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  • दिल्ली के लालकिले से फतेहपुर सीकरी तक, मुगल बादशाह अकबर कैसे मनाता था दिवाली?

    दिल्ली के लालकिले से फतेहपुर सीकरी तक, मुगल बादशाह अकबर कैसे मनाता था दिवाली?

    जब दिवाली की बात आती है तो आंखों के सामने दीयों की कतारें, चमकते बाजार और मिठाइयों की खुशबू उभर आती है. आज का भारत आधुनिक लाइटों से जगमगा उठता है, लेकिन सदियों पहले भी जब बिजली का नामोनिशान नहीं था, दिवाली की रौनक उतनी ही खास थी. इतिहास यह बताता है कि इस त्योहार की खुशबू मुगल दरबारों तक भी पहुंची थी. जिन बादशाहों को अक्सर इस्लामी अनुशासन के लिए जाना जाता था, उनके महलों की दीवारें दिवाली की रात दीयों से जगमग रहती थीं.

    उस समय दिवाली केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि संस्कृतियों के मेल का प्रतीक बन चुकी थी. सम्राट अकबर से लेकर मुहम्मद शाह तक ने इस त्योहार को अपनी शाही परंपरा में शामिल किया. मुग़ल सल्तनत में इसे नया नाम दिया गया ‘जश्न-ए-चिरागा’, यानी दीपों का महोत्सव.

    दिवाली के मौके पर लगते थे विशेष दरबार

    अकबर का दौर न केवल मुगल शासन का स्वर्णयुग था, बल्कि सांस्कृतिक सह-अस्तित्व का भी दौर था. उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज अपनाने में कभी झिझक नहीं दिखाई. आगरा के किले और फतेहपुर सीकरी की गलियों में दिवाली के समय हर कोना दीयों की कतारों से जगमग उठता था. इतिहासकार अबुल फजल ने ‘आइन-ए-अकबरी’ में लिखा है कि अकबर दिवाली के मौके पर विशेष दरबार लगाते थे. दीयों से सजा महल के प्रांगण में शाही भोज होता था, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दरबारी साथ बैठते थे. उनके दरबारी बीरबल और बेगम जोधाबाई इस आयोजन की आत्मा माने जाते थे.

    वर्तमान में दिवाली जिस रूप में पटाखों और आतिशबाजी के साथ मनाई जाती है, उसकी शुरुआत मुगल काल से ही हुई थी. 18वीं-19वीं शताब्दी में बंगाल और अवध के नवाबों ने दुर्गा पूजा और दिवाली जैसे त्योहारों को संरक्षण दिया और आतिशबाजी का शानदार आयोजन किया. डॉ. कैथरीन बटलर स्कोफील्ड के अनुसार 18वीं सदी तक दिवाली पर आतिशबाजी आम हो चुकी थी. कुछ उलेमाओं ने इस उत्सव का विरोध किया और इसे गैर-इस्लामी कहा, लेकिन अकबर ने इसे प्रेम और प्रकाश का पर्व मानकर अपनाया. उनके लिए यह त्योहार धार्मिक रिवाज से बढ़कर एकता और समरसता का प्रतीक था.

    1720-1748 के बीच, मुहम्मद शाह रंगीला के शासनकाल में दिवाली का जश्न शाही अंदाज में मनाया जाने लगा. दिल्ली और आगरा के महलों में हफ्तों पहले से तैयारियां शुरू होती थीं. किले के चारों ओर असंख्य दीप जलाए जाते थे और मिठाइयों की खुशबू पूरे दरबार में फैल जाती थी.

    शाहजहां ने दिवाली को और भव्य बनाया

    सम्राट शाहजहां ने दिल्ली को राजधानी बनाकर लाल किला बनवाया और दिवाली को और भव्य बनाया. उन्होंने आकाश दीया जलाने की परंपरा शुरू की. लाल किले में 40 गज ऊंचे खंभों पर विशाल दीप प्रज्वलित किए जाते थे, जिसकी रोशनी पूरे चांदनी चौक में फैल जाती थी. दीयों, झूमरों और चिरागदानों से महल सजता, दरबार में संगीत और कवि सभाएं होतीं और बादशाह बालकनी से रोशनी का नजारा देखते.

    औरंगजेब के शासनकाल में दिवाली का आयोजन औपचारिक रह गया. वह इसे हिंदू राजाओं की परंपरा मानते थे. फिर भी, जोधपुर और जयपुर के शाही परिवार हर साल दिवाली पर तोहफे भेजते और लोग घरों में दीप जलाना जारी रखते थे.

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  • ट्रेन से कहीं जाने का है प्लान, तो करना पड़ सकता है चेंज, रेलवे ने कैंसिल की कई ट्रेनें

    ट्रेन से कहीं जाने का है प्लान, तो करना पड़ सकता है चेंज, रेलवे ने कैंसिल की कई ट्रेनें

    List Of Cancelled Trains: भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. देश में रोज लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं और इसके लिए रेलवे रोजाना कई ट्रेनें चलाती है. लेकिन कभी-कभी तकनीकी या अन्य कारणों से कुछ कैंसिल रद्द हो जाती हैं. जिससे यात्रियों को अपने सफर के प्लान बदलने पड़ते हैं.

    मिली जानकारी के मुताबिक अगले कुछ दिनों के लिए कई ट्रेनें कैंसिल की गई हैं. जो लोग इन रूट से यात्रा करने वाले हैं, उन्हें अलर्ट रहने की जरूरत है. रेलवे ने यात्रियों की पहले से जानकारी रहे इसके लिए ट्रेनों की पूरी लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट को देखकर आप अपनी यात्रा पहले से सही तरीके से प्लान कर सकते हैं. 

    ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए जरूरी अपडेट है. अगर आप अगले कुछ महीनों में कहीं जाने की तैयारी में हैं तो ये खबर आपके लिए खास है. उत्तर मध्य रेलवे ने फैसला किया है कि 8 ट्रेनों की सेवा लगभग तीन महीने के लिए बंद रहेगी. ठंड के दौरान कोहरे और सुरक्षा की वजह से हर साल की तरह इस बार भी ट्रेनों को कैंसिल किया जा रहा है. ट्रेनें 1 दिसंबर से 3 मार्च तक नहीं चलेंगी.

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    इससे दिल्ली, उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के यात्रियों पर असर पड़ सकता है. रेलवे ने सलाह दी है कि सफर से पहले वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर ट्रेन का स्टेटस देखकर ही यात्रा की प्लानिंग करें. ताकि रास्ते में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े. जरूरत पड़े तो वैकल्पिक ट्रेन या बदले हुए समय के विकल्प भी जरूर देख लें.  

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  • Indian Government Finance: भारत सरकार के पैसों का कौन रखता है लेखा-जोखा, जानें किसके हाथ में होता है पूरा हिसाब-किताब

    Indian Government Finance: भारत सरकार के पैसों का कौन रखता है लेखा-जोखा, जानें किसके हाथ में होता है पूरा हिसाब-किताब

    Indian Government Finance: भारत सरकार जब टैक्स वसूलती है, धन उधार लेती है या विदेशी सहायता प्राप्त करती है तो उस सारे धन का भी हिसाब किताब रखा जाता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर उस धन का हिसाब कौन रखता है. बजट से लेकर लेखा परीक्षा तक कई प्रमुख संस्थाएं यह पक्का करते हैं कि हर रुपए का हिसाब किताब हो और उसका इस्तेमाल जनकल्याण के लिए ही हो. आइए जानते हैं कि कौन रखता है इस पूरे हिसाब का लेखा-जोखा.

    कौन रखता है पूरा हिसाब 

    भारत सरकार के धन के प्रबंधन और लेखा परीक्षा की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और भारतीय रिजर्व बैंक की होती है. वित्त मंत्रालय देश के वित्तीय प्रबंधन का एक बड़ा हिस्सा है. यह केंद्रीय बजट तैयार करता है जिसमें वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अपेक्षित आय और व्यय का पूरा हिसाब होता है. 

    मंत्रालय इस बात को सुनिश्चित करता है कि अलग-अलग विभागों और कल्याणकारी योजनाओं में धन को सावधानी से बांटा जाए. इसी के साथ यह इस धन के खर्चे पर भी नजर रखता है. अपने विभागों जैसे आर्थिक मामले, व्यय, राजस्व और वित्तीय सेवाओं के जरिए मंत्रालय आर्थिक नीतियों को बनता है. साथ ही यह टैक्स इकट्ठा करता है और सरकारी ऋण का प्रबंध भी करता है.

    नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की जिम्मेदारी 

    इसका काम धन का सही इस्तेमाल हो इस बात को सुनिश्चित करना है. यह एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है जो मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित सरकार के सभी राजस्व और व्ययों का लेखा-जोखा रखता है.  यदि कोई भी गड़बड़ पाई जाती है तो यह एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है और उसे संसद में प्रस्तुत करता है. 

    भारतीय रिजर्व बैंक

    भारतीय रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर के रूप में काम करता है. यह सरकार के सभी खातों को संभालता है, उसके सार्वजनिक ऋण का प्रबंध करता है और साथ ही सभी वित्तीय लेनदेन को आसान बनाता है. सरकार जब भी धन का भुगतान या प्राप्त करती है तो यह सब आरबीआई के माध्यम से ही होता है. 

    भारत का लोकतांत्रिक ढांचा इस बात को सुनिश्चित करता है कि सरकारी खर्च हमेशा निगरानी में ही रहे. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाती है, जिससे संसद और नागरिक सरकार को जवाबदेह ठहराया जा सके. यदि घोटाले या फिर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं तो नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के निष्कर्ष के आधार पर जांच की जाती है.

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    स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

    अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

    लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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  • ONGC में निकली 2600 से ज्यादा पदों पर भर्ती, जानें कौन कर सकता है अप्लाई

    ONGC में निकली 2600 से ज्यादा पदों पर भर्ती, जानें कौन कर सकता है अप्लाई

    ओएनजीसी ने देशभर के युवाओं के लिए अप्रेंटिसशिप भर्ती 2025 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस भर्ती के तहत कुल 2623 पदों पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. इच्छुक उम्मीदवार ओएनजीसी की आधिकारिक वेबसाइट apprenticeshipindia.gov.in पर जाकर 6 नवंबर 2025 तक आवेदन कर सकते हैं.

    ओएनजीसी ने आवेदन की अंतिम तिथि 6 नवंबर 2025 तय की है. इसलिए जो उम्मीदवार इस सरकारी उपक्रम में अप्रेंटिसशिप के रूप में प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, वे जल्द से जल्द फॉर्म भरें. आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी और किसी भी प्रकार का फॉर्म ऑफलाइन स्वीकार नहीं किया जाएगा.

    ये है जरूरी पत्राता  

    अप्रेंटिसशिप के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार की उम्र 6 नवंबर 2025 तक कम से कम 18 वर्ष और अधिकतम 24 वर्ष होनी चाहिए. यानी उम्मीदवार का जन्म 6 नवंबर 2001 से पहले और 6 नवंबर 2007 के बाद का नहीं होना चाहिए. आरक्षण श्रेणी के उम्मीदवारों को सरकार के नियमों के अनुसार आयु में छूट दी जाएगी एससी और एसटी वर्ग को 5 साल, ओबीसी वर्ग को 3 साल और दिव्यांग उम्मीदवारों को 10 साल की छूट मिलेगी.

    योग्यता की बात करें तो उम्मीदवार ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं और 12वीं पास की होनी चाहिए. इसके साथ ही उम्मीदवार के पास संबंधित ट्रेड में आईटीआई प्रमाणपत्र होना चाहिए. वहीं, कुछ पदों के लिए बीई, बीटेक, बीकॉम, बीएससी या बीबीए जैसी डिग्रियां भी स्वीकार की जाएंगी. यानी ओएनजीसी की यह भर्ती अलग-अलग शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं के लिए खुली है.

    कितनी मिलेगी स्टाइपेंड?

    ओएनजीसी अप्रेंटिसशिप के तहत चयनित उम्मीदवारों को हर महीने तय स्टाइपेंड दिया जाएगा. इस स्टाइपेंड की राशि उम्मीदवार की योग्यता पर निर्भर करेगी. जो उम्मीदवार ग्रेजुएट अप्रेंटिस के रूप में चयनित होंगे, उन्हें हर महीने लगभग 12,300 रुपये मिलेंगे. तीन वर्षीय डिप्लोमा पास उम्मीदवारों को लगभग 10,900 रुपये, जबकि आईटीआई पास उम्मीदवारों को 9,000 से 10,500 रुपये के बीच स्टाइपेंड दिया जाएगा.

    चयन प्रक्रिया

    इस भर्ती में किसी प्रकार की लिखित परीक्षा या इंटरव्यू नहीं होगा. उम्मीदवारों का चयन उनकी शैक्षणिक योग्यता और पिछली परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर किया जाएगा. यानी जितने अच्छे अंक आपके होंगे, चयन की संभावना उतनी ही अधिक रहेगी. यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जाएगी.

    आवेदन प्रक्रिया

    उम्मीदवार को आवेदन करने के लिए ओएनजीसी की आधिकारिक वेबसाइट apprenticeshipindia.gov.in पर जाना होगा. वहां “Apply for ONGC Apprenticeship 2025” लिंक पर क्लिक करें. अब उम्मीदवार को अपनी व्यक्तिगत जानकारी, शैक्षणिक विवरण और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे. सभी जानकारी सही भरने के बाद आवेदन फॉर्म को सबमिट करें. आवेदन पूरा होने के बाद उम्मीदवार को फॉर्म का एक प्रिंटआउट निकालकर सेव रख लें.

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  • यूपी के स्कूल-कॉलेजों में व्यावसायिक मेले या आयोजनों पर रोक, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    यूपी के स्कूल-कॉलेजों में व्यावसायिक मेले या आयोजनों पर रोक, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के स्कूलों में आयोजित होने वाले किसी भी प्रकार के व्यावसायिक मेले या आयोजन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने साफ कहा कि अब स्कूलों में किसी तरह की व्यवसायिक गतिविधि नहीं की जाएगी. किसी भी हालत में एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के साथ प्लेग्राउंड की अहमियत को कम नहीं किया जा सकता.

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डबल बेंच ने हमीरपुर के याचिकाकर्ता गिरजा शंकर की याचिका को निस्तारित करते हुए ये आदेश दिया. ये जनहित याचिका हमीरपुर के एक कॉलेज में व्यवसायिक मेले के आयोजन को लेकर दाखिल की गई थी. 

    कोर्ट ने स्कूल कॉलेज में होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर की टिप्पणी करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थान केवल शिक्षा प्रदान करने के लिए होते है, ऐसे संस्थानों की जमीन और भवन जिनमें खेल का मैदान भी हो उनका उपयोग किसी भी नाम से या किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए नहीं किया जा सकता. 

    कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश कि शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे का प्रयोग केवल शैक्षणिक गतिविधियों और उनसे जुड़ी गतिविधियों के लिए ही किया जाना चाहिए. कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि सरकार इस बारे में साफ और स्पष्ट सर्कुलर जारी के करे. 

    इस सर्कुलर में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और सभी लेवल के एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन को कोर्ट द्वारा दिए निर्देशों के मुताबिक इस आदेश की कॉपी मिलने की तारीख से एक महीने के अंदर कार्रवाई करने का निर्देश देने को कहा गया है. 

    कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो प्राइमरी, सेकेंडरी या हायर एजुकेशन देने वाले एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन की प्रॉपर्टी के कमर्शियल इस्तेमाल की इजाजत देता हो. शैक्षणिक संस्थानों की ढांचागत सुविधाओं का उपयोग खेलों, सांस्कृतिक गतिविधियों, वाद विवाद प्रतियोगिताओं आदि के लिए होना चाहिए ना कि अन्य उद्देश्यों के लिए.

    सहारनपुर में ओवरटेक विवाद में ड्राइवर की हत्या, पुलिस चौकी से कुछ दूरी पर हुई वारदात

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  • T-Dome: चीन के J-20 फाइटर जेट पत्ते की तरह बिखर जाएंगे… इस देश ने तैयार कर लिया अपना एयर डिफेंस सिस्टम, कितना खतरनाक?

    T-Dome: चीन के J-20 फाइटर जेट पत्ते की तरह बिखर जाएंगे… इस देश ने तैयार कर लिया अपना एयर डिफेंस सिस्टम, कितना खतरनाक?

    ताइवान ने हाल ही में अपने सबसे एडवांस मल्टीलेयर एयर डिफेंस सिस्टम टी-डोम का उद्घाटन किया है. इस सिस्टम को देश की सुरक्षा रणनीति का बड़ा हिस्सा माना जा रहा है. राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने बताया कि यह सिस्टम चीन की संभावित मिसाइल और हवाई हमलों से बचाव के लिए तैयार किया गया है.

    ताइपे के अनुसार, टी-डोम दुनिया के सबसे आधुनिक डिफेंस सिस्टमों में से एक होगा, जो न केवल बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को रोकने में सक्षम है बल्कि स्टील्थ तकनीक वाले लड़ाकू विमानों को भी निशाना बना सकता है. यह कदम ऐसे समय पर आया है, जब चीन ताइवान के आस-पास अपने सैन्य अभ्यासों को बढ़ा रहा है.

    टी-डोम सिस्टम का सबसे खास हिस्सा इसका सेंसर-टू-शूटर सिस्टम है. सीधे शब्दों में समझें तो इसका मतलब है कि जैसे ही कोई दुश्मन की मिसाइल या विमान ताइवान की सीमा में प्रवेश करेगा, यह सिस्टम तुरंत उसे पहचान लेगा और कुछ ही सेकंड में हमला करने वाले हथियारों को निर्देश भेज देगा. यानी सेंसर और मिसाइल सिस्टम के बीच का समय बेहद कम हो जाएगा.

    दुश्मन के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई करने का मौका

    इस सिस्टम से ताइवान की सेना को दुश्मन के ठिकानों पर तुरंत जवाबी कार्रवाई करने का मौका मिलेगा. यह तकनीक दुनिया के कुछ ही देशों के पास मौजूद है और अब ताइवान भी इस सूची में शामिल हो गया है. रक्षा मंत्री वेलिंगटन कू ने बताया कि यह सिस्टम सभी मौजूदा डिफेंस सिस्टमों को एक साथ जोड़कर काम करेगा, जिससे सफलता की संभावना बढ़ जाएगी और संसाधनों का उपयोग बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.

    ताइवान की वजह से टेंशन में आ गया ड्रैगन

    ताइवान के इस नए कदम से चीन की सुरक्षा रणनीति पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. चीन लगातार दावा करता आया है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वह किसी भी स्थिति में इसे अलग देश के रूप में स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में टी-डोम जैसे आधुनिक हथियार ताइवान की आत्मरक्षा को मजबूत करेंगे और चीन के लिए किसी सैन्य कार्रवाई की लागत बढ़ा देंगे.

    ताइवान का रक्षा बजट और आधुनिक तकनीक

    रक्षा मंत्री ने संसद में बताया कि टी-डोम प्रोजेक्ट के लिए एक विशेष बजट तैयार किया जा रहा है, जो साल के अंत में जारी किया जाएगा. इस बजट का इस्तेमाल सिस्टम की मारक क्षमता बढ़ाने और इसे अन्य रक्षा प्रणालियों से जोड़ने में किया जाएगा. ताइवान के पास पहले से अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल, देश में बनी स्काई बो मिसाइल और स्टिंगर मिसाइलें हैं. इसके अलावा ताइवान चियांग-कांग नामक नई मिसाइल भी विकसित कर रहा है, जो ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइलों को निशाना बना सकेगी. ताइवान को उम्मीद है कि अमेरिका से उसे THAAD सिस्टम भी मिल सकता है, लेकिन उसकी कीमत काफी अधिक है.

    क्या टी-डोम चीन के लिए असली खतरा है?

    यह सवाल अब हर जगह उठ रहा है कि क्या यह सिस्टम वाकई चीन के लिए खतरा साबित हो सकता है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि टी-डोम की सबसे बड़ी ताकत इसकी मल्टीलेयर यानी कई स्तरों वाली सुरक्षा है. इसका मतलब है कि अगर कोई मिसाइल पहली परत से बच भी जाए तो अगली परत उसे निशाना बना लेगी. इस तरह यह सिस्टम ताइवान की रक्षा को और भी मजबूत बनाता है.

    साथ ही, स्टील्थ विमान जैसे चीन के J-20 फाइटर जेट को पकड़ना किसी भी देश के लिए मुश्किल होता है, लेकिन ताइवान का दावा है कि टी-डोम में ऐसे सेंसर लगाए गए हैं, जो इन विमानों को भी ट्रैक कर सकते हैं. अगर यह सच साबित हुआ तो चीन की एयर सुपीरियरिटी यानी हवाई बढ़त को ताइवान चुनौती दे सकता है.

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  • यूपी में ठंड की शुरुआत, बिहार में गर्मी और एमपी में बारिश… देश के किन राज्यों में दीवाली पर कैसा रहेगा मौसम?

    यूपी में ठंड की शुरुआत, बिहार में गर्मी और एमपी में बारिश… देश के किन राज्यों में दीवाली पर कैसा रहेगा मौसम?

    उत्तर भारत में मौसम का मिजाज बदल चुका है. गुलाबी ठंड शुरू होने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में अब सुबह के वक्त धुंध होनी शुरू हो गई है, जबकि दोपहर में तेज धूप निकल रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार आज शनिवार (18 अक्टूबर, 2025) को भी मौसम ऐसा ही रहेगा. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान हरियाणा और पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत में शाम के वक्त हल्की ठंड होने लगी है. 

    उत्तर प्रदेश में 5 दिनों तक मौसम शुष्क रहने की उम्मीद है. मौसम विभाग के मुताबिक 20 अक्टूबर तक फिलहाल किसी बड़े मौसमी बदलाव की संभावना नहीं है, हालांकि बीच-बीच में आंशिक तौर पर बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन बारिश की संभावना नहीं है. उत्तर पश्चिमी हवाओं के चलने से तापमान में तेजी से गिरावट आएगी, जिससे रातें ज्यादा ठंडी महसूस होंगी.

    धनतेरस पर यूपी का मौसम
    लखनऊ के अमौसी स्थित आंचलिक मौसम केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक आज धनतेरस पर यूपी के सभी 75 जिलों में मौसम शुष्क रहेगा. इस दौरान सुबह और रात के समय को छोड़ दिया जाए तो बाकी समय में मौसम सामान्य रहने वाला है. हालांकि कुछ जगहों पर धुंध छाए रहने की संभावना है. 

    बिहार में कई जिलों में गर्मी
    यूपी से सटे बिहार में फिलहाल आसमान साफ है, लेकिन दिवाली तक बादलों की आवाजाही बनी रह सकती है. हालांकि मौसम विभाग ने बारिश का कोई अलर्ट नहीं जारी किया है. फिर भी कुछ जिलों में आंशिक तौर पर बादल छाए रहने की संभावना है. दिन में तेज धूप होने से पटना, सिवान, सारण, भोजपुर, समस्तीपुर, दरभंगा और बेगूसराय जैसे कई जिलों में गर्मी हो रही है. 

    मध्य प्रदेश में होगी बारिश
    मौसम विभाग ने मध्य प्रदेश के आज हिस्सों में मेघ गर्जन के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है. लगातार हो रही मौसमी गतिविधियों के कारण इंदौर में न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है, जिससे अच्छी खासी सर्दी का अहसास हो रहा है. IMD के अनुसार दिवाली तक अधिकतम तापमान में और कमी आने की उम्मीद है.

    पहाड़ों में कैसा है मौसम
    पहाड़ों की बात करें तो IMD ने हिमाचल प्रदेश में 24 से 30 अक्टूबर के बीच कुछ ऊंचाई वाले स्थानों पर बादलों की आवाजाही और कहीं-कहीं हल्की बारिश व बर्फबारी की संभावना जताई है. उत्तराखंड में अगले एक से दो दिनों में हल्की से मध्यम बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. बारिश के बाद ठंड बढ़ने की संभावना है. 

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  • Maithili Thakur Net Worth: 2 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालिक हैं मैथिली ठाकुर, गायकी के अलावा इन कामों से भी होती है कमाई

    Maithili Thakur Net Worth: 2 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालिक हैं मैथिली ठाकुर, गायकी के अलावा इन कामों से भी होती है कमाई

    बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसी बीच सबसे कम उम्र की बीजेपी प्रत्याशी लोकगायिका मैथिली ठाकुर की संपत्ति का ब्यौरा सामने आया है. चुनवी हलफनामे के मुताबिक मैथिली ठाकुर करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हैं.

    अलीनगर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मैथिली ठाकुर ने अपने नामांकन के साथ जो शपथपत्र दाखिल किया है, उसमें उन्होंने अपनी कुल चल संपत्ति (मूवेबल एसेट्स) 2,32,33,255 रुपये बताई है. उनके पास 1.80 लाख रुपये नकद, दो करोड़ से अधिक मूल्य के वाहन और कीमती जेवर-जेवरात भी हैं. इसके अलावा उनके पास 47 लाख रुपये की स्वार्जित संपत्ति है, जिसका वर्तमान बाजार मूल्य 1.5 करोड़ रुपये बताया गया है.

    एफिडेविट के अनुसार, मैथिली ठाकुर नियमित रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करती रही हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में उन्होंने 28,67,350 रुपये की आय घोषित की है, जबकि 2022-23 में उनकी आय 16,98,840 रुपये थी. इससे पहले 2021-22 में 15,93,730 रुपये, 2020-21 में 11,15,150 रुपये और 2019-20 में 12,02,960 रुपये की आय दिखाई गई थी. वहीं इस शपथ में यह भी कहा गया है कि उनकी इनकम का जरिया गायकि, सोशल मीडिया और ब्रांड इन्डोसमेंट है.

    मैथिली ठाकुर की उच्चतम शैक्षणिक योग्यता बी.ए. प्रोग्राम है, जो उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज से पूरी की है. उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को हुआ था और वे वर्तमान में 25 वर्ष की हैं. मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के उरेन गांव की रहने वाली मैथिली बचपन से ही संगीत में रुचि रखती थीं.

    उनके पिता रमेश ठाकुर खुद एक संगीत शिक्षक हैं और उन्होंने ही मैथिली को संगीत की प्रारंभिक शिक्षा दी. उनकी मां पूजा ठाकुर गृहिणी हैं, जबकि उनके दो भाई ऋषभ ठाकुर और अयाची ठाकुर भी संगीत में सक्रिय हैं. परिवार ने दिल्ली में आर्थिक संघर्ष के दौर से गुजरते हुए मैथिली को मंच तक पहुंचाया.

    मैथिली ठाकुर ने अपने मधुर स्वर और लोकगीतों से न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में पहचान बनाई है. सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं और वे मिथिला संस्कृति की आवाज मानी जाती हैं. अब उन्होंने राजनीति में कदम रखकर एक नया प्रयोग किया है. बीजेपी ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें दरभंगा के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है. नामांकन दाखिल करने के बाद मैथिली ठाकुर ने कहा कि अलीनगर को आदर्श नगर बनाना मेरा संकल्प है. जनता का विश्वास और आशीर्वाद ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है.

    अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से कुल 13 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है. बीजेपी से मैथिली ठाकुर के अलावा राजद से विनोद मिश्रा, जन सुराज से विप्लव चौधरी, आम आदमी पार्टी से रजीपाल झा और कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी पर्चा भरा है. राजनीति में मैथिली ठाकुर की एंट्री ने इस सीट को काफी चर्चा में ला दिया है. युवा और सांस्कृतिक पहचान वाली यह उम्मीदवार अब देखना चाहती हैं कि क्या संगीत की तरह राजनीति के सुर भी जनता के दिलों में गूंज उठते हैं.

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  • 'अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत', डोनाल्ड ट्रंप ने फिर किया दावा; MEA कर चुका है खारिज

    'अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत', डोनाल्ड ट्रंप ने फिर किया दावा; MEA कर चुका है खारिज

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (17 अक्तूबर 2025) को व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान फिर दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. इससे पहले उन्होंने बुधवार (15 अक्टूबर 2025) कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस बारे में आश्वासन दिया है. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पहले ही आयात कम कर दिया है. यह एक बड़ा कदम है.

    ट्रंप ने यह भी कहा कि अब वे चीन पर भी इसी तरह का दबाव डालेंगे ताकि वह रूस से कच्चा तेल न खरीदे. ट्रंप के बयान से पहले गुरुवार (16 अक्टूबर 2025) को  भारत के विदेश मंत्रालय ने तेल खरीद से जुड़े दावे को सिरे से खारिज कर दिया था. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच किसी भी प्रकार की बातचीत या टेलीफोन कॉल की कोई जानकारी नहीं है. विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि दोनों नेताओं के बीच हाल में किसी भी तरह की बातचीत नहीं हुई, इसलिए तेल खरीद पर आश्वासन का सवाल ही नहीं उठता.

    क्यों रूसी तेल खरीद पर भड़के हुए हैं ट्रंप?

    अमेरिका का मानना है कि भारत की तरफ से रूस से तेल खरीद जारी रखने से मॉस्को को यूक्रेन युद्ध के वित्त पोषण में मदद मिलती है. हालांकि, भारत ने बार-बार कहा है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेता है. भारत अब भी रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदता है, लेकिन इस आयात में पिछले महीनों में कुछ कमी आई है.

    हंगरी पर नरम, भारत पर सख्त क्यों?

    जब पत्रकारों ने हंगरी के रूसी तेल आयात पर सवाल पूछा तो ट्रंप ने नरम रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि हंगरी एक तरह से फंसा हुआ है क्योंकि उनके पास समुद्र नहीं है और तेल लाने के लिए केवल पाइपलाइन पर निर्भर हैं. वे तनाव कम कर रहे हैं और अब लगभग रुक चुके हैं. उन्होंने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन को एक महान नेता बताया और कहा कि आने वाले हफ्तों में वह उनसे मुलाकात करेंगे.

    रूस से तेल खरीदने की रफ्तार बढ़ी

    डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी के बावजूद रूस से भारत का कच्चा तेल आयात अक्टूबर के पहले पखवाड़े में मजबूत हुआ, जिससे जुलाई-सितंबर के दौरान आवक में तीन महीने की गिरावट थम गई. त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए रिफाइनरियां पूरी तरह से काम पर लौट आई हैं. रूस से आयात जून में 20 लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर सितंबर में 16 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया था. अक्टूबर के शुरुआत में हालांकि आंकड़ों से सुधार का संकेत मिलता है.

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  • Meta का बड़ा फैसला! 15 दिसंबर से बंद हो जाएगा ये ऐप, Windows और Mac यूजर्स में मचा हड़कंप

    Meta का बड़ा फैसला! 15 दिसंबर से बंद हो जाएगा ये ऐप, Windows और Mac यूजर्स में मचा हड़कंप

    Meta Messenger: फेसबुक की पेरेंट कंपनी Meta ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि वह 15 दिसंबर 2025 से Mac और Windows के लिए Messenger के डेस्कटॉप ऐप्स को पूरी तरह बंद करने जा रही है. इस तारीख के बाद यूजर्स को मैसेजिंग के लिए सीधे Facebook वेबसाइट पर रीडायरेक्ट कर दिया जाएगा. इसका मतलब है कि अब Meta अपने यूजर्स को एक समर्पित डेस्कटॉप ऐप एक्सपीरियंस नहीं देगा जो कई सालों से सक्रिय था.

    AppleInsider की रिपोर्ट के अनुसार, Meta ने ऐप के बंद होने से पहले यूजर्स को इन-ऐप नोटिफिकेशन भेजना शुरू कर दिया है. कंपनी यूजर्स को लगभग 60 दिनों का समय दे रही है ताकि वे नई प्रणाली में शिफ्ट हो सकें. इसके बाद Messenger डेस्कटॉप ऐप्स पर लॉगइन पूरी तरह ब्लॉक कर दिया जाएगा. Meta ने यह भी सलाह दी है कि जब ऐप काम करना बंद कर दे तो यूजर्स उसे अनइंस्टॉल (डिलीट) कर दें.

    Meta के सपोर्ट पेज पर लिखा है “Mac के लिए Messenger ऐप को बंद किया जा रहा है. इसके बाद आप इस ऐप में लॉगिन नहीं कर पाएंगे और स्वचालित रूप से Facebook वेबसाइट पर चैट के लिए रीडायरेक्ट कर दिए जाएंगे.”

    Meta का यह कदम दरअसल उसके पिछले साल Progressive Web App (PWA) में ट्रांज़िशन का अगला चरण है जो ब्राउज़र-आधारित अनुभव की दिशा में कंपनी की बड़ी रणनीति को दर्शाता है. सितंबर 2024 में किए गए इस बदलाव के बाद Meta अब अपनी मैसेजिंग सर्विस को पूरी तरह वेब पर केंद्रित कर रही है.

    हालांकि Windows यूजर्स अब भी Facebook का डेस्कटॉप ऐप इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन Mac और Windows दोनों यूजर्स को Messenger एक्सेस करने के लिए Facebook.com का सहारा लेना होगा.

    ट्रांज़िशन को आसान बनाने के लिए Meta ने यूजर्स को सुझाव दिया है कि वे अपने चैट हिस्ट्री का सिक्योर स्टोरेज एक्टिव करें, PIN सेट करें ताकि एन्क्रिप्टेड मैसेज सुरक्षित रहें और Privacy & Safety > End-to-End Encrypted Chats > Message Storage में जाकर अपनी सेटिंग्स की पुष्टि करें. इससे यूजर्स अपनी चैट हिस्ट्री को सभी डिवाइस पर सुरक्षित रख सकेंगे.

    कई यूजर्स के लिए यह फैसला निराशाजनक हो सकता है खासकर उनके लिए जो काम के दौरान डेस्कटॉप ऐप से मल्टीटास्किंग और प्रोफेशनल चैटिंग करना पसंद करते थे. हालांकि, Meta का कहना है कि Facebook वेब वर्जन पर अब भी मुख्य सुविधाएं जैसे एन्क्रिप्टेड चैट, मीडिया शेयरिंग और सिक्योर मैसेजिंग उपलब्ध रहेंगी.

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