RJD, कांग्रेस, लेफ्ट या सहनी, किसकी वजह से महागठबंधन में फंसा पेच? दीपांकर भट्टाचार्य ने साफ कर दी तस्वीर

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर वामपंथी खेमे से जुड़ी महत्वपूर्ण पार्टी सीपीआई(एमएल) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने सीट बंटवारे और गठबंधन की एकजुटता पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि इस बार का गठबंधन पहले से कहीं बड़ा है, जिसके कारण सीटों के तालमेल में देरी और कुछ असहमति स्वाभाविक थी.

दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को गठबंधन में शामिल करने की इच्छा थी. इसके चलते सभी दलों को अपनी-अपनी सीटों में थोड़ा त्याग करना पड़ा. उन्होंने बताया कि इसी प्रक्रिया के कारण टिकट वितरण में थोड़ी देरी हुई और कुछ सीटों पर पूर्ण एकता तुरंत नहीं बन पाई.

दीपांकर भट्टाचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि गठबंधन की ओर से यह तय कर लिया गया है कि किसी भी सीट पर ‘फ्रेंडली फाइट’ यानी आपसी मुकाबला नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमने साफ कर दिया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में पूर्ण एकजुटता होनी चाहिए. जहां-जहां थोड़ा भ्रम है, वह भी नाम वापसी की अंतिम तारीख तक सुलझ जाएगा.

#WATCH | Patna, Bihar | CPI(ML) leader Dipankar Bhattacharya says, “It’s a bigger coalition this time. The VIP party (Vikassheel Insaan Party) wanted to accommodate this new party. And that meant that everybody had to sacrifice a few seats. So the whole thing got a bit delayed.… pic.twitter.com/LRuyLY1KVp

सीपीआई(एमएल) नेता ने दावा किया कि वामपंथी दलों ने अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई है और उन्होंने गठबंधन की मजबूती को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद किसी एक सीट पर जीत-हार नहीं, बल्कि पूरे बिहार में फासीवादी ताकतों को रोकने और जनता की आवाज़ को मजबूत करने का है.

दीपांकर भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि भले ही सीट बंटवारे में समय लगा हो, लेकिन इंडिया गठबंधन की एकजुटता चुनाव के समय और भी मजबूत होगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि नामांकन वापसी की प्रक्रिया पूरी होते-होते हर सीट पर गठबंधन का साझा उम्मीदवार स्पष्ट हो जाएगा और विपक्षी एकता पहले से अधिक सशक्त रूप में सामने आएगी.

दीपांकर भट्टाचार्य ने अंत में कहा कि हमारा लक्ष्य सत्ता नहीं, बल्कि बदलाव है. बिहार में जनता की उम्मीदें बड़ी हैं और हम एकजुट होकर उन पर खरे उतरने की कोशिश करेंगे.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीपीआई(एमएल) का यह बयान न केवल सीट बंटवारे से जुड़े असंतोष को शांत करने की कोशिश है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि वामपंथी दल अब भी गठबंधन के भीतर संतुलन और सहयोग बनाए रखना चाहते हैं.

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