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  • IND vs AUS ODI: भारत-ऑस्ट्रेलिया के मैच में नहीं रुकी बारिश, तब कौन जीतेगा मैच, क्या है नियम?

    IND vs AUS ODI: भारत-ऑस्ट्रेलिया के मैच में नहीं रुकी बारिश, तब कौन जीतेगा मैच, क्या है नियम?

    Rain Stop Match In Perth IND vs AUS Match: भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला वनडे आज रविवार, 19 अक्टूबर को पर्थ में खेला जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया. वहीं भारत की टीम बल्लेबाजी करने उतरी, लेकिन इस मैच में बारिश खेल बिगाड़ रही है. पर्थ में खेला जा रहा ये मैच कई बार बारिश की वजह से रुका है. हर बार मैच रुकने से ओवर में कटौती होती जा रही है. अगर ऐसे ही आज मैच के पूरे दिन बारिश होती रही, तब ये मैच कौन जीतेगा, आइए जानते हैं.

    भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले वनडे में कई बार बारिश ने अड़चन पैदा की है. शुरुआत में 10 मिनट की बारिश के बाद ही मैच 49 ओवर का कर दिया गया था. वहीं मैच शुरू होने के कुछ समय बाद फिर से दो घंटे करीब बारिश हुई, जिसके बाद मैच 35-35 ओवर का कर दिया गया. इसके बाद फिर मैच खेला गया और 15 गेंद फेंके गई, लेकिन फिर बारिश हो गई और मैच 32-32 ओवर का हो गया.

    भारत-ऑस्ट्रेलिया के मैच में अगर लगातार बारिश होती रही और इस वजह से ये मैच नहीं हो पाता है, तब ये मुकाबला रद्द हो जाएगा. इस मुकाबले के लिए कोई रिजर्व डे नहीं रखा गया है, इसलिए अगर मैच नहीं भी होता है तो ये मुकाबला कोई भी टीम नहीं जीतेगी और ये मैच स्थगित कर दिया जाएगा.

    भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करने आई. टीम इंडिया की तरफ से कप्तान शुभमन गिल और ओपनिंग बल्लेबाज रोहित शर्मा मैदान पर उतरे, लेकिन 8 रन बनाकर ही हिटमैन रोहित आउट हो गए. वहीं इसके बाद विराट कोहली बल्लेबाजी करने आए, लेकिन विराट भी 8 गेंदों में बिना कोई रन बनाए पवेलियन लौट गए. रोहित-विराट के बाद शुभमन गिल भी 10 रन बनाकर आउट हो गए.

    भारत के 25 के स्कोर पर ही 3 विकेट गिर गए थे. बारिश के जब फिर एक बार मैच शुरू हुआ, तब उपकप्तान श्रेयस अय्यर भी 11 रन बनाकर आउट हो गए. भारत ने 45 के स्कोर पर चौथा विकेट गंवा दिया. पर्थ में लगातार बारिश हो रही है और भारत का स्कोर 16.4 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 52 रन पर पहुंच गया है.

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    साक्षी गुप्ता एबीपी न्यूज़ में 2023 से काम कर रही हैं. साक्षी की खेल और राजनीतिक जगत में काफी दिलचस्पी है. इसके अलावा साक्षी ऑटो सेक्शन से लेकर एंटरटेनमेंट की खबरें लिखने में भी रुचि रखती हैं. खाली समय में साक्षी को पढ़ना और स्पोर्ट्स खेलना काफी पसंद है. साक्षी ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से हिन्दी पत्रकारिता में मास्टर्स की डिग्री ली है और डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएट हैं.

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  • लव जिहाद को लेकर BJP नेता प्रज्ञा ठाकुर का विवादित बयान- 'बेटी बात न माने तो टांगे तोड़ दो'

    लव जिहाद को लेकर BJP नेता प्रज्ञा ठाकुर का विवादित बयान- 'बेटी बात न माने तो टांगे तोड़ दो'

    पूर्व सांसद और बीजेपी की विवादित नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने हाल ही में बेटी पालन और ‘लव जिहाद’ को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा कि अगर कोई लड़की माता-पिता की बात नहीं मानती और किसी अन्य धर्म के युवक के पास जाने की कोशिश करती है, तो परिवार को उसे रोकने और सही मार्ग पर लाने में कड़ा रुख अपनाना चाहिए. 

    साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “अगर आवश्यक हो तो उसे डांटना चाहिए, ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रहे. अगर लड़की बात न माने तो उसकी टांगें तोड़ दो. उसके भविष्य के लिए अगर पीटना पड़े तो पीछे मत हटना.”

    प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि जब बेटी बड़ी होती है तो वह अक्सर अपने रास्ते खुद चुनने लगती है और कभी-कभी घर से भागने की भी कोशिश करती है. ऐसे मामलों में परिवार को सतर्क रहना चाहिए और हर संभव प्रयास करना चाहिए ताकि बेटी सही मार्ग पर रहे. अगर उसे समझाने के लिए सख्ती करनी पड़े तो पीछे मत हटो.

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    साध्वी प्रज्ञा के इस बयान ने सोशल मीडिया पर तेजी से प्रतिक्रिया बटोरी है. कई आलोचकों ने इसे महिला अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अवहेलना बताया. उन्होंने कहा कि किसी भी लड़की को उसके माता-पिता की इच्छा के खिलाफ रोकने के लिए हिंसा या डर का सहारा देना कानूनन गलत और नैतिक रूप से अनुचित है.

    वहीं, साध्वी प्रज्ञा के समर्थक इसे पारंपरिक परिवार और संस्कारों की रक्षा के रूप में देख रहे हैं. उनके अनुसार, आज के समय में परिवार और समाज की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे सही दिशा में बढ़ें और किसी बाहरी प्रभाव में आकर गलत मार्ग न अपनाएं.

    राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि साध्वी प्रज्ञा जैसे विवादित नेताओं के बयान अक्सर मीडिया और जनता का ध्यान आकर्षित करते हैं और चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकते हैं. उनका यह बयान केवल भोपाल या मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल होने के कारण यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है.

    कई महिला अधिकार संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस बयान की निंदा कर चुके हैं. उनका कहना है कि किसी भी तरह का दबाव, धमकी या शारीरिक सख्ती किसी के व्यक्तिगत अधिकारों के खिलाफ है. वहीं, कुछ लोग इसे परिवार की परंपरागत भूमिका और बच्चों की सुरक्षा के संदर्भ में देख रहे हैं.

    इस पूरे विवाद ने एक बार फिर समाज में लव जिहाद और पारिवारिक नियंत्रण को लेकर बहस को हवा दे दी है. साध्वी प्रज्ञा का यह बयान चुनावी और सामाजिक विमर्श दोनों के लिए विवादित विषय बन गया है और आने वाले दिनों में इसके राजनीतिक और कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा होने की संभावना है.

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  • Pregnancy Body Preparation: प्रेग्नेंट होना है तो ऐसे करें अपनी बॉडी को तैयार, बेहद काम आएंगे ये टिप्स

    Pregnancy Body Preparation: प्रेग्नेंट होना है तो ऐसे करें अपनी बॉडी को तैयार, बेहद काम आएंगे ये टिप्स

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  • बिहार चुनाव में इस बार M, D, PK फैक्टर अहम, किस दल को होगा सियासी फायदा? जानें क्या बोले एक्सपर्ट

    बिहार चुनाव में इस बार M, D, PK फैक्टर अहम, किस दल को होगा सियासी फायदा? जानें क्या बोले एक्सपर्ट

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 धीरे-धीरे अपने निर्णायक दौर में पहुंच चुका है. पहले चरण की नामांकन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और अब सभी दल प्रचार अभियान में पूरी ताकत से जुट गए हैं. मतदान दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. इस बार मुकाबला केवल एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं, बल्कि एक तीसरी ताकत भी राजनीतिक मैदान में उतर चुकी है  प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह चुनाव तीन प्रमुख फैक्टर्स पर टिका है, जो है M (महिला वोटर), D (दलित वोटर), और PK (प्रशांत किशोर).

    पिछले दो दशकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के कई कदम उठाए हैं. उनकी योजनाओं ने लाखों परिवारों के जीवन में बदलाव लाया है. साइकिल योजना, यूनिफॉर्म योजना और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे प्रयासों ने महिलाओं की शिक्षा और रोजगार दोनों को आगे बढ़ाया. हाल के महीनों में शुरू की गई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (M3RY) ने भी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को राहत दी है. M3RY जिसके तहत 10,000 रुपये योग्य परिवारों की महिलाओं को दिए गए. अगस्त तक 7.5 मिलियन महिलाओं को यह राशि ट्रांसफर की जा चुकी है.

    अक्टूबर में आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले दूसरी किस्त जारी की गई, जिससे कुल 10 मिलियन से अधिक महिलाओं तक यह लाभ पहुंचा. चुनाव से ठीक पहले दूसरी किस्त जारी होने से लगभग एक करोड़ महिलाओं को इसका लाभ मिला. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह महिला समर्थन एनडीए के लिए बड़ा आधार बन सकता है. राज्य में लगभग 3.5 करोड़ महिला मतदाता हैं, जिनका झुकाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है.

    दलित मतदाता बने रहेंगे चुनाव का सेंटर

    बिहार की राजनीति में दलित समुदाय हमेशा से एक अहम भूमिका निभाता रहा है. इस बार भी उनका रुझान सत्ता की दिशा तय कर सकता है. जीतन राम मांझी और चिराग पासवान जैसे दो प्रमुख दलित नेता एनडीए के साथ हैं, जिससे गठबंधन को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है. वहीं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव और कांग्रेस की अगुवाई वाला महागठबंधन भी दलित वोटों को आकर्षित करने के प्रयास में जुटा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैलियों में दलित समाज से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है. अब सवाल यह है कि क्या दलित समाज एनडीए के साथ रहेगा या सामाजिक न्याय के नाम पर महागठबंधन को प्राथमिकता देगा.

    प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी नई राजनीति की शुरुआत

    प्रशांत किशोर अब रणनीतिकार की जगह नेता की भूमिका में हैं. उनकी जन सुराज पार्टी ने तीन वर्षों के भीतर गांव-गांव जाकर संगठन खड़ा किया है. उन्होंने विकास और नीति-आधारित राजनीति की बात कर युवाओं और पढ़े-लिखे वर्ग में एक अलग पहचान बनाई है. बीजेपी के एक आंतरिक सर्वे के अनुसार, जन सुराज पार्टी लगभग 13 से 15 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर सकती है. यह वोट प्रतिशत इतना है कि यह नतीजों का गणित पूरी तरह बदल सकता है. अगर उनकी पार्टी को पर्याप्त सीटें मिलती हैं, तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हंग असेंबली की संभावना भी बढ़ सकती है. ऐसी स्थिति में प्रशांत किशोर किसी भी गठबंधन के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

    मुख्यमंत्री पद को लेकर बढ़ा राजनीतिक सस्पेंस

    एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा अब तक तय नहीं हुआ है. गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान ने इस विषय पर नई अटकलें पैदा कर दी हैं. उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री का चयन विधायी दल करेगा.” इस बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि अगर एनडीए बहुमत पाता है, तो क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या बीजेपी नया चेहरा सामने लाएगी. राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बीजेपी का दीर्घकालिक लक्ष्य “प्रोजेक्ट बिहार” है, यानी राज्य में अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाना.

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  • ONGC में निकली बंपर भर्ती, बिना एग्जाम होगा सेलेक्शन

    ONGC में निकली बंपर भर्ती, बिना एग्जाम होगा सेलेक्शन

    ONGC Recruitment 2025: सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी कि ONGC ने अप्रेंटिस पदों पर बंपर वैकेंसी निकाली है. इस रिक्रूटमेंट में कुल 2623 अलग-अलग सीट्स पर कैंडिडेट्स का सिलेक्शन किया जाना है. सबसे खास बात ये है कि इसमें कोई इंटरव्यू नहीं होगा और कैंडिडेट्स को उनके पिछले एग्जाम के मार्क्स और एजुकेशन क्वालीफिकेशन के आधार पर सेलेक्ट किया जाएगा.

    इस पब्लिक सेक्टर ऑयल एंड नेचुरल गैस कंपनी में अप्रेंटिस करने का सपना देखने वालों के लिए बेहतरीन मौका है. कैंडिडेट्स इसमें अप्लाई करने के लिए ONGC की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर फॉर्म्स भर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि इसमें अप्लाई करने के लिए क्या है एज लिमिट और क्राइटेरिया ?

    ONGC की इस अप्रेंटिस के एप्लीकेशन फॉर्म्स 16 अक्टूबर को आउट हो चुके हैं. कैंडिडेट्स इसमें 6 नवंबर तक अप्लाई कर सकते हैं. आपको बता दें कि इसमें कई पदों पर भर्ती निकली है. इसमें कुल 2623 पदों में से नॉर्दर्न रीजन में 165, मुंबई में 569, वेस्टर्न रीजन में 856, ईस्टर्न रीजन में 458, साउदर्न रीजन में 322, और सेंट्रल रीजन में 253 सीट्स पर वैकेंसी निकाली गई हैं. साथ ही, इस अप्रेंटिस के दौरान सिलेक्टेड कैंडिडेट्स को स्टाइपेंड भी दी जाएगी.

    इस गवर्नमेंट अप्रेंटिस के लिए अप्लाई करने की मिनिमम एज 18 साल और मैक्सिमम एज लिमिट 24 साल है. ये एज लिमिट कैटेगरी वाइस अलग-अलग सेट की गई है. इसके अलावा एजुकेशन क्वालीफिकेशन की बात करें तो इसके लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से क्लास 10 और 12 पास की होनी चाहिए. साथ ही, कैंडिडेट के पास रिलेटेड ट्रेड में ITI का सर्टिफिकेट होना चाहिए. कुछ सीट्स पर अप्लाई करने के लिए B.A, B.Tech, B.com, B.sc और B.BA जैसी डिग्री होना जरूरी है. ऐसे में ONGC हर एजुकेशन सेक्शन के कैंडिडेट्स को अच्छा मौका दे रहा है.
     

    1. सबसे पहले आपको ONGC की ऑफिशियल वेबसाइट ongcindia.com पर जाना है. 
    2. फिर होमपेज पर मौजूद करियर सेक्शन में जाकर apply now पर क्लिक करना है.
    3. फिर साइट पर रजिस्टर करने के बाद एप्लीकेशन फॉर्म भरना है.
    4. सभी डिटेल्स सही तरह से फिल करके फॉर्म सबमिट करना है. 
    5. आखिर में इसके प्रिंट आउट की कॉपी निकल कर रख लें.

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    आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं. 

    दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की. 

    साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं. 

    घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.

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  • Diwali 2025: दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए शंख क्यों जरूरी है? जानिए इसका धार्मिक महत्व

    Diwali 2025: दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए शंख क्यों जरूरी है? जानिए इसका धार्मिक महत्व

    Diwali 2025: दिवाली का त्योहार चाकाचौंध रोशनी और सजावट का ही पर्व नहीं, बल्कि यह समय मां लक्ष्मी की पूजा और घर में सुख समृद्ध लाने का सुनहरा मौका होता है. इस साल दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन है.

    इस दिन मां लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए शंख खरीदने की प्राचीन परंपरा रही है. आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है?

    शंख को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है. इसे समुद्र का प्रतीक और शुभता का स्त्रोत भी कहा गया है. दिवाली के दिन शंख खरीदने से वास्तु दोष से जुड़ी समस्या का भी अंत होता है. इसके अलावा शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर होती है. 

    हिंदू पौराणिक कथाओं में मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा गया है. लक्ष्मी पूजा के दिन शंख खरीदने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ धन और समृद्धि में वृद्धि होती है.

    इसलिए दिवाली पर शंख खरीदते समय हमेशा प्राकृतिक और शुद्ध शंख ही लेना चाहिए. शास्त्रों में सफेद या हल्के रंग का शंख बेहद शुभ माना गया है. 

    इस साल दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के दौरान शंख बजाने से घर में आर्थिक समृद्धि के साथ सुख-शांति भी बढ़ती है. शंख बजाते समय आप मंत्र या छोटी-छोटी प्रार्थनाओं का भी उच्चारण कर सकते हैं.

    शास्त्रों में शंख को मां लक्ष्मी का भाई भी बताया गया है, जिस वजह से लक्ष्मी पूजा के दिन शंख और भी विशेष हो जाता है. 

    दिवाली पर शंख के अलावा रंगोली, दीपक और तोरण का भी विशेष महत्व होता है. दिवाली के दिन घर के मुख्य दरवाजे को मौली और फूल के तौरण से सजाए.

    इसके साथ ही पूजा स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें, मां लक्ष्मी के समक्ष दीपक जलाने के साथ मिठाईयों का भोग भी लगाएं. 

    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

    अंकुर अग्निहोत्री ज्योतिष और धार्मिक विषय के जानकर हैं, ये बीते एक साल से abplive.com से जुड़े हुए हैं और विभिन्न विषयों पर लेखन कार्य कर रहे हैं. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी भोपाल से पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है. दिल्ली में जन्मे अंकुर अग्निहोत्री को अंक शास्त्र, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, स्वप्न शास्त्र में विशेष रुचि रखते हैं. ये डिजीटल प्लेट फॉर्म पर ज्योतिष को लोकप्रिय और इसकी विश्वनीयता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं, इनका मकसद नई पीढ़ी को ज्योतिष, धर्म और आध्यत्म की शक्ति से रूबरू कराना है. ज्योतिष व धर्म के साथ इनको साहित्य पढ़ने और फिल्में देखने का भी शौक है.

    दिवाली पर शंख खरीदते समय हमेशा प्राकृतिक और शुद्ध शंख ही लेना चाहिए। शास्त्रों में सफेद या हल्के रंग का शंख बेहद शुभ माना जाता है।

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  • आखिर भारत की जगह लंदन में क्यों रह रहे हैं विराट कोहली? ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खुद किया खुलासा

    आखिर भारत की जगह लंदन में क्यों रह रहे हैं विराट कोहली? ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खुद किया खुलासा

    Virat Kohli In IND vs AUS: विराट कोहली ने सात महीने बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में विराट जीरो (0) पर आउट हो गए. कोहली काफी समय से अपने देश से दूर लंदन में रह रहे थे. विराट के साथ उनकी वाइफ अनुष्का शर्मा और बच्चे वामिका और अकाय भी लंदन में ही रहने चले गए. विराट टेस्ट और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं, इसलिए अब वे कम ही मुकाबले खेलते नजर आते हैं. कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बातचीत के दौरान अपनी लंदन जाने की वजह के बारे में बताया है.

    विराट कोहली एक पब्लिक फिगर हैं, लेकिन वे काफी समय से अपने परिवार के साथ विदेश में रह रहे हैं. आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिताब जीतने के बाद विराट कोहली पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ इंग्लैंड चले गए. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कमेंटेटर एडम गिलक्रिस्ट और रवि शास्त्री को दिए इंटरव्यू में विराट कोहली ने बताया कि टेस्ट से संन्यास के बाद उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला और अपनी पर्सनल लाइफ में भी वो वक्त बिता पाए. विराट ने ये भी कहा कि वो पिछले 15 साल में वे क्रिकेट खेलने के दौरान पूरी तरह ब्रेक नहीं ले पाए थे.

    भारत के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली ने फॉक्स क्रिकेट पर बात करते हुए कहा कि ‘हां, मुझे टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हुए काफी टाइम हो गया है. मैं अब अपने जीवन से जुड़ पा रहा हूं, जो कि मैं काफी लंबे समय से नहीं कर पा रहा था. अपने बच्चों और परिवार के साथ घर पर समय बिताना बहुत सुंदर है, जिसमें मुझे बहुत मजा आ रहा है’.

    विराट कोहली ने आगे कहा कि मैं ईमानदारी से कहूं तो मैं पिछले 15 से 20 सालों में जितना भी क्रिकेट खेला है, मैंने मुश्किल से ही कोई ब्रेक लिया होगा. अगर आप इंटरनेशनल क्रिकेट और आईपीएल को मिलाकर देखें तो मैंने पिछले 15 सालों में किसी और प्लेयर की तुलना में ज्यादा ही मैच खेले होंगे. इसी वजह से अब वापस आना मेरे लिए बहुत रिफ्रेशिंग है.

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  • Pakistan Economic Crisis: PAK में दो वक्त की रोटी को मोहताज लोग, एक महीने में डेढ़ गुना बढ़े गेहूं के दाम; आर्थिक मंदी की आहट

    Pakistan Economic Crisis: PAK में दो वक्त की रोटी को मोहताज लोग, एक महीने में डेढ़ गुना बढ़े गेहूं के दाम; आर्थिक मंदी की आहट

    पाकिस्तान आर्थिक मंदी के बुरे दौर में फंसा हुआ दिखाई दे रहा है. बढ़ती कीमतों के कारण वह गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहा है, जो जरूरी सामनों की मांग और सप्लाई के बीच बढ़ते अंतर के कारण है. यह बात एक नई रिपोर्ट में सामने आई है. डायरेक्टस.जीआर की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश आबादी के लिए भोजन और पोषण का प्राथमिक स्रोत गेहूं की कीमतों में मात्र एक महीने में 30-50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.

    रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इससे पाकिस्तान में आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जो पहले से ही बढ़ती जीवन-यापन लागत और देश की आर्थिक अस्थिरता से प्रभावित थे. सितंबर 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में साल-दर-साल आधार पर 5.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.’ बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति की वजह से मांस की खपत और टमाटर जैसी महंगी वस्तुओं की खपत में कटौती आई. लोगों ने खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सरकार की विफलता पर रोष व्यक्त किया है, जिससे उनकी आजीविका मुश्किल हो गई है.

    स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का अनुमान फेल

    विशेषज्ञों का अनुमान है कि समग्र मुद्रास्फीति के आंकड़े इस्लामाबाद सरकार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के अनुमान से अधिक होंगे. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा था कि सरकार मूल्य स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों का दावा है कि सरकारी उपाय केवल प्रतीकात्मक थे, जिससे ज्यादा दाम वसूलने पर रोक नहीं लग पाई.

    पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित

    इस्लामाबाद सरकार ने भी बाढ़ को कम कृषि उत्पादन और खाद्य वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है. विशेषज्ञों के अनुसार, बाढ़ और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण खाद्य मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने की आशंका है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुई है, जिससे कृषि उत्पादन पर असर पड़ा है और मुद्रास्फीति का दबाव फिर से बढ़ गया है. विश्व बैंक ने 2025-26 में पाकिस्तान के लिए केवल 2.6 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है.

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  • UPSC Success Story: गरीबी से गौरव तक, पढ़ें चाय बेचते-बेचते IAS बने हिमांशु की मेहनत और जूनून की कहानी  

    UPSC Success Story: गरीबी से गौरव तक, पढ़ें चाय बेचते-बेचते IAS बने हिमांशु की मेहनत और जूनून की कहानी  

    कभी बरेली की एक छोटी चाय की दुकान पर काम करने वाला हिमांशु गुप्ता आज यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता हासिल कर आईएएस अधिकारी बन चुका है. हिमांशु की कहानी संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास की मिसाल है. उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और 2019 में 304वीं रैंक हासिल की.

    हिमांशु का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ. उनके पिता के पास एक छोटी सी चाय की दुकान थी, जहां हिमांशु बचपन में चाय परोसते थे और परिवार की मदद करते थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान भी पिता की दुकान में काम किया और खाली समय में अखबार पढ़कर सामान्य ज्ञान बढ़ाया.

    हिमांशु ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. कॉलेज में एडमिशन मिलने के बाद उन्हें रहने और पढ़ाई के खर्चों के लिए ट्यूशन पढ़ाना पड़ा. इसके अलावा हिमांशु ने पेड ब्लॉग्स लिखकर अपनी आर्थिक स्थिति संभाली. उनका कहना है कि यह उनके लिए पहला मौका था जब वे मेट्रो शहर गए और बड़े शहर में अपनी पढ़ाई के साथ-साथ काम करने का अनुभव मिला.

    ग्रेजुएशन के बाद लिया फैसला

    ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिमांशु को एक अच्छी नौकरी का अवसर मिला. लेकिन उनकी इच्छा थी कि वे देश की सेवा करें. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज की तैयारी का निर्णय लिया. इसके लिए उन्होंने रिसर्च स्कॉलर के रूप में एक सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया और एनवायरमेंटल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की. हिमांशु अपने बैच के टॉपर रहे. विदेश से पीएचडी का अवसर मिलने के बावजूद उन्होंने सिविल सर्विसेज का रास्ता चुना. उनका मानना था कि देश की सेवा करना उनके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है.

    पहले अटेम्प में आईआरटीएस  

    पहले ही प्रयास में हिमांशु ने यूपीएससी परीक्षा पास की, लेकिन रैंक कम आने के कारण उन्हें आईआरटीएस (Indian Railway Traffic Service) में चयन मिला. इसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा यूपीएससी की परीक्षा में बैठने का फैसला किया. लगातार प्रयास और मेहनत के बाद हिमांशु ने सफलता हासिल की और आईएएस अधिकारी बनकर अपने परिवार और समाज के लिए एक उदाहरण स्थापित किया.

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