बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA के घटक दलों में से एक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने वर्ष 2030 के चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर संकेत दिए हैं. पासवान ने बिना कोई जिक्र किए संकेतों में अपनी बात कही है कि जो आने वाले वक्त में बिहार की सियासत का रुख तय कर सकती है.
दरअसल, चिराग पासवान ने बीते दिनों एक साक्षात्कार में पूछा गया कि युवा सीएम भी होने चाहिया. आप भी सीएम के दावेदार होने चाहिए. कुछ ऐसा है? इस पर पासवान ने कहा कि कौन सी पार्टी नहीं चाहती? हर दल चाहता है कि उनका नेता सर्वोच्च पद पे जाए. मैंने खुद हमेशा इस बात की इच्छा रखी कि मैं अपने पिता को प्रदेश का मुख्यमंत्री, देश का प्रधानमंत्री बनता हुआ देखूं. तो ये इच्छा स्वाभाविक है हर दल के अपने नेता के प्रति होती है. पर मुझे लगता है कि सही समय पर सही बातों की चर्चा हो तो उसके मायने होते हैं.
पासवान ने कहा कि आज की तारीख में जब हम लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं तो कतई इसके कोई मायने नहीं है जब इस बात को गठबंधन के तमाम सहयोगियों के द्वारा पहले से ही स्पष्ट कर दिया गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही हम लोग चुनाव लड़ने जा रहे हैं. और ये मैं मानता हूं कि चुनाव के बाद जो विधायक जीतकर आएंगे वो एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही अपने मुख्यमंत्री के तौर पर चुनेंगे.
बिहार चुनाव: पिछली बार 11, इस बार सिर्फ चार, कौन हैं JDU के मुस्लिम उम्मीदवार?
पासवान ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि मैं बिहार वापस आना चाहता हूं. इन्हीं चुनावों में ही मैं वापस आना चाहता था. बिहार से मैं चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन क्योंकि सीटों पर बातचीत होते इतना विलंब हो गया कि मेरे प्रत्याशी ही नामांकन ठीक से भर लें. वो ज्यादा बड़ी प्राथमिकता बन गई थी. तो अपने नामांकन की ओर तो मैं फिर सोच ही नहीं पाया. इस एजेंडे के ऊपर चर्चा करने के लिए केंद्रीय संसदीय बोर्ड दोबारा बैठ ही नहीं पाया इस विषय की. लेकिन हां मैं जरूर चाहता था और आने वाले दिनों में मैं वापस मैं बोलूंगा मेरी प्राथमिकता बिहार रहेगा.
उन्होंने कहा कि मेरे पापा ने हमेशा इस बात को स्पष्ट रखा कि केंद्र की राजनीति में उनकी इच्छा ज्यादा रही थी. पर मैं बिहार मैं बिहार और बिहारियों की वजह से ही राजनीति में आया हूं. दिल्ली में पला बढ़ा हूं. मुंबई में मैंने काम किया है. दूसरे राज्यों में बिहारियों को विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए देखा है और यही कारण था कि मैं वापस राजनीति में आया ताकि अपने राज्य अपने बिहारी साथियों के लिए मैं कुछ कर सकूं. एक ऐसा दौर मैंने देखा जब बिहारी शब्द तक को गाली बना दिया गया. मैं हर मंच से गर्व से कहता हूं कि मैं बिहारी हूं. ये गर्व मैं हर बिहारी की आंखों में देखना चाहता हूं. पर यह तब होगा जब मैं यहां पर ध्यान ज्यादा केंद्रित करूं. तो मैं मानता हूं कि अगले चार पांच साल मेरे इस फैसले को और ज्यादा मजबूत करेंगे कि मुझे बिहार की राजनीति में पूरा ध्यान अब केंद्रित करना होगा.
We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.
Leave a Reply