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  • Kafala System: क्या होता है कफाला सिस्टम, जानें किन देशों में है यह अभी भी लागू

    Kafala System: क्या होता है कफाला सिस्टम, जानें किन देशों में है यह अभी भी लागू

    Kafala System: कई दशकों से कफाला सिस्टम कई मध्य पूर्वी देशों में लेबर स्ट्रक्चर का एक केंद्र रहा है. शोषण को बढ़ावा देने और प्रवासी श्रमिकों की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए इसकी वैश्विक आलोचना भी हुई है. करीब 50 साल बाद सऊदी अरब ने इसे आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी कई खाड़ी क्षेत्र में इस व्यवस्था के निशान अभी भी मौजूद हैं. आज हम जानेंगे कि कफाला सिस्टम क्या होता है और साथ ही यह भी कि यह सिस्टम अभी भी किन देशों में लागू है. 

    क्या है कफाला सिस्टम 

    कफाला सिस्टम जिसका अरबी में मतलब स्पॉन्सरशिप होता है एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी विदेशी कर्मचारियों की कानूनी स्थिति को सीधे उसके नियोक्ता या फिर कफील से जोड़ता है. इस व्यवस्था को 1950 के दशक में तब अस्तित्व में लाया गया था जब खाड़ी अर्थव्यवस्थाएं प्रवासी श्रमिकों पर काफी ज्यादा निर्भर होने लगी. इस व्यवस्था ने सरकारों के लिए प्रशासन को सरल तो बनाया ही साथ ही नियोक्ताओं को काफी ज्यादा शक्तियां प्रदान की.  इसमें श्रमिकों की आवाजाही, रोजगार और यहां तक कि देश छोड़ने के उनके अधिकार को भी नियंत्रित किया गया. श्रमिक अक्सर अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी बदलने या फिर घर लौटने में असमर्थ होते थे. यही वजह थी कि वहां श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण किया जाता था.

    इसे क्यों लागू किया गया 

    इसे लागू करने के पीछे उद्देश्य यह था कि विदेशी श्रमिकों की भर्ती प्रक्रिया को कौशल बनाया जाए और साथ ही नौकरशाही की जिम्मेदारियों को सरकारों से हटकर नियोक्ताओं पर डाला जाए. कफील से वीजा लेकर आवाज तक हर चीज संभालने की उम्मीद की जाती थी. कफील प्रभावी रूप से संरक्षक और नियंत्रक दोनों की भूमिका निभाता था. लेकिन वक्त के साथ-साथ यह एक ऐसी प्रणाली में बदल गई जिसने शोषण को बढ़ावा दिया. इसमें श्रम अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए और श्रमिकों को ऐसी जबरदस्ती काम करने की परिस्थितियों में फंसा दिया गया जिनकी तुलना अब आधुनिक गुलामी से की जाती है.

    किन देशों में यह व्यवस्था अभी भी चालू 

    हल्के सुधारों के बावजूद कतर में अभी भी कफाला सिस्टम मौजूद है. पहले श्रमिकों को नौकरी बदलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र और देश छोड़ने के लिए एक निकास परमिट की जरूरत होती थी. हालांकि इनमें से कई प्रतिबंधों में अब ढील दे दी गई है लेकिन पूरी तरह से सुधार की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाए जा रहे हैं. न्यूनतम वेतन कानून और बेहतर नौकरी गतिशीलता को लागू कर दिया गया है लेकिन कार्यान्वयन अभी भी असंगत है.

    इसी के साथ यूएई में एक श्रमिक का निवास उसके नियोक्ता पर ही निर्भर करता है. हालांकि श्रम कानून में यहां पर भी धीरे-धीरे बदलाव हो रहे हैं खासकर निजी क्षेत्र में. अब यहां पर कुछ शर्तों के तहत नियोक्ता बदलना संभव है. ठीक इसी तरह बहरीन में 2009 में इस व्यवस्था में आंशिक सुधार किया था. जिसमें अलग-अलग कंपनियों से प्रयोजन श्रम बाजार नियामक प्राधिकरण को हस्तांतरित किया गया था. लेकिन इस कदम के बावजूद भी यह व्यवस्था पूरी तरह से खत्म नहीं हुई और कई नियोक्ता अभी भी श्रमिकों की नौकरी परिवर्तन और निवास स्थान पर काफी ज्यादा अधिकार रखते हैं.

    कुवैत में भी नियोक्ता अभी भी श्रमिकों के नौकरी परिवर्तन और देश छोड़ने पर पूरी तरह से नियंत्रण रखते हैं.  बिना सूचना के नौकरी छोड़ने पर गिरफ्तारी या फिर डिपार्चर हो सकता है. हालांकि 2015 में एक घरेलू कामगार कानून पारित किया गया था लेकिन इसका प्रवर्तन भी सीमित ही रहा. यही हाल ओमान का भी है. हालांकि ओमान का दावा है कि उसने इस व्यवस्था को आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी व्यवहार में कई नियोक्ता वही प्रतिबंध को लागू करते रहते हैं.

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    स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

    अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

    लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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  • Artificial Vision Technology: अंधेपन के मरीजों को मिला नया तोहफा, अब फिर से देख पाएंगे सपनों की दुनिया

    Artificial Vision Technology: अंधेपन के मरीजों को मिला नया तोहफा, अब फिर से देख पाएंगे सपनों की दुनिया

    Blindness Cure Technology: कभी-कभी विज्ञान और टेक्नोलॉजी का मिलन ऐसा चमत्कार कर देता है, जो अब तक हमें सिर्फ साइंस फिक्शन फिल्मों में ही देखने को मिलता था. लंदन के Moorfields Eye Hospital और यूरोप के कुछ अन्य मेडिकल सेंटर्स के वैज्ञानिकों ने एक बेहद छोटा फोटोवोल्टाइक माइक्रोचिप बनाया है, जिसे रेटिना के नीचे इम्प्लांट किया जा सकता है. यह चिप आकार में सिर्फ चावल के दाने जितना है, लेकिन इसकी ताकत इतनी है कि इससे कानूनी तौर पर अंधे मरीजों ने फिर से पढ़ना, चेहरों को पहचानना और रोजमर्रा के काम करना शुरू कर दिया है.

    इस क्रांतिकारी तकनीक का नाम है प्राइमा सिस्टम. इसे 38 मरीजों पर इंटरनेशनल ट्रायल के तहत लगाया गया, जिसमें पांच यूरोपीय देशों की टीमें शामिल थीं. यह चिप खास चश्मे के साथ काम करता है, जिनमें लगे कैमरे आंखों तक इंफ्रारेड इमेज भेजते हैं. चिप उन इमेज को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदलकर ऑप्टिक नर्व के ज़रिए दिमाग तक पहुंचाता है. इस तरह मरीज फिर से अक्षर, शब्द और आकृतियों को पहचानने लगते हैं.

    इन लोगों पर हुआ ट्रायल

    70 वर्षीय शीला इरविन, जिनकी सेंटर दिखने की क्षमता 30 साल पहले चली गई थी, उन्होंने इस चिप के बाद पहली बार बिना गलती किए आई चार्ट पर अक्षर पढ़े. BBC के साथ बातचीत में शीला ने कहा, “मुझे ऐसा लग रहा है कि मानो मेरी पूरी जिंदगी बदल गई है.” शुरुआत में मरीजों को इन इमेज को समझने के लिए ट्रेनिंग दिया जाता है, ताकि दिमाग नए विजुअल इनपुट को प्रोसेस करना सीख सके.

    हर अंधेपन का इलाज नहीं

    हालांकि यह तकनीक हर तरह के अंधेपन का इलाज नहीं है. यह मुख्य रूप से एडवांस्ड ड्राई एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजेनरेशन वाले मरीजों पर काम करती है, जो अब तक लाइलाज बीमारी मानी जाती थी. New England Journal of Medicine में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 84 प्रतिशत मरीजों ने चिप लगने के बाद पढ़ने की क्षमता हासिल की और उनकी देखने की क्षमता पांच लाइन तक बेहतर हुई.

    लंदन के आई रोग एक्सपर्ट और इस सर्जरी के प्रमुख सर्जन डॉ. माही मुकीत ने कहा कि “यह पहला ऐसा इम्प्लांट है जिसने मरीजों को ऐसा विजन दिया, जिसे वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल कर पा रहे हैं.” यह तकनीक आने वाले समय में दुनियाभर के करोड़ों AMD मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बन सकती है. हालांकि यह अभी सिर्फ क्लिनिकल ट्रायल में उपलब्ध है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही NHS जैसे हेल्थ सिस्टम्स के जरिए आम मरीजों तक भी पहुंच सकेगा.

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    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

    Check out below Health Tools-
    Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

    Calculate The Age Through Age Calculator

    जर्नलिज्म की दुनिया में करीब 15 साल बिता चुकीं सोनम की अपनी अलग पहचान है. वह खुद ट्रैवल की शौकीन हैं और यही वजह है कि अपने पाठकों को नई-नई जगहों से रूबरू कराने का माद्दा रखती हैं. लाइफस्टाइल और हेल्थ जैसी बीट्स में उन्होंने अपनी लेखनी से न केवल रीडर्स का ध्यान खींचा है, बल्कि अपनी विश्वसनीय जगह भी कायम की है. उनकी लेखन शैली में गहराई, संवेदनशीलता और प्रामाणिकता का अनूठा कॉम्बिनेशन नजर आता है, जिससे रीडर्स को नई-नई जानकारी मिलती हैं. 

    लखनऊ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन रहने वाली सोनम ने अपने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत भी नवाबों के इसी शहर से की. अमर उजाला में उन्होंने बतौर इंटर्न अपना करियर शुरू किया. इसके बाद दैनिक जागरण के आईनेक्स्ट में भी उन्होंने काफी वक्त तक काम किया. फिलहाल, वह एबीपी लाइव वेबसाइट में लाइफस्टाइल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर काम कर रही हैं.

    ट्रैवल उनका इंटरेस्ट  एरिया है, जिसके चलते वह न केवल लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज के अनछुए पहलुओं से रीडर्स को रूबरू कराती हैं, बल्कि ऑफबीट डेस्टिनेशन्स के बारे में भी जानकारी देती हैं. हेल्थ बीट पर उनके लेख वैज्ञानिक तथ्यों और सामान्य पाठकों की समझ के बीच बैलेंस बनाते हैं. सोशल मीडिया पर भी सोनम काफी एक्टिव रहती हैं और अपने आर्टिकल और ट्रैवल एक्सपीरियंस शेयर करती रहती हैं.

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  • अंधेरे जंगल में कार के सामने रील बनाने लगी पापा की परी! यूजर्स बोले, नागमणि लेकर मानेगी- वीडियो वायरल

    अंधेरे जंगल में कार के सामने रील बनाने लगी पापा की परी! यूजर्स बोले, नागमणि लेकर मानेगी- वीडियो वायरल

    सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसने लोगों को हैरान और परेशान दोनों कर दिया है. वीडियो में एक लड़की पीले रंग का वन-पीस ड्रेस पहनकर अपनी कार को घने जंगल के बीच सड़क किनारे रोकती है और फिर डांस करने लगती है. कार के डैशबोर्ड पर कैमरा फिट है और जैसे ही रिकॉर्डिंग शुरू होती है, लड़की बाहर निकलती है और सड़क के बिल्कुल बीच में फिल्मी अंदाज में डांस करने लगती है. माहौल चारों तरफ सन्नाटा, पीछे जंगल और सामने कैमरा. किसी हॉरर फिल्म जैसा सीन बन जाता है.

    वीडियो में देखा जा सकता है कि लड़की पूरी मस्ती में डांस कर रही है. उसके पीछे झाड़ियों की सरसराहट और जंगल की आवाजें सुनाई दे रही हैं. आसपास कोई इंसान नहीं है. यही वजह है कि इस वीडियो को देखने वाले कई लोग डर भी गए. लड़की का अंदाज और आत्मविश्वास देखकर यह साफ है कि उसे इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं कि वो कहां है या कौन देख रहा है. बस कैमरा ऑन होना चाहिए और रील बननी चाहिए. यही बात लोगों को सबसे ज्यादा हैरान कर रही है. कई यूजर्स ने कहा कि “सोशल मीडिया की फेम की भूख अब इस हद तक पहुंच गई है कि लोग खतरनाक जगहों पर भी वीडियो बनाकर लाइक्स जुटाने लगे हैं.”

    बारिश का मौसम, रात का अंधेरा, सुनसान सड़क, घना जंगल एकदम मस्त लोकेशन…. ऐसा लगता है कि ये पक्का नागमणि लेकर ही मानेगी….!💯🤭🤣😜👇👇👻😂 pic.twitter.com/gDwtle7fps

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    वीडियो को @Sarvagy_ नाम के एक्स अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स वीडियो को लेकर तरह तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा….लगता है आज नागमणि लेकर ही जाएगी. एक और यूजर ने लिखा….अगर कोई राहगीर वहां से गुजरता तो डर के मारे गाड़ी पलट देता. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा…ये तो जंगल का बीच का लोकेशन है, यहां अकेले जाकर रील बनाना खुद की जान से खेलना है.

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  • राजस्थान में 34 IPS अफसरों का तबादला, जयपुर के पुलिस कमिश्नर भी बदले

    राजस्थान में 34 IPS अफसरों का तबादला, जयपुर के पुलिस कमिश्नर भी बदले

    राजस्थान में 34 आईपीएस अफसरों का तबादला कर दिया गया है. कई सीनियर अफसरों का एक से दूसरी जगह ट्रांसफर हुआ. राजधानी जयपुर के पुलिस कमिश्नर भी बदले गए. बीजू जोसेफ जॉर्ज की जगह सचिन मित्तल जयपुर के नए पुलिस कमिश्नर बने.

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  • सर्बिया की संसद के बाहर ताबड़तोड़ गोलीबारी, राष्ट्रपति वुसिन ने बताया 'आतंकी हमला'

    सर्बिया की संसद के बाहर ताबड़तोड़ गोलीबारी, राष्ट्रपति वुसिन ने बताया 'आतंकी हमला'

    सर्बिया की संसद भवन के बाहर बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को गोलीबारी हुई, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया है. गोलीबारी होते ही चारों तरफ हड़कंप मच गया और सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के समर्थकों के कैंप में आग लग गई. राष्ट्रपति वुसिक, जो सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सामना कर रहे हैं, ने इस गोलीबारी को ‘आतंकवादी हमला’ बताया है.

    स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सशस्त्र सुरक्षा अधिकारी संसद के बाहर एक बड़े तंबू के पास पहुंचे. कुछ गोलियां चलीं और फिर तंबू के अंदर आग लग गई. सूत्रों के हवाले से बताया गया कि एक 70 वर्षीय व्यक्ति ने टेंट कैंप में एक 57 वर्षीय व्यक्ति के पैर में गोली मार दी और फिर एक गैस कनस्तर में गोली मार दी.

    सोशल मीडिया पर वायरल घटना का वीडियो

    एएफपी ने बताया कि दमकलकर्मियों ने आग पर तुरंत काबू पा लिया है. इस घटना से जुड़े एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है और दूसरे व्यक्ति को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र ले जाया गया है. स्वास्थ्य मंत्री ज्लाटिबोर लोनकर ने बताया कि एक व्यक्ति को गंभीर चोट लगी है और उसका तत्काल ऑपरेशन करना होगा.

    हालांकि स्थानीय पुलिस ने अभी तक मामले को लेकर कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया है और ना ही कोई जानकारी दी गई है. हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में फायरिंग के तुरंत बाद सशस्त्र सुरक्षाकर्मी संसद के बाहर लगे एक विशाल तंबू की तरफ दौड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं एक और वीडियो में एक व्यक्ति जमीन पर लेटा दिखाई दे रहा है, जिसके हाथ पीठ के पीछे हैं और पुलिस उसे चारों तरफ से घेरे हुए है.

    संसद के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात

    बता दें कि यह घटना बेलग्रेड में जारी राजनीतिक तनाव के बीच घटी है, जहां सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच विरोध प्रदर्शन और टकराव अक्सर होते रहे हैं. हमले के बाद संसद के बाहर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है.

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  • भीषण सड़क हादसे से दहला युगांडा, बसों और वाहनों में टक्कर, 63 लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत

    भीषण सड़क हादसे से दहला युगांडा, बसों और वाहनों में टक्कर, 63 लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत

    अफ्रीका का एक देश युगांडा बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को एक भीषण सड़क हादसे से पूरी तरह से दहल गया है. युगांडा में हुए भीषण सड़क हादसे में बसों और अन्य वाहनों की टक्कर के बाद कम से कम 63 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई है. इसके अलावा, इस भयानक हादसे में काफी लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं.

    यह दर्दनाक सड़क हादसा युगांडा की राजधानी कंपाला के उत्तर के गुलू शहर से जोड़ने वाले कंपाला-गुलू हाईवे पर बुधवार सुबह हुआ, जब बस समेत कई छोटी-बड़ी गाड़ियां आपस में बुरी तरह से टकरा गई. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, गाडियों की टक्कर के बाद बड़े पैमाने में जानमाल की क्षति हुई है.

    युगांडा पुलिस कर रही सड़क हादसे की जांच

    युंगाडा पुलिस ने इस दर्दनाक सड़क हादसे की जांच शुरू कर दी. शुरुआती जांच के बाद स्थानीय पुलिस ने जानकारी दी कि इस घटना में दो बसों समेत चार अन्य गाड़ियां हादसे का शिकार हुईं हैं. दुर्घटना के पीछे के कारण को लेकर पुलिस ने कहा कि यह हादसा तब हुआ जब एक बस चालक ने कंपाला-गुलू हाईवे पर ओवरटेक करने का प्रयास किया. लेकिन इस दौरान उलटी दिशा से आ रही एक लॉरी से बस की सीधी टक्कर हो गई. हाईवे पर अचानक हुई इस टक्कर के बाद पीछे से आ रहीं कई गाड़ियां फिर आपस में भिड़ गईं और हाईवे पर तुरंत ही चीख-पुकार मच गई.

    More than 50 people killed, several others injured in a road accident involving 4 vehicles near Asili Farm on Kampala–Gulu highway, in Ugandan pic.twitter.com/fefcM88Fxc

    राहत और बचाव कार्य में जुटे आपातकालीन कर्मचारी

    कंपाला पुलिस ने प्रवक्ता ने इस मामले को लेकर कहा कि हादसे के बाद राहत और बचाव दल को तैनात किया गया है. बचाव दल दुर्घटना में घायल और फंसे पीड़ितों को सुरक्षित निकालने में तत्परता से जुटा हुआ है. दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और घायलों का युगांडा के पश्चिमी शहर किरयांडोंगे के अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है.

    पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस भयानक और दर्दनाक हादसे के बाद कंपाला-गुलू हाईवे को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. यह एक बेहद दर्दनाक सड़क हादसा है, 63 लोगों की मौके पर ही मौत हो चुकी है, कई लोगों गंभीर रूप से जख्मी हैं. इससे देश के कई हिस्से में मातम-सा छा गया है.

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  • न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी ने की PM मोदी की आलोचना, भारत को लेकर दे दिया बड़ा बयान

    न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी ने की PM मोदी की आलोचना, भारत को लेकर दे दिया बड़ा बयान

    अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है. जोहरान ने कहा कि पीएम मोदी के भारत की नजरिए में सिर्फ कुछ विशेष प्रकार के भारतीयों के लिए ही जगह है.

    दिवाली के मौके पर आयोजित एक भारतीय-अमेरिकी कम्युनिटी प्रोग्राम को संबोधित करते हुए जोहरान ममदानी ने इस बात को दोहराया कि भारत को लेकर उनका नजरिया पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अलग है.

    मेरी आलोचना BJP और मोदी की सोच को लेकर रही है- ममदानी

    जोहरान ममदानी ने कहा, ‘मैं पीएम मोदी की आलोचना इसलिए करता हूं क्योंकि मैं जिस भारत में पला-बढ़ा हूं, वह एक बहुलवादी भारत था. एक ऐसा भारत जहां हर धर्म के लोग बराबरी से रहते थे. मेरी आलोचना मोदी और बीजेपी की उस सोच को लेकर रही है जिसमें सिर्फ कुछ खास तरह के भारतीयों के लिए ही जगह है. मैं मानता हूं कि इसके बहुलतावादी सोच को मनाया जाना चाहिए और उसे अपनाने की कोशिश की जानी चाहिए.’

    उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि मैं न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए चुनाव लड़ रहा हूं, जो साढ़े आठ मिलियन लोगों का शहर है. यहां कई लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में मुझसे अलग राय रख सकते हैं और यह उनका अधिकार है और मैं सभी का समान रूप से प्रतिनिधित्व करूंगा क्योंकि यह मेरा कर्तव्य है कि हर न्यूयॉर्कवासी सुरक्षित महसूस करे और इस शहर में आराम से रहे सके.’

    गुजरात दंगों के लिए भी मोदी की कर चुके आलोचना

    उल्लेखनीय है कि भारतीय-अमेरिकी फिल्म निर्माता मीरा नायक के बेटे जोहरान ममदानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले भी प्रखर आलोचक रहे हैं. उन्होंने पीएम मोदी को युद्ध अपराधी कह चुक हैं. इसके अलावा, वह साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के लिए भी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निंदा की थी.

    खुद को डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट कहने वाले ममदानी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान न्यूयॉर्क में बढ़ती महंगाई और रहने की लागत को कम करने पर फोकस किया है. इसके अलावा, उन्होंने अपने अभियान को जमीनी स्तर पर पहुंचाने के लिए जनसंपर्क और विशेष रूप से सोशल मीडिया की रणनीतियों का इस्तेमाल किया है. इससे वे विभिन्न वर्ग के लोगों के लोकप्रिय भी हुए हैं.

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  • गोविंदा की भांजी सौम्या सेठ के घर गूंजी किलकारियां, एक्ट्रेस ने दिया बेटी को जन्म

    गोविंदा की भांजी सौम्या सेठ के घर गूंजी किलकारियां, एक्ट्रेस ने दिया बेटी को जन्म

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  • 92 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा, पाकिस्तान के आसिफ अफरीदी बने ऐसा करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी

    92 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा, पाकिस्तान के आसिफ अफरीदी बने ऐसा करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी

    पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के बीच रावलपिंडी में दूसरा टेस्ट मैच खेला जा रहा है. इस मैच में पाकिस्तान के लगभग 39 साल के स्पिनर आसिफ अफरीदी ने अपना टेस्ट डेब्यू किया. अपने पहले ही मैच में आसिफ अफरीदी ने करिश्माई गेंदबाजी करते हुए 92 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. आसिफ अब टेस्ट डेब्यू में पांच विकेट लेने वाले सबसे उम्रदराज गेंदबाज बन गए हैं. 

    आसिफ अफरीदी ने यह कारनामा 38 साल और 301 दिन की उम्र में किया. आसिफ ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट की पहली पारी में 6 विकेट चटकाए. आसिफ अफरीदी से पहले सबसे ज्यादा उम्र में डेब्यू टेस्ट में 5 विकेट लेने का रिकॉर्ड इंग्लैंड के लेग स्पिनर चार्ल्स मैरियट के नाम था. मैरियट ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 1933 में 37 साल और 332 दिन की उम्र में यह कारनामा किया था. 

    हार की कगार पर पाकिस्तान 

    रावलपिंडी टेस्ट में पाकिस्तान टीम अब हार की कगार पर है. पाकिस्तान ने इस टेस्ट की पहली पारी में 333 रन बनाए थे. जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने 404 रनों का स्कोर खड़ा किया. दक्षिण अफ्रीका के लिए आठ नंबर पर सेनुरन मुथुसामी ने नाबाद 89, 10 नंबर पर उतरे केशव महाराज ने 30 और 11 नंबर पर उतरे कगिसो रबाडा ने 71 रनों की पारी खेली. जवाब में पाकिस्तान ने दूसरी पारी में तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक 94 के स्कोर पर 4 विकेट गंवा दिए हैं. अभी उनकी कुल बढ़त सिर्फ 23 रनों की है. बाबर आजम 83 गेंद में 7 चौकों की मदद से 49 रनों पर हैं. साथ में मोहम्मद रिजवान 49 गेंद में एक चौके की मदद से 16 रन पर हैं.

    पाकिस्तान के दूसरे सबसे ज्यादा उम्र में टेस्ट डेब्यू करने वाले खिलाड़ी हैं आसिफ अफरीदी

    पाकिस्तान ने इस टेस्ट में 39 साल के आसिफ अफरीदी को डेब्यू का मौका दिया है. इस समय उनकी उम्र 38 साल और 300 दिन के करीब है, लेकिन दिसंबर में वह 39 साल के पूरे हो जाएंगे. आसिफ पाकिस्तान के लिए टेस्ट क्रिकेट में दूसरे सबसे ज्यादा उम्र में डेब्यू करने वाले क्रिकेटर बन गए हैं. टेस्ट क्रिकेट में पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी उम्र में डेब्यू करने वाले खिलाड़ी मिरान बक्श हैं, जिन्होंने 1955 में टीम इंडिया के खिलाफ 47 साल 284 दिन की उम्र में डेब्यू किया था.

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  • Ghost Rider… पेट्रोल भरी थैली पर जला दिया बम, धमाका हुआ तो बाइक सवार को देख कांप गए यूजर्स

    Ghost Rider… पेट्रोल भरी थैली पर जला दिया बम, धमाका हुआ तो बाइक सवार को देख कांप गए यूजर्स

    Social Media Viral Video : दीवाली को रोशनी, खुशी और मिठास का त्योहार माना जाता है. यह ऐसा वक्त होता है जब लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं. लेकिन हर साल कुछ लोग इस जश्न को खतरनाक स्टंट और लापरवाही में बदल देते हैं, जिसका अंजाम बहुत ही डरावना हो सकता है. 

    इस साल सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो गया है जिसे देखकर अच्छे-अच्छों के रोंगटे खड़े हो गए. ये वीडियो सिर्फ एक खतरनाक हरकत नहीं है, बल्कि मौत से खेलने वाली बेवकूफी है. लोग इस क्लिप को देखकर इसे Ghost Rider स्टाइल का स्टंट कह रहे हैं, लेकिन इसमें एक इंसान जिंदगी और मौत के बीच झुलसता हुआ दिख रहा है.

    क्या है इस खतरनाक वायरल वीडियो में?

    वीडियो में एक युवक बाइक पर बैठा है और उसके थोड़ा पास एक लड़का पेट्रोल भरी थैली पर बम जला देता है. जैसे ही बम फूटता है, जोरदार धमाका होता है और चारों तरफ आग लग जाती है. पेट्रोल की वजह से आग तेजी से फैलती है और बाइक पर बैठा युवक आग की लपटों में घिर जाता है. कुछ ही सेकंड में वह बुरी तरह से जलने लगता है.उसके आसपास खड़े लोग पहले तो घबरा जाते हैं, फिर उसे बचाने के लिए दौड़ते हैं. यहां पूरा सीन इतना डरावना है कि जिसने भी वीडियो देखा, वह कांप उठा. लोग इस खतरनाक हरकत को देखकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. 

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    लोगों के डर और हैरान कर देने वाले रिएक्शन

    इस वीडियो को सोशल मीडिया पर @ohi_anil_kumar नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है. वीडियो अब तक लाखों बार देखा जा चुका है और हजारों लोगों ने इसे लाइक भी किया है. यूजर्स ने कमेंट्स में अपनी नाराजगी और चिंता जाहिर की है. किसी ने लिखा कि दीवाली है भाई, जिंदा रहोगे तो अगले साल भी मना पाओगे, तो एक यूजर ने कमेंट किया ये स्टंट नहीं, खुदकुशी की कोशिश है. वहीं कई लोग कह रहे हैं कि सोशल मीडिया का वायरल बनने का जुनून इंसानों को पागल बना रहा है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि सोशल मीडिया पर दो मिनट की वायरल क्लिप के लिए अपनी लाइफ का सौदा करना बिल्कुल भी सही नहीं है.

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