भारत में फ्लाइट सेफ्टी से जुड़ा एक नया विवाद सामने आया है. एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPAI) ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को एक पत्र लिखकर बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों के लिए उड़ान ड्यूटी समय सीमा (Flight Duty Time Limit – FDTL) बढ़ाने पर आपत्ति जताई है. DGCA ने हाल ही में दो-पायलट क्रू वाले ड्रीमलाइनर विमानों के लिए ड्यूटी समय सीमा से जुड़े नियमों में बदलाव किया है. नए नियमों के मुताबिक 10 घंटे की उड़ान को 10 घंटे 30 मिनट और 13 घंटे की ड्यूटी को 14 घंटे कर दिया गया है. एसोसिएशन का कहना है कि यह बदलाव गंभीर चिंता का विषय है और इससे थकान बढ़ सकती है.
ALPAI ने DGCA को लिखे अपने पत्र में कहा कि पहले से लागू 10 घंटे की सीमा ही थकान को बढ़ाने के लिए काफी थी. पायलटों ने तर्क दिया कि देश में पायलटों की कोई कमी नहीं है, इसलिए समय सीमा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं बनता. हालांकि, पत्र में कहा गया है कि (Flight Duty Time Limit पर Civil Aviation Requirement (CAR) वैज्ञानिक और अंतरराष्ट्रीय शोध पर आधारित था, जिसका मकसद पायलटों की थकान के कारण प्रदर्शन में आने वाली गिरावट से बचाव करना था. यह नीति अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) की सिफारिशों और दिशा-निर्देशों के अनुरूप बनाई गई थी. ALPAI ने DGCA पर आरोप लगाया कि उसने उड़ान सुरक्षा से अधिक कार्मिशियल एयरलाइनों की सुविधा पर ध्यान दिया है.
FAA के निर्देश और सीट रिक्लाइन की समस्या
पायलटों ने अपने पत्र में अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) के हालिया निर्देश FAA-2024-0218 का भी उल्लेख किया है. इस निर्देश के तहत बोइंग 787 विमान में कैप्टन की सीट रिक्लाइन (झुकाने) की क्षमता पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध लगाया गया है. ALPAI ने कहा कि इस सीट रिक्लाइन प्रतिबंध से पायलटों को लंबी उड़ानों के दौरान आराम करने में कठिनाई होती है. इसका सीधा असर उनके प्रदर्शन पर पड़ता है. दुनिया की कई एयरलाइनों ने इस स्थिति को देखते हुए अपने बोइंग 787 विमानों में अतिरिक्त पायलट क्रू शामिल करने का फैसला लिया है ताकि थकान के जोखिम को कम किया जा सके, लेकिन भारत में, DGCA ने उलटे दो सदस्यीय चालक दल की ड्यूटी अवधि बढ़ा दी, जो ALPAI के अनुसार सही कदम नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय मानकों से तुलना
एविएशन जगत से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत के FDTL मानकों में किया गया यह बदलाव वैश्विक मानकों के विपरीत है. अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में उड़ान अवधि और ड्यूटी टाइम को थकान के आधार पर तय किया जाता है. इन देशों में लंबी उड़ानों पर आम तौर पर तीन या चार पायलट नियुक्त किए जाते हैं ताकि हर क्रू को बीच में पर्याप्त आराम मिल सके. एविएशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि बोइंग 787 जैसी लंबी दूरी की उड़ानों में दो-पायलट व्यवस्था सुरक्षा के लिहाज से जोखिम भरा है. भारत में हाल ही में बढ़ते फ्लाइट शेड्यूल और अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन्स के विस्तार के कारण पायलटों पर पहले से ही अतिरिक्त दबाव है.
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