पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हम अवतारों से सीखें

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1 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता

हर मनुष्य की निर्णय लेने की अपनी क्षमता होती है। लेकिन फिर भी कई बार समझदार लोग सही निर्णय लेने में चूक जाते हैं या उसमें विलम्ब कर जाते हैं। निर्णय कब, कैसे, क्यों लिया जाए, वो प्रभावशाली हो, भविष्य के लिए निर्दोष हो, ये समझना हो तो अवतारों की व्यवस्था को समझा जाए।

हमारे धर्म में, संस्कृति में कई अवतार हुए। और यदि उनकी कथा को ठीक से जानें तो निर्णय लेने की क्षमता के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। पहली बात तो यह है कि अवतार बनने की कोशिश न करें, अवतारों से सीखने की कोशिश करें। क्योंकि जब अवतार निर्णय लेते हैं- फिर वो राम हों या कृष्ण या अन्य- उनकी सजगता अद्भुत है।

नो-पेंडेंसी अवतारों की विशेषता है। वे आलस्य-रहित होते हैं और किसी भी कार्य को विलम्बित नहीं करते। अब ऐसा समय आ गया कि केवल ह्यूमन इंट्यूशन से काम नहीं हो सकता, डेटा एनालिसिस का भी वक्त है। तो इन दोनों का समन्वय किया जाए। हर अवतार ने अपने समय के विज्ञान का अच्छा उपयोग किया है। हर अवतार के पीछे एक उद्देश्य है। हम भी निरुद्देश्य न जीएं।

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