Blog

  • संजय कुमार का कॉलम:बिहार चुनाव परिणामों की  भविष्यवाणी करना कठिन है

    संजय कुमार का कॉलम:बिहार चुनाव परिणामों की  भविष्यवाणी करना कठिन है

    • Hindi News
    • Opinion
    • Sanjay Kumar’s Column Bihar Election Results Are Difficult To Predict

    1 घंटे पहले
    • कॉपी लिंक

    संजय कुमार, प्रोफेसर व राजनीतिक टिप्पणीकार

    2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में कौन-सा दल या गठबंधन जीतेगा, इसका पूर्वानुमान लगाना बहुत चुनौती भरा है। इसके बहुत-से कारण भी हैं। पहला और सबसे अहम कारण तो यही है कि महज कुछ सप्ताह पहले ही घोषित हुए चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूला भले ही हाल में जाकर तय हो पाया हो, लेकिन पार्टियों के द्वारा अपने सभी प्रत्याशियों की घोषणा की जाना अभी बाकी है।

    एनडीए-जदयू की 101-101 सीटों की साझेदारी में यह पहला अवसर है, जब भारतीय जनता पार्टी जदयू की बराबरी में पहुंची है। पार्टी ने 19 विधायकों के टिकट भी काट दिए हैं। उधर कांग्रेस 48 उम्मीदवारों की सूची लेकर आई है। पार्टी ने कई पुराने उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है।

    राष्ट्रीय जनता दल की ओर से जारी हुई 35 उम्मीदवारों की सूची में एम-वाय फॉर्मूले पर फोकस किया गया है। वहीं पहली बार विधानसभा चुनाव मैदान में उतर रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है। उसने अभी तक 116 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है।

    वह जल्द ही तीसरे दौर का टिकट वितरण करने जा रही है। इस अस्पष्ट-से माहौल में, जबकि बहुत सारे मतदाता नहीं जानते कि उनका उम्मीदवार कौन है- शुरुआती सर्वेक्षणों में सामने आई मतदाताओं की पसंद वोटिंग के दिन तक बदल भी सकती है। दूसरे, काफी वोटर ऐसे होते हैं, जो अंत समय तक अपने निर्णय को स्थगित रखते हैं कि किसे वोट देना है।

    ये ‘फ्लोटिंग वोटर्स’ कहलाते हैं। अभी जब चुनाव में तीन सप्ताह से अधिक समय बचा है तो यह अंदाजा लगाना चुनौतीपूर्ण है कि वोटिंग वाले दिन वे किस पार्टी या गठबंधन को वोट देंगे। जब चुनाव में कांटे की टक्कर हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तीन हफ्ते पहले बताना कठिन है, पर बिहार में हुए विभिन्न सर्वेक्षणों के आधार पर कई ऐसी भविष्यवाणियां सामने आई हैं, जो थोड़े अलग-अलग संभावित परिणामों की ओर इशारा कर रही हैं।

    मान लें कि ये सर्वेक्षण बेहद सावधानी से किए गए हैं और हमारे पास यह मानने का यों भी कोई कारण नहीं कि ये सर्वे व्यवस्थित तरीके से नहीं किए गए हैं। फिर भी ये सर्वे अधिक से अधिक उस वक्त के लिए मतदाता का मूड भर ही बता सकते हैं, जब इन्हें किया गया था। इनके आधार पर पहले से यह अंदाजा लगा पाना तो बहुत ही मुश्किल है कि 6 और 11 नवंबर के दिन वोटर किसे वोट करेगा।

    यही कारण है कि अभी की स्थिति में यह भविष्यवाणी करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है कि बिहार के चुनाव में कौन-सा गठबंधन या पार्टी चुनाव जीतेगी। हां, इन सर्वेक्षणों के जरिए एक मोटा-मोटा यह आकलन जरूर किया जा सकता है कि अभी मतदाता का मूड क्या है और यदि आज ही चुनाव हो जाएं तो उनके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।

    अतीत में हुए बहुत सारे अध्ययनों ने इस ओर इशारा किया है कि बहुत बड़ी संख्या में मतदाता आखिरी क्षणों तक अपने निर्णय को स्थगित करके रखते हैं कि वे किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट देंगे। कभी-कभी तो मतदान वाले दिन या उससे एक-दो दिन पहले तक भी मतदाता अपना मानस नहीं बनाता।

    2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान लगभग 25% मतदाताओं ने मतदान के दिन और 15% ने कुछ ही दिन पहले अपना मन बनाया था। इस प्रकार, कुल 40% मतदाताओं ने आखिरी कुछ दिनों में ही तय किया था कि वे किसे वोट देंगे। इनकी तुलना में ऐसे वोटरों की संख्या 25% से ज्यादा नहीं होती, जो अपना मत पहले ही तय कर लेते हैं। और वो अपनी पार्टियों के कट्‌टर समर्थक होते हैं। इस तरह के मतदाता बंधक-वोटर भी कहलाते हैं।

    ऐसे वोटर भी होते हैं, जो पहले उम्मीदवार देखते हैं, फिर उसके उठाए मुद्दों पर विचार करते हैं और तब जाकर अपना मन बनाते हैं। यह बात केवल 2020 के बिहार चुनाव के लिए ही सही नहीं है, बल्कि बिहार में हुए बीते कुछ विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही पैटर्न रहा है। हो सकता है कि सर्वे के समय मतदाता खुले मन और स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक पसंद बता रहा हो, लेकिन ये सर्वे अंतिम दिन या वोटिंग के कुछ दिन पहले मतदाता की पसंद में आने वाले संभावित बदलाव को ध्यान में नहीं रख सकते।

    कुछ हफ्तों या महीनों पहले किए सर्वेक्षण उस समय पर वोटरों के मूड जानने का एक बेहतर पैमाना तो हैं, लेकिन इतने पहले किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर सीटों को लेकर कोई चुनावी भविष्यवाणी करना किसी भी चुनाव विश्लेषक की कड़ी परीक्षा ले सकता है।

    बड़ी संख्या में मतदाता आखिरी क्षणों तक अपने निर्णय को स्थगित करके रखते हैं कि वे किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट देंगे। कभी-कभी तो मतदान वाले दिन या उससे एक-दो दिन पहले तक भी मतदाता मन नहीं बनाता। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)

    .

  • पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:वृद्धावस्था में रिश्तों की पूंजी का भी संग्रह शुरू कर दें

    पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:वृद्धावस्था में रिश्तों की पूंजी का भी संग्रह शुरू कर दें

    • Hindi News
    • Opinion
    • Pt. Vijayshankar Mehta’s Column In Old Age, Start Accumulating The Capital Of Relationships.

    1 घंटे पहले
    • कॉपी लिंक

    पं. विजयशंकर मेहता

    आज धनतेरस का पर्व है। आज दिनभर ही धन और धन्वन्तरि की बात की जाएगी। लेकिन आज के दिन में एक और संदेश समाया हुआ है- सबसे बड़ा धन, निरोगी शरीर। बढ़ती उम्र को तो हम नहीं रोक सकते, लेकिन आने वाली बीमारियों को अवश्य रोका जा सकता है।

    वृद्ध लोगों को धनतेरस के दिन एक पंचामृत पीना चाहिए। इसमें पांच बातें होंगी : नींद, भोजन, भोग, गुणों को ढूंढना और रिश्ते। इसमें बाद के दो बड़े काम के हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़े, किसी भी व्यक्ति के भीतर दोष ढूंढना बंद कर दें और गुणों की खोज करें। अच्छाई ढूंढने पर अच्छा ही सोचने में आता है।

    दूसरा, अपने बच्चों के अलावा कुछ रिश्ते अपने आसपास बुढ़ापे में जरूर रखिए। और उन रिश्तों को मजबूत बनाने का प्रयास करिए। ये रिश्ते आपके हमउम्र हो सकते हैं। जान-पहचान वाले हो सकते हैं। मित्र भी इस दायरे में आते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वृद्धावस्था की ओर बढ़ें, रिश्तों की पूंजी का भी संग्रह शुरू कर दें।

    .

  • श्लोमो बेन-एमी का कॉलम:इतनी लंबी लड़ाई के बावजूद गाजा में किसकी जीत हुई?

    श्लोमो बेन-एमी का कॉलम:इतनी लंबी लड़ाई के बावजूद गाजा में किसकी जीत हुई?

    • Hindi News
    • Opinion
    • Column By Shlomo Ben Ami Who Won In Gaza Despite The Long Battle?

    1 घंटे पहले
    • कॉपी लिंक

    श्लोमो बेन-एमी इजराइल के पूर्व विदेश मंत्री और आंतरिक सुरक्षा मंत्री     

    नेतन्याहू ने गाजा में बिना किसी अंत की कल्पना के ही युद्ध शुरू कर दिया था। उनकी पहली चिंता अपनी गठबंधन सरकार को बचाने और भ्रष्टाचार के आरोपों से अपनी रक्षा करने की रही है। यही कारण था कि जहां एक ओर इजराइली सैनिकों ने गाजा के शहरों को मलबे में बदल दिया, वहीं नेतन्याहू ने इजराइल के कानूनों और संस्थानों पर भी चौतरफा हमला किया। और यह सब हमास को नेस्तनाबूद करने के नाम पर किया गया।

    लेकिन आज दो साल बाद भी इजराइल की जीत की पूरे भरोसे से घोषणा नहीं की जा सकती। इस युद्ध में कम से कम 60,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और जो लोग गाजा में बचे हैं, वे एक गम्भीर मानवीय त्रासदी से जूझ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसकी तीखी निंदा की है। दूसरी तरफ इजराइली समाज भी खण्डित हो चुका है और उसके लोकतंत्र की नींव डगमगा गई है।

    क्या ही विडम्बना है कि गाजा को तबाह करने वाले इजराइली प्रधानमंत्री एक प्रख्यात इतिहासकार के बेटे हैं। माना कि बेन्ज़ियन नेतन्याहू ने मध्ययुगीन स्पेन में यहूदी जीवन के अंत का अध्ययन यहूदी-विरोधी दृष्टिकोण से किया था और यहूदी इतिहास को होलोकॉस्ट की एक शृंखला के रूप में देखा था। लेकिन उनके बेटे ने इतिहास को समझने में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखाई है। उन्होंने केवल अपने राजनीतिक लक्ष्यों और हितों को आगे बढ़ाने के लिए उसका इस्तेमाल किया है।

    नेतन्याहू ने ओबामा द्वारा 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए एक समझौते पर बातचीत की तुलना 1938 में चेम्बरलेन द्वारा नाजी जर्मनी के तुष्टीकरण से की। वे भूल गए कि इजराइल के अपने सुरक्षा प्रतिष्ठान ने ही कभी ईरान परमाणु समझौते का पुरजोर समर्थन किया था।

    फिलिस्तीनी राष्ट्रीय आंदोलन को खत्म करने के अपने मकसद को सही ठहराने के लिए नेतन्याहू ने होलोकॉस्ट के विचार के लिए फिलिस्तीनी नेता हज अमीन अल-हुसैनी को जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने हमास के 7 अक्टूबर के नरसंहार की तुलना 1941 में पर्ल हार्बर पर हुए हमले से भी की। अलबत्ता इस दर्जे की ऐतिहासिक अज्ञानता दर्शाने वाले नेतन्याहू पहले नेता नहीं हैं।

    1948 और 1967 के अरब-इजराइल युद्धों में, और साथ ही 1956 में मिस्र के विरुद्ध युद्ध में भी इजराइल की विजय ने उसके शत्रुओं की बदला लेने की इच्छा को और तीव्र कर दिया था। यही कारण है कि किसिंजर ने 1973 के योम किप्पुर युद्ध को रोक दिया, इससे पहले कि इजराइल की सेना काहिरा तक आगे बढ़ पाती।

    उन्हें पता था कि इससे स्थायी शांति की सम्भावना समाप्त हो जाएगी। उनकी चतुराई का ही नतीजा था कि इजराइल और मिस्र ने 1979 में एक शांति संधि पर हस्ताक्षर किए। वास्तव में, पूर्ण विजय एक भ्रम है। जैसा कि वूल्फगैंग शिवेलबुश ने अपनी पुस्तक ‘द कल्चर ऑफ डिफीट’ में बताया है- हारे हुए लोग कभी भी हार की कहानी को स्वीकार नहीं करते। इसके बजाय, वे अपने इतिहास को फिर से लिखते हैं, अपने अतीत का महिमामंडन करने वाले मिथकों को गढ़ते हैं और अपनी हार तक को उचित ठहराते हैं। तब उनके लिए सैन्य पराजय भी सांस्कृतिक और नैतिक श्रेष्ठता का प्रतीक बन जाती है।

    इजराइल लगभग दो साल से यही गलती दोहरा रहा है। उसकी सेना ने हमास को कुचलने के लिए गाजा पर कब्जा करके, घरों और अस्पतालों को तबाह करके, और मानवीय सहायता को रोकने की कोशिश की। इसके बावजूद हमास की सैन्य-शक्ति कम भले हुई हो, खत्म नहीं हुई। नेतन्याहू को यह पता होना चाहिए था।

    1941 में सोवियत संघ पर नाजियों के आक्रमण का कारण सिर्फ रूसी सर्दी ही नहीं थी; बल्कि स्तालिन की अंतहीन सैनिकों की आपूर्ति को युद्ध में भेजने की क्षमता भी थी। हमास ने भी अपनी संख्या बढ़ाने में सक्षमता को साबित कर दिया है। अगर हमास की दृढ़ता इजराइली सैनिकों का मनोबल तोड़ने के लिए काफी नहीं है तो इजराइल के खिलाफ वैश्विक प्रतिक्रिया निश्चित रूप से काफी हो सकती है। आईडीएफ के भीतर भी आत्महत्याएं बढ़ रही हैं।

    नेतन्याहू स्पष्ट रूप से यह समझने में विफल रहे हैं कि आधुनिक युद्ध कई मोर्चों पर लड़े जाते हैं, जिनमें वैश्विक सार्वजनिक मंच और सोशल मीडिया का अराजक भंवर भी शामिल है। और इन क्षेत्रों में इजराइल की हार निर्णायक रही है। क्या ही विडम्बना है कि हाल के सालों के सबसे भयावह आतंकवादी हमलों में से एक का सूत्रधार हमास अब प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है।

    नेतन्याहू स्पष्ट रूप से यह समझने में विफल रहे कि आधुनिक युद्ध कई मोर्चों पर लड़े जाते हैं, जिनमें वैश्विक सार्वजनिक मंच और सोशल मीडिया का अराजक भंवर भी शामिल है। इन क्षेत्रों में इजराइल की हार निर्णायक रही है।

    (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)

    .

  • भारत आएगा भगोड़ा मेहुल चोकसी! बेल्जियम की अदालत ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी

    भारत आएगा भगोड़ा मेहुल चोकसी! बेल्जियम की अदालत ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी

    बेल्जियम की अदालत ने भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर मंजूरी दे दी है. चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी, दोनों ही पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मामले में भारत में वांटेड हैं. सूत्रों के अनुसार, अदालत ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को सही ठहराते हुए एक प्रारंभिक आदेश जारी किया है. एंटवर्प (बेल्जियम) की एक अदालत ने यह आदेश दिया और उसकी गिरफ्तारी को भारत के अनुरोध के आधार पर वैध करार दिया है. यह फैसला भारत के लिए चोकसी को वापस लाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

    हाई कोर्ट में अपील का मौका
    हालांकि, अधिकारियों के अनुसार चोकसी के पास अभी ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प मौजूद है. एक अधिकारी ने कहा, “इसका मतलब है कि वह तुरंत भारत नहीं लाया जाएगा, लेकिन प्रक्रिया का पहला और बहुत अहम चरण पार हो गया है.’

    दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर कोर्ट का फैसला
    एंटवर्प कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय पक्ष की ओर से बेल्जियम के अभियोजकों और चोकसी की कानूनी टीम की दलीलें सुनीं. अदालत ने माना कि भारत का प्रत्यर्पण अनुरोध और चोकसी की गिरफ्तारी वैध है.

    जमानत के सभी प्रयास नाकाम
    65 वर्षीय मेहुल चोकसी को 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस ने सीबीआई के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गिरफ्तार किया था. वह पिछले चार महीने से बेल्जियम की जेल में बंद है. चोकसी ने कई अदालतों में जमानत के लिए याचिकाएं दायर कीं, लेकिन हर बार उसकी याचिका खारिज कर दी गई.

    PNB अधिकारियों की मिलीभगत से की गई धोखाधड़ी
    भारत ने एंटवर्प कोर्ट में मेहुल चोकसी के खिलाफ मजबूत सबूत और कानूनी दलीलें पेश कीं, जिसमें उसे ₹13,850 करोड़ के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी बताया गया. सीबीआई ने अदालत को बताया कि चोकसी ने PNB अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) जारी कर विदेशी बैंकों से बिना किसी सुरक्षा के लोन हासिल किए. बाद में इस धन को शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई.

    गंभीर धाराओं में दर्ज हैं आरोप
    भारत ने चोकसी पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, सबूत नष्ट करने और भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं. उस पर आईपीसी की धारा 120B, 201, 409, 420, 477A और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत मामला दर्ज है.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • अब जोरावर दागेगा ATGM नाग मार्क‑2 मिसाइल, पलभर में तबाह होंगे दुश्मन के ठिकाने

    अब जोरावर दागेगा ATGM नाग मार्क‑2 मिसाइल, पलभर में तबाह होंगे दुश्मन के ठिकाने

    भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार (17 अक्टूबर, 2025) को जोरावर लाइट टैंक से नाग मार्क-2 (Nag Mk II) एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) की मारक क्षमता के सफल प्रदर्शन के बाद इसकी तारीफ की है. रक्षा मंत्री ने जोरावर लाइट टैंक के विकास को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की प्रमुख उपलब्धि बताते हुए डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी है.

    रक्षा मंत्री कार्यालय ने एक्स पर किया ट्वीट

    रक्षा मंत्री के कार्यालय ने शुक्रवार (17 अक्टूबर, 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया. पोस्ट में कहा, ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने महत्वपूर्ण रक्षा प्रोद्योगिकी में आत्मनिर्भरता में बड़ी बढ़त हासिल की है. DRDO के कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिस्मेंट (CVRDE) ने जोरावर लाइट टैंक के विकास में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.’ जोरावर लाइट टैंक को डीआरडीओ ने डिजाइन और विकसित किया है और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड ने इसका निर्माण किया है.

    In a major boost to Atmanirbharta in the critical defence technology, CVRDE DRDO achieved a major milestone in the development of Light Tank (designed and developed by DRDO and manufactured by Larson & Toubro Ltd.) by demonstrating the Anti Tank Guided Missile (Nag Mk II) Firing… pic.twitter.com/At9nFR3g25

    रक्षा मंत्री कार्यालय ने कहा, ‘संस्थान ने जोरावर लाइट टैंक से नाग एमके-II एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की फायरिंग क्षमता का सफल प्रदर्शन किया और रेंज, टॉप अटैक मोड में संचालन क्षमता और सटीकता के साथ सभी प्रदर्शन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता के लिए डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी.’

    माउंटेन टैंक के नाम से जाना जाता है जोरावर

    डीआरडीओ की ओर से विकसित किए गए जोरावर लाइट टैंक को माउंटेन टैंक के नाम से भी जाना जाता है, जिसे DRDO ने मुख्य रूप से चीन की नींद उड़ाने के लिए विकसित किया है. चीन की नींद उड़ाने वाले इस टैंक का वजन मात्र 25 टन है. जिसमें 750 हॉर्स पावर के दमदार इंजन इंस्टॉल किया गया है. यह एक लाइट टैंक है, जो किसी भी मोर्चे पर दुश्मन के लिए शामत बन सकता है. इसकी खास बात यह है कि इस टैंक को हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर के जरिए आसानी से चीनी सीमा पर पहुंचाया जा सकता है. इसके अलावा यह खुद भी पहाड़ों पर चढ़ने में सक्षम है.

    इस टैंक से गोले दाग सकते हैं, मशीनगन चलाई जा सकती है. वहीं, इस माउंटेन टैंक से 105 मिलीमीटर की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल भी दागी जा सकती है. लेकिन अब इस कड़ी में नाग मार्क-2 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल भी शामिल हो गई है, जो दूर बैठे दुश्मन के आसानी से छक्के छुड़ा सकती है.

    यह भी पढ़ेंः लेह हिंसा की अब होगी निष्पक्ष जांच, मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को सौंपी कमान

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • ODI वर्ल्ड कप में खेला गया टी20 मैच, दक्षिण अफ्रीका ने मचाई सनसनी; श्रीलंका को रौंद लगाया जीत का चौका

    ODI वर्ल्ड कप में खेला गया टी20 मैच, दक्षिण अफ्रीका ने मचाई सनसनी; श्रीलंका को रौंद लगाया जीत का चौका

    SA-W vs SL-W ODI World Cup Match Report: वीमेंस वनडे वर्ल्ड कप 2025 में आज शुक्रवार, 17 अक्टूबर को साउथ अफ्रीका और श्रीलंका के बीच टी20 मैच खेला गया. वर्ल्ड कप में ये 50-ओवर फॉर्मेट का खेल 20-ओवर में बदल गया. इस मुकाबले में साउथ अफ्रीका ने श्रीलंका को 10 विकेट से करारी शिकस्त दी. इसी के साथ वर्ल्ड कप पॉइंट्स टेबल में साउथ अफ्रीका की टीम 4 जीत के साथ दूसरे नंबर पर आ गई है. इस मैच में दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोलवार्ड और ओपनिंग बल्लेबाज ताजमिन ब्रित्स ने ही धमाकेदारी बल्लेबाजी करते हुए टीम को जीत दिलाई. कप्तान लौरा को धमाकेदार बल्लेबाजी के लिए ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया.

    Laura Wolvaardt shows the way with a fiery, unbeaten fifty in South Africa’s successful chase over Sri Lanka 👏

    She wins the @aramco POTM 🎖️#CWC25 | #SAvSL pic.twitter.com/Nvf9XbqYqA

    दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के बीच चल रहा 50 ओवर मैच बारिश की वजह से टी20 मुकाबले में तब्दील हो गया. इस मैच में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था. श्रीलंका की टीम 12 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 46 रन ही बना सकी कि बारिश ने खेल बिगाड़ दिया. बारिश रुकने के बाद DLS Method से इस खेल को 20-20 ओवर का कर दिया गया.

    श्रीलंका की टीम 20 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 105 रन ही बना सकी. साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों ने आज के मुकाबले में सनसनी मचा दी. साउथ अफ्रीका की तरफ से नॉनकुलुलेको म्लाबा ने सबसे ज्यादा 3 विकेट चटकाए. बारिश होने से पहले मैच शुरू हो गया था और श्रीलंका ने 12 ओवर भी खेल लिए थे. इस वजह से DLS Method के चलते टारगेट 121 कर दिया गया.

    साउथ अफ्रीका की टीम इस पूरे वर्ल्ड कप में काफी मजबूत नजर आ रही है. दक्षिण अफ्रीका की टीम जब बल्लेबाजी करने उतरी, तब कप्तान लौरा वोलवार्ड और ताजमिन ब्रित्स की धमाकेदार पारी ने मैच को एक-तरफा बना दिया. श्रीलंका के गेंदबाजों से एक भी विकेट नहीं गिरा. लौरा ने 47 गेंदों में 60 रनों की नाबाद पारी खेली, जिसमें 8 चौके जड़े. वहीं ताजमिन ब्रित्स ने 42 गेंदों में 55 रन बनाए, इस बल्लेबाज ने 4 चौके और 2 छक्के जड़े.

    यह भी पढ़ें

    मोहम्मद शमी का चीफ सेलेक्टर अजीत आगरकर को करारा जवाब, ऑस्ट्रेलिया सीरीज से पहले कर दिया ये काम

    साक्षी गुप्ता एबीपी न्यूज़ में 2023 से काम कर रही हैं. साक्षी की खेल और राजनीतिक जगत में काफी दिलचस्पी है. इसके अलावा साक्षी ऑटो सेक्शन से लेकर एंटरटेनमेंट की खबरें लिखने में भी रुचि रखती हैं. खाली समय में साक्षी को पढ़ना और स्पोर्ट्स खेलना काफी पसंद है. साक्षी ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से हिन्दी पत्रकारिता में मास्टर्स की डिग्री ली है और डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएट हैं.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • बागपत चाट युद्ध के बाद IRCTC का बेल्ट युद्ध… दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर जमकर हुई मारपीट; वीडियो वायरल

    बागपत चाट युद्ध के बाद IRCTC का बेल्ट युद्ध… दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर जमकर हुई मारपीट; वीडियो वायरल

    सोशल मीडिया पर रोजाना कई लड़ाई-झगड़ों के वीडियो वायरल होते रहते हैं. ऐसा ही एक वीडियो दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें वंदे भारत एक्सप्रेस के आईआरसीटीसी कर्मचारियों के बीच जमकर मारपीट होती नजररही है. यह घटना 15 अक्टूबर बुधवार की बताई जा रही है. इस वीडियो में कर्मचारी डस्टबिन, बेल्ट और घुसों से एक-दूसरे पर हमला करते दिखे रहे हैं.

    सोशल मीडिया पर वायरल हुई निजामुद्दीन की बेल्ट लड़ाई

    हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन का यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर @SoulsteerGwalior नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है. इस वीडियो की शुरुआत में देखा जा सकता है कि दो कर्मचारी आपस में बहस कर रहे थे. बहस बढ़ने पर एक कर्मचारी पास में रखे डस्टबिन से दूसरे को मार देता है. जिसके बाद वहां मौजूद दूसरे कर्मचारी भी इस झगड़े में शामिल हो जाते हैं. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक कर्मचारी दूसरे को जमीन पर गिराकर पीटता है, जबकि दूसरे बेल्ट से हमला करते हैं. थोड़ी ही देर में यह मामूली बहस बहुत बड़ी लड़ाई में बदल जाती है. वहीं इस लड़ाई को रोकने के लिए स्टेशन पर मौजूद पुलिसकर्मी और कुली भी बीच में आते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद फिर से लड़ाई शुरू हो जाती है. इस घटना को कई लोगों ने अपने फोन में कैद कर लिया और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

    फेसबुक पर यात्रियों के रिएक्शन हो रहे वायरल

    IRCTC कर्मचारियों के बीच हुई इस मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर अपने मजेदार और तीखे रिएक्शन दे रहे हैं. कई यूजर्स इसे बागपत चाट युद्ध के बाद निजामुद्दीन बेल्ट युद्ध बता रहे हैं. वहीं एक यूजर फेसबुक पर कमेंट करता है कि कौन कहता है कूड़ेदान काम नहीं आते, ऐसे मौके पर ही कूड़ेदान सबसे ज्यादा काम आते हैं. एक और यूजर लिखता है कि यह कौन सा गेम है भाई. इसके अलावा एक यूजर लिखता है कि हां पहले तुम लोग लड़ लो. बता दें कि इस मामले पर रेलवे प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है और झगड़े में शामिल कर्मचारियों से जवाब भी मांगा गया है.

    ये भी पढ़ें-वीडियो देख दंग रह जाएंगे आप…पुल की रेलिंग पर चढ़ गई गाड़ी, ऐसा नजारा शायद ही पहले देखा हो

    कविता गाडरी बीते कुछ साल से डिजिटल मीडिया और पत्रकारिता की दुनिया से जुड़ी हुई है. राजस्थान के जयपुर से ताल्लुक रखने वाली कविता ने अपनी पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय भोपाल से न्यू मीडिया टेक्नोलॉजी में मास्टर्स और अपेक्स यूनिवर्सिटी जयपुर से बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में की है. 
    पत्रकारिता में अपना सफर उन्होंने राजस्थान पत्रिका से शुरू किया जहां उन्होंने नेशनल एडिशन और सप्लीमेंट्स जैसे करियर की उड़ान और शी न्यूज के लिए बाय लाइन स्टोरी लिखी. इसी दौरान उन्हें हेलो डॉक्टर शो पर काम करने का मौका मिला. जिसने उन्हें न्यूज़ प्रोडक्शन के लिए नए अनुभव दिए. 

    इसके बाद उन्होंने एबीपी नेटवर्क नोएडा का रुख किया. यहां बतौर कंटेंट राइटर उन्होंने लाइफस्टाइल, करंट अफेयर्स और ट्रेडिंग विषयों पर स्टोरीज लिखी. साथ ही वह कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लगातार सक्रिय रही. कविता गाडरी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष हैं. न्यूज़ राइटिंग रिसर्च बेस्ड स्टोरीटेलिंग और मल्टीमीडिया कंटेंट क्रिएशन उनकी खासियत है. वर्तमान में वह एबीपी लाइव से जुड़ी है जहां विभिन्न विषयों पर ऐसी स्‍टोरीज लिखती है जो पाठकों को नई जानकारी देती है और उनके रोजमर्रा के जीवन से सीधे जुड़ती है.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • 'मवेशी चुराने आए थे…', त्रिपुरा में 3 बांग्लादेशियों की मौत पर मचा हल्ला, भारत ने दिया दो टूक जवाब

    'मवेशी चुराने आए थे…', त्रिपुरा में 3 बांग्लादेशियों की मौत पर मचा हल्ला, भारत ने दिया दो टूक जवाब

    भारत ने शुक्रवार को कहा कि तीन बांग्लादेशी नागरिक भारतीय सीमा पार कर मवेशी चोरी की कोशिश में मारे गए, न कि किसी भीड़ ने उन्हें पीटा, जैसा कि ढाका ने दावा किया है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि यह घटना 15 अक्टूबर को त्रिपुरा में भारतीय सीमा के भीतर लगभग 3 किलोमीटर अंदर हुई थी.

    भीड़ पर हत्या का आरोप
    बांग्लादेश सरकार ने इस घटना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया और आरोप लगाया कि त्रिपुरा में तीन बांग्लादेशी नागरिकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की गई. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि 15 अक्टूबर 2025 को हुई इस घटना की वे निंदा और विरोध करते हैं.

    चोरी के दौरान हुई झड़प
    भारत ने बांग्लादेश के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि तीनों व्यक्ति पद्माबिल गांव में मवेशी चोरी के इरादे से घुसे थे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने गांववालों पर लोहे के धारदार हथियारों और चाकू से हमला किया, जिसमें एक ग्रामीण की मौत हो गई. इसके बाद स्थानीय लोग एकत्र हुए और हमलावरों का प्रतिरोध किया.

    मंत्रालय ने बताया कि दो तस्कर मौके पर ही मारे गए, जबकि तीसरे की अस्पताल में मौत हुई. तीनों के शव बांग्लादेश को सौंप दिए गए हैं और पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

    भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव
    यह घटना ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं. अगस्त 2024 में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर दोनों पक्षों में बयानबाजी तेज हुई है.

    सीमा पर सुरक्षा उपायों की जरूरत
    भारत ने बांग्लादेश से कहा है कि वह सीमा पर अपराध और तस्करी रोकने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा और अनुशासन बरकरार रहे. विदेश मंत्रालय ने बाड़ लगाने जैसे उपायों का भी समर्थन किया है.

    त्रिपुरा सीमा पर तस्करी की समस्या
    त्रिपुरा की 856 किलोमीटर लंबी सीमा बांग्लादेश से लगती है. इस इलाके में गाय तस्करी और अवैध घुसपैठ लंबे समय से चुनौती रही है. सीमा पर ज्यादातर हिस्सों में बाड़ लगी है, फिर भी तस्कर चोरी-छिपे घुसपैठ करते हैं और वापस भागने की कोशिश करते हैं ताकि कानूनी कार्रवाई से बच सकें.

    गौरतलब है कि त्रिपुरा में खोवाई जिले के एक सीमावर्ती गांव में बुधवार को दो पक्षों के बीच हुई झड़प में संदिग्ध रूप से मवेशी चुराने आए तीन बांग्लादेशियों की मौत हो गई और राज्य के दो निवासी घायल हो गए.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले देश, भारत टॉप पर नहीं; पाकिस्तान नंबर-3; देखें पूरी लिस्ट

    वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले देश, भारत टॉप पर नहीं; पाकिस्तान नंबर-3; देखें पूरी लिस्ट

    Most Wins In ODI Cricket By Team: वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने के मामले में ऑस्ट्रेलिया टॉप पर है. भारत इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है, वहीं पाकिस्तान तीसरे पायदान पर है. यह रिकॉर्ड दर्शाता है कि ऑस्ट्रेलिया ने किस तरह से एकदिवसीय क्रिकेट में अपना दबदबा बनाए रखा है. हालांकि भारत के पास भी भविष्य में इस रिकॉर्ड को अपने नाम करने का मौका है, क्योंकि भारतीय टीम साल दर साल वनडे क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है. आइए जानते हैं कि वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले टॉप-5 देश कौन-कौन से हैं?

    वनडे में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले टॉप-5 देश 

    1. ऑस्ट्रेलिया – 615 जीत 

    वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले टॉप-5 देशों की लिस्ट में ऑस्ट्रेलिया पहले नंबर पर है. ऑस्ट्रेलिया ने अब तक 1016 वनडे मैच खेले हैं, जिनमें वो 615 मैच जीती और उसे 357 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है. साल 2000 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने वनडे क्रिकेट में लंबे समय से तक राज किया था. ऑस्ट्रेलिया के नाम सबसे ज्यादा ICC वनडे वर्ल्ड कप जीतने का रिकॉर्ड है और अब तक 6 बार खिताब अपने नाम किया है.

    2. भारत – 567 जीत 

    भारत वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले देशों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है. भारत ने अब तक 1066 मैच खेले हैं, जिनमें वो 567 मैच जीती और 445 मैचों में शिकस्त मिली. भारतीय टीम ने वनडे क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और टीम इंडिया दो बार वनडे वर्ल्ड कप 1983 और 2011 में जीत चुकी है.

    3. पाकिस्तान – 521 जीत

    वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले देशों की लिस्ट में पाकिस्तान तीसरे नंबर पर है. पाकिस्तान ने अब तक 990 मैच खेले हैं, जिसमें उसे 521 मैचों में जीत मिली और उसे 439 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है. पाकिस्तानी टीम अपनी तेज गेंदबाजी के लिए जानी जाती है और पाकिस्तान 1992 में वनडे वर्ल्ड कप को जीत चुकी है.

    4. श्रीलंका – 434 जीत

    श्रीलंका वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले देशों की लिस्ट में चौथे नंबर पर है. श्रीलंका ने अब तक 937 मैच खेले हैं, जिसमें वो 434 मैच जीती और उसे 456 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है. श्रीलंका ने 1996 में अपनी पहली और इकलौती वनडे वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीती थी.

    5. वेस्टइंडीज – 429 जीत

    वनडे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा मैच जीतने वाले देशों की लिस्ट में वेस्टइंडीज पांचवें नंबर पर है. वेस्टइंडीज ने अब तक 891 मैच खेले हैं, जिनमें उसे 429 मैचों में जीत मिली और 420 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है. वेस्टइंडीज ने वनडे वर्ल्ड कप के पहले दो संस्करण 1975 और 1979 का वर्ल्ड कप जीता था.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.