डीआरडीओ ने स्वदेशी अस्त्र-Mark-2 कार्यक्रम में नई उन्नत क्षमताएँ जोड़ने का फैसला किया है. यह कदम उस मिसाइल के तकनीकी विश्लेषण के बाद लिया गया जो मई में पंजाब में बरामद हुई थी. उस मिसाइल को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक पाकिस्तानी जेट से दागा गया माना जा रहा है और वह बिना विस्फोट के भारतीय क्षेत्र में गिर गई थी.
पंजाब के होशियारपुर के पास खेत में मिली यह मिसाइल पूरी तरह सेव की हुई हालत में मिली. रक्षा वैज्ञानिकों के लिए यह दुर्लभ मौका था कि वे एक वास्तविक विदेशी हथियार का गहराई से परीक्षण कर सकें. मामले से परिचित कुछ लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह पीएल-15 का एक्सपोर्ट वर्जन था और इसकी कुछ खूबियाँ भारत में अब और भी ध्यान खींच रही हैं.
जांच में क्या पता चला?
जांच में पता चला है कि मिसाइल में कई आधुनिक तकनीकी तत्व थे. इनमें लंबी दूरी तक लक्ष्य पहचान और ट्रैक करने वाला उन्नत रडार और प्रभावी एंटी-जैमिंग प्रणाली जैसे घटक शामिल बताए जा रहे हैं. साथ ही ये संकेत भी मिले कि मिसाइल में स्व-विनाश (self-destruct) सिस्टम मौजूद नहीं था, जिसकी वजह से यह बिना फटने के बरामद हुई. यह मिसाइल संभवतः पाकिस्तान वायुसेना के जेएफ-17 या जे-10 सी विमान से दागी गई थी, लेकिन किसी कारण से यह अपने लक्ष्य को नहीं भेदी और करीब 100 किमी तक अंदर आकर गिरी.
डीआरडीओ ने सौंपी रिपोर्ट
डीआरडीओ अपनी सामूहिक तकनीकी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंप चुका है. रिपोर्ट में मिली जानकारियों के आधार पर अब देश के स्वदेशी मिसाइल विकास कार्यक्रम में जरूरी सुधार और नई तकनीकों को शामिल करने की प्रक्रिया तेज की जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि बरामद मिसाइल के अध्ययन से मिलने वाले इनपुट से भारतीय प्रणालियों की सीमा-ज्ञान, रडार क्षमता और इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा में सुधार संभव होगा.
सरल शब्दों में कहा जाए तो, मिली मिसाइल ने रक्षा वैज्ञानिकों को वास्तविक स्थिति में काम करने वाला एक अमूल्य नमूना दिया है. इसके विश्लेषण से मिली तकनीकी समझ का इस्तेमाल भविष्य के स्वदेशी हथियारों को और सक्षम बनाने में किया जाएगा.
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