Countries Without Armed Forces: दुनिया के ज्यादातर देशों के पास अपनी-अपनी सेनाएं होती हैं, जो देश की सीमाओं, जनता और हितों की रक्षा करती हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जिनके पास अपनी कोई आर्मी नहीं है. फिर भी ये देश सुरक्षित हैं और शांति से अपना शासन चला रहे हैं. आइए जानते हैं कि ये देश कौन हैं, इनके पास सेना क्यों नहीं है और आखिर इनकी सुरक्षा कौन करता है.
कोस्टा रिका
कोस्टा रिका ने 1948 में अपनी सेना खत्म कर दी थी. उस समय देश में गृहयुद्ध के बाद नई सरकार ने फैसला किया कि अब सेना पर खर्च करने के बजाय पैसा शिक्षा और स्वास्थ्य पर लगाया जाएगा. आज कोस्टा रिका की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और विशेष सुरक्षा बलों के पास है. इसके अलावा, अमेरिका और अन्य लैटिन देशों के साथ इसके रक्षा समझौते हैं.
आइसलैंड
आइसलैंड के पास अपनी कोई स्थायी सेना नहीं है, लेकिन यह देश NATO का सदस्य है. यानी अगर इस पर कोई हमला होता है तो NATO देश इसकी रक्षा करते हैं. यहां सुरक्षा के लिए सिर्फ कोस्ट गार्ड और पुलिस बल हैं, जो सीमाओं और आपात स्थितियों को संभालते हैं.
वेटिकन सिटी
वेटिकन सिटी दुनिया का सबसे छोटा देश है और यह कैथोलिक चर्च का मुख्यालय है. इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्विट्जरलैंड गार्ड संभालते हैं. ये सैनिक पूरी तरह प्रशिक्षित होते हैं और पोप की व्यक्तिगत सुरक्षा का जिम्मा उठाते हैं.
लीचटेंस्टाइन
1868 में आर्थिक कारणों से लीचटेंस्टाइन ने अपनी सेना खत्म कर दी थी. अब इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्विट्जरलैंड पर है. यह देश छोटा है और बेहद शांतिप्रिय माना जाता है, इसलिए यहां बाहरी खतरा लगभग न के बराबर है.
प्रशांत महासागर का यह छोटा द्वीप राष्ट्र अपनी रक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया पर निर्भर है. नाउरू के पास सिर्फ पुलिस बल है, जो आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था संभालता है.
मोनाको यूरोप का एक छोटा और अमीर देश है. इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी फ्रांस के पास है. फ्रांस के सैनिक जरूरत पड़ने पर मोनाको की सीमाओं और रक्षा को संभालते हैं, जबकि स्थानीय पुलिस आंतरिक सुरक्षा का ध्यान रखती है.
समोआ के पास भी सेना नहीं है. यह देश अपनी रक्षा के लिए न्यूजीलैंड पर निर्भर है. दोनों देशों के बीच एक मित्र संधि है, जिसके तहत न्यूजीलैंड जरूरत पड़ने पर समोआ की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
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निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.
अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.
खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.
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