फ्रांसीसी यात्री टैवर्नियर की अनकही कहानी
टैवर्नियर ने ताजमहल के बारे में क्या लिखा?
भारत की शान और विश्व धरोहर ताजमहल की खूबसूरती ने सदियों से लोगों का मन मोह लिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ताजमहल को देखने वाला पहला विदेशी पर्यटक कौन था? 17वीं सदी के प्रसिद्ध फ्रांसीसी हीरे के व्यापारी और यात्री जीन-बैप्टिस्ट टैवर्नियर थे, जिन्होंने मुग़ल साम्राज्य के समृद्ध युग में इस अद्भुत स्मारक का दौरा किया था।
टैवर्नियर की यह यात्रा लगभग सन् 1665 में हुई थी, जब वह भारत के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण कर रहे थे। उन्होंने अपने यात्रा वृत्तांत ‘Travels in India’ में ताजमहल का विस्तार से वर्णन किया है। टैवर्नियर ने ताजमहल को एक अद्भुत स्थापत्य कला का नमूना बताया और इसे ‘भारत के समृद्धि और मुग़ल काल की कला का रत्न’ कहा। उन्होंने इसके सफेद संगमरमर, नक्काशी, और बाग-बगीचों की प्रशंसा की, जो इसे एक स्वर्गिक सौंदर्य प्रदान करते हैं।
उनके अनुसार, ताजमहल न केवल प्रेम की अमर गाथा का प्रतीक है, बल्कि मुग़ल स्थापत्य कला का सबसे भव्य उदाहरण भी है। टैवर्नियर की किताबें यूरोप में भारत की संस्कृति और कला के प्रति जागरूकता फैलाने में मददगार साबित हुईं, जिससे भारत का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व यूरोपीय समाज तक पहुँचा।
इस यात्रा ने न केवल ताजमहल की प्रसिद्धि को बढ़ाया, बल्कि भारत के प्रति यूरोपियों की दिलचस्पी को भी जगाया। टैवर्नियर जैसे यात्रियों के दस्तावेज़ों के कारण ही ताजमहल की कहानी विश्वभर में फैल पाई।
आज भी ताजमहल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है और उसकी कहानी प्रेम, कला और इतिहास के अनमोल संगम की मिसाल है। टैवर्नियर की यात्रा इस स्मारक की महत्ता को समझने और उसकी प्रसिद्धि को स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।