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'कनाडा में सेफ नहीं हैं भारतीय', नए उच्चायुक्त ने उठाए सवाल, कहा- मुझे खुद सिक्योरिटी की जरूरत
कनाडा से बड़ी संख्या में भारतीयों को निकाले जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. ऐसे में अब कनाडा में भारत के नए उच्चायुक्त ने इस मुद्दे को लेकर सवाल खड़े किए हैं. दिनेश के. पटनायक के मुताबिक, भारतीय नागरिक कनाडा में खुद को सेफ महसूस नहीं कर पा रहे हैं.
भारतीय उच्चायुक्त का कहना है कि ये बेहद अजीब है कि मुझे खुद यहां पर सिक्योरटी की जरूरत महसूस हो रही है. इसके साथ ही दिनेश के. पटनायक ने सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ कनाडाई ऐसी समस्या पैदा कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये भारतीयों की समस्या नहीं बल्कि कनाडा की समस्या है.
बिना किसी खालिस्तानी आतंकवाद ग्रुप का नाम लिए दिनेश के.पटनायक ने कहा कि कुछ लोगों का ग्रुप वास्तव में डरा रहा है, जिसके चलते भारत-कनाडा रिलेशन पर भी असर पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर इससे कैसे निपटा जाए?
पिछले कुछ सालों से बड़ी संख्या में भारतीयों को कनाडा से बाहर निकाले जाने की खबरें सामने आ रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2024 में 1997 भारतीयों को कनाडा से बाहर निकाला गया था. वहीं 2019 में यह संख्या 625 थी.
कनाडाई सीमा सेवा एजेंसी के आंकड़ें कहते हैं कि जुलाई 2025 तक 1,891 भारतीयों को देश छोड़ने के लिए कहा गया है. इससे पता चलता है कि इस साल कुल संख्या पिछले साल के आंकड़े को पार कर सकती है. कनाडा अपने एंटी-इमिग्रेशन पुश को लेकर अमेरिका को फॉलो कर रहा है.
हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा था कि विदेशी क्रिमिनल्स को देश से निकालने में तेजी लाने की योजना है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत और कनाडा ने अगस्त में ही वरिष्ठ उच्चायुक्त दिनेश पटनायक और क्रिस्टोफर को एक-दूसरे देश में उच्चायुक्त नियुक्त किया.
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Cheapest Cashews: इस जिले में टमाटर के भाव में मिलते हैं काजू, रेट सुनकर नहीं होगा यकीन
Cheapest Cashews: अगर कोई आपसे कहे कि अब आप टमाटर के भाव में थैला भरकर काजू ला सकते हैं तो शायद आपको इस पर यकीन नहीं होगा. लेकिन यह बिल्कुल सच है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं झारखंड के एक छोटे से जिले के बारे में, जो कभी साइबर अपराध के लिए बदनाम था लेकिन अब काजू के लिए मशहूर है. तो आइए जानते हैं कौन सा है यह गांव.
सबसे सस्ते काजू
झारखंड के मनोरम संथाल परगना क्षेत्र में बसा जामताड़ा हरियाली से भरा है और शांत ग्रामीण जीवन जीता है. जिले की लाल दोमट मिट्टी, मध्यम बारिश और हल्का तापमान काजू की खेती के लिए एकदम सही है. खेतों के चारों तरफ लगे सीमांत पौधे जो अब काजू के पेड़ बन चुके हैं जामताड़ा की पहचान बन गए हैं.
क्यों हैं यहां इतने सस्ते काजू
जामताड़ा में काजू की काफी ज्यादा कम कीमतों की वजह यहां की सरल लेकिन कुशल स्थानीय अर्थव्यवस्था है. अगर गोवा या फिर केरल जैसे तटीय राज्यों से तुलना करें तो यहां की कृषि भूमि काफी ज्यादा सस्ती है. इसी के साथ किसान और स्थानीय मजदूर काफी कम मजदूरी पर काम करते हैं, जिससे उत्पादन लागत भी कम हो जाती है.
इतना ही नहीं बल्कि बिचौलियों पर निर्भर रहने के बजाय किसान सीधे बाजारों में या फिर छोटे सहकारी समूह के जरिए काजू बेचते हैं. इससे सीधे बाजार में बिक्री होती है और बिचौलियों को पूरी तरह से हटा दिया जाता है. बाकी काजू उत्पादक क्षेत्र की तुलना में यहां पर कीमतें 25% से 30% कम होती हैं.
सब्जियों की तरह बिकते हैं काजू
यहां पर काजू सड़क किनारे ठेलों पर बिल्कुल दिल्ली या मुंबई की सब्जियों की तरह बिकते हैं. यहां से गुजरने वाले यात्रियों को ताजा कच्चे काजू के ढेर ₹50 प्रति किलो के दाम पर मिल जाते हैं. इसके ठीक उलट यही काजू एक बार संसाधित और पैक किए जाने के बाद दिल्ली एनसीआर के बाजारों में ₹600 से ₹900 प्रति किलो के बीच बिकते हैं.
जामताड़ा की चुनौतियां
सफलता के बावजूद भी जामताड़ा का काजू उद्योग कई मुश्किलों का सामना कर रहा है. यहां पर किसान कच्चे काजू बेचते हैं जिस वजह से ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. इसी के साथ उचित भंडारण के बिना काजू के जल्दी खराब होने का भी खतरा रहता है. इतना ही नहीं बल्कि सीमित संपर्क की वजह से किसान कम दामों पर अपनी उपज जल्दी बेच देते हैं.
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स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया. इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.
अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.
लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है. स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं. खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.
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पाकिस्तानी हसीना के ठुमको ने लगाई आग! हुस्न और जोश देखकर दिवाने हो जाएंगे आप- वायरल हो रहा वीडियो
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पाकिस्तानी लड़की का डांस वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में लड़की इतनी खूबसूरती और आत्मविश्वास के साथ डांस करती दिख रही है कि लोग इसे बार-बार देख रहे हैं. लाल दुपट्टा, पारंपरिक सूट और चेहरे पर झलकती मासूमियत, इन तीनों का ऐसा संगम बना कि इंटरनेट पर यह वीडियो बवाल मचा रहा है. हर तरफ बस इसी लड़की के ठुमकों और एक्सप्रेशन की चर्चा है. पाकिस्तानी लड़की का डांस और मूव्ज इतने बेहतरीन हैं कि हर कोई उसका कायल हो रहा है.
वीडियो में लड़की खुले आसमान के नीचे सड़क पर डांस करती दिखती है. उसके चेहरे पर न सिर्फ आत्मविश्वास है, बल्कि एक सादगी भी है जो सीधे दिल को छू जाती है. ऑरेंज कलर के सूट और लाल दुपट्टे में उसने जो एक्सप्रेशन दिए हैं, उसने दर्शकों को दीवाना बना दिया है. खास बात यह है कि वीडियो में कोई भारी-भरकम स्टेज या बैकग्राउंड नहीं है, बस साधारण माहौल में उसकी एनर्जी और अदाएं ही इस वीडियो को खास बना देती हैं.
رقص کیا ہے ، لوگ اسے اعضا کی شاعری کا نام دیتے ہیں، جیسے شاعری کی کئی اصناف ہوتی ہیں، ویسے ہی رقص بھی مختلف رنگوں سے کھیلنے کا نام ہے، اس کم عمر لڑکی نے اعضا کی شاعری میں کیا کمال رنگ بھرے ہیں دیکھیں 🌹🌹 pic.twitter.com/ynVUVAr9Qw
वीडियो में लड़की का डांस किसी प्रोफेशनल की तरह नहीं, बल्कि दिल से किया गया लगता है. उसकी स्माइल, हरकतें और कैमरे के सामने का कॉन्फिडेंस इस बात का सबूत है कि उसने यह वीडियो सिर्फ वायरल होने के लिए नहीं, बल्कि खुशी के मूड में बनाया है. कई यूजर्स ने उसकी तारीफ करते हुए लिखा “इसमें वही नैचुरल वाइब है जो अब बहुत कम दिखती है.”
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जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया, लोगों ने इसे हाथों-हाथ उठा लिया. कुछ ही घंटों में इसे लाखों बार देखा गया और हजारों यूजर्स ने शेयर किया. इंस्टाग्राम और एक्स (ट्विटर) पर कई पेजों ने इसे रीपोस्ट करते हुए लिखा… “इससे बेहतर एक्सप्रेशन आज तक नहीं देखे.” वहीं कुछ लोगों ने मजाक में कहा… “पाकिस्तान की हवा में कुछ तो जादू है, तभी हर डांस वीडियो हिट हो जाता है.” वीडियो को @NidaAhm16105291 नाम के एक्स अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों लाइक भी किया है.
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Diwali sweets shelf life: लड्डू से कलाकंद तक, जानें कितने दिन खाने लायक रहती है कौन-सी मिठाई?
Diwali sweets : दिवाली का पर्व आते ही मिठाइयों का घर में भंडार लगना शुरू हो जाता है. यह त्योहार में मिठास घोलने का काम करती है. लेकिन इसी मिठास के दौरान अक्सर हम एक गलती कर देते हैं कि इनको रख लेते हैं कि इसको कल खाना है, परसो खाना है. जबकि हमें कोशिश यह करना चाहिए कि इस तरह की चीजों से बचा जा सके. हर मिठाई की शेल्फ लाइफ अलग होती है. यानी कितने दिनों तक वह ताजा रहती है और कितने दिनों के बाद उसे खाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. आप जब घर में रखी मिठाइयों को बाद में खाते हैं, तो इससे आपको फूड पॉइजनिंग, पेट खराब और हेल्थ संबंधी दिक्कत होने लगती है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि किस मिठाई को कितने दिनों के भीतर खा लेना चाहिए.
इसमें सबसे पहला नाम आता है लड्डू का. यह भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली मिठाइयों में से एक है. इसमें बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू और सूजी के लड्डू आमतौर पर बनाए जाते हैं और इनकी शेल्फ लाइफ भी इस पर निर्भर करता है कि इनको बनाया किस चीज से गया है. जैसे कि बेसन के लड्डू में घी और शक्कर की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए ये लगभग 10-12 दिन तक अच्छे रहते हैं, बशर्ते इन्हें एयरटाइट डिब्बे में रखा जाए. वहीं बूंदी के लड्डू थोड़े नाजुक होते हैं और इनमें नमी ज्यादा रहती है. इसलिए ये लगभग 4 से 5 दिन तक ही खाने लायक रहते हैं.
दिवाली एक ऐसा त्योहार बनता जा रहा है कि अगर आप रिश्तेदारों या पास पड़ोसियों को बर्फी की जगह दूसरी मिठाई दे दें, तो उनका मुंह बन जाता है. बर्फी कई प्रकार की होती है काजू बर्फी, नारियल बर्फी, दूध बर्फी. इनकी शेल्फ लाइफ अलग-अलग होती है, जैसे कि काजू कतली को फ्रिज में रखा जाए तो यह 7 से 10 दिन तक चल सकती है. नारियल जल्दी खराब होता है, नारियल बर्फी सिर्फ 3 से 4 दिन तक ही ताजी रहती है. दूध से बनी बर्फी की शेल्फ लाइफ कम होती है और यह 2 से 3 दिन से ज्यादा नहीं चलती.
गुलाब जामुन
गुलाब जामुन का अपना एक अलग क्रेज है, लेकिन शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है. इसे मीठे चाशनी में डुबोकर रखा जाता है. इसलिए कमरे के तापमान पर यह 1 से 2 दिन तक ही खाने लायक रहती है, वहीं फ्रिज में रखने पर इसे 4 से 5 दिन तक खाया जा सकता है.
कलाकंद और रसगुल्ला
कलाकंद दूध और खोये से बनाया जाता है, जिसकी वजह से यह जल्दी खराब होता है. अगर आप इसे नॉर्मल टेंप्रेचर पर रखते हैं, तो यह सिर्फ 1 से 2 दिन तक खाने लायक रहता है. फ्रिज में रखने पर भी यह अधिकतम 3 से 4 दिन तक ही सही रहता है. अगर रसगुल्ले की बात करें, तो ये कमरे के तापमान पर केवल 1 दिन तक ही सही रहती हैं और फ्रिज में रखने पर इनकी शेल्फ लाइफ 3 से 4 दिन तक हो सकती है.
दिवाली पर आपको जलेबी खूब खाने को मिलती है. इस दौरान आपको इसका एक दूसरा वर्जन देखने को मिलता है, जिसे इमरती के नाम से जाना जाता है. जलेबी 1 दिन तक तो बिल्कुल फ्रेश रहती है और उसके बाद इसका स्वाद और कुरकुरापन खराब हो जाता है.
कैसे फ्रेश रखें?
अगर आप इनको ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो मिठाइयों को हमेशा एयरटाइट कंटेनर में रखें. दूध और चाशनी वाली मिठाइयों को फ्रिज में स्टोर करें. इसके साथ ही अगर मिठाई में नमी ज्यादा है तो कोशिश करें कि उसे 1 से 2 दिन के अंदर ही खा लिया जाए. वहीं अगर आप अच्छे स्टोर से खरीदते हैं या फिर ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, तो उसमें उसके शेल्फ लाइफ के बारे में जानकारी होती है, आप उसको एक्सपायरी डेट से पहले फिनिश कर लें.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
जर्नलिज्म की दुनिया में करीब 15 साल बिता चुकीं सोनम की अपनी अलग पहचान है. वह खुद ट्रैवल की शौकीन हैं और यही वजह है कि अपने पाठकों को नई-नई जगहों से रूबरू कराने का माद्दा रखती हैं. लाइफस्टाइल और हेल्थ जैसी बीट्स में उन्होंने अपनी लेखनी से न केवल रीडर्स का ध्यान खींचा है, बल्कि अपनी विश्वसनीय जगह भी कायम की है. उनकी लेखन शैली में गहराई, संवेदनशीलता और प्रामाणिकता का अनूठा कॉम्बिनेशन नजर आता है, जिससे रीडर्स को नई-नई जानकारी मिलती हैं.
लखनऊ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन रहने वाली सोनम ने अपने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत भी नवाबों के इसी शहर से की. अमर उजाला में उन्होंने बतौर इंटर्न अपना करियर शुरू किया. इसके बाद दैनिक जागरण के आईनेक्स्ट में भी उन्होंने काफी वक्त तक काम किया. फिलहाल, वह एबीपी लाइव वेबसाइट में लाइफस्टाइल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर काम कर रही हैं.
ट्रैवल उनका इंटरेस्ट एरिया है, जिसके चलते वह न केवल लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज के अनछुए पहलुओं से रीडर्स को रूबरू कराती हैं, बल्कि ऑफबीट डेस्टिनेशन्स के बारे में भी जानकारी देती हैं. हेल्थ बीट पर उनके लेख वैज्ञानिक तथ्यों और सामान्य पाठकों की समझ के बीच बैलेंस बनाते हैं. सोशल मीडिया पर भी सोनम काफी एक्टिव रहती हैं और अपने आर्टिकल और ट्रैवल एक्सपीरियंस शेयर करती रहती हैं.
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VIDEO: दिवाली पर राहुल गांधी ने बनाए इमरती और बेसन के लड्डू, दुकान के मालिक बोले- ‘बस आपकी शादी का इंतजार’
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार (20 अक्टूबर, 2025) को दिवाली के मौके पर सभी देशवासियों को बधाई दी. दिवाली के मौके को अनूठे अंदाज में मनाने के लिए राहुल गांधी पुरानी दिल्ली की मशहूर मिठाई की दुकान घंटेवाला स्वीट शॉप पहुंचे, जहां उन्होंने इमरती और बेसन के लड्डू बनाने की कोशिश की.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपनी इस अनोखी दिवाली का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी पोस्ट किया. पोस्ट में राहुल गांधी मिठाई दुकान के मालिक से बातचीत करते हुए नजर आ रहे हैं. इस दौरान उन्हें मिठाई की दुकान में इमरती और बेसन के लड्डू बनाते हुए भी देखा जा सकता है.
उन्होंने अपने वीडियो पोस्ट में लिखा, ‘पुरानी दिल्ली की मशहूर और ऐतिहासिक घंटेवाला मिठाइयों की दुकान पर इमरती और बेसन के लड्डू बनाने में हाथ आजमाया. सदियों पुरानी इस प्रतिष्ठित दुकान की मिठास आज भी वही है- खालिस, पारंपरिक और दिल को छू लेने वाली. दीपावली की असली मिठास सिर्फ थाली में नहीं, बल्कि रिश्तों और समाज में भी होती है.’
राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘आप सब बताएं, आप अपनी दिवाली कैसे मना रहे हैं और उसे कैसे खास बना रहे हैं?’
पुरानी दिल्ली की मशहूर और ऐतिहासिक घंटेवाला मिठाइयों की दुकान पर इमरती और बेसन के लड्डू बनाने में हाथ आज़माया।
सदियों पुरानी इस प्रतिष्ठित दुकान की मिठास आज भी वही है – ख़ालिस, पारंपरिक और दिल को छू लेने वाली।
दीपावली की असली मिठास सिर्फ़ थाली में नहीं, बल्कि रिश्तों और समाज… pic.twitter.com/bVWwa2aetJ
मिठाई दुकान के मालिक राहुल गांधी की शादी का कर रहे इंतजार
पुरानी दिल्ली की मशहूर मिठाई दुकान के मालिक ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से दीपावली की अवसर पर मुलाकात के दौरान कहा कि वो सब अब उनकी (राहुल) शादी का इंतजार कर रहे हैं. मिठाई वाले ने कहा कि राहुल गांधी को जल्द शादी करनी चाहिए.
वीडियो में मिठाई की दुकान के मालिक यह कहते सुने जा सकते हैं, ‘हमने आपके नाना जवाहरलाल नेहरू, दादी इंदिरा गांधी, पापा राजीव गांधी और दीदी प्रियंका गांधी को सर्व किया है. बस अब एक चीज का इंतजार है, आपसे गुजारिश है कि जल्दी शादी करिए. आपकी शादी का इंतजार है. सबसे पहले आप शादी करिए. उसकी मिठाई भी आप हमसे लीजिए. हम उसका इंतजार कर रहे हैं.’ राहुल गांधी इस पर कोई जवाब नहीं दिया और सिर्फ मुस्करा कर रह गए.
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Diwali 2025: दिवाली के पटाखों से कार या बाइक में लग जाए आग, क्या तब भी मिल सकता है इंश्योरेंस क्लेम
Diwali 2025: दिवाली खुशियों और रोशनी का त्योहार है, लेकिन इस दिन एक छोटी सी लापरवाही बड़ी मुसीबत भी बन सकती है. हर साल कई जगहों से वाहन जलने की घटनाएं सामने आती हैं, जब किसी की कार के ऊपर पटाखा गिर जाता है या बाइक के पास जलती फुलझड़ी आग पकड़ लेती है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या ऐसे नुकसान पर इंश्योरेंस क्लेम मिल सकता है या नहीं? आइए जान लेते हैं.
कब मिल सकता है इंश्योरेंस
अगर आपकी कार या बाइक कंप्रीहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत आती है, तो आपको पटाखों से लगी हुई आग या विस्फोट से हुए नुकसान का दावा करने का अधिकार होता है. यह पॉलिसी वाहन को फायर, एक्सप्लोजन, लाइटनिंग, सेल्फ-इग्निशन और बाहरी कारणों से हुए नुकसान से सुरक्षा देती है. यानी अगर आपकी गाड़ी गलती से पटाखे की चिंगारी से जल गई है, तो इंश्योरेंस कंपनी इसकी भरपाई कर सकती है.
कब नहीं मिलेगा मुआवजा
हालांकि, अगर आपके पास सिर्फ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस है, तो आपको कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. थर्ड पार्टी पॉलिसी केवल किसी दूसरे व्यक्ति को हुए नुकसान या चोट को कवर करती है, आपकी गाड़ी के नुकसान को नहीं कवर करती है.
कैसे करें क्लेम?
क्लेम मिलने के लिए जरूरी है कि घटना के बाद आप तुरंत फोटो और वीडियो प्रूफ तैयार करें और इंश्योरेंस कंपनी को तुरंत सूचना दें. जरूरत पड़ने पर एफआईआर या फायर ब्रिगेड रिपोर्ट की कॉपी भी देनी पड़ सकती है. इंश्योरेंस कंपनी अपनी जांच के बाद ही तय करेगी कि नुकसान प्राकृतिक दुर्घटना था या लापरवाही का नतीजा था.
कब रिजेक्ट हो जाएगा क्लेम?
अगर यह साबित होता है कि आग आपकी गलती या लापरवाही से लगी जैसे कि आपने गाड़ी के पास पटाखे जलाए, या जानबूझकर घटना कराई, तो क्लेम रिजेक्ट भी किया जा सकता है. इसी तरह, अगर आपने गाड़ी को ऐसे एरिया में पार्क किया था जहां नो पार्किंग या खतरे की चेतावनी थी, तब भी इंश्योरेंस कंपनी भुगतान से इनकार कर सकती है.
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निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.
अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.
खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.
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बिहार चुनाव: कौन हैं RJD उम्मीदवार मुकेश रोशन, जो तेज प्रताप यादव के खिलाफ महुआ से ठोकेंगे ताल
बिहार चुनाव में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे महुआ विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने मौजूदा विधायक मुकेश रोशन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. फिलहाल दोनों के आमने-सामने आने के बाद यह चुनाव काफी रोमांचक हो गया है.
ऐसे में एक तरफ राजद के वर्तमान विधायक हैं, तो दूसरी तरफ राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं. इस बीच जानतें हैं तेज प्रताप के प्रतिद्वंदी मुकेश रोशन के बारे. मुकेश रोशन महुआ से राजद के मौजूदा विधाायक हैं.
महुआ से राजद उम्मीदवार मुकेश कुमार रोशन आरजेडी के सक्रिय नेता हैं. खुद को आरजेडी का सच्चा सिपाही बताते हैं. मुकेश रोशन का जन्म 12 मई 1985 को हाजीपुर (बिहार) में हुआ है. वे पेशे से दांत के डॉक्टर हैं. उन्होंने पटना के बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज एंड हॉस्पिटल से बीडीएस की डिग्री ली है. बता दें, राजनीति में आने से पहले वे एक पेशेवर डॉक्टर थे.
मुकेश कुमार रोशन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार महुआ सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. 2020 के चुनाव में मुकेश रोशन को 62,580 वोट मिले थे. उन्होंने जेडीयू की प्रत्याशी आशमां परवीन को हराया था. जेडीयू की आशमां परवीन को 48,893 वोट मिले थे.
मुकेश रोशन को 2025 के विधानसभा चुनाव में महुआ सीट से फिर से आरजेडी ने उम्मीदवार बनाया है. यानी दूसरी बार आरजेडी के टिकट पर फिर से वे मैदान में हैं. इस सीट से लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ने 2015 में पहली बार चुनाव लड़ा था और विधायक बने थे. 2020 में मुकेश रोशन को टिकट दे दिया गया था. 2020 में तेज प्रताप हसनपुर से चुनाव लड़े थे और जीते थे.
मुकेश राशन के चाचा विष्णुदेव राय आरजेडी से 2001 से 2006 तक एमएलसी रह चुके हैं. उनके चाचा राघोपुर से विधायकी का चुनाव लड़ते रहे हैं. 2020 में वे उपचुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन वोट कटने की आशंका के कारण लालू यादव ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया. लालू को लगा था कि 2000 के उपचुनाव में राबड़ी हार जाएंगी. यानी आरजेडी में आए तो राबड़ी के लिए सीट छोड़ी. राबड़ी उपचुनाव 2000 में राघोपुर से जीतीं.
साल 2001 में मुकेश रोशन के चाचा को लालू ने एमएलसी बना दिया. मुकेश रोशन के पिता- स्व रामदेवन राय की हत्या साल 1993 में हुई है. यह हत्या राजनीतिक रंजिश में हुई थी, ऐसा कहा गया था. कई राज नेताओं का नाम इस हत्या में आया था. इस मामले में कई लोगों को उम्र कैद की सजा भी हुई है. पिता की जब हत्या हुई तो मुकेश रोशन करीब आठ साल के थे.
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दिवाली की अमेरिका तक में धूम, टेक्सास गवर्नर ने कुछ इस अंदाज में मनाया रोशनी का त्योहार
टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने गवर्नर्स मेंशन में दिवाली 2025 समारोह का आयोजन किया. इस आयोजन के जरिए हर साल भारतीय-अमेरिकी समुदाय रौशनी के इस त्योहार को मनाने के लिए एक साथ आता है. रविवार के इस समारोह में ह्यूस्टन, डी.सी. में भारत के महावाणिज्य दूत मंजूनाथ, भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख सदस्य और निर्वाचित अधिकारी शामिल हुए.
गवर्नर एबॉट एवं प्रथम महिला सेसिलिया एबॉट ने मेहमानों के साथ मिलकर दीप प्रज्वलित किया, जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. इस मौके पर शुभकामनायें देते हुए, गवर्नर ने राज्य की प्रगति, नवाचार और विविधता में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के योगदान की प्रशंसा की.
✨🪔 Diwali 2025 celebrations at the Governor’s Mansion in Austin, Texas!
Heartfelt thanks to Governor @GregAbbott_TX for continuing this beautiful tradition of celebrating Diwali with the Indo-American community, spreading the spirit of light, unity, and togetherness . 🌟… pic.twitter.com/z167q0Jdyy
महावाणिज्य दूत मंजूनाथ ने भारतीय संस्कृति के प्रति उनके निरंतर समर्थन और मान्यता के लिए गवर्नर एबॉट का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि इस तरह के समारोह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच समझ को बढ़ावा देते हैं और मित्रता को मज़बूत करते हैं.
इसके साथ ही महावाणिज्य दूत ने आगे कहा कि गवर्नर मैंशन में दिवाली समारोह टेक्सास में एक वार्षिक परंपरा बन गई है, जो राज्य की समावेशी भावना और विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की जीवंत उपस्थिति को प्रदर्शित करती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गवर्नर एबॉट 2018 से दिवाली समारोह की मेजबानी कर रहे हैं. वह कोरोना काल में 2020 में इसकी मेजबानी नहीं की थी क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया था.
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स्लीपर के टिकट पर एसी कोच में कर सकेंगे सफर, जानें क्या है तरीका?
Railway Rules For Ticket Upgradation: देश में रोजाना करोड़ों यात्री ट्रेन के जरिए सफर करते हैं, जिनकी सुविधा के लिए रेलवे हजारों ट्रेनें चलाता है. ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के लिए रेलवे की ओर से कई नियम बनाए गए हैं जो उनके फायदे के लिए होते हैं. इन्हीं में से एक है टिकट अपग्रेडेशन स्कीम. जिसके तहत स्लीपर क्लास की टिकट वाले यात्री भी एसी कोच में सफर कर सकते हैं.
यह नियम खास तौर पर उन यात्रियों के लिए फायदेमंद है जिन्हें आरामदायक यात्रा चाहिए लेकिन टिकट बुकिंग के समय एसी सीटें उपलब्ध नहीं होतीं. रेलवे की यह योजना यात्रियों को बिना कोई अतिरिक्त किराया दिए उच्च श्रेणी में सफर का मौका देती है. आइए जानते हैं यह स्कीम कैसे काम करती है और किन शर्तों पर लागू होती है.
रेलवे की यह योजना यात्रियों के हित में शुरू की गई है. जिससे ट्रेन की खाली सीटों का सही उपयोग हो सके. जब किसी ट्रेन में एसी कोच की सीटें खाली रह जाती हैं और स्लीपर कोच की सीटें पूरी तरह भर जाती हैं. तब सिस्टम के जरिए कुछ यात्रियों को स्वचालित रूप से अपग्रेड किया जाता है.
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इस स्कीम में कोई अतिरिक्त किराया नहीं लिया जाता. यानी अगर आपके पास स्लीपर टिकट है और भाग्य से एसी सीट खाली है. तो आपको वही टिकट पर एसी में सफर करने का मौका मिल सकता है. टिकट बुक करते वक्त यात्रियों को बस Yes for Auto Upgrade का ऑप्शन चुनना होता है.
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यह सुविधा केवल उन्हीं यात्रियों को मिलती है जिनका टिकट कन्फर्म है. वेटिंग या आरएसी टिकट धारकों को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाता. इसके अलावा यह स्कीम ग्रुप बुकिंग या स्पेशल ट्रेन टिकटों पर लागू नहीं होती. अगर आपका टिकट अपग्रेड होता है.
तो ट्रेन चार्ट बनने के बाद आपका कोच और सीट नंबर बदलकर एसी कोच में दिखेगा. अपग्रेड पूरी तरह फ्री है यानी स्लीपर टिकट पर एसी का आराम. इस स्कीम से यात्रियों को तो फायदा मिलता ही है. इसके साथ ही रेलवे को भी अपनी खाली सीटों से अतिरिक्त आमदनी का अवसर मिलता है.
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