पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के भतीजे कैप्टन सैयद अब्दुर रहमान बिन कासिम समेत पाकिस्तानी सेना के 10 अफसरों को सेना से अब सिविल सेवाओं में शामिल किया है, जिसके तहत आसिम मुनीर के भाई सैयद कासिम मुनीर का बेटा और आसिम मुनीर का भतीजा कैप्टन सैयद अब्दुर रहमान बिन कासिम आने वाले दिनों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय से लेकर विदेशों में पाकिस्तान के उच्चायोग और दूतावास में पोस्टेड हो सकता है.
पाकिस्तानी सेना सालों से इस तरह की एक व्यवस्था चला रही है, जिसके तहत सेना और ISI के बड़े अफसरों के रिश्तेदारों जो फौज में होते हैं, उन्हें देश के बड़े मंत्रालयों से लेकर विदेशी उच्चायोग और दूतावास में फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास करवाकर पोस्ट करवाया जाता है.
पाकिस्तानी प्रशासनिक सेवाओं में चयन
पाकिस्तान की फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन (FPSC) की तरफ से जानकारी दी गई कि फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के भतीजे कैप्टन सैयद अब्दुर रहमान बिन कासिम समेत कुल 10 अफसरों ने सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज एग्जाम 2024 पास किया है और सेना के इन अफसरों का चयन अब पाकिस्तानी प्रशासनिक सेवाओं और पुलिस सेवाओं में वरिष्ठ अफसरों के तौर पर किया गया है, जिसमें शस्त्र सेना के 7 अधिकारी, वायुसेना का 1 अधिकारी और नौसेना के 3 अधिकारियों का चयन हुआ है.
आसिम मुनीर के भतीजे कैप्टन सैयद अब्दुर रहमान बिन कासिम को पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (PAS) कैडर दिया गया है, जो भारत में IAS कैडर के समान होता है. साथ ही अब 3 महीने की सिविल सर्विस अकेडमी में ट्रेनिंग के बाद सूत्रों के मुताबिक, कैप्टन सैयद अब्दुर रहमान बिन कासिम को पहले पंजाब सरकार के किसी बड़े विभाग में कामकाज समझने के लिए कुछ महीने में पोस्टिंग देकर भेजा जाएगा. उसके बाद सीधा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय या फिर गृह मंत्रालय या फिर रक्षा मंत्रालय में बड़े पद पर पोस्टिंग दे दी जाएगी.
अधिकारी का सेना से प्रशासनिक सेवा में ट्रांसफर
पाकिस्तानी सेना में हमेशा से चलन रहा है कि जब भी किसी बड़े जनरल या फिर राजनैतिक शख़्सियत के खास अधिकारी का सेना से प्रशासनिक सेवा में ट्रांसफर होता है तो उसे 3 से 4 साल के बाद विदेशी सेवा में भी भेज दिया है, जहां ये अधिकारी विदेशों में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग या फिर दूतावास में रक्षा अधिकारी या फिर प्रशासनिक अधियाकारी या फिर ट्रेड अधिकारी बनकर वहां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का पूरा नेटवर्क चलाता है.
जनरल परवेज कियानी से लेकर जनरल बाजवा तक ने इस मॉडस ऑपरेंडी का प्रयोग अपने-अपने कार्यकाल में किया था. उदाहरण के लिए मेजर वकास खान को साल 2016 में प्रशासनिक सेवा में भेजकर 2020 में सऊदी अरब स्थित पाकिस्तान के दूतावास में भेजा गया था.
पहली बार जनरल के खुद के भतीजे को दी गई व्यस्वथा
इसी तरह कैप्टेन अब्दुल हनन को लंदन उच्चायोग और लेफ्टिनेंट कमोडोर जैनुल आबिदीन को दोहा में पोस्ट किया गया, क्योंकि इनके ऊपर पाकिस्तानी सेना के बड़े जनरलों का हाथ था और इन्होंने उच्चायोगों में पोस्ट होकर ISI का पूरा खुफिया नेटवर्क चलाया था. हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी जनरल के खुद के भतीजे जो सेना में तैनात अफसर है, उसे इस तरह की व्यस्वथा दी गई हो.
सूत्रों के मुताबिक, आसिम मुनीर पूरे पाकिस्तान की सत्ता खुद चलाना चाहते हैं, इसीलिए अपने खुद के भतीजे को उन्होंने सेना से पाकिस्तानी प्रशासनिक सेवा में लगवाया है, ताकि प्रधामंत्री कार्यालय या फिर गृह मंत्रालय में उसे पोस्ट करके इन विभागों में कामकाज पर नजर भी रखी जा सके और अपने मन का काम करवाया जा सके. साथ ही जरूरत पड़ने पर सत्ता परिवर्तन में भी मदद ली जा सके.
पाकिस्तानी खुफिया गतिविधि पर आसिम मुनीर का कंट्रोल
इसके अलावा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी हर देश में अपने उच्चायोग और दूतावास के तहत खुफिया नेटवर्क चलाती है. ऐसे में इस बात की भी संभावना है कि 3-4 साल के बाद जैसा की पहले से नजीर बनी हुई है. उसी पर चलते हुए अपने भतीजे को आसिम मुनीर को अरब देशों या फिर अमेरिका में पाकिस्तानी विदेशी दूतावास या फिर ब्रिटेन, भारत जैसे देशों में पाकिस्तानी उच्चायोग में पाकिस्तानी खुफिया नेटवर्क को संभालने के लिए किसी पद पर लगा दें, जिससे आसिम मुनीर का पूरा कंट्रोल उस देश में पाकिस्तानी खुफिया गतिविधि पर रहे.
पाकिस्तान में प्रशासनिक सेवा को लेकर विरोध
पाकिस्तानी सेना के तीनो अंगों से जिन अन्य अफसरों की तैनाती प्रशासनिक सेवा और पुलिस सेवा में हुई है, उनके नाम वायुसेना से फ्लाइट लेफ्टिनेंट तलहा हसीब, शस्त्र सेना से कैप्टन यासिर हामिद, कैप्टन हम्जा ताहिर शाह, कैप्टन इम्तियाज हुसैन, कैप्टन बिलाल खान वजीर, कैप्टन जोहैब नासिर, कैप्टन सैयद मुहम्मद उमर शाह साथ ही नौसेना से लेफ्टिनेंट मुहम्मद अरस्लान शकील और लेफ्टिनेंट मुहम्मद अली हम्माद है.
आसिम मुनीर के भतीजे को सेना से प्रशासनिक सेवा में भेजने पर अब पाकिस्तान में भी विरोध के सुर उठ रहे हैं और विपक्षी नेता इसे ना सिर्फ आसिम मुनीर की सरकार के भीतर घुसपैठ बता रहे हैं, बल्कि परिवारवाद के उदाहरण की तरह पेश कर रहे हैं.
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