगो के बीच में जहां सिर्फ थोड़ी-सी जगह है, वहां लोग खड़े हैं.
हालत इतनी खराब है कि जनरल बोगी पर खिड़की के पास की चेयर वाली सीट पर एक व्यक्ति की गोद में दूसरा व्यक्ति बैठा है. ट्रेन के टॉयलेट के पास दर्जन भर से ज्यादा लोग खड़े हैं और बैठे हुए हैं और ट्रेन के दोनों दरवाजों के बीच के हिस्से में भी इसी तरह ठूंसकर लोग नीचे बैठकर और खड़े होकर जा रहे हैं. बाकी जिसे ना बैठने की जगह मिल रही और ना ही खड़े होने की वो ऊपर की दोनों सीटों पर हवा में लटककर अपने घर की ओर जा रहा है.
क्या करें मजबूरी है कोई व्यवस्था नहीं पर घर तो जाना है- उदय पासवान
बिहार से दिल्ली आकर मजदूरी करने वाले उदय पासवान के मुताबिक, जैसे गाय और भैंस को ट्रक-ट्रॉली में लादा जाता है, ठीक वैसे ही उन लोगों को लादा गया है लेकिन करें तो क्या करें मजबूरी है और कोई व्यवस्था नहीं है. जबकि बख्तियारपुर तक जाने वाली महिला यात्री ने एबीपी न्यूज से कहा कि चाहे स्पेशल ट्रेन हो या कोई भी ट्रेन हो, सबका यही हाल है. इस ट्रेन में भी देख लीजिए हम खड़े होकर सफर कर रहे हैं और बच्चे जमीन पर लेटकर सफर कर रहे हैं.
ट्रेन में यात्रियों की भीड़ खोल रहा रेलवे की व्यवस्था की पोल
भारतीय रेलवे लगातार यह सफाई दे रहा है कि ट्रेनें में व्यवस्था ठीक है और कुछ लोग पुरानी तस्वीरें शेयर कर विभाग को बदनाम कर रहे हैं. लेकिन हमारी टीम ने जो वीडियो और तस्वीरें रिकॉर्ड कीं उनमें साफ नजर आ रहा है कि बाकी जगहों के अलावा कई यात्री तो दो कोचों के बीच के संकरे रास्ते पर खड़े हैं, बैठने की तो बात ही छोड़ दीजिए. यह हाल श्रमजीवी जैसी ट्रेन का तब है जब इस साल 12 हजार से ज्यादा विशेष ट्रेनें चल रही है.
ऐसे में अनुमान जताया जा रहा है कि भारतीय रेलवे के अनुमान से भी ज्यादा लोग इस बार छठ मनाने अपने घरों की ओर खासतौर पर बिहार की तरफ जा रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि छठ पूजा में अभी तीन दिन बाकी हैं. साथ ही रेलवे प्लेटफार्मों और जनरल बोगियों में भीड़ और बढ़ने की संभावना है, तो क्या रेलवे यात्रियों की बढ़ती संख्या को संभालने की कोई ठोस रणनीति बनाता है या नहीं.
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