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  • लेह हिंसा के बाद LAB और KDA ने पहली बार गृह मंत्रालय से की वार्ता, जानें तीन घंटे की बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा

    लेह हिंसा के बाद LAB और KDA ने पहली बार गृह मंत्रालय से की वार्ता, जानें तीन घंटे की बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा

    केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लेह जिले में पिछले महीने 24 सितंबर, 2025 को हुई हिंसा के बाद पहली बार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ बातचीत की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को लेह में ही LAB और KDA के सदस्यों के साथ मुलाकात की. लेह में दोनों पक्षों के बीच करीब तीन घंटे की बातचीत चली. जिनमें कई मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा हुई.

    लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत बेहद सकारात्मक रही. करीब तीन घंटे तक चली बैठक में सरकार ने हमारी मांगों को ध्यान से सुना और उस पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन भी दिया. इसके साथ हमारी ओर से भी सरकार का आश्वस्त किया गया है कि हम प्रदेश में ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे, जो सरकार और प्रशासन के नजर में गलत हो.

    दोनों समूहों के सदस्य बैठक में हुए शामिल

    गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के तीन-तीन सदस्य शामिल हुए थे. इसके साथ लद्दाख के सांसद और KDA के फाउंडर मोहम्मद हनीफा जान और उनके वकील भी बैठक में शामिल हुए थे.

    बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा

    LAB और KDA ने कहा कि अधिकारियों के साथ हुई इस बैठक का मुख्य उद्देश्य लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा देने का रहा. इसके अलावा, हमने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) हटाने और उन्हें जेल से तुरंत रिहाई करने की मांग की. साथ ही 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद लद्दाख पुलिस ने जिन युवाओं को जेल में बंद किया था, हमने उनकी रिहाई की भी मांग को दोहराया है.

    लेह में हटा कर्फ्यू, स्थिति हुई सामान्य

    वहीं, लेह के उपायुक्त रोमिल सिंह डोंक ने कहा कि जिले में अब स्थिति सामान्य हो चुकी है. कर्फ्यू हटा दिया गया है और इंटरनेट को भी फिर से रिस्टोर कर दिया गया है. स्कूल और कॉलेज भी पहले की तरह ही खुल रहे हैं. हालांकि, BNSS की धारा 163 अभी भी लागू है.

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  • जल्द आ रहा 'लाफ्टर शेफ्स सीजन 3', फिर दिखेंगे जन्नत जुबैर, कृष्णा अभिषेक समेत ये सितारे

    जल्द आ रहा 'लाफ्टर शेफ्स सीजन 3', फिर दिखेंगे जन्नत जुबैर, कृष्णा अभिषेक समेत ये सितारे

    टीवी के पॉपुलर कॉमेडी–कुकिंग शो ‘लाफ्टर शेफ्स’ की वापसी होने वाली है. कलर्स ने दिवाली के मौके पर अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल से पोस्ट शेयर करते हुए इस बात का खुलासा किया है. अब ‘लाफ्टर शेफ्स सीजन 3’ के अनाउंसमेंट के बाद से ही फैंस के बीच क्रेज बढ़ते देखा जा सकता है. शो में एक बार फिर पुराने कंटेस्टेंट्स लौटने वाले हैं. 

    कलर्स टीवी ने ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर दिया है कि ‘लाफ्टर शेफ्स’ अपने ब्रांड न्यू सीजन के साथ टेलीविजन स्क्रीन्स पर वापसी करने वाला है. इस ऑफिशियल अनाउंसमेंट ने फैंस की दिवाली को और भी खास बना दिया है. लेकिन इस बार का सीजन पिछले दो सीजंस से काफी ज्यादा ग्रैंड और काफी इंटरेस्टिंग होने वाला है.

    ‘लाफ्टर शेफ्स सीजन 3’ में क्या कुछ होगा खास? 
    द इंडियन एक्सप्रेस ने चैनल का हवाला देते हुए बताया कि शो में ओजी पार्टिसिपेंट्स की वापसी होगी जिसमें कृष्णा अभिषेक और कश्मीरा शाह के साथ अली गोनी और जन्नत जुबैर का भी नाम शामिल हैं. इसके साथ सीजन 1 और सीजन 2 के कुछ पुराने कंटेस्टेंट भी शो का हिस्सा बनेंगे. तीसरे सीजन को और भी एंगेजिंग और एंटरटेनिंग बनाने के लिए 3-4 नए आर्टिस्ट्स की भी एंट्री होने वाली है. 

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    टीवी स्क्रीन पर कब दस्तक देगा ‘लाफ्टर शेफ्स सीजन 3’?

    रिपोर्ट की मानें तो ‘लाफ्टर शेफ्स सीजन 3’ कलर्स की पॉपुलर रिएलिटी शो ‘पति पत्नी और पंगा’ को रिप्लेस करने वाला है. खबरें ये भी है कि ‘पति पत्नी और पंगा’ के कुछ आर्टिस्ट इस शो को जॉइन करेंगे. बता दें कि ‘लाफ्टर शेफ्स’ को बतौर फिलर रिलीज किया गया था इसलिए सीजन 1 में कोई विनर सामने नहीं आया लेकिन सीजन 2 के विनर ट्रॉफी एल्विश यादव और करण कुंद्रा ने उठाई थी. ‘लाफ्टर शेफ्स’ के लगातार दो सीजन के सक्सेस के बाद भारती सिंह के कॉमेडी कुकिंग शो के तीसरे सीजन का प्रीमियर 2025 के आखिर या अगले साल की शुरुआत में होगा.

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  • IND vs AUS 2nd ODI Weather: पर्थ की तरह एडिलेड में भी होगी बारिश? भारत-ऑस्ट्रेलिया दूसरे वनडे की वेदर रिपोर्ट आपको जाननी चाहिए

    IND vs AUS 2nd ODI Weather: पर्थ की तरह एडिलेड में भी होगी बारिश? भारत-ऑस्ट्रेलिया दूसरे वनडे की वेदर रिपोर्ट आपको जाननी चाहिए

    ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरा वनडे भारतीय टीम के लिए करो या मरो वाला है, क्योंकि अगर भारतीय टीम इस मैच को हारी तो ऑस्ट्रेलिया सीरीज में अजेय बढ़त बना लेगी. पर्थ में खेला गया पहला वनडे बारिश के कारण 4 बार रोका गया था, एडिलेड में भी बदल छाए रहेंगे. फोरकास्ट कंडीशन को देखते हुए टॉस महत्वपूर्ण है, इसे जीतकर कप्तान पहले गेंदबाजी करना चाहेंगे. चलिए जानते हैं कि दूसरे वनडे के दौरान एडिलेड का मौसम कैसा रहेगा.

    सबसे पहले टाइम जोन समझते हैं. भारत और एडिलेड के समय में 5 घंटे का अंतर है. लोकल समय में मैच 23, अक्टूबर को दोपहर 2 बजे से शुरू होगा, जबकि भारत में इस समय सुबह के 9 बज रहे होंगे. भारतीय समयनुसार टॉस सुबह 8:30 बजे होगा.

    एडिलेड ओवल में वनडे क्रिकेट की बात करें तो आखिरी बार 17 फरवरी 2008 को यहां टीम इंडिया हारी थी, सामने ऑस्ट्रेलिया थी. उसके बाद से भारत ने इस ग्राउंड पर 5 वनडे खेले, इसमें से 1 मैच टाई हुआ और 4 में भारत जीता. इन 4 में से भारत ने 2 मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीते हैं.

    एडिलेड में बारिश छाए रहेंगे, फोरकास्ट कंडीशन में तेज गेंदबाजों को अधिक मदद मिलेगी. तेज गेंदबाजों को देखें तो भारत के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया के पास ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी हैं, उनमे स्टार्क और हेजलवुड हैं. पर्थ में रुक-रुक कर बारिश हो रही थी, इस कारण बार बार मैच रोकना पड़ रहा था. एडिलेड में इसकी संभावना कम है, लेकिन हां बूंदा-बांदी हो सकती है.

    वर्ल्डवेदर के अनुसार लोकल टाइम 2 बजे तापमान 16 डिग्री के आस पास रहेगा. इस समय बारिश की संभावना नहीं है, टॉस समय पर हो जाएगा. मैच समय में बादल छाए रहने की संभावना जताई गई है, मैच के दौरान बूंदा-बांदी भी हो सकती है लेकिन तेज बारिश नहीं बताई गई है. लोकल समय 7 बजे (भारत में दोपहर 2 बजे) बारिश हो सकती है, क्योंकि बादल छाए रहने की संभावना 100 प्रतिशत बताई गई है. इस समय तापमान भी गिरकर 12 डिग्री सेल्सियस के आस पास होने की संभावना है.

    स्टार स्पोर्ट्स.

    जियोहॉटस्टार ऐप और वेबसाइट.

    भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरे वनडे में एडिलेड ओवल की पिच पर बाउंस देखने को मिल सकता है. इस ग्राउंड पर देखा गया है कि बल्लेबाजों को मदद मिलती है, लेकिन गुरुवार को फोरकास्ट कंडीशन देखते हुए माना जा सकता है कि तेज गेंदबाज महत्वपूर्ण रोल निभाएंगे. पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को कम से कम 300 रन तो स्कोरबोर्ड पर लगाने ही होंगे, इससे कम का स्कोर डिफेंड करना यहां बहुत मुश्किल होगा. 

    📍Adelaide Oval 🏟️#TeamIndia in the zone ahead of the 2⃣nd #AUSvIND ODI 💪 pic.twitter.com/3hPrAZuRY5

    देखना होगा कि क्या भारत की प्लेइंग 11 में कोई बदलाव होता है, क्योंकि पिछले मैच में 3 ऑलराउंडर खिलाने को लेकर काफी आलोचना हुई थी. कुलदीप यादव टीम में हैं, लेकिन वह पहले वनडे में नहीं खेले थे. संभावना है कि दूसरे वनडे में उन्हें मौका मिले.

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  • महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए महायुति का फॉर्मूला तय, BJP ने लिया बड़ा फैसला

    महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए महायुति का फॉर्मूला तय, BJP ने लिया बड़ा फैसला

    महाराष्ट्र में आने वाले कुछ महीनों में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं नगरपालिका और पंचायतों के चुनाव होने जा रहे हैं. इससे पहले अब एक बड़ी खबर सामने आई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महापालिका चुनाव के लिए महायुति का फॉर्मूला तय हो गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में अहम जानकारी दी है. राज्य में जल्द ही स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे. लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए ये चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके हैं. इसलिए इन चुनावों को लेकर सभी दलों में उत्सुकता है. 

    अब तक यह स्पष्ट नहीं था कि ये चुनाव महायुति भाजपा, शिवसेना, राष्ट्रवादी गुट और महाविकास आघाडी ‘शिवसेना ठाकरे गट, कांग्रेस, राष्ट्रवादी शरद पवार गट ‘ के रूप में लड़े जाएंगे या फिर पार्टियां अपने-अपने दम पर मैदान में उतरेंगी.

    महायुति के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया था कि चुनाव गठबंधन के रूप में ही लड़े जाएंगे, लेकिन कई जगहों पर स्थानीय पदाधिकारी अपने दम पर चुनाव लड़ने का नारा दे रहे थे. कई महानगरपालिकाओं में भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी के कार्यकर्ताओं ने अपने दम पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी. 

    ऐसे में यह सवाल उठ रहा था कि क्या तीनों दल साथ लड़ेंगे या अलग-अलग? इसी बीच अब बड़ी खबर आई है. सूत्रों के मुताबिक, महापालिका चुनाव के लिए महायुति का फॉर्मूला तय हो गया है. मुंबई में भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी तीनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. वहीं पुणे और पिंपरी-चिंचवड में भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी.

    ठाणे नगर निगम चुनाव को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. फडणवीस ने बताया कि ठाणे में एकजुट होकर चुनाव लड़ने की संभवनाएं तलाश की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘जहां विरोधियों को फायदा हो सकता है, वहां हम महायुति के रूप में मिलकर लड़ेंगे.’

    इस बीच महाविकास आघाडी की ओर से भी स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है. दूसरी तरफ राज ठाकरे की मनसे और शिवसेना ठाकरे गुट के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा भी तेज है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राज ठाकरे आगामी स्थानीय चुनावों में महाविकास आघाडी के साथ जाएंगे या नहीं.

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  • Kafala System: क्या होता है कफाला सिस्टम, जानें किन देशों में है यह अभी भी लागू

    Kafala System: क्या होता है कफाला सिस्टम, जानें किन देशों में है यह अभी भी लागू

    Kafala System: कई दशकों से कफाला सिस्टम कई मध्य पूर्वी देशों में लेबर स्ट्रक्चर का एक केंद्र रहा है. शोषण को बढ़ावा देने और प्रवासी श्रमिकों की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए इसकी वैश्विक आलोचना भी हुई है. करीब 50 साल बाद सऊदी अरब ने इसे आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी कई खाड़ी क्षेत्र में इस व्यवस्था के निशान अभी भी मौजूद हैं. आज हम जानेंगे कि कफाला सिस्टम क्या होता है और साथ ही यह भी कि यह सिस्टम अभी भी किन देशों में लागू है. 

    क्या है कफाला सिस्टम 

    कफाला सिस्टम जिसका अरबी में मतलब स्पॉन्सरशिप होता है एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी विदेशी कर्मचारियों की कानूनी स्थिति को सीधे उसके नियोक्ता या फिर कफील से जोड़ता है. इस व्यवस्था को 1950 के दशक में तब अस्तित्व में लाया गया था जब खाड़ी अर्थव्यवस्थाएं प्रवासी श्रमिकों पर काफी ज्यादा निर्भर होने लगी. इस व्यवस्था ने सरकारों के लिए प्रशासन को सरल तो बनाया ही साथ ही नियोक्ताओं को काफी ज्यादा शक्तियां प्रदान की.  इसमें श्रमिकों की आवाजाही, रोजगार और यहां तक कि देश छोड़ने के उनके अधिकार को भी नियंत्रित किया गया. श्रमिक अक्सर अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी बदलने या फिर घर लौटने में असमर्थ होते थे. यही वजह थी कि वहां श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण किया जाता था.

    इसे क्यों लागू किया गया 

    इसे लागू करने के पीछे उद्देश्य यह था कि विदेशी श्रमिकों की भर्ती प्रक्रिया को कौशल बनाया जाए और साथ ही नौकरशाही की जिम्मेदारियों को सरकारों से हटकर नियोक्ताओं पर डाला जाए. कफील से वीजा लेकर आवाज तक हर चीज संभालने की उम्मीद की जाती थी. कफील प्रभावी रूप से संरक्षक और नियंत्रक दोनों की भूमिका निभाता था. लेकिन वक्त के साथ-साथ यह एक ऐसी प्रणाली में बदल गई जिसने शोषण को बढ़ावा दिया. इसमें श्रम अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए और श्रमिकों को ऐसी जबरदस्ती काम करने की परिस्थितियों में फंसा दिया गया जिनकी तुलना अब आधुनिक गुलामी से की जाती है.

    किन देशों में यह व्यवस्था अभी भी चालू 

    हल्के सुधारों के बावजूद कतर में अभी भी कफाला सिस्टम मौजूद है. पहले श्रमिकों को नौकरी बदलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र और देश छोड़ने के लिए एक निकास परमिट की जरूरत होती थी. हालांकि इनमें से कई प्रतिबंधों में अब ढील दे दी गई है लेकिन पूरी तरह से सुधार की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाए जा रहे हैं. न्यूनतम वेतन कानून और बेहतर नौकरी गतिशीलता को लागू कर दिया गया है लेकिन कार्यान्वयन अभी भी असंगत है.

    इसी के साथ यूएई में एक श्रमिक का निवास उसके नियोक्ता पर ही निर्भर करता है. हालांकि श्रम कानून में यहां पर भी धीरे-धीरे बदलाव हो रहे हैं खासकर निजी क्षेत्र में. अब यहां पर कुछ शर्तों के तहत नियोक्ता बदलना संभव है. ठीक इसी तरह बहरीन में 2009 में इस व्यवस्था में आंशिक सुधार किया था. जिसमें अलग-अलग कंपनियों से प्रयोजन श्रम बाजार नियामक प्राधिकरण को हस्तांतरित किया गया था. लेकिन इस कदम के बावजूद भी यह व्यवस्था पूरी तरह से खत्म नहीं हुई और कई नियोक्ता अभी भी श्रमिकों की नौकरी परिवर्तन और निवास स्थान पर काफी ज्यादा अधिकार रखते हैं.

    कुवैत में भी नियोक्ता अभी भी श्रमिकों के नौकरी परिवर्तन और देश छोड़ने पर पूरी तरह से नियंत्रण रखते हैं.  बिना सूचना के नौकरी छोड़ने पर गिरफ्तारी या फिर डिपार्चर हो सकता है. हालांकि 2015 में एक घरेलू कामगार कानून पारित किया गया था लेकिन इसका प्रवर्तन भी सीमित ही रहा. यही हाल ओमान का भी है. हालांकि ओमान का दावा है कि उसने इस व्यवस्था को आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी व्यवहार में कई नियोक्ता वही प्रतिबंध को लागू करते रहते हैं.

    ये भी पढ़ें: दुनिया के कितने देश बनाते हैं पनडुब्बी का इंजन, इस काम में कहां आता है भारत?

    स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

    अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

    लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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  • Artificial Vision Technology: अंधेपन के मरीजों को मिला नया तोहफा, अब फिर से देख पाएंगे सपनों की दुनिया

    Artificial Vision Technology: अंधेपन के मरीजों को मिला नया तोहफा, अब फिर से देख पाएंगे सपनों की दुनिया

    Blindness Cure Technology: कभी-कभी विज्ञान और टेक्नोलॉजी का मिलन ऐसा चमत्कार कर देता है, जो अब तक हमें सिर्फ साइंस फिक्शन फिल्मों में ही देखने को मिलता था. लंदन के Moorfields Eye Hospital और यूरोप के कुछ अन्य मेडिकल सेंटर्स के वैज्ञानिकों ने एक बेहद छोटा फोटोवोल्टाइक माइक्रोचिप बनाया है, जिसे रेटिना के नीचे इम्प्लांट किया जा सकता है. यह चिप आकार में सिर्फ चावल के दाने जितना है, लेकिन इसकी ताकत इतनी है कि इससे कानूनी तौर पर अंधे मरीजों ने फिर से पढ़ना, चेहरों को पहचानना और रोजमर्रा के काम करना शुरू कर दिया है.

    इस क्रांतिकारी तकनीक का नाम है प्राइमा सिस्टम. इसे 38 मरीजों पर इंटरनेशनल ट्रायल के तहत लगाया गया, जिसमें पांच यूरोपीय देशों की टीमें शामिल थीं. यह चिप खास चश्मे के साथ काम करता है, जिनमें लगे कैमरे आंखों तक इंफ्रारेड इमेज भेजते हैं. चिप उन इमेज को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलकर ऑप्टिक नर्व के ज़रिए दिमाग तक पहुंचाता है. इस तरह मरीज फिर से अक्षर, शब्द और आकृतियों को पहचानने लगते हैं.

    इन लोगों पर हुआ ट्रायल

    70 वर्षीय शीला इरविन, जिनकी सेंटर दिखने की क्षमता 30 साल पहले चली गई थी, उन्होंने इस चिप के बाद पहली बार बिना गलती किए आई चार्ट पर अक्षर पढ़े. BBC के साथ बातचीत में शीला ने कहा, “मुझे ऐसा लग रहा है कि मानो मेरी पूरी जिंदगी बदल गई है.” शुरुआत में मरीजों को इन इमेज को समझने के लिए ट्रेनिंग दिया जाता है, ताकि दिमाग नए विजुअल इनपुट को प्रोसेस करना सीख सके.

    हर अंधेपन का इलाज नहीं

    हालांकि यह तकनीक हर तरह के अंधेपन का इलाज नहीं है. यह मुख्य रूप से एडवांस्ड ड्राई एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजेनरेशन वाले मरीजों पर काम करती है, जो अब तक लाइलाज बीमारी मानी जाती थी. New England Journal of Medicine में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 84 प्रतिशत मरीजों ने चिप लगने के बाद पढ़ने की क्षमता हासिल की और उनकी देखने की क्षमता पांच लाइन तक बेहतर हुई.

    लंदन के आई रोग एक्सपर्ट और इस सर्जरी के प्रमुख सर्जन डॉ. माही मुकीत ने कहा कि “यह पहला ऐसा इम्प्लांट है जिसने मरीजों को ऐसा विजन दिया, जिसे वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल कर पा रहे हैं.” यह तकनीक आने वाले समय में दुनियाभर के करोड़ों AMD मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बन सकती है. हालांकि यह अभी सिर्फ क्लिनिकल ट्रायल में उपलब्ध है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही NHS जैसे हेल्थ सिस्टम्स के जरिए आम मरीजों तक भी पहुंच सकेगा.

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    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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    जर्नलिज्म की दुनिया में करीब 15 साल बिता चुकीं सोनम की अपनी अलग पहचान है. वह खुद ट्रैवल की शौकीन हैं और यही वजह है कि अपने पाठकों को नई-नई जगहों से रूबरू कराने का माद्दा रखती हैं. लाइफस्टाइल और हेल्थ जैसी बीट्स में उन्होंने अपनी लेखनी से न केवल रीडर्स का ध्यान खींचा है, बल्कि अपनी विश्वसनीय जगह भी कायम की है. उनकी लेखन शैली में गहराई, संवेदनशीलता और प्रामाणिकता का अनूठा कॉम्बिनेशन नजर आता है, जिससे रीडर्स को नई-नई जानकारी मिलती हैं. 

    लखनऊ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन रहने वाली सोनम ने अपने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत भी नवाबों के इसी शहर से की. अमर उजाला में उन्होंने बतौर इंटर्न अपना करियर शुरू किया. इसके बाद दैनिक जागरण के आईनेक्स्ट में भी उन्होंने काफी वक्त तक काम किया. फिलहाल, वह एबीपी लाइव वेबसाइट में लाइफस्टाइल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर काम कर रही हैं.

    ट्रैवल उनका इंटरेस्ट  एरिया है, जिसके चलते वह न केवल लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज के अनछुए पहलुओं से रीडर्स को रूबरू कराती हैं, बल्कि ऑफबीट डेस्टिनेशन्स के बारे में भी जानकारी देती हैं. हेल्थ बीट पर उनके लेख वैज्ञानिक तथ्यों और सामान्य पाठकों की समझ के बीच बैलेंस बनाते हैं. सोशल मीडिया पर भी सोनम काफी एक्टिव रहती हैं और अपने आर्टिकल और ट्रैवल एक्सपीरियंस शेयर करती रहती हैं.

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  • अंधेरे जंगल में कार के सामने रील बनाने लगी पापा की परी! यूजर्स बोले, नागमणि लेकर मानेगी- वीडियो वायरल

    अंधेरे जंगल में कार के सामने रील बनाने लगी पापा की परी! यूजर्स बोले, नागमणि लेकर मानेगी- वीडियो वायरल

    सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसने लोगों को हैरान और परेशान दोनों कर दिया है. वीडियो में एक लड़की पीले रंग का वन-पीस ड्रेस पहनकर अपनी कार को घने जंगल के बीच सड़क किनारे रोकती है और फिर डांस करने लगती है. कार के डैशबोर्ड पर कैमरा फिट है और जैसे ही रिकॉर्डिंग शुरू होती है, लड़की बाहर निकलती है और सड़क के बिल्कुल बीच में फिल्मी अंदाज में डांस करने लगती है. माहौल चारों तरफ सन्नाटा, पीछे जंगल और सामने कैमरा. किसी हॉरर फिल्म जैसा सीन बन जाता है.

    वीडियो में देखा जा सकता है कि लड़की पूरी मस्ती में डांस कर रही है. उसके पीछे झाड़ियों की सरसराहट और जंगल की आवाजें सुनाई दे रही हैं. आसपास कोई इंसान नहीं है. यही वजह है कि इस वीडियो को देखने वाले कई लोग डर भी गए. लड़की का अंदाज और आत्मविश्वास देखकर यह साफ है कि उसे इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं कि वो कहां है या कौन देख रहा है. बस कैमरा ऑन होना चाहिए और रील बननी चाहिए. यही बात लोगों को सबसे ज्यादा हैरान कर रही है. कई यूजर्स ने कहा कि “सोशल मीडिया की फेम की भूख अब इस हद तक पहुंच गई है कि लोग खतरनाक जगहों पर भी वीडियो बनाकर लाइक्स जुटाने लगे हैं.”

    बारिश का मौसम, रात का अंधेरा, सुनसान सड़क, घना जंगल एकदम मस्त लोकेशन…. ऐसा लगता है कि ये पक्का नागमणि लेकर ही मानेगी….!💯🤭🤣😜👇👇👻😂 pic.twitter.com/gDwtle7fps

    यह भी पढ़ें: फोन में मशगूल थी महिला, सड़क पर चलते हुए सामने से आई ट्रेन, फिर ऐसे बची जान- डरा देगा वीडियो

    वीडियो को @Sarvagy_ नाम के एक्स अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स वीडियो को लेकर तरह तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा….लगता है आज नागमणि लेकर ही जाएगी. एक और यूजर ने लिखा….अगर कोई राहगीर वहां से गुजरता तो डर के मारे गाड़ी पलट देता. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा…ये तो जंगल का बीच का लोकेशन है, यहां अकेले जाकर रील बनाना खुद की जान से खेलना है.

    यह भी पढ़ें: दुबई में दिखा दिल्ली जैसा नजारा! दीपावाली पर रोशनी से नहाया पूरा शहर- वीडियो देख हैरान रह गए यूजर्स

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  • राजस्थान में 34 IPS अफसरों का तबादला, जयपुर के पुलिस कमिश्नर भी बदले

    राजस्थान में 34 IPS अफसरों का तबादला, जयपुर के पुलिस कमिश्नर भी बदले

    राजस्थान में 34 आईपीएस अफसरों का तबादला कर दिया गया है. कई सीनियर अफसरों का एक से दूसरी जगह ट्रांसफर हुआ. राजधानी जयपुर के पुलिस कमिश्नर भी बदले गए. बीजू जोसेफ जॉर्ज की जगह सचिन मित्तल जयपुर के नए पुलिस कमिश्नर बने.

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  • सर्बिया की संसद के बाहर ताबड़तोड़ गोलीबारी, राष्ट्रपति वुसिन ने बताया 'आतंकी हमला'

    सर्बिया की संसद के बाहर ताबड़तोड़ गोलीबारी, राष्ट्रपति वुसिन ने बताया 'आतंकी हमला'

    सर्बिया की संसद भवन के बाहर बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को गोलीबारी हुई, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया है. गोलीबारी होते ही चारों तरफ हड़कंप मच गया और सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के समर्थकों के कैंप में आग लग गई. राष्ट्रपति वुसिक, जो सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सामना कर रहे हैं, ने इस गोलीबारी को ‘आतंकवादी हमला’ बताया है.

    स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सशस्त्र सुरक्षा अधिकारी संसद के बाहर एक बड़े तंबू के पास पहुंचे. कुछ गोलियां चलीं और फिर तंबू के अंदर आग लग गई. सूत्रों के हवाले से बताया गया कि एक 70 वर्षीय व्यक्ति ने टेंट कैंप में एक 57 वर्षीय व्यक्ति के पैर में गोली मार दी और फिर एक गैस कनस्तर में गोली मार दी.

    सोशल मीडिया पर वायरल घटना का वीडियो

    एएफपी ने बताया कि दमकलकर्मियों ने आग पर तुरंत काबू पा लिया है. इस घटना से जुड़े एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है और दूसरे व्यक्ति को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र ले जाया गया है. स्वास्थ्य मंत्री ज्लाटिबोर लोनकर ने बताया कि एक व्यक्ति को गंभीर चोट लगी है और उसका तत्काल ऑपरेशन करना होगा.

    हालांकि स्थानीय पुलिस ने अभी तक मामले को लेकर कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया है और ना ही कोई जानकारी दी गई है. हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में फायरिंग के तुरंत बाद सशस्त्र सुरक्षाकर्मी संसद के बाहर लगे एक विशाल तंबू की तरफ दौड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं एक और वीडियो में एक व्यक्ति जमीन पर लेटा दिखाई दे रहा है, जिसके हाथ पीठ के पीछे हैं और पुलिस उसे चारों तरफ से घेरे हुए है.

    संसद के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात

    बता दें कि यह घटना बेलग्रेड में जारी राजनीतिक तनाव के बीच घटी है, जहां सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच विरोध प्रदर्शन और टकराव अक्सर होते रहे हैं. हमले के बाद संसद के बाहर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है.

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  • भीषण सड़क हादसे से दहला युगांडा, बसों और वाहनों में टक्कर, 63 लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत

    भीषण सड़क हादसे से दहला युगांडा, बसों और वाहनों में टक्कर, 63 लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत

    अफ्रीका का एक देश युगांडा बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को एक भीषण सड़क हादसे से पूरी तरह से दहल गया है. युगांडा में हुए भीषण सड़क हादसे में बसों और अन्य वाहनों की टक्कर के बाद कम से कम 63 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई है. इसके अलावा, इस भयानक हादसे में काफी लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं.

    यह दर्दनाक सड़क हादसा युगांडा की राजधानी कंपाला के उत्तर के गुलू शहर से जोड़ने वाले कंपाला-गुलू हाईवे पर बुधवार सुबह हुआ, जब बस समेत कई छोटी-बड़ी गाड़ियां आपस में बुरी तरह से टकरा गई. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, गाडियों की टक्कर के बाद बड़े पैमाने में जानमाल की क्षति हुई है.

    युगांडा पुलिस कर रही सड़क हादसे की जांच

    युंगाडा पुलिस ने इस दर्दनाक सड़क हादसे की जांच शुरू कर दी. शुरुआती जांच के बाद स्थानीय पुलिस ने जानकारी दी कि इस घटना में दो बसों समेत चार अन्य गाड़ियां हादसे का शिकार हुईं हैं. दुर्घटना के पीछे के कारण को लेकर पुलिस ने कहा कि यह हादसा तब हुआ जब एक बस चालक ने कंपाला-गुलू हाईवे पर ओवरटेक करने का प्रयास किया. लेकिन इस दौरान उलटी दिशा से आ रही एक लॉरी से बस की सीधी टक्कर हो गई. हाईवे पर अचानक हुई इस टक्कर के बाद पीछे से आ रहीं कई गाड़ियां फिर आपस में भिड़ गईं और हाईवे पर तुरंत ही चीख-पुकार मच गई.

    More than 50 people killed, several others injured in a road accident involving 4 vehicles near Asili Farm on Kampala–Gulu highway, in Ugandan pic.twitter.com/fefcM88Fxc

    राहत और बचाव कार्य में जुटे आपातकालीन कर्मचारी

    कंपाला पुलिस ने प्रवक्ता ने इस मामले को लेकर कहा कि हादसे के बाद राहत और बचाव दल को तैनात किया गया है. बचाव दल दुर्घटना में घायल और फंसे पीड़ितों को सुरक्षित निकालने में तत्परता से जुटा हुआ है. दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और घायलों का युगांडा के पश्चिमी शहर किरयांडोंगे के अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है.

    पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस भयानक और दर्दनाक हादसे के बाद कंपाला-गुलू हाईवे को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. यह एक बेहद दर्दनाक सड़क हादसा है, 63 लोगों की मौके पर ही मौत हो चुकी है, कई लोगों गंभीर रूप से जख्मी हैं. इससे देश के कई हिस्से में मातम-सा छा गया है.

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