Category: Uncategorized

  • Trump On Zelensky: 'अगर पुतिन चाहें तो यूक्रेन को बर्बाद कर देंगे', व्हाइट हाउस में जेलेंस्की पर भड़के ट्रंप; फिर हुई तीखी बहस

    Trump On Zelensky: 'अगर पुतिन चाहें तो यूक्रेन को बर्बाद कर देंगे', व्हाइट हाउस में जेलेंस्की पर भड़के ट्रंप; फिर हुई तीखी बहस

    अमेरिका और यूक्रेन के बीच रिश्तों पर एक बार फिर तनाव की परत चढ़ गई है. फाइनेंशियल टाइम्स (FT) की एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि व्हाइट हाउस में हुई एक बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की पर रूस की शर्तें स्वीकार करने का दबाव बनाया.

    रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बातचीत इतनी गर्मा गई कि माहौल बहस से चिल्लाने तक पहुंच गया. ट्रंप ने बैठक के दौरान जेलेंस्की के सैन्य मानचित्रों को खारिज कर दिया और कहा कि यूक्रेन को डोनबास क्षेत्र रूस को सौंप देना चाहिए.

    ‘अगर पुतिन चाहें, तो तुम्हें मिटा देंगे’, ट्रंप की चेतावनी

    ट्रंप ने जेलेंस्की से कहा कि व्लादिमीर पुतिन बहुत ताकतवर हैं और अगर वे चाहें तो तुम्हें बर्बाद कर देंगे. उन्होंने यूक्रेन युद्ध को एक विशेष अभियान बताते हुए कहा कि यह कोई वास्तविक युद्ध नहीं है. यह भी बताया गया है कि ट्रंप ने यूक्रेनी सेना के नक्शे फेंक दिए और कहा मैं इन लाल रेखाओं से तंग आ चुका हूं.

    रूस का नया युद्धविराम प्रस्ताव

    दरअसल पुतिन ने ट्रंप को यूक्रेन के लिए एक नया युद्धविराम प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यूक्रेन को डोनबास क्षेत्र रूस को देना होगा, जबकि खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया के कुछ हिस्से यूक्रेन के पास रहेंगे. यूक्रेन ने इसे पूरी तरह अस्वीकार कर दिया और साफ कहा कि देश की संप्रभुता और सीमाएं किसी कीमत पर नहीं बदली जा सकतीं.

    जेलेंस्की की नाराजगी और ट्रंप का दबाव

    बैठक में जब यूक्रेनी प्रतिनिधियों ने युद्ध की स्थिति और अपनी जवाबी रणनीति दिखाने की कोशिश की तो ट्रंप ने सभी तर्कों को नकार दिया. जेलेंस्की ने दृढ़ता से कहा कि यूक्रेन अपनी आजादी के लिए अंतिम सांस तक लड़ेगा. ट्रंप ने इसके जवाब में सैन्य मदद सीमित करने की बात की और टोमहॉक मिसाइलों की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया.

    व्हाइट हाउस में अंदरूनी असहमति

    रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह बैठक ट्रंप प्रशासन के अंदर बढ़ती असहमति को भी उजागर करती है. उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी जेलेंस्की पर आभार न जताने का आरोप लगाया और कहा कि यूक्रेन को अमेरिकी सहयोग के लिए अधिक आभार व्यक्त करना चाहिए. यूरोपीय अधिकारियों ने FT को बताया कि ट्रंप ने पूरी बैठक में पुतिन की भाषा दोहराई और यूक्रेनी पक्ष को बार-बार शांत रहने को कहा.

    यूरोप की चिंता और बदलता समीकरण

    फाइनेंशियल टाइम्स ने यह भी लिखा कि यूरोपीय नेताओं में चिंता बढ़ रही है कि ट्रंप के रुख से अमेरिका की यूक्रेन नीति बदल सकती है. अगर अमेरिका रूस के पक्ष में झुकता है तो इससे न केवल यूक्रेन के मनोबल पर असर पड़ेगा, बल्कि यूरोपीय संघ की सामरिक एकता भी कमजोर हो सकती है.

    जेलेंस्की का जवाब- ‘लोकतंत्र एकजुट रहेगा’

    जेलेंस्की ने रविवार (19 अक्तूबर 2025) को प्रेस बयान जारी कर कहा कि शांति तभी संभव है, जब सभी लोकतांत्रिक देश एक साथ खड़े हों. उन्होंने अमेरिका और G7 देशों से निर्णायक कदम उठाने की अपील की. इस पर ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा कि पुतिन ने कुछ हासिल किया है, उन्होंने कुछ क्षेत्र जीते हैं. मुझे भरोसा है कि अब हम शांति बहाल करेंगे.”

    हंगरी में मिलेंगे ट्रंप और पुतिन

    रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप और पुतिन अगले दो हफ्तों में बुडापेस्ट में एक नई बैठक करने पर सहमत हुए हैं. इससे पहले अगस्त में अलास्का में हुई बैठक बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गई थी क्योंकि पुतिन ने तत्काल युद्धविराम के ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.

    ये भी पढ़ें: ‘अगर उन्होंने हथियार नहीं डाले, तो हम कदम उठाएंगे’, गाजा पर इजरायली हमले के बाद ट्रंप ने हमास को दी वॉर्निंग

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • Women's World Cup points table: 3 टीमें कंफर्म… इंग्लैंड से हारने के बाद विश्व कप से बाहर हो गई टीम इंडिया? देखें अंक तालिका

    Women's World Cup points table: 3 टीमें कंफर्म… इंग्लैंड से हारने के बाद विश्व कप से बाहर हो गई टीम इंडिया? देखें अंक तालिका

    महिला विश्व कप में रविवार को खेले गए रोमांचक मुकाबले में इंग्लैंड महिला टीम ने भारतीय महिला टीम को 4 रनों से हराया. इस जीत के साथ इंग्लैंड तीसरी टीम बन गई है, जिसने विश्व कप सेमीफाइनल के लिए अपना स्थान पक्का कर लिया है. 3 टीमें क्वालीफाई कर चुकी हैं और अब सिर्फ 1 टीम आगे जा सकती है, भारत अंक तालिका में कहां है? अन्य कौन सी टीमें दौड़ में शामिल है? किस टीम के कितने पॉइंट्स और नेट रन रेट है? जानिए.

    इंदौर के होल्कर स्टेडियम में हुए इस मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी थी. इंग्लैंड ने भारत के सामने जीत के लिए 289 रनों का लक्ष्य रखा. दीप्ति शर्मा ने 4 विकेट लिए. इंग्लैंड के लिए हीथर नाइट ने शतकीय (109)  पारी खेली, एमी जोन्स ने 56 रन बनाए.

    लक्ष्य का पीछा करते हुए स्मृति मंधाना ने 88 और हरमनप्रीत कौर ने 70 रन बनाए, दीप्ति शर्मा ने गेंदबाजी के बाद बल्लेबाजी में भी कमाल किया और 57 गेंदों में 50 रन बनाए. जब दीप्ति आउट हुई तब भारत को जीतने के लिए 19 गेंदों में 27 रन बनाने थे, भारत शुरुआत से अच्छी स्थिति में थी लेकिन अंत में पिछड़ गई और लक्ष्य से 5 रन दूर रह गई.

    ऑस्ट्रेलिया ने 5 में से 4 मैच जीते हैं. टीम का एक मैच बारिश के कारण रद्द हुआ था. 9 अंकों के साथ ऑस्ट्रेलिया तालिका में पहले नंबर पर है. दूसरे नंबर पर इंग्लैंड है, जिसने अपने 5 में से 4 मैच जीते हैं. इंग्लैंड का भी एक मैच बेनतीजा रहा. साउथ अफ्रीका तीसरे नंबर पर आ गई है, इस टीम ने भी 5 में से 4 मैच जीते हैं लेकिन 1 हारा भी है. अंक तालिका में साउथ अफ्रीका 8 अंकों के साथ तीसरे नंबर पर है. इन तीनों टीमों ने सेमीफाइनल में अपना स्थान कंफर्म कर लिया है.

    One final spot up for grabs in the #CWC25 semis 👀

    Latest state of play ➡️ https://t.co/wbGUBVunRS pic.twitter.com/PZirznwmza

    नहीं, अभी भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप 2025 सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर नहीं हुई है. भारत की ये लगातार तीसरी हार है. इससे पहले हरमनप्रीत कौर एंड टीम साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से हारी थी. टीम इंडिया ने 5 में से 2 मैच जीते हैं और 3 हारे हैं. 4 अंकों के साथ टीम पॉइंट्स टेबल में चौथे नंबर पर है. टीम का अगला मैच न्यूजीलैंड के साथ 23 अक्टूबर को है, जो भारत के लिए करो या मरो वाला मुकाबला होगा.

    भारत को हर हाल में न्यूजीलैंड को हराना है, क्योंकि अगर टीम इंडिया हारी तो न्यूजीलैंड चौथे नंबर पर आ जाएगी और भारत टॉप-4 से बाहर हो जाएगा. न्यूजीलैंड ने 5 में से 1 ही मैच जीता है, लेकिन उसके 2 मैच बारिश से रद्द हुए हैं इसलिए उनके भी भारत की तरह 4 अंक हैं. न्यूजीलैंड अंक तालिका में 5वें नंबर पर है.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • Ayodhya Deepotsav: अयोध्या में दीपोत्सव पर बने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, 26 लाख दीयों से जगमग हुई रामनगरी

    Ayodhya Deepotsav: अयोध्या में दीपोत्सव पर बने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, 26 लाख दीयों से जगमग हुई रामनगरी

    पवित्र नगरी अयोध्या में रविवार शाम दिव्य नजारा देखने को मिला. दीपोत्सव के नौवें संस्करण में भगवान श्री राम की पावन धरा को 26 लाख 17 हजार 215 दीपों से जगमगा कर एक नया विश्व कीर्तिमान बनाया गया. देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने ‘श्री राम, जय राम, जय जय राम’ के जयकारों से शहर को गुंजायमान कर दिया.

    राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, श्रद्धालुओं ने सरयू नदी के तट पर पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर अयोध्या का हर मंदिर, गली और घर भक्ति की आभा से जगमगा उठा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने दो नए ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ बनाए. पहला, शहर भर में 26 लाख 17 हजार 215 दीप जलाने का और दूसरा 2,128 वेदाचार्यों, पुजारियों और साधकों द्वारा एक साथ मां सरयू की आरती करने का. बयान के मुताबिक, दोनों उपलब्धियों की ड्रोन के जरिए गणना करके पुष्टि की गई और उन्हें ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ के प्रतिनिधियों द्वारा प्रमाणित किया गया.

    डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय और स्थानीय संगठनों के 32 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने इस उपलब्धि को संभव बनाया. आदित्यनाथ के आह्वान पर अयोध्या भर के घरों, मंदिरों, मठों, आश्रमों और सार्वजनिक चौराहों पर दीप जलाए गए. शाम का समापन रामकथा पार्क में एक भव्य आरती के साथ हुआ, जहां मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों और संतों ने भगवान श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की पूजा की.

    जैसे ही पृष्ठभूमि में ‘राम आए अवध की ओर सजनी’ की गूंज हुई, हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई और श्री राम के प्रतीकात्मक राज्याभिषेक ने वातावरण को भक्ति और गौरव से भर दिया. इस आध्यात्मिक क्षण में जब भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता ‘पुष्पक विमान’ (हेलीकॉप्टर) से उतरे तो मुख्यमंत्री ने स्वयं पवित्र रथ को खींचा. भक्तों ने इस दृश्य को दिव्य और अविस्मरणीय बताते हुए कहा, ‘आज अयोध्या वास्तव में त्रेता युग की भावना को प्रतिबिंबित करती है. इस समारोह में साधु-संत और गणमान्य लोग भी शामिल हुए जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी को आशीर्वाद दिया.

    प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. रामविलास वेदांती, राघवाचार्य महाराज, कमल नयन दास महाराज और संतोषाचार्य महाराज (सतुआ बाबा) शामिल थे. चंपत राय और महापौर गिरीश पति त्रिपाठी सहित कई राज्य मंत्री और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के पदाधिकारी भी समारोह में शामिल हुए.

    मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन की शुरुआत और अंत भगवान राम, माता सीता, मां सरयू और हनुमान जी की स्तुति के साथ किया और कहा कि अयोध्या का दीपोत्सव ‘सनातन धर्म में आस्था, एकता और गौरव’ का प्रतीक है. इससे पहले, रामायण के प्रसंगों को दर्शाती 22 झांकियां और रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कलाकारों के साथ-साथ 2,000 से अधिक भारतीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया. सड़कों को फूलों और रंगोली से सजाया गया था.

    रात में अयोध्या का आसमान 1,100 स्वदेशी ड्रोन उत्कृष्ट शो से जीवंत हो उठा. इसमें भगवान राम के दिव्य स्वरूप और रामायण के दृश्यों को रोशनी के माध्यम से आकाश पटल पर उकेरा गया. इन दृश्यों ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके बाद में सीएम योगी  ने श्री राम मंदिर में दर्शन किए. साथ ही गर्भगृह और राम की पैड़ी पर पूजा-अर्चना की और आरती की.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • ये है मॉडर्न भैंस! चारा नहीं खाने में चाहिए बर्गर, रेसिपी देख माथा पकड़ लेंगे आप- वीडियो वायरल

    ये है मॉडर्न भैंस! चारा नहीं खाने में चाहिए बर्गर, रेसिपी देख माथा पकड़ लेंगे आप- वीडियो वायरल

    सोशल मीडिया की दुनिया में रोज कुछ ना कुछ ऐसा देखने को मिल जाता है जो लोगों को हैरान भी कर देता है और हंसी से लोटपोट भी. ऐसा ही एक नया वीडियो इस वक्त इंटरनेट पर वायरल हो रहा है जिसमें एक शख्स भैंस के लिए बर्गर तैयार करता नजर आ रहा है. लेकिन ये कोई आम बर्गर नहीं है बल्कि “चारे वाला बर्गर” है. जी हां! इस बर्गर में लेट्यूस या चीज नहीं बल्कि सूखा चारा और जानवरों वाला सॉस डाला गया है. और फिर जैसे इंसान बर्गर का मजा लेते हैं, वैसे ही भैंस को भी बड़ी शान से ये “डिश” सर्व की जाती है.

    वीडियो में देखा जा सकता है कि शख्स सबसे पहले एकदम रेस्तरां स्टाइल में बर्गर बनाने की तैयारी करता है. वो बर्गर बन को दो हिस्सों में काटता है और उसमें सूखा चारा रखता है. इसके बाद वह जानवरों वाला सॉस (एनिमल फीड सॉस) ऊपर से डालता है. बर्गर को बड़े प्यार से बंद करता है और फिर उसे अपने पास बैठी भैंस को खिलाता है. भैंस भी बर्गर देखकर बिल्कुल उत्सुक नजर आती है और तुरंत उसे खाने लगती है. यह नजारा इतना मजेदार है कि देखने वाले अपनी हंसी रोक नहीं पा रहे.

    A post shared by Ravi Rawal (@farmerlife_iii)

    ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी ने जानवरों के लिए अलग अंदाज में खाना तैयार किया हो. पहले भी कई बार लोग अपने पालतू जानवरों को “स्पेशल ट्रीट” देने के लिए फूड रील्स बनाते दिखे हैं. लेकिन इस बार “चारे वाला बर्गर” ने जो तहलका मचाया है, वो बाकी सब पर भारी पड़ गया है.  वीडियो वायरल होने के बाद इस मॉडर्न भैंस की चर्चा कर रहा है.

    यह भी पढ़ें: दुबई में दिखा दिल्ली जैसा नजारा! दीपावाली पर रोशनी से नहाया पूरा शहर- वीडियो देख हैरान रह गए यूजर्स

    वीडियो को farmerlife_iii नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स वीडियो को लेकर तरह तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा…बर्गर रेस्टोरेंट से एक हजार मिसकॉल आ गए होंगे. एक और यूजर ने लिखा…ये तो बर्गर विद भूसा हो गया. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा….बर्गर के दिवाने सभी हैं, ये भैंस तो मॉडर्न निकली.

    यह भी पढ़ें: फोन में मशगूल थी महिला, सड़क पर चलते हुए सामने से आई ट्रेन, फिर ऐसे बची जान- डरा देगा वीडियो

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • तेज प्रताप यादव पर FIR दर्ज, नामांकन के बाद चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप

    तेज प्रताप यादव पर FIR दर्ज, नामांकन के बाद चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप

    राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के अध्यक्ष तेज प्रताप यादव की मुश्किलें बढ़ गयीं हैं. तेज प्रताप पर बिहार के वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी.

    जिला पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें यादव को 16 अक्टूबर को नामांकन जुलूस के दौरान पुलिस लोगो और नीली लाल बत्ती लगी एक एसयूवी का उपयोग करते हुए देखा गया. इसके बाद महुआ के क्षेत्र अधिकारी ने संबंधित थाने में एक शिकायत दर्ज कराई. इसमें कहा गया कि इसकी गहन जांच की गई और पाया गया कि वाहन पर लगा पुलिस लोगो और नीली लाल बत्ती निजी थी. इसलिए चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया.

    जन शक्ति दल नेता तेज प्रताप यादव 16 अक्टूबर को अपना नामाकंन कराने वैशाली पहुंचे थे. उनके साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक और कार्यकर्ता भी थे. नामाकंन के दौरान उनके काफिले में एक गाड़ी पर नीली बत्ती और पुलिस का लोगो लगा था. जिसका वीडियो वायरल हो रहा है. इसे अचार संहिता का उल्लंघन बताया गया.

    डीएसपी 1 राज कुमार शाह ने बताया कि  जन शक्ति जनता दल के नेता और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव की रैली में पुलिस के लोगो और बत्ती लगी एक गाड़ी का वीडियो वायरल हुआ था. चुनाव प्रचार में इस्तेमाल की गई यह गाड़ी सिद्धनाथ सिंह के बेटे प्रमोद कुमार यादव की निजी गाड़ी निकली. निजी गाड़ी पर पुलिस की बत्ती लगाना एक गंभीर और संज्ञेय अपराध है. भोजपुर ज़िले में गाड़ी मालिक और ड्राइवर के ख़िलाफ़ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है और गाड़ी ज़ब्त कर ली गई है.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • दिल्ली के इस कॉलेज से पढ़ी हैं श्रीलंका की प्रधानमंत्री, जानें यहां कैसे होता है एडमिशन?

    दिल्ली के इस कॉलेज से पढ़ी हैं श्रीलंका की प्रधानमंत्री, जानें यहां कैसे होता है एडमिशन?

    स्कूल और कॉलेज के दिन सभी के लिए वो गोल्डन टाइम पीरियड होता है, जो जीवन भर याद रहता है और उन पलों को याद करते ही मन खुश हो जाता है. इस बात का अंदाजा आप श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या को देखकर भी लगाया जा सकता है.

    दरअसल, श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या पद संभालने के बाद अपने पहले भारत दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने अपने काम के साथ साथ अपने उस जगह के लिए भी समय निकाला जहां उन्होंने अपने जीवन के जरूरी साल गुजारे. ऐसे में उन्होंने अपने कॉलेज में भी विजिट किया और सभी मोमेंट्स को रिलीव किया. ऐसे में आइए जानते हैं कि दिल्ली के किस कॉलेज से पढ़ी है श्रीलंका की पीएम.

    कई साल बाद क्लासरूम पहुंचीं डॉ. हरिनी

    श्रीलंका की पीएम डॉ. हरिनी अमरसूर्या दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से पढ़ी हैं. यह बात 31 साल पुरानी है, जब हरिनी हिन्दू कॉलेज से समाजशास्त्र में अपनी ग्रेजुएशन कर रही थी. आज इतने सालों बाद भारत आके उन्होंने अपने बिजी शेड्यूल में से कुछ समय हिन्दू कॉलेज के लिए भी निकाला और अपने क्लासरूम गई. इतना ही नहीं उन्होंने कॉलेज स्टूडेंट्स के साथ गप्पे भी लड़ाए और इस बेंच पर भी बैठी कहा बैठकर वो अक्सर नोट्स बनाया करती थी.

    हिंदू कॉलेज का इतिहास 

    डीयू का हिन्दू कॉलेज काफी पुराना है. ये कॉलेज स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा हुआ है. दरअसल, 1899 में स्थापित ये कॉलेज आजादी के आंदोलन में नेशनलिस्ट का गढ़ माना जाता रहा है. इस कॉलेज ने समय समय पर देश को एक से एक बड़े नेता दिए है. इस कॉलेज की खास बात ये है कि यहां स्टूडेंट्स पार्लियामेंट भी है, जो साल 1935 में बनी थी. 

    कैसे ले सकते हैं हिन्दू कॉलेज में एडमिशन?

    हिंदू कॉलेज भारत के टॉप कॉलेज में से एक है. ऐसे में इसमें एडमिशन मिलना काफी मुश्किल होता है क्योंकि कंपटीशन काफी ज्यादा होता है. इसमें एडमिशन के लिए सबसे पहले स्टूडेंट्स को सीयूईटी का एग्जाम देना होता है. इसके बाद उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी कॉमन सीट एलोकेशन के लिए प्राथमिकताएं भरनी होती है. यहां एडमिशन आपके सीयूईटी स्कोर, आपके चुने हुए कोर्स और सीटों की उपलब्धता के आधार पर मिलता है.

    इसे भी पढ़ें: नेताओं के काफिले में कैसे होती हैं एक ही नंबर की कई गाड़ियां, क्या आम इंसान कर सकता है ऐसा?

    Education Loan Information:
    Calculate Education Loan EMI

    आंखों में सपने लिए, घर से हम चल तो दिए, जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां… कहने को तो ये सिंगर शान के गाने तन्हा दिल की शुरुआती लाइनें हैं, लेकिन दीपाली की जिंदगी पर बखूबी लागू होती हैं. पूरा नाम दीपाली बिष्ट, जो पहाड़ की खूबसूरत दुनिया से ताल्लुक रखती हैं. किसी जमाने में दीपाली के लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ कंधे पर झोला टांगकर और हाथों में अखबार लेकर घूमने वाले लोग होते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों में इसी दुनिया का सितारा बनने के सपने पनपने लगे और वह भी पत्रकारिता की दुनिया में आ गईं. उन्होंने अपने इस सफर का पहला पड़ाव एबीपी न्यूज में डाला है, जहां वह ब्रेकिंग, जीके और यूटिलिटी के अलावा लाइफस्टाइल की खबरों से रोजाना रूबरू होती हैं. 

    दिल्ली में स्कूलिंग करने वाली दीपाली ने 12वीं खत्म करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सत्यवती कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में ग्रैजुएशन किया. ग्रैजुएशन के दौरान वह विश्वविद्यालय की डिबेटिंग सोसायटी का हिस्सा बनीं और अपनी काबिलियत दिखाते हुए कई डिबेट कॉम्पिटिशन में जीत हासिल की. 

    साल 2024 में दीपाली की जिंदगी में नया मोड़ तब आया, जब उन्होंने गुलशन कुमार फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (नोएडा) से टीवी जर्नलिज्म में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री हासिल की. उस दौरान उन्होंने रिपोर्टिंग, एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, रिसर्च और एंकरिंग की बारीकियां सीखीं. कॉलेज खत्म करने के बाद वह एबीपी नेटवर्क में बतौर कॉपीराइटर इंटर्न पत्रकारिता की दुनिया को करीब से समझ रही हैं. 

    घर-परिवार और जॉब की तेज रफ्तार जिंदगी में अपने लिए सुकून के पल ढूंढना दीपाली को बेहद पसंद है. इन पलों में वह पोएट्री लिखकर, उपन्यास पढ़कर और पुराने गाने सुनकर जिंदगी की रूमानियत को महसूस करती हैं. इसके अलावा अपनी मां के साथ मिलकर कोरियन सीरीज देखना उनका शगल है. मस्ती करने में माहिर दीपाली को घुमक्कड़ी का भी शौक है और वह आपको दिल्ली के रंग-बिरंगे बाजारों में शॉपिंग करती नजर आ सकती हैं.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • Stamp System: दुनिया में पहली बार कब और कहां शुरू हुआ था स्टाम्प सिस्टम, भारत में कैसे शुरू हुई यह व्यवस्था?

    Stamp System: दुनिया में पहली बार कब और कहां शुरू हुआ था स्टाम्प सिस्टम, भारत में कैसे शुरू हुई यह व्यवस्था?

    Stamp System: मध्य प्रदेश में एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है. करीब 126 साल पुरानी मैनुअल स्टाम्प प्रणाली अब बंद कर दी जाएगी. यानी अब आपको हाथ से खरीदे गए कागजी स्टाम्प नहीं मिलेंगे. सरकार ने घोषणा की है कि भविष्य में सिर्फ ई-स्टाम्प का ही इस्तेमाल किया जाएगा. यह बदलाव आने वाले कुछ महीनों में लागू कर दिया जाएगा. आइए जानें कि दुनिया में पहली बार स्टाम्प सिस्टम कब शुरू हुआ और यह भारत में कैसे आया.

    क्यों जरूरी हुई ई-स्टाम्प व्यवस्था?

    ई-स्टाम्पिंग का सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता और सुरक्षा है. पहले मैनुअल स्टाम्प पेपरों में नकली कागज, दोबारा उपयोग और फर्जीवाड़े के मामले आम थे. अब ई-स्टाम्पिंग में हर ट्रांजैक्शन को ऑनलाइन रजिस्टर किया जाएगा, जिससे फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. इसके साथ ही लोगों को अब लंबी लाइनों में लगकर स्टाम्प खरीदने की जरूरत नहीं होगी, वे ऑनलाइन भुगतान करके तुरंत ई-स्टाम्प डाउनलोड कर सकेंगे.

    दुनिया में स्टाम्प सिस्टम की शुरुआत कहां से हुई?

    स्टाम्प सिस्टम की जड़ें 17वीं सदी के यूरोप में हैं. सबसे पहले इंग्लैंड में 1694 में ‘स्टाम्प एक्ट’ लागू हुआ था. इसका मकसद कानूनी दस्तावेजों पर कर लगाकर सरकारी राजस्व बढ़ाना था. इसके बाद यह प्रणाली पूरे यूरोप में फैल गई, फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड जैसे देशों ने भी इसे अपनाया. इसी व्यवस्था के कुछ दशकों बाद, 1840 में ब्रिटेन ने दुनिया का पहला डाक टिकट पेनी ब्लैक जारी किया, जिसने डाक सेवाओं में भी क्रांति ला दी.

    भारत में स्टाम्प प्रणाली की कहानी

    भारत में स्टाम्प सिस्टम की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई. 1797 में विनियमन VI के तहत इसे लागू किया गया. शुरुआत में यह कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित था, लेकिन 1860 तक यह पूरे भारत में फैल गया. बाद में इसे भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के रूप में औपचारिक रूप दिया गया. इस अधिनियम के तहत सरकार को कानूनी दस्तावेजों, अनुबंधों, संपत्ति खरीद-बिक्री और समझौतों पर कर वसूलने का अधिकार मिला. यह कानून आज भी देश में लागू है, हालांकि अब इसका रूप डिजिटल हो चुका है.

    यह भी पढ़ें: Dhoni Net Worth: रांची के अलावा कहां-कहां है महेंद्र सिंह धोनी की प्रॉपर्टी, जानिए कितने अमीर हैं ‘कैप्टन कूल’

    निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.

    अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.

    खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • पाकिस्तान को कतर से मिला तगड़ा झटका, अफगानिस्तान संग सीजफायर पर बदल दिया बयान; तालिबान ने दिखाई ताकत!

    पाकिस्तान को कतर से मिला तगड़ा झटका, अफगानिस्तान संग सीजफायर पर बदल दिया बयान; तालिबान ने दिखाई ताकत!

    पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कई दिनों तक चली हिंसक झड़पों के बाद दोनों पक्षों ने संघर्ष रोकने पर सहमति जताई थी. रविवार (19 अक्टूबर) को कतर और तुर्की की मध्यस्थता में दोहा में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद कतर ने एक बयान जारी कर बताया था कि दोनों पक्ष आगे की वार्ता और सहयोग के लिए सहमत हैं.

    पाकिस्तान के लिए इस खुशखबरी के तुरंत बाद कतर ने बयान में संशोधन कर दिया, जिससे पाकिस्तान को अप्रत्याशित झटका लगा. शुरूआती बयान में कतर ने युद्धविराम पर चर्चा करते समय अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन का उल्लेख किया था. डूरंड लाइन एक काल्पनिक सीमा है जो ब्रिटिश औपनिवेशिक दौर में बनाई गई थी और अफगानिस्तान कभी इसे मान्यता नहीं देता. इसके चलते अफगानिस्तान में इस बयान को लेकर विरोध और व्यापक प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं.

    कतर ने अपने बयान से डूरंड लाइन का जिक्र हटाया

    बाद में कतर ने अपने बयान से डूरंड लाइन का जिक्र हटा दिया. कतर के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए संशोधित बयान में अब यह सीमा उल्लेखित नहीं है. अमेरिका के अफगानिस्तान विशेष दूत रहे जल्मे खलीलजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया कि कतर ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर अपने पहले के बयान को बदल दिया है.

    क्या बोले अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री?

    इस बीच अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद ने दोहा से ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वार्ता के दौरान डूरंड लाइन पर कोई चर्चा नहीं हुई. उन्होंने स्पष्ट किया कि समझौते में डूरंड लाइन का कोई उल्लेख नहीं है और यह केवल दोनों देशों का आंतरिक मामला है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान कोई हमला करता है,# तो अफगानिस्तान जवाबी कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा.

    डूरंड लाइन को लेकर विवाद लंबे समय से जारी है. अफगानिस्तान इसे कभी स्वीकार नहीं करता, जबकि पाकिस्तान इसे वास्तविक अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है. इस असहमति के कारण दोनों देशों की सीमाओं पर कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं.

    ये भी पढ़ें-

    Trump On Zelensky: ‘अगर पुतिन चाहें तो यूक्रेन को बर्बाद कर देंगे’, व्हाइट हाउस में जेलेंस्की पर भड़के ट्रंप; फिर हुई तीखी बहस

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • हांगकांग एयरपोर्ट पर बड़ा हादसा, लैंडिंग के दौरान प्लेन ने खोया कंट्रोल, समुद्र में जा गिरा कार्गो विमान; VIDEO

    हांगकांग एयरपोर्ट पर बड़ा हादसा, लैंडिंग के दौरान प्लेन ने खोया कंट्रोल, समुद्र में जा गिरा कार्गो विमान; VIDEO

    हांगकांग अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सोमवार तड़के (20 अक्टूबर) एक दर्दनाक हादसा हो गया. एमिरेट्स एयरलाइन का बोइंग 747 कार्गो विमान लैंडिंग के दौरान नियंत्रण खो बैठा और रनवे से फिसलकर सीधे समुद्र में जा गिरा. विमान की लैंडिंग के वक्त यह ग्राउंड क्रू के एक वाहन से टकरा गया था, जिसके बाद हादसा हुआ.

    स्थानीय पुलिस के मुताबिक, दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से एक एयरपोर्ट कर्मचारी बताया जा रहा है. वहीं, विमान में मौजूद चारों क्रू मेंबर को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हादसा सुबह करीब 3:50 बजे हुआ, जब इलाके में तेज हवाएं और खराब मौसम बना हुआ था.

    तेज धमाके के साथ पानी में जा गिरा विमान

    प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान जैसे ही रनवे पर उतरा, उसकी टक्कर वहां खड़े एक पेट्रोलिंग वाहन से हो गई. टक्कर इतनी जोरदार थी कि वाहन समुद्र में जा गिरा और कुछ ही पलों में विमान भी रनवे पार करते हुए पानी में समा गया.

    लैंडिंग के वक्त थी 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार

    फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट Flightradar24 के आंकड़ों के मुताबिक, विमान की रफ्तार टकराव के समय करीब 49 नॉट यानी लगभग 90 किलोमीटर प्रति घंटा थी. AirNavRadar द्वारा जारी तस्वीरों में विमान का पिछला हिस्सा पूरी तरह गायब नजर आ रहा है, जबकि बाकी हिस्सा आधा पानी में डूबा हुआ दिखाई दे रहा है.

    Hong Kong Airport Incident! Early today (20th), a cargo flight from Dubai to Hong Kong collided with a ground support vehicle and plunged into the sea, resulting in the deaths of two people—the passenger and driver of the ground support vehicle. #HongKong #PlaneCrash pic.twitter.com/zrSiGYErvX

    32 साल पुराना था विमान

    यह विमान करीब 32 वर्ष पुराना था और इसे तुर्की की मालवाहक कंपनी AirACT एमिरेट्स के लिए संचालित कर रही थी. इस कार्गो फ्लाइट ने दुबई अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी और इसमें कोई यात्री नहीं था, केवल चार क्रू सदस्य मौजूद थे.

    रनवे बंद, बचाव कार्य जारी

    हादसे के तुरंत बाद हांगकांग एयरपोर्ट अथॉरिटी ने आपातकालीन बचाव अभियान शुरू किया. फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीमों ने पानी में फंसे क्रू को बाहर निकाला. सुरक्षा कारणों से एयरपोर्ट की उत्तरी रनवे को फिलहाल बंद कर दिया गया है.

    27 साल में सबसे गंभीर हादसा

    हांगकांग इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 27 साल के इतिहास में यह सबसे भयावह घटनाओं में से एक मानी जा रही है. इससे पहले 1999 में चाइना एयरलाइंस की एक फ्लाइट टाइफून के दौरान पलट गई थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी. इस बार का हादसा 1993 के काई तक एयरपोर्ट दुर्घटना से भी मिलता-जुलता है, जब एक बोइंग 747 रनवे पार कर समुद्र में जा गिरा था.

    ब्लैक बॉक्स बरामद, जांच शुरू

    एयरपोर्ट प्रशासन और हांगकांग क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस (CPS) ने हादसे की जांच शुरू कर दी है. अधिकारियों के अनुसार, विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है और तकनीकी जांच के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि टक्कर और नियंत्रण खोने की असली वजह क्या थी. एमिरेट्स और AirACT की ओर से अभी तक इस हादसे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

    ये भी पढ़ें-

    पाकिस्तान का साथ देना तुर्की और अजरबैजान को पड़ा भारी, भारतीयों ने लिया ऐसा फैसला, समझा दी हैसियत

    We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking “Allow All Cookies”, you agree to our use of cookies.

  • एन. रघुरामन का कॉलम:गांवों में पटाखे तरह-तरह की मिट्टी की खुशबू लेकर आते हैं!

    एन. रघुरामन का कॉलम:गांवों में पटाखे तरह-तरह की मिट्टी की खुशबू लेकर आते हैं!

    • Hindi News
    • Opinion
    • N. Raghuraman’s Column Firecrackers In Villages Bring A Variety Of Earthy Fragrances!

    14 मिनट पहले
    • कॉपी लिंक

    एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

    इस महीने की शुरुआत में जब मैं अपने पैतृक गांव में पारिवारिक पूजा-अर्चना के लिए गया था, तो मैंने देखा कि गांव सीधे-सीधे दो हिस्सों में बंटा हुआ था। 1,200 से भी कम आबादी वाले उस छोटे-से गांव में ज्यादातर लोग आम लोगों जैसे कपड़े पहने हुए थे। पुरुष साधारण लेकिन चमकीली सूती-धोती पहने थे, मानो उन पर इस्तरी की गई हो। लेकिन असल में ऐसा नहीं था- उनका रोजाना रस्सी पर कपड़े सुखाने का तरीका ही कुछ ऐसा था।

    मुझे याद नहीं आता कि अपनी अब तक की यात्राओं में मैंने उस गांव में कभी कोई वॉशिंग मशीन देखी हो। वहां ज्यादातर महिलाएं नौ गज की साड़ी पहने हुए थीं और उन्होंने जिस तरह से इस पेचीदा परिधान को पहना था, वह कई शहरी महिलाओं के पहनावे के हुनर ​​पर सवालिया निशान लगा सकता है। हालांकि गांव में एकत्र हुए हम जैसे ज्यादातर आगंतुकों के पास रेशमी धोती थी।

    मुझे नहीं पता कि उन महंगी रेशमी धोतियों ने उन्हें पहनने वालों में गर्व जगाया था या नहीं, लेकिन मुझे यकीन था कि इसने कम से कम उन गांव वालों को बिलकुल भी लज्जित नहीं किया।उन्होंने उन्हें देखा जरूर, लेकिन उनकी आंखें वाह कहते हुए ठिठक नहीं गईं। वे कच्ची सड़क पर चुपचाप चलते रहे। वे जानते थे कि ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर चलते हुए उन्हें सावधान रहना होगा। वे यह भी जानते थे कि छोटी-छोटी रुकावटें भी उन्हें ठोकर खाकर गिरा सकती हैं।

    उनके विपरीत, मैंने हम लोगों के बीच कुछ असुरक्षित ओवर-अचीवर्स को देखा। उनकी महत्वाकांक्षाएं उनकी चिंताओं के अनुरूप थीं, और वे अद्भुत ढंग से आदर्शवादी थे। ज्यादातर आगंतुक उस गांव की समस्याओं को हल करने के लिए दृढ़ थे। कम से कम उनकी बातचीत से तो उनके पक्के इरादों का ही पता चलता था। उनमें से कुछ लोग गरीबी मिटाना चाहते थे तो कुछ उस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना चाहते थे जिसकी देखभाल इतनी अच्छी तरह से नहीं की जा रही थी। लेकिन किसी ने उस गांव के स्कूल और उसकी शिक्षा के स्तर के बारे में बात नहीं की।

    ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके लिए व्यक्तिगत रूप से समय और ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जो कोई नहीं दे सकता। दुर्भाग्य से, हम शहरवासी विकल्पों के जाल में फंसे हुए हैं! ये सच है कि आज के जॉब-मार्केट में शहर अच्छी कमाई के वादे के साथ अपने दरवाजे सबके लिए खोलते हैं। लेकिन हम इस सोच के पाश में फंस गए हैं कि पैसों से आराम को भी खरीदा जा सकता है। जबकि शहरों की नौकरियां अकसर इससे विपरीत परिणाम देती हैं और उसकी कीमत हमारे मानसिक स्वास्थ्य को चुकानी पड़ती है। जब भी मैं गांव वालों को देखता हूं, मुझे महसूस होता है कि दुनिया लालच से नहीं चलती।

    जब मैं वहां खड़ा था और मुझे प्यास लग रही थी, तो एक खेत मालिक ने मुझसे कुछ पूछा तक नहीं, उसने बस मेरा चेहरा, उसके भाव और शायद मेरी गतिवि​धियां देखीं- जिस तरह मैं एक बड़े तौलिये से अपना चेहरा पोंछ रहा था। और उसने अपने खेत मजदूर से कहा, गणेश, ऊपर चढ़ो और दो नारियल ले आओ। हमारे मेहमान को प्यास लग रही है। पल भर में गणेश पेड़ पर ऐसे चढ़ गया मानो वह कान फिल्म समारोह का रेड कार्पेट हो और न सिर्फ नारियल ले आया, बल्कि उन्हें काटकर मुझे पीने के लिए दे दिया। उनमें से किसी ने भी मेरे पैसे देने की अपेक्षा नहीं की। मैंने ही शिष्टाचारवश ऐसा किया।

    यही वजह है कि मुझे लगा ग्रामीणों का जीवन अधिक सूक्ष्म शक्तियों के आधार पर चलता है- वेदों और उपनिषदों के ज्ञान का सम्मान, अपना मनचाहा भोजन उगाकर खाने का गर्वीला संतोष, और अन्य असीमित विकल्प जो बेहतरी की ओर ले जाते हैं। उन चार दिनों में जब हम वहां रुके, मैंने अपने सभी रिश्तेदारों को उस गांव के वंचित स्कूल में कुछ घंटे पढ़ाने के लिए राजी कर लिया। क्योंकि वे बच्चे चूहा-दौड़ में शामिल नहीं होना चाहते थे, बल्कि वे कुछ ऐसे उपाय जानना चाहते थे, जो उनके जीवन को थोड़ा बेहतर बना सकें।

    फंडा यह है कि अपने पुश्तैनी गांवों में दीपावली मनाने से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है, खासकर हमारे बच्चों को। गांवों के रंग में घुलने-मिलने से उस जगह का असली स्वाद मिलता है, इसके अलावा आप कुछ पैसे खर्च करके गांव की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाते हैं। तो इस साल जरूर कोशिश करें। आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं।

    .